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स्टोन या पथरी की बीमारी का असर व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी होता है। अलग-अलग तरह की होने वाली इस बीमारी से खुद के बचाव के लिए यह करना चाहिए...
पथरी का आकार बढ़ा हो तो समय रहते इलाज कराना चाहिए वरना बुखार बार-बार आने या किडनी खराब होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
थरी की बीमारी दो प्रकार की होती है। पहली किडनी स्टोन ( गुर्दे की पथरी) जिसे यूरीनरी स्टोन भी कहते है। दूसरी है गाल ब्लाडर स्टोन (पित्ताशय की पथरी)। सामान्यत: लोगों को किडनी या यूरीनरी स्टोन की समस्या ज्यादा होती है। महिलाओं की तुलना में इसकी आशंका पुरुषों को चार गुना ज्यादा होती है। पेट में दर्द, यूरीन इंफेक्शन, यूरीन के साथ खून आना, यूरीन रूकना जैसे लक्षण यूरीनरी स्टोन के हो सकते हैं, ऐसी स्थिति में डॉक्टर सोनोग्राफी जांच के माध्यम से पता करने के बाद स्टोन के आकार के आधार पर इलाज करता है।
6 एमएम तक के स्टोन के लिए नहीं लेनी चाहिए दवा
2 से 6 एमएम तक किडनी स्टोन के अधिकांश मामलों में दवा लेने की आवश्यकता नहीं है। 90 फीसदी मामले ज्यादा मात्रा में पानी पीने से ठीक हो जाते हैं। फिर भी कुछ लोग 2 से 6 एमएम तक की पथरी के लिए देसी दवा का प्रयोग बिना इस जानकारी के करते हैं कि इसका शरीर के किस अंग पर क्या असर होता है। बड़ी पथरी होने पर भी वही दवा ज्यादा मात्रा में लेते हैं। जब स्टोन का आकार 6 एमएम से ज्यादा हो तो यूरोलॉजिस्ट या सर्जन की सलाह पर दूरबीन से इलाज कराना चाहिए।
स्टोन से बचाव के लिए अपनाएं यह तरीके...
साइट्रेट फूड का सेवन : संतरे, मौसंबी जैसे फलों में साइट्रेट सॉल्ट होता है, उन्हें खाना किडनी स्टोन से बचाव के लिए बेहतर है।
चोकर युक्त आटे का सेवन : चोकर युक्त आटा खाने से
आंत से कैल्शियम के अवशोषण को रोक देता है, जिससे स्टोन कम बनता है। साथ ही आंत के कैंसर होने की आशंका कम रहती है।
यदि बार-बार होता है यूरिक एसिड स्टोन : कुछ लोगों को यूरीक एसिड स्टोन की शिकायत बार-बार होती है। ऐसे लोगों को मीठा सोडा खाने और अधिक पानी पीने से यूरीन का पीएच लेवल बढ़ जाता है, जिससे यूरीक एसिड स्टोन बनना बंद हो जाता है और स्टोन छोटा होकर यूरीन के माध्यम से निकल जाता है। मीठे सोडे का सेवन डॉक्टरी सलाह के बाद ही कीजिए।
सिर्फ पानी ही काफी : पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी पीने से किसी भी प्रकार के किडनी स्टोन से बच सकते हैं। गर्मी के मौसम में 3 से 4 लीटर तथा सर्दियों में 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। क्योंकि सिर्फ पानी ही पथरी को खत्म कर सकता हे।
अलग से नमक न खाइए : कुछ लोग खाने में नमक होने के बावजूद अलग से नमक खाने में डालते हैं। इसके सेवन से यूरीन में ज्यादा कैल्शियम निकलने से पत्थर बनता है। इसलिए खाने में ऊपर से नमक के सेवन से बचिए।
पेन किलर कहीं ज्यादा तो नहीं लेते : कुछ लोग सिर दर्द, पेट दर्द जैसी समस्या के लिए तुरंत ही पेन किलर टेबलेट ले लेते हैं। इनका सेवन करने से किडनी खराब होने का डर है।
कुर्थी की दाल : कुर्थी की दाल का सेवन फायदेमंद है। पथरी यदि छोटे आकार का है, तो यूरीन के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है।
किडनी स्टोन्स चार प्रकार के होते हैं...
कैल्शियम स्टोन
ज्यादातर किडनी स्टोन्स (गुर्दे की पथरी) कैल्शियम कंपाउंड्स की बनी होती है। इसके होने के कारणों का पता अब तक नहीं चल सका है। इसके होने पर दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए।
यूरिक एसिड स्टोन
यूरीन में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाने से यूरिक एसिड स्टोन की समस्या हो सकती है। शरीर में यूरीन कम बनने, पानी कम पीने से, एनीमल प्रोटीन जैसे रेड मीट का अधिक प्रयोग करने से यूरिक एसिड स्टोन होने की आशंका बढ़ जाती है।
स्ट्रूवाइट स्टोन
इस तरह के स्टोन को इंफेंक्शन स्टोन भी कहते हैं। यह किडनी या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेंक्शन के कारण होते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यूरीन इंफेक्शन ज्यादा होने के कारण उन्हें यह बीमारी होने की आशंका ज्यादा रहती है।
सीस्टीन स्टोन
इस स्टोन के मामले चिकित्सा जगत में कम ही सामने आते हैं। यह सिस्टीन नामक केमिकल का बना होता है। जिनके परिवार में लोगों को पहले से यह बीमारी होती है, उन्हें सीस्टीन स्टोन होने की आशंका ज्यादा रहती है।
गाल ब्लैडर स्टोन
गाल ब्लैडर स्टोन किडनी स्टोन की तुलना में कम नुकसानदायक है। इसमें पित्त की थैली में स्टोन होने से पेट में दर्द होता है। यदि किडनी में स्टोन बनने लगे तो यह जानलेवा हो सकता है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। जब पित्ताशय की थैली काम करना बंद कर दे तो उसमें स्टोन बनता है। बहुत दिनों तक पित्ताशय में स्टोन रहने से पित्ताशय की थैली में कैंसर होता है। इसको मुख्य रूप से दूरबीन द्वारा पत्थर और पित्त की थैली दोनों निकाल देने से यह ठीक हो जाता है।
20 से 40 साल की सक्रिय उम्र में ही इस बीमारी की आशंका अधिक होती है।
डॉ. अमरेन्द्र पाठक
सीनियर यूरोलॉजिस्ट सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली