प्रोटोन के लिए आवेश व द्रव्यमान के क्या मान है? - proton ke lie aavesh va dravyamaan ke kya maan hai?

प्रोटोन के लिए आवेश व द्रव्यमान के क्या मान है? - proton ke lie aavesh va dravyamaan ke kya maan hai?

प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विद्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1.602E−19 कूलाम्ब का धनावेश होता है। इसका द्रव्यमान 1.6726E−27 किग्रा होता है जो इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से लगभग 1845 गुना अधिक है। प्राणु तीन प्राथमिक कणो दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। प्रोटोन की खोज रेडरफोर्ड

ने की

विवरण[संपादित करें]

प्राणुफर्मिऑन होते है, जिनकी प्रचक्रण १/२ होती है और यह तीन क्वार्क से मिलकर बने होते है अर्थात यह बेर्यॉन (हेड्रॉन का एक प्रकार) के रूप में होते है। इनके दो अप-क्वार्क एवं एक डाउन-क्वार्क आपस में सशक्त बल (strong force) से जुडे होते है जोग्लुऑन द्वारा लागू होते है। प्राणु और न्यूट्रॉन का जोडा न्युक्लिऑन कहलाता है जो किपरमाणु नाभिक में नाभकीय बल (nuclear force) से आपस में बंधे होते है। उदजन ही एक मात्र ऐसा तत्व है जिसके परमाणु नाभिक में प्राणु अकेला पाया जाता है अन्यथा अन्य सभी परमाणु के नाभिक में प्राणु न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता है। उदजन परमाणु के नाभिक में केवल एक प्राणु होता हैन्यूट्रॉन नहीं होता है जबकि इसके दो भारी समस्थानिक ड्यूटेरियम में एक प्राणु व एक न्यूट्रॉन एवं ट्रिटियम में एक प्राणु व दो न्यूट्रॉन होते है।

स्थायित्व[संपादित करें]

प्राणु, इलेक्ट्रॉन (ऋणात्मक बीटा-क्षय) का अवशोषण कर न्यूट्रॉन में बदल जाता है।

p+ + e- → no + ve

जहॉ p प्राणु, e इलेक्ट्रॉन, n न्यूट्रॉन और ve इलेक्ट्रॉन न्यूट्रीनो है।

इसके विपरित न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन (ऋणात्मक बीटा क्षय) का उत्सर्जन कर प्राणु में बदल जाता है।

no → p+ + e- + ve-

प्राणु की अर्ध-आयु बहुत लम्बी होती है (आज के ब्रह्माण्ड की आयु से भी अधिक)

इतिहास[संपादित करें]

प्रोटोन ग्रीक शब्द प्रोटोस protos से हुआ है जिसका अर्थ होता है। "प्रथम्"। १९२० में रदरफोर्ड ने इसका नामकरण किया।

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(what is proton in hindi) proton ki khoj kisne ki प्रोटॉन क्या है , प्रोटोन की परिभाषा : प्रोटोन भी एक उप परमाण्वीय कण है जिस पर धनात्मक आवेश उपस्थित होता है।  प्रोटॉन को p+
चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। प्रोटॉन व न्यूट्रॉन नाभिक के अंतर पाया जाता है जबकि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता या यादृच्छ गति करता रहता है।

प्रोटोन पर उतना ही आवेश उपस्थित होता है जितना इलेक्ट्रान पर रहता है लेकिन प्रकृति में विपरीत होता है अर्थात इलेक्ट्रान पर ऋणात्मक आवेश होता है जबकि प्रोटोन पर धनात्मक आवेश होता है।  proton का भार 1.67262 × 10−27 किलोग्राम होता है यह भार न्यूट्रॉन से कुछ कम होता है तथा electron के भार का लगभग 1,836 गुना होता है। किसी तत्व में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या को उस तत्व की परमाणु संख्या कहते है।

उदाहरण के लिए मान लीजिये किसी तत्व में प्रोटोन की संख्या 15 है तो इस तत्व की परमाणु संख्या का मान भी 15 होगा। परमाणु संख्या के आधार पर तत्वों को आवर्त सारणी में रखा जाता है।

जब किसी परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन और नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या बराबर हो तो उस परमाणु को उदासीन परमाणु कहा जाता है।

प्रोटोन पर इलेक्ट्रान जितना ही आवेश होता है लेकिन दोनों की प्रकृति विपरीत होता है , प्रोटोन पर 1.60217733 x 10-19 C धनात्मक आवेश होता है।

प्रोटोन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की थी। प्रोटोन के अलावा नाभिक में न्यूट्रॉन होते है जो उदासीन होते है अर्थात न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नही होता है , न्यूट्रॉन की खोज जेम्स चेडविक ने की थी।

न्यूट्रॉन की खोज प्रोटोन और इलेक्ट्रान की खोज के बाद हुई थी।

  • प्रोटॉन
    • प्रोटॉन की खोज
      • प्रोटॉन की खोज कैसे हुई
      • कैनाल किरणों के गुण
      • प्रोटॉन की विशेषताएं
      • प्रोटॉन संबंधित प्रश्न उत्तर
        • Q.1 प्रोटॉन का द्रव्यमान किग्रा में कितना होता है?
        • Q.2 प्रोटॉन पर कितना आवेश होता है?
        • Q.3 प्रोटॉन की खोज कब और किसने की?
        • Q.4 प्रोटोन पर आवेश कैसा होता है?

प्रोटॉन

प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में पाया जाता है। इस पर धन आवेश होता है। प्रोटोन पर 1.6 × 10-19 कूलाम आवेश होता है। एवं प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.66 × 10-24 ग्राम (1.66 × 10-27 किग्रा) होता है। परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या और इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होती है। अर्थात्
नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या

प्रोटॉन की खोज

प्रोटॉन की खोज वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने सन् 1920 में की थी। (discovery of proton in Hindi)
प्रोटॉन की खोज कैनाल (धन) किरणों द्वारा की गई थी।
Note – कई जगह यह लिखा गया है कि प्रोटॉन की खोज गोल्डस्टीन ने की थी। गोल्डस्टीन ने केवल कैनाल किरणों के बारे में कुछ ही अनुमान लगाया था। लेकिन 1920 में रदरफोर्ड प्रोटोन के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान की। इसलिए प्रोटोन का खोजकर्ता रदरफोर्ड को माना जाता है।

प्रोटॉन की खोज कैसे हुई

वैज्ञानिक गोल्डस्टीन ने यह ज्ञात किया कि अल्प दाब और उच्च विभवांतर पर छिद्रित कैथोड लगी विसर्जन नली में विद्युत विसर्जन किया जाता है। तो कैथोड के पीछे चमकीला चिन्ह बनता है। गोल्डस्टीन ने इन किरणों को कैनाल किरणें कहा चूंकि यह एनोड से गमन करती हुई कैथोड की ओर जाती है। एवं थॉमसन इन किरणों को धन किरणें कहा चूंकि यह एनोड से उत्पन्न होती है।

प्रोटोन के लिए आवेश व द्रव्यमान के क्या मान है? - proton ke lie aavesh va dravyamaan ke kya maan hai?

कैनाल किरणों के गुण

  • कैनाल किरणें एनोड से निकलकर कैथोड की ओर गमन करती हैं। इसलिए इन किरणों को धन किरणें भी कहा जाता है।
  • यह किरणें सीधी रेखाओं में चलती है।
  • कैनाल किरणों का वेग कैथोड किरणों के वेग से कम होता है।
  • कैनाल किरणें विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्रों में विक्षेपित हो जाती है। अर्थात् कैनाल किरणों में धनात्मक कण उपस्थित होते हैं। जिन्हें प्रोटॉन कहते हैं।
  • यह किरणें ठोसों को आयनित कर देती है।

प्रोटॉन की विशेषताएं

सन् 1920 में वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने कैनाल किरणों के अध्ययन की फलस्वरुप प्रोटॉन की खोज की, एवं इनसे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं दीं, जो निम्न प्रकार से हैं।
1. प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.66 × 10-24 ग्राम (1.66 × 10-27 किग्रा) होता है जो हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर ही है।
2. प्रोटॉन परमाणु का धनावेशित मौलिक कण है जिस पर +1.6 × 10-19 कूलाम आवेश होता है।
3. प्रोटॉन की त्रिज्या लगभग 10-13 सेमी होती है।

प्रोटॉन संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 प्रोटॉन का द्रव्यमान किग्रा में कितना होता है?

Ans. 1.66 × 10-27 किग्रा

Q.2 प्रोटॉन पर कितना आवेश होता है?

Ans. +1.6 × 10-19 कूलाम

Q.3 प्रोटॉन की खोज कब और किसने की?

Ans. सन् 1920 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने की थी।

Q.4 प्रोटोन पर आवेश कैसा होता है?

Ans. धनात्मक