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हिन्दू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव है। मां पार्वती भगवान शिव की अर्धांगिनी है। मां पार्वती को उमा , गौरी, सती, दुर्गा, काली आदि कई नामों से जाना जाता है। उनका निवास स्थान कैलाश पर्वत है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम पार्वती पड़ा। उनकी माता का नाम मैनावती था। माता पार्वती पूर्व जन्म में मां सती थी जो पति का अपमान सहन ना कर पाने के कारण अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ की अग्नि में कूद गई थी। सती मरते समय श्रीहरि से यह वरदान मांगा था कि उनकी प्रीति भगवान शिव के लिए जन्म - जन्म तक रहें . उसी समय तारक नाम का एक राक्षस हुआ उसने देवताओं को युद्ध में हरा दिया. वह अपने आप को अजर अमर समझता था. ब्रह्मा जी ने देवताओं को बताया कि इस की मृत्यु शिवपुत्र द्वारा होगी. सती ने पार्वती के रूप में हिमाचल के घर में जन्म ले लिया . जब नारदजी पर्वतराज हिमालय के घर गए तो उन्होंने नारदजी से अपनी पुत्री के भविष्य के बारे में पूछा. नारद जी ने कहा तुम्हारी पुत्री सारे जगत में पूज्य होगी .संसार की स्त्रियों उनका नाम लेकर पतिव्रत रूपी तलवार की धार चढ़ जाएगी . नारद जी ने कहा इसके हाथ में ऐसी रेखा है इसे योगी ,जटाधारी ,नंगा, अमंगल वेश वाला पति मिलेगा. यह सुन कर दोनों पति -पत्नी हिमाचल और माँ पार्वती की माँ मैना ने पूछा इसका निवारण क्या है ?नारद जी ने कहा है विधाता ने जो लिख दिया इसे कोई नही मिटा सकता . नारद जी ने प्रेरणा दी की इसकी शादी भगवान शिव के साथ कर दो. जो अवगुण है वह गुण बन जाएंगे. परंतु शिव भक्ति कठिन है . पार्वती जी ने नारद जी के कहने पर भगवान शिव की कठिन तपस्या की . माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेकर विवाह करना स्वीकार किया। भगवान गणेश, कार्तिकेय जी इनके पुत्र हैं। शुभ लाभ इनके पौत्र है। सोमवार और शुक्रवार मां पार्वती का शुभ दिन माना जाता है। मां पार्वती की सवारी शेर और बाघ मानी जाती है। नवरात्रि, महाशिवरात्रि और हरितालिका तीज मुख्य त्यौहार है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप की पूजा की जाती है वह मां पार्वती के ही रूप है। महिषासुर का वध करने के लिए उन्होंने ने मां दुर्गा का रूप धारण किया था। माता पार्वती को कैसे प्रसन्न करें नवरात्रि में भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए आरती, चालीसा , उनके 108 नाम जप, माँ दुर्गा के 32 नाम माला का जाप करते हैं। महशिवरात्रि पर्व के बारे में पुराणों में वर्णित है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस लिए इस दिन सुहागिन स्त्रियां और कुंवारी कन्याएं माँ पार्वती को सुहाग का सामान जैसे कि बिंदी, चुड़ियाँ, सिंदूर, चुनरी आदि अर्पित करती है। कुवांरी कन्याएं मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए और सुहागन स्त्रियां को सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहाग का सामान चढा़ती है . तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार माता सीता अपने स्वयंवर से पहले मां पार्वती का पूजन करने गई थी। शिव और शक्ति का एक दूसरे के बिना कोई अस्तित्व ही नहीं है।मां पार्वती हर जीव में मां के रूप में होती है जो अपनी संतान की रक्षा और पालन-पोषण करती है और शिव पिता रूप में अपनी संतान को ज्ञान प्रदान करते हैं और उनका पोषण करते हैं. #शिव #पार्वती भगवान शिव की कथा मां दुर्गा 108 नाम मां दुर्गा 32 नाम माला माँ पार्वती चालीसा माँ पार्वती आरती माँ गौरी चालीसा विषयसूची
पार्वती की जाति क्या है?इसे सुनेंरोकेंवह पर्वत राजा हिमवान और रानी मेना की बेटी हैं। पार्वती हिंदू देवताओं गणेश, कार्तिकेय, अशोकसुंदरी, ज्योति और मनसा देवी की मां और अय्यप्पा की सौतेली माता हैं। पुराणों में उन्हें श्री विष्णु की बहन कहाँ गया है। वे ही मूल प्रकृति और कारणरूपा है। माता पार्वती ने कितने अवतार लिए?इसे सुनेंरोकेंये हैं माता पार्वती के नौ रूप शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कूष्मांडा, 5. सती किसकी पुत्री थी? इसे सुनेंरोकेंसती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी थी। इनकी उत्पत्ति तथा अंत की कथा विभिन्न पुराणों में विभिन्न रूपों में उपलब्ध होती है। माता पार्वती किसकी पुत्री थी?इसे सुनेंरोकेंदेवी पार्वती हिमनरेश हिमवान और उनकी रानी मैनावती की पुत्री हैं। पार्वती जी का विवाह भगवान शंकर से हुआ है। इन्हें पार्वती के अलावा उमा, गौरी और सती सहित अनेक नामों से जाना जाता है। माता पार्वती प्रकृति स्वरूपा कहलाती हैं। पार्वती जी का पिता जी का क्या नाम था?इसे सुनेंरोकेंहिमालय, हिमवान, गिरिराज इत्यादि नाम देवी पार्वती के पिता के लिए प्रयोग किए जाते हैं। उनकी माता के नाम के लिए मेना, मेनादेवी शब्द ही मिलते हैं। पार्वती का जन्म कई बार हुआ इसलिए उसके माता पिता का नाम भी कई हैं लेकिन उनमें से दक्ष प्रजापति और हिमांचल राज पिता के नाम और उसकी माता का नाम मैना प्रचलित है। मां पार्वती का जन्म कैसे हुआ? इसे सुनेंरोकेंउधर सती ने भी शरीर का त्याग करते समय संकल्प किया था कि मैं राजा हिमालय के यहां जन्म लेकर शंकरजी की अर्द्धांगिनी बनूं। अब जगदम्बा का संकल्प व्यर्थ होने से तो रहा। वे उचित समय पर राजा हिमालय की पत्नी मेनका के गर्भ में प्रविष्ट होकर उनकी कोख में से प्रकट हुईं। पर्वतराज की पुत्री होने के कारण वे ‘पार्वती’ कहलाईं। माता पार्वती का जन्म कब हुआ?इसे सुनेंरोकें6/6श्रावण मास में यहां लगता है मेला मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर माता पार्वती की जन्म भूमि मानतलाई है। यहीं पर माता पार्वती का जन्म और शिव जी से उनका विवाह हुआ था। शिव के कितने नाम है?भगवान शिव के 108 नाम
सती पूर्व जन्म में कौन थी? इसे सुनेंरोकेंप्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएं जन्मी और वीरणी से साठ कन्याएं। इस तरह दक्ष की 84 पुत्रियां और हजारों पुत्र थे। राजा दक्ष की पुत्री ‘सती’ की माता का नाम था प्रसूति। यह प्रसूति स्वायंभुव मनु की तीसरी पुत्री थी। सती के पिता जी का क्या नाम था?इसे सुनेंरोकेंआकूति, देवहूति और प्रसूती नामक तीन पुत्रियां थीं। प्रसूति का विवाह राजा दक्ष प्रजापति के साथ हुआ। राजा दक्ष के यहां ही देवी सती का जन्म हुआ। राजा दक्ष प्रजापति के यहां एक नहीं बल्कि 24 कन्याएं उत्पन्न हुईं। माता पार्वती के माता पिता का क्या नाम था?माता पार्वती के भाई का क्या नाम था? इसे सुनेंरोकेंदेवी पार्वती के भाई कौन हैं? माँ पार्वती के भाई लाटू देवता के खुले कपाट,यही दिया था पार्वती ने भाई को श्राप चमोली- कल 10 मई को चमोली के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर भविष्यबदरी और लाटू देवता के कपाट खोल दिए गए है। भगवान शिव के साले और माता पार्वती के भाई लाटू देवता के इस मंदिर की बड़ी मान्यता है। माता पार्वती हिंदू भगवान शिव की पत्नी हैं । वह पर्वत राजा हिमांचल और रानी मैना की बेटी हैं।…पार्वती
महादेव जी की मृत्यु कैसे हुई?इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव का न कोई आदि है न कोई अंत हैं. भगवान शिव ने किसी के गर्भ में से जन्म नहीं लिया हैं. इसलिए भगवान शिव की मृत्यु भी नहीं हो सकती हैं. शिव के पिता जी कौन है?इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव की पूजा मूर्ति और शिवलिंग के रूप में होती है। शिव जी की उत्पत्ति दो कार्य के लिए हुई है। देवी दुर्गा और काल सदाशिव हैं महादेव के माता-पिता। शंकर भगवान का सरनेम क्या है? इसे सुनेंरोकेंइन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू शिव घर्म शिव-धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। सदाशिव के पिता कौन हैं?इसे सुनेंरोकेंउन्होंने बताया कि देवी दुर्गा और शिव स्वरूप ब्रह्मा के योग से ब्रह्मा विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई है। यानी प्रकृति स्वरूप दुर्गा ही हम तीनों की माता है और ब्रह्मा यानी काल सदाशिव हमारे पिता हैं। पार्वती सती क्यों हुई?इसे सुनेंरोकेंपार्वती कथा : दक्ष के बाद सती ने हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती के यहां जन्म लिया। मैनावती और हिमवान को कोई कन्या नहीं थी तो उन्होंने आदिशक्ति की प्रार्थना की। आदिशक्ति माता सती ने उन्हें उनके यहां कन्या के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। दोनों ने उस कन्या का नाम रखा पार्वती। मां पार्वती के कितने रूप हैं? पार्वती की माता का क्या नाम था?इसे सुनेंरोकेंमाँ पार्वती के पिता का नाम fathers name of maa parvati ऐसी भक्तवत्सल देवी माँ पार्वती के पिता का नाम हिमवान था, जो हिमालय राज्य के राजा थे। तथा उनकी माँ का नाम मैनावती था। भगवान शिव के कितने विवाह हुए?इसे सुनेंरोकेंहिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव ने चार विवाह किए थे। हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव ने चार विवाह किए थे। उन्होंने यह सभी विवाह आदिशक्ति के साथ ही किए थे। भगवान शिव ने पहला विवाह माता सती के साथ किया जो कि प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। पार्वती माता की माता का क्या नाम था?पार्वती. पार्वती का असली नाम क्या है?ऐसा ही कुछ टीवी एक्ट्रेस सोनारिका भदोरिया के साथ है, जो टीवी स्क्रीन पर 'पार्वती' के किरदार से फेमस हुई थीं।
माता पार्वती किसकी बेटी थी?देवी पार्वती हिमनरेश हिमवान और उनकी रानी मैनावती की पुत्री हैं। पार्वती जी का विवाह भगवान शंकर से हुआ है। इन्हें पार्वती के अलावा उमा, गौरी और सती सहित अनेक नामों से जाना जाता है। माता पार्वती प्रकृति स्वरूपा कहलाती हैं।
पार्वती माता के कितने नाम हैं?माँ पार्वती के 108 नाम: Maa Parvati Ke 108 Naam | Free PDF.... आद्य – प्रारंभिक या फिर वास्तविकता. आर्या – यह देवी का नाम है. अभव्या – यह नाम भय का प्रतीक है. अएंदरी – भगवान इंद्र की शक्ति. अग्निज्वाला – यह नाम आग का प्रतीक है. अहंकारा – यह नाम गौरव का प्रतीक है. अमेया – यह नाम उपाय से परे का प्रतीक है. |