रहीम के दोहे हमें समाज में एक अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं कैसे उदाहरण सहित बताइए? - raheem ke dohe hamen samaaj mein ek achchha naagarik banane kee prerana dete hain kaise udaaharan sahit bataie?

रहीम के दोहों से हमें क्या सीख मिलती है?

रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं। अंतिम दोहे में रहीम हमें सीख देने का प्रयास करते हैं, कि धरती की तरह जीवन में सुख-दुख को समान रूप से सहन करने की शक्ति रखनी चाहिए।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 7)

  Is there an error in this question or solution?

रहीम के दोहे से हमें क्या प्रेरणा मिली स्पष्ट करें?

रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं।

क्या रहीम जी के दोहे आज के समाज में भी उपयोगी है आप इस बारे में अपने विचार उदाहरण सहित लिखिए?

रहीम ने इस दोहे में बताया है कि जो लोग स्वभाव से सदाचारी और धार्मिक हैं उन्हें बुरे लोगों की संगत बिगाड़ नहीं सकती है। इसका एक उदाहरण यह है कि चंदन के पेड़ पर हमेशा सांप लिपटे रहते हैं, लेकिन चंदन के वृक्ष पर सांप का जहर नहीं चढ़ता है। # रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार।।

रहीम के दोहे आज भी सार्थक है कैसे उदाहरण के साथ लिखिए?

Expert-verified answer इसलिये रहीम के दोहे आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।। विपत्ति अगर कष्ट देती है तो ये कुछ भलाई भी करके जाती क्योंकि इससे यह पता चल जाता है कि कौन हमारा मित्र है और कौन हमारा मित्र नहीं है।

आपने रहीम के दोहे पढ़े आप उन दोहों को अपने जीवन से कैसे जोड़ सकते हैं?

अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.