रीड की हड्डी टूटने पर क्या करना चाहिए - reed kee haddee tootane par kya karana chaahie

रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर क्या होता है ?

हमारी रीढ़ की हड्डी में 33 छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं जिन्हें कशेरुका (Vertebrae) कहा जाता है और यह शरीर को सहारा देती हैं। इन हड्डियों की मदद से आप सीधे खड़े हो पाते हैं, झुक पाते हैं और मुड़ पाते हैं। हर कशेरुका के बीच में एक खली जगह होती है जिसे रीढ़ नलिका (Spinal canal) कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर हाथों और पैरों के फ्रैक्चर से अलग होते हैं। किसी भी कशेरुका में फ्रैक्चर होने से या उसका अपनी जगह से हिल जाने से यह चुभने लगते हैं और नसों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं।

ज़्यादातर रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर एक्सीडेंट, गिरने, गोली लगने या खेलने से होते हैं। चोट लगने से मांसपेशियों व लिगामेंट (Ligament: दो हड्डियों को आपस में जोड़ने वाला रेशेदार व लचीला ऊतक) में मोच आ सकती है या कशेरुका में फ्रैक्चर भी हो सकता है या वह अपनी जगह से हिल सकता है या आपकी रीढ़ की हड्डी को एक गंभीर नुक्सान भी हो सकता है।

चोट की गंभीरता के आधार पर आपको दर्द हो सकता है, चलने में तकलीफ हो सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि आप आपने हाथ पैर न हिला पाएं (लकवा)।

कई फ्रैक्चर उपचार से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ गंभीर फ्रैक्चर के उपचार के लिए सर्जरी और हड्डियों को फिर से संगठित करने की आवश्यकता हो सकती है।

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रीढ़ की हड्डी जोड़ने में कितना समय लगता है?

समय भी कम: ओपन सर्जरी में करीब चार घंटे का समय लगता है, जबकि एमआईएसएस विधि से सर्जरी महज ढाई घंटे में हो गई। अस्पताल से जल्दी छुट्टी: ओपन सर्जरी के बाद मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रखा जाता है, जबकि नई विधि से सर्जरी के बाद मरीज अगले दिन ही घर जा सकता है।

रीढ़ की हड्डी टूटने पर क्या करना चाहिए?

रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) का फ्रैक्चर शरीर की अन्य हड्डियों के फ्रैक्चर से भिन्न होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रीढ़ की हड्डी (वर्टिब्रा) के टूटने या उसके अपनी जगह से खिसकने से स्पाइनल कॉर्ड या उससे निकलने वाली नसें (न‌र्व्स)विभिन्न प्रकार से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

रीड की हड्डी में चोट लगने से क्या होता है?

रीढ़ की हड्डी को लगी चोट के परिणाम अलग-अलग ढंग से दिख सकते हैं जो चोट के प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। चोट के स्तर के नीचे गतिक (मोटर) और संवेदी (सेंसरी) तंत्रिकाओं का कमज़ोर पड़ना या अक्रिय हो जाना, और शरीर के कुछ आंतरिक अंगों का (स्वायत्त तंत्रिका कार्यक्षमता का) धीमा पड़ना सबसे आम परिणाम हैं।

Fracture ठीक होने में कितना समय लगता है?

उदाहरण के लिए कलाई या लोअर आर्म के हिस्से में हुए फ्रेक्चर को ठीक होने में 4-6 हफ़्तों का समय लग सकता है। जबकि पैरों के हिस्से में हुए बड़े फ्रेक्चर को पूरी तरह ठीक होने में 5-6 महीने का समय भी लग सकता है।