पटवारी से बड़ा कौन होता है - patavaaree se bada kaun hota hai

पटवारी से बड़ा कौन होता है - patavaaree se bada kaun hota hai

पटवारी या लेखपाल राजस्व विभाग में ग्राम लेवल का अधिकारी होता है। इन्हें विभिन्न स्थानों पर अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे:- , कारनाम अधिकारी, शानबोगरु,लेखपाल(उत्तर प्रदेश)आदि। यह भारतीय उपमहाद्वीप के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार का प्रशासनिक पद होता है। ये अपने हलके के भूमि सम्बंधी विवाद का निपटारा करते है। भूमि का सीमांकन, म्यूटेशन, विरासत,हैसियत प्रमाण पत्र, जाति, आय, निवास, आपदा,आदि जैसे अनेको कार्य करते हैं। अपने क्षेत्र का निरीक्षण का कार्य इन्ही का है। ये महत्वपूर्ण बिंदुओं और प्रार्थना पत्रों पर तहसीलदार को प्रतिवेदन प्रेषित करते हैं।एक लेखपाल अपने क्षेत्र के अंतर्गत भूमि का रिकॉर्ड रखता है।[1]

इतिहास[संपादित करें]

पटवारी प्रणाली की शुरूआत सर्वप्रथम शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान हुई और बाद में अकबर ने इस प्रणाली को बढ़ावा दिया। ब्रितानी शासनकाल के दौरान इसमें मामूली परिवर्तन हुये लेकिन प्रणाली जारी रही।

१९१८ में सभी गाँवों में सरकार प्रतिनिधि के रूप में लेखापाल नियुक्त किये।[2]

राजा टोडरमल जो अकबर के दरबार में भू-अभिलेख का मन्त्री था, के द्वारा जमीन संबंधी कार्यो के सम्पादन के लिये पटवारी पद[3] की स्थापना की गयी थी। पटवारी शासन एवम निजी भूमियों के कागजात को सन्धारित करता है। ब्रिटिश राज में इसे सुदृढ़ कर जारी रखा गया। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में पटवारी शब्द प्रचलित है। गुजरात-महाराष्ट्र में 1918 तक इन्हें कुलकर्णी कहा जाता था, जिसे खत्म कर तलाटी कहा जाने लगा। तमिलनाडु में पटवारी को कर्णम या अधिकारी कहा जाता है।

गांवों में गरीब किसान के लिए पटवारी ही 'बड़ा साहब' होता है। पंजाब में पटवारी को 'पिंड दी मां' (गांव की मां) भी कहा जाता है। राजस्थान में पहले पटवारियों को 'हाकिम साहब कहा जाता था।

पटवारियों के बारे में कोई केंद्रीयकृत आंकड़ा नहीं है। राजस्थान में लगभग 12000 पटवारी पद हैं, तो मध्य प्रदेश में 11,622, छत्तीसगढ़ में 3,500, उत्तर प्रदेश में पटवारी के पद को चौधरी चरण सिंह के जमाने में ही समाप्त कर दिया गया था और अब उन्हें लेखपाल कहा जाता है, जिनकी संख्या 27,333 है। उत्तराखंड में इन्हें राजस्व पुलिस कहा जाता है और राज्य के 65 फीसदी हिस्से में अपराध नियंत्रण, राजस्व संबंधी कार्यों के साथ ही वन संपदा की हकदारी का काम पटवारी ही संभाल रहे हैं।

हालांकि तकनीकी युग में अब पटवार व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। भारत सरकार ने 2005 में पटवारी इन्फॉर्मेशन सिस्टम (पीएटीआइएस) नामक सॉफ्टवेयर विकसित किया, ताकि जमीन का कंप्यूटरीकृत रिकॉर्ड रखा जा सके। मध्य प्रदेश के भू-अभिलेख आयुक्त राजीव रंजन कहते हैं, राज्‍य में जमीन के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण जारी है। जल्द ही ये सारे रिकॉर्ड पटवारी के लैपटॉप पर उपलब्ध होंगे. मध्यप्रदेश में CLRMP Ver 4B2 और भू-नक्शा सॉफ्टवेर के माध्यम से किसानों को खसरे-खतौनी और नक्शा की नक़ल प्रदान की जा रही है जो मध्यप्रदेश के लोक सेवा गारंटी अधिनियम २०१० के अंतर्गत प्रदान की जाती है।

पटवारियों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कई जगह एसोसिएशन बना रखी है और उन्होंने सरकार को दबाव में लाकर अपनी ताकत का एहसास भी कराया है। मध्यप्रदेश में म०प्र० पटवारी संघ (रजि० ३४७३ /७३) से संघ पंजीकृत संगठन है।

पटवारी किसानो का प्रथम प्रशासनिक प्रतिनिधि है जो किसानो की समस्या को शासन व् प्रशासन तक तथा शासन की योजनाओ को जनता तक पहुँचाता है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Career guide (2022-06-15). "Lekhpal" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-06-17.
  2. चतुर्वेदी, विनायक (२००७). Peasant pasts: history and memory in western India [कृषक इतिहास: पश्चिमी भारत की यादें और इतिहास] (अंग्रेज़ी में). कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय प्रेस. पृ॰ 40. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-25078-9.
  3. Guri. "Patwari क्या है? वेतन, कार्य, योग्यता, आयु, पेपर IN HINDI". OkGuri. अभिगमन तिथि 2021-06-04.

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बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

lekhpal

लसुडीया लाड

भू नक्शा Archived 2020-01-11 at the Wayback Machine

पटवारी का दूसरा नाम क्या है?

पटवारी या लेखपाल राजस्व विभाग में ग्राम लेवल का अधिकारी होता है। इन्हें विभिन्न स्थानों पर अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे:- , कारनाम अधिकारी, शानबोगरु,लेखपाल(उत्तर प्रदेश)आदि। यह भारतीय उपमहाद्वीप के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार का प्रशासनिक पद होता है।

गांव में पटवारी क्या क्या कार्य करते हैं?

पटवारी का क्या काम होता है.
भूमि /जमीन के नक़्शे का रिकॉर्ड रखना.
जमीन बिक्री व खरीदी का ब्यौरा रखना.
जमीन विवाद ना हो उसके लिए सही जमीन नापना.
आपदाओं के दौरान आपदा प्रबंधन का सही रूप तैयार करना.
कृषक दुर्घटना बीमा, वृद्धावस्था पेंशन, निवास जाति प्रमाण पत्र आदि बनवाना.

पटवारी का मुख्य कार्य क्या है?

पटवारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के खेतों के हस्तांतरण का कार्य करता है। पटवारी राष्ट्रीय कार्यकर्मो में भी सहयोग के साथ साथ कृषि गढ़ना, पशु गरणा, तथा अन्य आर्थिक सर्वेक्षण में सहयोग देते है। पटवरी विकलांग पेंसन, वृद्धावस्था, आय व जाति प्रमाण पत्र बनवाने में आवेदकों की सहायता करता है।

पटवारी का कार्यकाल कितना होता है?

समय के साथ पटवारी के प्रमोशन भी होते हैं तथा ज्यादा एक्सपीरियंस होने के बाद उन्हें अच्छे इलाके में भी पोस्टिंग मिल जाती है जिसके कारण उनकी सैलरी में भी वृद्धि कर दी जाती है एक पटवारी के 5 साल के कार्यकाल के बाद उनकी सैलरी कम से कम ₹30000 से अधिक होती है ।