रहीम जी द्वारा रचित 5 अन्य पदों का संकलन व भावार्थ लेखन चित्रसहित - raheem jee dvaara rachit 5 any padon ka sankalan va bhaavaarth lekhan chitrasahit

थोडा हल्का - जरा हटके (हास्य वयंग्य )

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New RAHIM KE DOHE WITH HINDI MEANING

रहीम के दोहे और अर्थ सहित: Rahim ke Dohe with hindi meaning

आज के कलयुग में भी ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो महान कबीर और तुलसीदास के दोहों को पढ़ना पसंद करते हैं. मैंने भी जितनी बार कबीर और रहीम के दोहे लिखे वह हमेशा अधिक पढ़े गए इसीलिए इस बार मैंने फिर आप लोगों के लिए इंटरनेट से कुछ रहीम के दोहे अर्थ सहित ढूंढे हैं.

Rahim ke Dohe with Meaning

रहिमन अति न कीजिए, गहि रहिए निज कानि
सैंजन अति फूलै तऊ, डार पात की हानि

कविवर रहीम कहते हैं कि कभी भी किसी कार्य और व्यवहार में अति न कीजिये। अपनी मर्यादा और सीमा में रहें। इधर उधर कूदने फांदने से कुछ नहीं मिलता बल्कि हानि की आशंका बलवती हो उठती है.

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यही रहीम निज संग लै, जनमत जगत न कोय
बैर प्रीति अभ्यास जस, होत होत ही होय

कविवर रहीम कहते हैं कि प्रीति, अभ्यास और प्रतिष्ठा में धीरे धीरे ही वृद्धि होती है। इनका क्रमिक विकास की अवधि दीर्घ होती है क्योंकि यह सभी आदमी जन्म के साथ नहीं ले आता। इन सभी का स्वरूप आदमी के व्यवहार, साधना और और आचरण के परिणाम के अनुसार उसके सामने आता है।

जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं, यह रहीम जग होय
मंड़ए तर की गाँठ में, गाँठ गाँठ रस होय

कविवर रहीम कहते हैं कि यह संसार खोजकर देख लिया है, जहाँ परस्पर ईर्ष्या आदि की गाँठ है, वहाँ आनंद नहीं है. महुए के पेड़ की प्रत्येक गाँठ में रस ही रस होता है क्योंकि वे परस्पर जुडी होतीं हैं.

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जलहिं मिले रहीम ज्यों, कियो आपु सम छीर
अंगवहि आपुहि आप त्यों, सकल आंच की भीर


कविवर रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार जल दूध में मिलकर दूध बन जाता है, उसी प्रकार जीव का शरीर अग्नि में मिलकर अग्नि हो जाता है.

जसी परै सो सहि रहै, कहि रहीम यह देह
धरती पर ही परत है, शीत घाम और मेह

कविवर रहीम कहते हैं कि इस मानव काया पर किसी परिस्थिति आती है वैसा ही वह सहन भी करती है। इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा ऋतु आती है और वह सहन करती है।

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कबीर रहीम के 5 दोहे?

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय।। ... .
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। ... .
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। ... .
जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घट जाहिं। ... .
दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं। ... .
रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ, ... .
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।.

1 रहीम और कबीर के 5 5 दोहे?

50+ रहीम के दोहे.
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय||” इसी तरह के Rahim Ke Dohe इन हिंदी आपको पढ़ने के लिए मिलेगें । ... .
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. ... .
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय | ... .
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि..

रहीम के दोहे से क्या सीख मिलती है?

रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं

रहीम के अनुसार कैसे लोग सुख के समय सगे संबंधी बन जाते हैं?

1।। कठिन समय में जो मित्र हमारी सहायता करता है , वही हमारा सच्चा मित्र होता है। 2 – जाल परे जल जात बहि , तजि मीनन को मोह ।। रहिमन मछरी नीर को , तऊ न छाँड़ति छोह ।।

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