पहली बार भारत में तिरंगा कब फहराया गया था? - pahalee baar bhaarat mein tiranga kab phaharaaya gaya tha?

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वर्ष 1931 में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. पांचवे ध्वज को वर्तमान स्वरूप का पूर्वज कहा जा सकता है.

TV9 Bharatvarsh | Edited By:

Updated on: Jul 22, 2022, 4:49 PM IST

भारत इस साल आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आजादी को 75 साल हो गए हैं. आजादी के वर्ष आज का दिन भारतवासियों के लिए बेहद खास था. 1947 में आज ही के दिन यानी 22 जुलाई को संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपनाया था. अभी जो हमारा राष्‍ट्रीय झंडा है, उसमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं. इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है. सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां हैं. लेकिन आज तिरंगे का जो स्वरूप है, वह पहले ऐसा नहीं था. यह जानना बड़ा ही दिलचस्प है कि हमारा तिरंगा शुरुआत से अब तक किन बदलावों से होकर गुजरा.

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देश का पहला गैर अधिकारिक झंडा: देश का पहला ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था. इस तिरंगे में ऊपर हरे, बीच में पीले और नीचे लाल रंग की क्षैतिज पट्टियां थीं. ऊपर की हरी पट्टी में कमल के फूल बने थे, नीचे की लाल पट्टी में सूरज और चांद, जबकि बीच वाली पीली पट्टी में वंदे मातरम लिखा हुआ था. पिछले दिनों आई ​फिल्म RRR में इस झंडे को दिखाया गया. यह फिल्म उसी दौर की कहानी है.

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देश का दूसरा राष्ट्रीय ध्वज: 1907 में मैडम कामा और उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा यह झंडा पेरिस में फहराया गया था. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह घटना 1905 की थी. यह झंडा भी पहले ध्‍वज की ही तरह था. हालांकि इसमें तीन रंगों के रूप में केसरिया, हरा और पीला शामिल था. साथ ही इसमें सूरज और चांद के साथ तारा भी शामिल किया गया था, जबकि कमल की जगह दूसरा फूल शामिल था. इसे एक सम्मलेन के दौरान ​बर्लिन में भी इसे फहराया गया था.

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तीसरा झंडा : तीसरे ध्वज में ब्रिटिश हुकूमत की झलक साफ दिखती थी. यह 1917 में अस्तित्व में आया. इस ध्वज को लोकमान्य तिलक और डॉ एनी बेसेंट ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया. इस झंडे में एक के बाद एक 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां बनी थीं. साथ ही सप्तऋषि की ही आकृति में इस पर सात सितारे बने थे. बाईं और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था, जबकि एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था.

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1921 में चौथा ध्वज: 1921 में बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने यह झंडा बनाकर महात्मा गांधी को दिया. यह लाल और हरा रंग का था. लाल रंग हिंदू, जबकि हरा रंग मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता था. इसे देख गांधीजी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा भी जोड़ देना चाहिए. और इस तरह देश का चौथा झंडा तैयार हुआ.

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1931 में पांचवा ध्वज: वर्ष 1931 में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. पांचवे ध्वज को वर्तमान स्वरूप का पूर्वज कहा जा सकता है. इसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी शामिल थी. बीच वाली सफेद पट्टी गांधीजी के चलते हुए चरखे के साथ थी. यह राष्ट्रीय भारतीय सेना का संग्राम चिह्न भी था.

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महाराष्ट्र : कोल्हापुर स्थित पुलिस हेड क्वार्टर में देश का चौथा सबसे ऊंचा तिरंगा फहर रहा है, इसकी ऊंचाई 303 फीट है.

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भारत में प्रथम बार राष्ट्रीय ध्वज कब फहराया गया?

कैसा था देश का पहला झंडा लेकिन 1947 से पहले भारतीय ध्वज में कई बार परिवर्तन हुए। जर्मनी में जो पहला भारत का झंडा फहराया गया वह भी तीन रंगों से बना था लेकिन आज के जैसा तिरंगा नहीं था।

भारत का सबसे पहला झंडा कौन था?

​भगिनी निवेदिता का ध्वज साल 1904 से 1906 के बीच स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता ने एक ध्वज तैयार किया था। इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला राष्ट्रीय ध्वज कहा जाता है। बाद में इसे सिस्टर निवेदिता के ध्वज के नाम से भी जाना जाने लगा था

आजादी से पहले भारत का झंडा क्या था?

1906 में देश का पहला प्रस्तावित झंडा सामने आया। जिसे सात अगस्त, 1906 को पारसी बागान चौक, कलकत्ता (अब ग्रीन पार्क, कोलकाता) में फहराया गया था। इस झंडे में तीन - हरे, पीले और लाल रंग की पट्टियां थीं। इसमें ऊपर की हरे रंग वाली पट्टी में आठ कमल के फूल थे, जिनका रंग सफेद था

भारत का झंडा पहले कैसे था?

पहला भारतीय झंडा 7 अगस्त 1906 में कलकत्ता के पारसी बगान स्कवॉयर में फहराया गया था। इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थी। झंडे की बीच की पट्टी पर वंदेमातरम लिखा हुआ था। नीचे की पट्टी पर सूर्य और चांद का सांकेतिक चिन्ह बना हुआ था

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