Stomach Nerve Pain Home Remedies: पेट में दर्द होने की समस्या का सामना तो हम में से ज्यादातर लोग करते हैं। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी पेट दर्द की समस्या का सामना करते हैं। पेट में दर्द होने के पीछे आमतौर पर कई कारण होते हैं। खराब पाचन, पेट में गैस, अपच, कब्ज, आंत में सूजन, पेट की मांसपेशियों में सूजन जैसी कई अन्य समस्याएं पेट में दर्द का कारण बन सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, कई बार पेट में दर्द की समस्या पेट की नसों में दर्द और सूजन के कारण भी हो सकती है? जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नसों में दर्द की समस्या क्यों होती है? और इसका इलाज क्या है? इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए वॉकहार्ट हॉस्पिटल, नासिक के डॉ. विशाल सावले- सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक स्पेशलिस्ट से बात की। इस लेख में हम आपको नसों में दर्द क्यों होता है और पेट की नसों में दर्द का घरेलू इलाज (pet ki naso me dard ka ilaj) बता रहे हैं।
पेट की नसों में दर्द क्यों होता है?
नसों में दर्द की समस्या का एक बड़ा कारण शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से न होना है। जब आपकी नसों में ब्लड फ्लो या सर्कुलेशन ठीक से नहीं होता है, तो इससे ब्लड आगे नहीं बढ़ पाता है और एक जगह ठहरने लगता है। धीरे-धीरे यह जमने लगता है और इसके कारण नसों में ब्लॉकेज की समस्या होने लगती है। जब नसें ब्लॉक हो जाती हैं, तो रक्त आगे नहीं बढ़ पाता और रूकने लगता है, जब रक्त को निकलने का रास्ता नहीं मिलता है तो इससे नसों में सूजन होने लगती है और नसें डैमेज हो जाती हैं। इसकी वजह से मांसपेशियों में भी गंभीर दर्द होता है। यह समस्या शरीर के किसी भी अंग में देखने को मिल सकती है। यह समस्या हाथ-पैर, टांगें, सिर, गला, गर्दन, रीढ़, कंधे, कमर, पेट के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से में देखने को मिल सकती है।
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पेट की नसों में दर्द का इलाज- pet ki naso me dard ka ilaj
डॉ. विशाल के अनुसार नसों में दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों ही तरीकों की मदद से ले सकते हैं। जिसमें दवाएं, सर्जरी और फिजियोथेरेपी चिकित्सा को शामिल किया जा सकता है। हालांकि अगर दर्द गंभीर नहीं है, या नसों में दर्द की सिर्फ शुरुआत है, तो डॉक्टर आपको कुछ घरेलू उपायों का सुझाव भी दे सकते हैं। जिनकी मदद से आप पेट की नसों में दर्द से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।
पेट की नसों में दर्द के उपाय- pet ki naso me dard ke upay
1. सांस संबंधी व्यायाम करें
सांस संबंधी व्यायाम जैसे अनुलोम-विलोम और योग का अभ्यास करने से रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। जिससे ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
2. आयरन बढ़ाने वाले फूड्स खाएं
आयरन रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ावा देने में बहुत अहम भूमिका निभाता है। इससे हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने और ब्लड फ्लो को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। यह नसों में ब्लॉकेज को खोलने में भी मदद करता है। हरी-पत्तेदार सब्जियों, मौसमी फल आदि को डाइट का हिस्सा बनाएं।
3. दर्द वाले हिस्से की गर्म सिकाई करें
आप पेट के जिस हिस्से में अधिक दर्द का अनुभव कर रहे हैं, उस हिस्से की हॉट बोटल, बैग, या तवा गर्म करके किसी सूती कपड़े की मदद से 10-12 मिनट अच्छी तरह सिकाई कर सकते हैं।
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4. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज होती हैं फायदेमंद
आप ऐसी सिंपल एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिससे पेट की नसों में और मांसपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही सूजन मांसपेशियों में सूजन भी कम होती है।
5. हल्दी वाला दूध पिएं
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए हल्दी वाला दूध एक बेहतरीन उपाय है। हल्दी एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होती है, जिससे यह सूजन से लड़ने और दर्द से छुटकारा दिलाने में बहुत प्रभावी है। यह नसों के ब्लॉकेज खोलने में भी प्रभावी है।
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पेट के निचले भाग की नसों में फैलाव से इस बीमारी में होता है दर्द
जयपुरPublished: Jun 15, 2019 12:16:27 pm
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम 30-35 साल की महिलाओं में आम है। इसमें पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है।
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (पीसीएस) क्या है?
इसमें पेट व निचले हिस्से की नसों के फैलाव से तेज दर्द होता है। जिन्हें (पेल्विक वेन इनकम्पेटेंस या पेल्विक वेनस इंसफिशिएंशी भी) यह समस्या होती है उन्हें सुबह के समय दर्द महसूस नहीं होता लेकिन लगातार
काम करते रहने से नसों पर दबाव बढ़ता है तो रात को दर्द तेज हो जाता है। लेटने से दर्द कम हो जाता है।
कितनी महिलाओं को यह परेशानी हो सकती है?
हर तीन में से एक महिला उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर पेल्विक पेन से पीडि़त होती है। इनमें अधिकतर महिलाएं 20-45 वर्ष आयुवर्ग की होती हैं और जो कई बार गर्भवती हो चुकी होती हैं।
इसके रिस्क फैक्टर्स व लक्षण क्या हैं?
उक्त आयुवर्ग में लक्षणों को नजरअंदाज करना बड़ा कारण है। पेट के निचले भाग
में दर्द अधिक देर तक बैठे रहने या खड़े रहने से गंभीर हो जाता है। कई बार महिलाओं को पैर में भारीपन भी लगता है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (खाते ही मोशन), कुछेक को कब्ज, मूड स्विंग, सिरदर्द, थकान आदि परेशानी होती है। कुछ में पीरियड्स के दौरान या लंबे समय तक बैठने से समस्या बढ़ती है। यदि दर्द लगातार 6 माह तक रहे तो पीसीएस की आशंका।
रोग के प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं?
फिलहाल कोई स्पष्ट कारण नहीं। हालांकि शारीरिक संरचना, हार्मोन्स के स्तर में किसी प्रकार की गड़बड़ी,
पेट या जननांगों से जुड़ी पूर्व में हुई कोई सर्जरी भी वजह हो सकती है।
इस बीमारी की जांच कैसे होती है?
अधिकांश मामलों में इसकी पुष्टि फिजिकल एक्जामिनेशन व अल्ट्रासाउंड से नहीं हो पाती। ऐसे में सीटी स्कैन, एमआरआई, पेल्विक एक्जाम, एक्स-रे आदि करवाने की सलाह दी जाती है।
इसका उपचार क्या है?
ओवेरियन वेन एम्बोलाइजेशन नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें खराब नसों को बंद कर देते हैं ताकि इनमें खून न जमा हो। इसके बाद थोड़ा दर्द होता है जो
ठीक हो जाता है। यह ब्लीडिंग रोकने का इलाज है जिसमें अस्पताल में रुकना नहीं पड़ता।