रेग्यूलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर जनरल कौन? - regyooleting ekt laagoo hone ke samay bangaal ka gavarnar janaral kaun?

Written By Narayan Tuesday, 14 December 2021 Add Comment

सवाल: रेगुलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर कौन था?

रेगुलेटरी एक्ट लागू होने से पहले बंगाल गवर्नर को संविधान का बड़ा बुनियादी ढांचा माना जाता था अंग्रेजों के आने के बाद रेगुलेटरी एक्ट पारित होने के बाद बंगाल गवर्नर का नाम बदलकर बंगाल का गवर्नर जनरल रख दिया गया था रेगुलेटरी एक्ट पारित होने से पहले बंगाल गवर्नर का पद "रॉबर्ट क्लाइव"को सौंपा गया था और रेगुलेटरी एक्ट पारित होने के बाद बंगाल के गवर्नर जनरल का पद वारेन हेस्टिंग्स को दिया गया था।

रेगुलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर कौन था – नमस्कार दोस्तो! स्वागत हैं आपका Techly360.com हिन्दी ब्लॉग में. और आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे “Regulating Act Lagu Hone Ke Samay Bengal Ka Governor Kaun Tha”? तो अगर आपके मन मे भी यही सवाल चल रहा था, तो इस सवाल का जवाब मैंने नीचे उपलब्ध करवा दिया हैं.

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सवाल: रेगुलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर कौन था?

दोस्तों रेगुलेटरी एक्ट पारित होने के बाद बंगाल के गवर्नर जनरल का पद “वारेन हेस्टिंग्स” को दिया गया था. और रेगुलेटरी एक्ट लागू होने से पहले बंगाल गवर्नर को संविधान का बड़ा बुनियादी ढांचा माना जाने लगा.

रेगुलेटिंग एक्ट का अर्थ?
रेगुलेटिंग एक्ट कब पारित हुआ?
रेगुलेटिंग एक्ट 1773 क्या है?
रेगुलेटिंग एक्ट से संबंधित प्रश्न.
रेगुलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर जनरल कौन था?


निष्कर्ष – दोस्तों आपको यह “रेगुलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर कौन था – Regulating Act Lagu Hone Ke Samay Bengal Ka Governor Kaun Tha” का आर्टिकल कैसा लगा? निचे हमे कमेंट करके जरुर बताये. साथ ही इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर जरुर करे.

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Rahul Baidya is Co-Founder & Editorial Staff of Techly360.com & with an Entrepreneur. He is Also a Student & Full Time Passionate Blogger.

गवर्नर-जनरल और भारत के वायसराय

भूमिका:

भारत पर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक इकाई के रूप में तब शुरू हुआ जब 31 दिसंबर, 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने रानी एलिज़ाबेथ I (Queen Elizabeth I) से रॉयल चार्टर प्राप्त किया। लगभग तीन शताब्दियों की समयावधि के भीतर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक शक्ति से परिवर्तित होकर दुनिया की  सबसे बड़ी राजनितिक शक्तियों में से एक हो गए। 

एक छोटा सा द्वीपीय देश होने के बावजूद ब्रिटेन दुनिया में सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक के रूप में  स्थापित होने में सक्षम हो गया जिसके बारे में अक्सर कहा जाता है कि ‘वह साम्राज्य था जिसका सूर्य कभी अस्त नहीं होता था’। 

यह उपलब्धि ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों की मज़बूत एवं कुशल नौकरशाही की पृष्ठभूमि में हासिल की। भारत में उसने ब्रिटिश गवर्नर-जनरल और वायसराय के माध्यम से नियंत्रण स्थापित किया।

  • बंगाल का गवर्नर-जनरल (1773-1833): जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई तो उसने ‘बंगाल के गवर्नर’ (Governor of Bengal) पद के माध्यम से बंगाल पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। बंगाल के पहले गवर्नर ‘रॉबर्ट क्लाइव’ (Robert Clive) थे।
    • अन्य प्रेसीडेंसी, बॉम्बे एवं मद्रास के पास अपने स्वयं के गवर्नर थे।
    • हालाँकि रेगुलेटिंग एक्ट-1773 के पारित होने के बाद ‘बंगाल के गवर्नर’ पद का नाम बदलकर ‘बंगाल का गवर्नर-जनरल’ रख दिया गया। बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) थे।
    • इस अधिनियम (रेगुलेटिंग एक्ट-1773) के माध्यम से बॉम्बे एवं मद्रास के गवर्नर ने बंगाल के गवर्नर-जनरल के अधीन कार्य किया।
  • भारत का गवर्नर-जनरल (1833-58): चार्टर एक्ट 1833 द्वारा बंगाल के गवर्नर-जनरल (Governor-General of Bengal) का पदनाम पुनः बदलकर ‘भारत का गवर्नर-जनरल’ (Governor-General of India) कर दिया गया। भारत के पहले गवर्नर-जनरल विलियम बैंटिक (William Bentinck) थे।
    • यह पद मुख्य रूप से प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये था और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स को रिपोर्ट करना था।
  • वायसराय (1858-1947): वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया गया और भारत ब्रिटिश ताज के सीधे नियंत्रण में आ गया।
    • भारत सरकार अधिनियम 1858 (Government of India Act 1858) पारित हुआ जिसने भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर ‘भारत का वायसराय’ कर दिया।
    • वायसराय को सीधे ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था।
    • भारत के पहले वायसराय लॉर्ड कैनिंग (Lord Canning) थे।
  • भारत के महत्त्वपूर्ण गवर्नर-जनरल एवं वायसराय तथा उनसे संबंधित महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

गवर्नर-जनरल एवं वायसराय

शासनकाल के दौरान की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ

वारेन हेस्टिंग्स (1773-1785)

  • रेगुलेटिंग एक्ट-1773
  • पिट्स इंडिया एक्ट-1784
  • वर्ष 1774 का रोहिला युद्ध
  • वर्ष 1775-82 तक प्रथम मराठा युद्ध और वर्ष 1782 में सालबाई की संधि
  • वर्ष 1780-84 में दूसरा मैसूर युद्ध

लॉर्ड कार्नवालिस (1786-1793)

  • तीसरा मैसूर युद्ध (1790-92) और श्रीरंगपट्टम की संधि (1792)
  • कॉर्नवॉलिस कोड (1793)
  • बंगाल का स्थायी बंदोबस्त, 1793

लॉर्ड वेलेजली (1798-1805)

  • सहायक संधि प्रणाली का परिचय (1798)
  • चौथा मैसूर युद्ध (1799)
  • दूसरा मराठा युद्ध (1803-05)

लॉर्ड मिंटो I (1807-1813)

  • रणजीत सिंह के साथ अमृतसर की संधि (1809)

लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-1823)

  • एंग्लो-नेपाल युद्ध (1814-16) और सुगौली की संधि, 1816
  • तीसरा मराठा युद्ध (1817-19) और मराठा परिसंघ का विघटन
  • रैयतवाड़ी प्रणाली की स्थापना (1820)

लॉर्ड एमहर्स्ट (1823-1828)

  • पहला बर्मा युद्ध (1824-1826)

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-1835)

  • सती प्रथा का उन्मूलन (1829)
  • 1833 का चार्टर एक्ट

लॉर्ड ऑकलैंड (1836-1842)

  • पहला अफगान युद्ध (1838-42)

लॉर्ड हार्डिंग I (1844-1848)

  • पहला आंग्ल-सिख युद्ध (1845-46) और लाहौर की संधि (1846)
  • कन्या भ्रूण हत्या का उन्मूलन जैसे सामाजिक सुधार

लॉर्ड डलहौजी (1848-1856)

  • दूसरा आंग्ल-सिख युद्ध (1848-49)
  • निचले बर्मा का अधिग्रहण (1852)
  • व्यपगत के सिद्धांत (Doctrine of Lapse) का परिचय
  • वुड डिस्पैच (1854)
  • वर्ष 1853 में बॉम्बे और ठाणे को जोड़ने वाली पहली रेलवे लाइन बिछाई गई
  • लोक निर्माण विभाग (PWD) की स्थापना    

लॉर्ड कैनिंग (1856-1862)

  • वर्ष 1857 का विद्रोह
  • वर्ष 1857 में कलकत्ता, मद्रास और बॉम्बे में तीन विश्वविद्यालयों की स्थापना
  • ईस्ट इंडिया कंपनी का उन्मूलन और भारत सरकार अधिनियम, 1858 (Government of India Act, 1858) द्वारा ब्रिटिश क्राउन का प्रत्यक्ष नियंत्रण
  • 1861 का भारतीय परिषद अधिनियम

लॉर्ड जॉन लॉरेंस (1864-1869)

  • भूटान युद्ध (1865)
  • कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना (1865)

लॉर्ड लिटन (1876-1880)

  • वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट (1878)
  • शस्त्र अधिनियम (1878)
  • दूसरा अफगान युद्ध (1878-80)
  • क्वीन विक्टोरिया ने 'कैसर-ए-हिंद' या भारत की साम्राज्ञी की उपाधि धारण की

लॉर्ड रिपन (1880-1884)

  • वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट का निरसन (1882)
  • पहला कारखाना अधिनियम (1881)
  • स्थानीय स्वशासन पर सरकार का संकल्प (1882)
  • इलबर्ट बिल विवाद (1883-84)
  • शिक्षा पर हंटर आयोग (1882)

लॉर्ड डफरिन (1884-1888)

  • तीसरा बर्मा युद्ध (1885-86)
  • भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस की स्थापना (1885)

लॉर्ड लैंसडाउन (1888-1894)

  • कारखाना अधिनियम (1891)
  • भारतीय परिषद अधिनियम (1892)
  • डूरंड आयोग की स्थापना (1893)

लॉर्ड कर्ज़न (1899-1905)

  • पुलिस आयोग की नियुक्ति (1902)
  • विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति (1902)
  • भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम (1904)
  • बंगाल का विभाजन (1905)

लॉर्ड मिंटो II (1905-1910)

  • स्वदेशी आंदोलन (1905-1911)
  • सूरत अधिवेशन में काॅन्ग्रेस का विभाजन (1907)
  • मुस्लिम लीग की स्थापना (1906)
  • मॉर्ले-मिंटो सुधार (1909)

लॉर्ड हार्डिंग II (1910-1916)

  • बंगाल विभाजन रद्द करना (1911)
  • कलकत्ता से दिल्ली राजधानी स्थानांतरण (1911)
  • हिंदू महासभा की स्थापना (1915)

लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921)

  • लखनऊ संधि (1916)
  • चंपारण सत्याग्रह (1917)
  • माॅन्टेग्यू की अगस्त घोषणा (1917)
  • भारत सरकार अधिनियम (1919)
  • रौलट एक्ट (1919)
  • जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919)
  • असहयोग और खिलाफत आंदोलन की शुरुआत

लॉर्ड रीडिंग (1921-1926)

  • चौरी-चौरा की घटना (1922)
  • असहयोग आंदोलन को वापस लेना (1922)
  • स्वराज पार्टी की स्थापना (1922)
  • काकोरी ट्रेन डकैती (1925)

लॉर्ड इरविन (1926-1931)

  • साइमन कमीशन का भारत आगमन (1927)
  • हरकोर्ट बटलर भारतीय राज्य आयोग (1927)
  • नेहरू रिपोर्ट (1928)
  • दीपावली घोषणा (1929)
  • काॅन्ग्रेस का लाहौर अधिवेशन (पूर्ण स्वराज संकल्प) 1929
  • दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
  • पहला गोलमेज सम्मेलन (1930)
  • गांधी-इरविन पैक्ट (1931)

लॉर्ड विलिंगडन (1931-1936)

  • सांप्रदायिक अधिनिर्णय (1932)
  • दूसरा और तीसरा गोलमेज सम्मेलन (1932)
  • पूना पैक्ट (1932)
  • भारत सरकार अधिनियम-1935

लॉर्ड लिनलिथगो (1936-1944)

  • द्वितीय विश्व युद्ध (1939) के शुरू होने के बाद काॅन्ग्रेस के मंत्रियों का इस्तीफा
  • त्रिपुरी संकट और फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन (1939)
  • मुस्लिम लीग का लाहौर संकल्प (मुसलमानों के लिये एक अलग राज्य की मांग) 1940
  • अगस्त प्रस्ताव (1940)
  • भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन (1941)
  • क्रिप्स मिशन (1942)
  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

लॉर्ड वैवेल (1944-1947)

  • सी. राजगोपालाचारी का सीआर फॉर्मूला (1944)
  • वैवेल योजना और शिमला सम्मेलन (1942)
  • कैबिनेट मिशन (1946)
  • प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस (1946)
  • क्लीमेंट एटली  द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन की समाप्ति की घोषणा (1947)

लॉर्ड माउंटबेटन (1947-1948)

  • जून थर्ड प्लान (1947)
  • रेडक्लिफ आयोग (1947)
  • भारत को स्वतंत्रता (15 अगस्त 1947)

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948-1950)

  • भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल और  प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे 
  • वर्ष 1950 में स्थायी रूप से यह पद (गवर्नर-जनरल) समाप्त कर दिया गया

रेगुलर एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर जनरल कौन था?

बंगाल के पहले गवर्नर 'रॉबर्ट क्लाइव' (Robert Clive) थे। अन्य प्रेसीडेंसी, बॉम्बे एवं मद्रास के पास अपने स्वयं के गवर्नर थे। हालाँकि रेगुलेटिंग एक्ट-1773 के पारित होने के बाद 'बंगाल के गवर्नर' पद का नाम बदलकर 'बंगाल का गवर्नर-जनरल' रख दिया गया। बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) थे।

रेग्यूलेटिंग एक्ट लागू होने के समय बंगाल का गवर्नर जनरल कौन था ?( अ वॉरेन हिस्टिंग्ज ब वेलेजली स कर्जन द कैनिंग?

रेगुलेटरी एक्ट लागू होने से पहले बंगाल गवर्नर को संविधान का बड़ा बुनियादी ढांचा माना जाता था अंग्रेजों के आने के बाद रेगुलेटरी एक्ट पारित होने के बाद बंगाल गवर्नर का नाम बदलकर बंगाल का गवर्नर जनरल रख दिया गया था रेगुलेटरी एक्ट पारित होने से पहले बंगाल गवर्नर का पद "रॉबर्ट क्लाइव"को सौंपा गया था और रेगुलेटरी एक्ट पारित ...

बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल कौन थे?

Detailed Solution. सही उत्तर विकल्प 2 है अर्थात् वॉरेन हेस्टिंग्स। लॉर्ड रॉबर्ट क्लाइव 18 वर्ष की आयु में 1743 में इंग्लैंड से मद्रास (अब चेन्नई) आए थे और उन्हें 1764 में बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 1773 के विनियमन अधिनियम ने बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल के गवर्नर-जनरल' के रूप में नामित किया।

बंगाल के गवर्नर जनरल कौन थे?

तो, बंगाल के पहले गवर्नर लॉर्ड क्लाइव थे। बंगाल के अंतिम गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स थे। 1773 में रेगुलेटिंग एक्ट अधिनियमित किया गया जिसके द्वारा गवर्नर पद को गवर्नर जनरल द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। इस अधिनियम के पीछे का उद्देश्य ब्रिटिश संसद द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी पर नियंत्रण रखना था