रक्त में कौन सा अलंकार है? - rakt mein kaun sa alankaar hai?

UUP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi अलंकार part of UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi अलंकार.

BoardUP BoardTextbookSCERT, UPClassClass 12SubjectSahityik HindiChapterChapter 3Chapter NameअलंकारNumber of Questions Solved55CategoryUP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi अलंकार

अलंकार का अर्थ एवं परिभाषा
प्रसिद्ध संस्कृत आचार्य दण्डी ने अपनी रचना ‘काव्यादर्श’ में अलंकार को परिभाषित करते हुए लिखा है-‘अलंकरोतीति अलंकारः’ अर्थात् शोभाकारक पदार्थ को अलंकार कहते हैं। हिन्दी में रीतिकालीन कवि आचार्य केशवदास ने ‘कविमिया’ रचना में अलंकार की विशेषताओं का विवेचन प्रस्तुत किया है।

वस्तुतः भाषा को शब्द एवं शब्द के अर्थ से सुसज्जित एवं सुन्दर बनाने की मनोरंजक प्रक्रिया को ‘अलंकार” कहा जाता है। ‘अलंकार’ काव्य भाषा के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं। यह भाव की अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी बनाते हैं।

अलंकार के भेद
अलंकार को दो रूपों में व्यक्त किया जाता है- शब्दालंकार एवं अर्थालंकार)

1. शब्दालंकार
शब्द निर्माण की प्रक्रिया में ‘ध्वनि’ तथा ‘अर्थ’ का महत्वपूर्ण समन्वय होता है। ध्वनि के आधार पर काव्य में उत्पन्न विशिष्टता अथवा साज-सwण। ‘शब्दालंकार’ की सृष्टि करते हैं। इस अलंकार में वर्ण या शब्दों की लयात्मकता अथवा संगीतात्मकता उपस्थित होती है। ‘शब्दालंकार’ वर्णगत, शब्दगत तथा वाक्यगत होते हैं। अनुमास, यमक, श्लेष इत्यादि प्रमुख शब्दालंकार हैं।

2. अर्थालंकार
जब शब्द, वाक्य में प्रयुक्त होकर उसके अर्थ को चमत्कृत या अलंकृत करने वाला स्वरूप प्रदान करे तो वहाँ ‘अर्थालंकार’ की सृष्टि होती है। *अर्थालंकार’ की एक विशेषता यह है कि यदि वाक्य से किसी शब्द को हटाकर उसकी जगह उसके पर्याय शब्द को रखा जाए, तब भी अलंकार की प्रवृत्ति में कोई अन्तर नहीं आता। वस्तुतः ‘अर्थालंकार” की निर्भरता शब्द पर न होकर शब्द के अर्थ पर होती है। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, दृष्टान्त, मानवीकरण इत्यादि प्रमुख अर्थालंकार हैं।

शब्दालंकार
1. अनुप्रास अलंकार (2018, 17, 16, 15, 14, 13, 12)
अनुप्रास वर्णनीय रस की अनुकूलता के अनुसार समान वर्गों का बार-बार प्रयोग है। यह एक प्रचलित अलंकार है, जिसका प्रयोग ,छेकानुप्रास, वृत्यानुप्रास, लाटानुप्रास
आदि के रूप में होता है।
उदाहरण सम सुबरनं सुखाकर सुजस न थोर।
इस वाक्यांश (काव्यांश) में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति दिखती है। यह आवृत्ति ‘अनुप्रास अलंकार’ के रूप में जानी जाती हैं।
अनुप्रास अलंकार के भेद
इसके पाँच भेद हैं।

  • श्रुत्यानुप्रास एक ही स्थान से उच्चारित होने वाले वर्षों की आवृत्ति।
  • वृत्यानुप्रास समान वर्ण की अनेक बार आवृत्ति।
  • छेकानुप्रास जब कोई वर्ण मात्र दो बार ही आए।
  • लाटानुप्रास शब्द व अर्थ की आवृत्ति के बाद भी अन्य के उपरान्त भिन्न अर्थ मिले।
  • अन्त्यानुप्रास शब्दों के अन्त में समान ध्वनि की आवृत्ति।

2. यमक अलंकार(2018, 17, 16, 15, 14, 13, 12)
‘यमक’ एक शब्दालंकार है। यमक का अर्थ होता है-‘युग्म्’ अर्थात् ‘जोड़ा। इसमें भिन्न अर्थ के साथ किसी वर्ण अथवा शब्द की आवृत्ति होती हैं।
उदाहरण ”कहै कवि बेनी ब्याल की चुराय लीनी बेनी”
इस काव्यांश में ‘बेनी’ की आवृत्ति है। प्रथम ‘बेनी’ का अर्थ है-‘कवि बेनीप्रसाद’ तथा दूसरे ‘बेनी’ का अर्थ है- ‘चोटी’।।

3. श्लेष अलंकार (2018, 17, 16, 13, 12)
जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होकर दो-या-दो से अधिक भिन्न-भिन्न अर्थ दे तो वहीं ‘श्लेष अलंकार’ होता है। इस अलंकार के अन्तर्गत एक शब्द एक से अधिक अर्थों का बोध कराकर पूरे काव्य को विशिष्ट अर्थ प्रदान करने में सक्षम होता है।
उदाहरण “सुबरन को इँदै फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।”
इस काव्य पंक्ति में ‘सुबरन’ के कई अर्थ ध्वनित हो रहे हैं। ‘सुबरम्’ का अर्थ यहाँ | कवि, व्यभिचारी और चोर से सम्बन्धित है। यथा- कवि ‘सुबरन’ अर्थात् सुवर्ण (अच्छे शब्द) को ढूंढता है। व्यभिचारी ‘सुबरन’ अर्थात् ‘गौरी’ को ढूँढता है। चोर ‘सुबरन’ अर्थात् ‘स्वर्ण’ को ढूंढता है। अतः यहाँ श्लेष अलंकार हैं।

अर्थालंकार
1. उपमा अलंकार (2017, 16, 14, 13)
जब काव्य में समान धर्म के आधार पर एक वस्तु की समानता अथवा तुलना अन्य वस्तु से की जाए, तब वह उपमा अलंकार होता है, जिसकी उपमा दी जाए उसे उपमेय तथा जिसके द्वारा उपमा यानी तुलना की जाए उसे उपमान कहते हैं। उपमेय और उपमान की समानता प्रदर्शित करने के लिए सादृश्यवाचक शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
उदाहरण ”मुख मयंक सम मंजु मनोहर।”
इस काव्य पंक्ति में ‘मुख’ उपमेय है, ‘चन्द्रमा’ उपमान है, ‘मनो५’ समान धर्म है। तथा ‘सम’ सादृश्य वाचक शब्द होने से उपमा अलंकार परिपुष्ट हो रहा है।

2. रूपक अलंकार (2018, 17, 16, 15, 14)
रूपक का अर्थ होता है- एकता। रूपक अलंकार में पूर्ण साम्य होने के कारण प्रस्तुत में प्रस्तुत का आरोप कर अभेद की स्थिति को स्पष्ट किया जाता है। इस प्रकार जहाँ ‘उपमेय’ और ‘उपमान’ की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए ‘उपमेय’ में ‘उपमान’ का आरोप होता है, वहाँ ‘रूपक अलंकार’ उपस्थित होता है।
उदाहरण “चरण कमल बन्द हरिराई।”
इस काव्य पंक्ति में उपमेय ‘धरण’ पर उपमान ‘कमल’ का आरोप कर दिया गया है। दोनों में अभिन्नता है, पर दोनों साथ-साथ हैं। इस अभेदता के कारण यहाँ रूपक अलंकार है।
रूपक अलंकार के भेद रूपक के विभिन्न भेदों में से तीन मुख्य भेद नीचे दिए गए हैं।

  • सांगरूपक इसमें अवयवों के साथ उपमेय पर उपमान आरोपित किए जाते
  • निरंग रूपक इसमें अवयवों के बिना ही उपमेय पर उपमान आरोपित किए जाते हैं।
  • परम्परित रूपक इसमें उपमेय पर प्रयुक्त आरोप ही दूसरे आरोप का कारण बनता है।

3. उत्प्रेक्षा अलंकार (2018, 17, 15, 14, 12)
‘उत्प्रेक्षा’ का अर्थ है- किसी वस्तु के सम्भावित रूप की उपेक्षा करना। उपमेय अर्थात् प्रस्तुत में उपमान अर्थात् अप्रस्तुत की सम्भावना को ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ कहते हैं। ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ में मानों, जानों, जनु, मनु, ज्यों इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है।
उदाहरण

“सोहत ओढ़ पीत-पट, श्याम सलोने गात।।
मनहुँ नीलमणि सैल पर, आतपु परयौ प्रभात।”

इस काव्यांश में श्रीकृष्ण के श्यामल शरीर पर नीलमणि पर्वत की तथा पीत-पट पर प्रातःकालीन धूप की सम्भावना व्यक्त की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

4. भ्रान्तिमान् (2014, 13, 12, 11, 10)
जब उपमेय को भ्रम के कारण उपमान समझ लिया जाता है तब वहीं ‘भ्रान्तिमान अलंकार’ होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इस अलंकार में उपमेय में उपमान का धोखा हो जाता है।
उदाहरण

“नाक का मोती अधर की कान्ति से,
बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से।
देख उसको ही हुआ शुक मौन है,
सोचता है अन्य शुक यह कौन हैं?”

5. सन्देह अलंकार (2017, 16, 13, 12)
जब किसी वस्तु में उसी के सदृश अन्य वस्तुओं का सन्देह हों और सदृशता के कारण अनिश्चित की मनोदशा हो तब वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
उदाहरण

“सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है,
सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।”

6. अतिशयोक्ति अलंकार (2014, 13)
जब किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थिति की प्रशंसा करते हुए कोई बात बहुत बढ़ा-चढ़ा कर अथवा लोक सीमा का उल्लंघन करके कहीं जाए, तब वहाँ ‘अतिशयोक्ति अलंकार’ उपस्थित होता है।
उदाहरण

“आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा उतरे कैसे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।

इस काव्यांश में राणा अभी नदी पार करने की सोच ही रहे थे कि उनका घोड़ा चेतक नदी के पार भी हो गया। यहाँ वेग (गति) के विषय में बहुत बढ़ा चढ़ा कर कहने से अतिशयोक्ति अलंकार परिपुष्ट हुआ है।

7. अनन्वय अलंकार (2016, 12)
काव्य में जहाँ उपमान के अभाव के कारण उपमेय को ही उपमान बना दिया जाए वहाँ ‘अनन्वय अलंकार’ होता है।
उदाहरण

“राम-से राम, सिया-सी सिया,
सिरमौरे बिरंचि बिचारि सँवारे।”

8. प्रतीप अलंकार (2017, 15, 14, 13, 11)
जहाँ उपमेय को उपमान और उपमान को उपमेय बना दिया गया हो तो यह ‘प्रतीप अलंकार’ होता है। प्रतीप अलंकार में उपमा अलंकार की विपरीत स्थिति होती है। उदाहरण “उसी तपस्वी से लम्बे थे देवदारु दो चार खड़े।”

9. दृष्टान्त अलंकार (2018, 13)
उपमेय एवं उपमान के साधारण धर्म में भिन्नता होने पर भी बिम्ब-प्रतिबिम्य भाव से कथन करने को ‘दृष्टान्त अलंकार’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो दृष्टान्त अलंकार के अन्तर्गत पहले एक बात कहकर उसको स्पष्ट करने के लिए उससे मिलती-जुलती अन्य बात कही जाती है।
उदाहरण

‘परी प्रेम नन्दलाल के मोहि न भावत जोग।
मधुप राजपद पाइकै भीखन माँगत लोग।।”

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“चरन धरत चिन्ता करत, चितवत चारित्र ओर।।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर।।”
में अलंकार है। (2014, 12)
(क) उपमा
(ख) यमक
(ग) रूपक
(घ) श्लेष
उत्तर:
(घ) श्लेष

प्रश्न 2.
जहाँ एक शब्द अथवा शब्द-समूह का एक से अधिक बार प्रयोग हो, किन्तु उसका अर्थ प्रत्येक बार भिन्न हो, वहाँ कौन-सा अलंकार होता (2010)
(क) अनुप्रास
(ख) श्लेष
(ग) यमक
(घ) भ्रान्तिमान्
उत्तर:
(ग) यमके

प्रश्न 3.
जहाँ उपमेय में उपमान का भेदरहित आरोप हो, वहाँ अलंकार होता है। (2010)
अथवा
जहाँ उपमेय (प्रस्तुत) पर उपमान (अप्रस्तुत) का अभेद आरोप किया जाए, वहाँ अलंकार होता है। (2010)
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) प्रतीप
उत्तर:
(ख) रूपक

प्रश्न 4.
“ऊधौ जोग जोग हम नाहीं।” इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? (2010)
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उत्प्रेक्षा
उत्तर:
(ख) यमक

प्रश्न 5.
जहाँ उपमेय और उपमान के साधारण धर्म में भिन्नता होते हुए भी बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव से कथन किया जाए, वहाँ अलंकार होता है। (2011)
(क) उपमा
(ख) अनन्वय
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) दृष्टान्त
उत्तर:
(घ) दृष्टान्त

प्रश्न 6.
“अर्जी तरयौना ही रह्यौ श्रुति सेवत इक रंग।
नाक बास बेसरि लह्यौ, बसि मुकतनु के संग।।”
इस दोहे में अलंकार है। (2010)
(क) यमक
(ख) श्लेष
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) उपमा
उत्तर:
(ख) श्लेष

प्रश्न 7.
“अम्बर पनघट में डुबो रही, तरा-घट ऊषा-नागरी।”
उपरोक्त पद में अलंकार है। (2011)
(क) रूपक
(ख) श्लेष
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) रूपक

प्रश्न 8.
“अब जीवन की कपि आस न कोय।
कनगुरिया की मुदरी कँगना होय।।”
पद में निहित अलंकार का नाम निम्नांकित विकल्पों में से लिखिए। (2011)
(क) दृष्टान्त
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) उपमा
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(घ) अतिशयोक्ति

प्रश्न 9.
“पापी मनुज भी आज मुख से राम-राम निकालते।
देखो भयंकर भेड़िये भी, आज आँसू ढालते।।”
इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? (2011, 10)
(क) सन्देह
(ख) भ्रान्तिमान्
(ग) दृष्टान्त
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ग) दृष्टान्त

प्रश्न 10.
जहाँ किसी वस्तु की इतनी प्रशंसा की जाए कि लोक-मर्यादा का अतिक्रमण हो जाए, वहाँ अलंकार होता है। (2011)
अथवा
जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता (2011)
(क) रूपक
(ख) भ्रान्तिमान्
(ग) सन्देह
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(घ) अतिशयोक्ति

प्रश्न 11.
जहाँ उपमेय को उपमान और उपमान को उपमेय बना दिया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है? (2011, 10)
अथवा
जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाए अथवा उसकी व्यर्थता प्रदर्शित की जाए, वहाँ अलंकार होता है (2011, 10)
(क) रूपक
(ख) प्रतीप
(ग) अनन्वय
(घ) उत्प्रेक्षा
उत्तर:
(ख) प्रतीप

प्रश्न 12.
“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।।”
में अलंकार है। (2013, 10)
(क) उपमा
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) रूपक
उत्तर:
(ग) श्लेष

प्रश्न 13.
“उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।।”
में निहित अलंकार है (2011)
(क) भ्रान्तिमान्
(ख) दृष्टान्त
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) सन्देह
उत्तर:
(ग) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 14.
जहाँ उपमान के अभाव में उपमेय को ही उपमान मान लिया जाता है, वहाँ अलंकार होता है।
अथवा
“वयं विषय को बहुत उत्कृष्ट दिखाने के क्रम में, उसके समान कोई अन्य है ही नहीं, सूचित करने के लिए उपमेय को ही उपमान बना देना,” किस अलंकार का लक्षण हैं? (2011)
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) अनन्वय
(घ) सन्देह
उत्तर:
(ग) अनन्वय

प्रश्न 15.
जहाँ रूप-रंग आदि के सादृश्य से उपमेय में उपमान का संशय बना रहे, वहाँ अलंकार होता है। (2010)
(क) सन्देह
(ख) भ्रान्तिमान्
(ग) दृष्टान्त
(घ) प्रतीप
उत्तर:
(ख) भ्रान्तिमान्

प्रश्न 16.
उपमेय में उपमान की सम्भावना (या कल्पना) किस अलंकार में होती है? (2011)
अथवा
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना की जाए, वहाँ अलंकार होता है। (2011, 10)
(क) सन्देह
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) भ्रान्तिमान्
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ख) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 17.
‘कैर्धी ब्योमबीथिका भरे हैं भूरि धूमकेतु,
वीररस बीर तरवारि-सी उघारी है।’
उपरोक्त पद में कौन-सा अलंकार है? (2010)
(क) अनन्वय
(ख) भ्रान्तिमान्
(ग) सन्देह
(घ) दृष्टान्त
उत्तर:
(ग) सन्देह

प्रश्न 18.
‘रहिमन अँसुआ नयन ढरि, जिय दुख प्रगट करे।
जाहि निकारो गेह ते, कस न भेद कहि देड़।।”
उक्त पंक्तियों में अलंकार हैं। (2010)
(क) अनन्वय
(ख) रूपक
(ग) सन्देह
(घ) दृष्टान्त
उत्तर:
(घ) दृष्टान्त

प्रश्न 19.
“बंदउँ कोमल कमल से, जग जननी के पाँय” उक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? (2014)
(क) उत्प्रेक्षा
(ख) रूपक
(ग) दृष्टान्त
(घ) उपमा
उत्तर:
(घ) उपमा

प्रश्न 20.
“विदग्ध होके कण धूलि राशि का, तपे हुए लौह कणों समान था।” उक्त पद में अलंकार है। (2011)
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर:
(घ) उपमा

प्रश्न 21.
“ओ चिन्ता की पहली रेखा, अरे विश्व वन की व्याली।” में अलंकार है। (2011)
(क) यमक
(ख) रूपक
(ग) श्लेष
(घ) प्रतीप
उत्तर:
(ख) रूपक

प्रश्न 22.
“जनक बचन छुट बिरवा लजाऊ के से,
वीर रहे सकल सकुचि सिर नाय के।”
उपरोक्त पद में अलंकार हैं।
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) उपमा
उत्तर:
(घ) उपमा

प्रश्न 23.
मंजु मेचक मृदुल तनु, अनुहरत भूवन भरनि।
मनहूँ सुभग सिंगार सिमु-तरु फरयौ अद्भुत फरनि।।
उपरोक्त पंक्तियों में अलंकार है।
(क) उपमा
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) यमक
(घ) श्लेष
उत्तर:
(ख) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 24.
“कनक कनक तै सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहिं खाएँ बौराई जग, इहिं पाएँ बौराई।।”
उपरोक्त पद में अलंकार है
(क) रूपक
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) यमक
(घ) श्ले ष
उत्तर:
(ग) यमक

प्रश्न 25.
‘हरि पद कोमल कमल-से’ पद में अलंकार है। (2010)
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) उत्प्रेक्षा।
(घ) यमक
उत्तर:
(ख) उपमा

प्रश्न 26.
जहाँ रूप-रंग आदि के सादृश्य से उपमेय में उपमान का संशय बना रहे, वहाँ अलंकार होता है (2010)
(क) उत्प्रेक्ष
(ख) भ्रान्तिमान्
(ग) उपमा
(घ) सन्देह
उत्तर:
(घ) सन्देह

प्रश्न 27.
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
कि सारी ही की नारी है कि नारी ही सारी है।।
उपरोक्त पद में अलंकार है। (2011)
(क) भ्रान्तिमान्
(ख) दृष्टान्त
(ग) सन्देह
(घ) अतिशयोक्ति
उत्तर:
(ग) सन्देह

प्रश्न 28.
जहाँ काव्य की शोभा का कारण शब्द होता है, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
(क) अर्थालंकार
(ख) शब्दालंकार
(ग) उपमा
(घ) सन्देह
उत्तर:
(ख) शब्दालंकार

प्रश्न 29.
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम। उक्त पंक्तियों में अलंकार है।
(क) यमक
(ख) श्लेष
(ग) अनुप्रास
(घ) उपमा
उत्तर:
(ग) अनुप्रास

प्रश्न 30.
जहाँ उपमेय की उपमान के रूप में सम्भावना की जाए, वहाँ अलंकार होता है।
(क) उपमा
(ख) उत्प्रेक्षा
(ग) रूपक
(घ) यमक
उत्तर:
(ख) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 31.
‘नील घन-शावक से सुकुमार,
सुधा भरने को विधु के पास।
उक्त पंक्तियों में अलंकार है।
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) दृष्टान्त
उत्तर:
(क) उपमा

प्रश्न 32.
‘रण-कमल बन्द हरिराई।’ में अलंकार हैं।
(क) उपेक्षा
(ख) अनुपास
(ग) रूपक
(घ) उपमा
उत्तर:
(ग) रूपक

प्रश्न 33.
रूपक अलंकार के भेद हैं।
(क) 4
(ख) 2
(ग) 5
(घ) 3
उत्तर:
(घ) 3

प्रश्न 34.
जहाँ समान वर्गों की बार-बार आवृत्ति होती है, वहाँ अलंकार होता है।
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) भ्रान्तिमान
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) अनुप्रास

प्रश्न 35.
उपमा अलंकार का विपरीत अलंकार होता है।
(क) दृष्टान्त
(ख) श्लेष
(ग) प्रतीप
(घ) सन्देह
उत्तर:
(ग) प्रतीप

प्रश्न 36.
उपमेय और उपमान के साधारण धर्म में भिन्नता होने पर अलंकार होता
(क) भ्रान्तिमान
(ख) सन्देह
(ग) उपमान
(घ) दृष्टान्त
उत्तर:
(घ) दृष्टान्त

प्रश्न 37.
जहाँ उपमेय को ही उपमान बना दिया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
(क) प्रतीप
(ख) अनन्वय
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) भ्रान्तिमान
उत्तर
(ख) अनन्वये

प्रश्न 38.
प्रस्तुत में अप्रस्तुत की सम्भावना को कौन-सा अलंकार कहते हैं?
(क) उपमा
(ख) उत्प्रेक्षा।
(ग) रूपक
(घ) भ्रान्तिमान
उत्तर:
(ख) उत्प्रेक्षा

प्रश्न 39.
‘तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।’ उक्त काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार हैं? (2008)
(क) यमक
(ख) श्लेष
(ग) उपमा
(घ) अनुप्रास
उत्तर:
(घ) अनुप्रास

प्रश्न 40.
माला फेरत जुग भया, फिरा न मनका फेर।
करका मनका हारि दे मनका-मनका फेर।।
उक्त दोहे में कौन-सा अलंकार है?
(क) श्लेष
(ख) यमक
(ग) अनुप्रास
(घ) रूपक
उत्तर:
(ख) यमके।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार का नाम और उसका लक्षण लिखिए।
सोहत ओढे पीत पट स्याम सलोने गात।
मनुहुँ नीलमणि शैल पर आतप परयो प्रभात।।
उत्तर:
यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है। जहाँ प्रस्तुत में अप्रस्तुत की सम्भावना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द, मनु, जनु, मनहु, जनहु, मानो, जानों आदि हैं।

प्रश्न 2.
रूपक अलंकार के कितने भेद होते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
रूपक अलंकार के तीन भेद होते हैं, जो निम्न प्रकार हैं।
(क) सांग रूपक
(ख) निरंग रूपक
(ग) परम्परित रूपक

प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकार का नाम तथा उसका लक्षण लिखिए।
‘कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यानँ।’
उत्तर:
यहाँ रूपक अलंकार हैं। जहाँ उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

प्रश्न 4.
‘पूत सपूत तो क्यों धन संचे।’
पूत कपूत तो क्यों धन संचे।।
उत्तर:
यहाँ अनुप्रास का एक भेद लाटानुप्रास है। जहाँ शब्द और अर्थ की आवृत्ति हो अर्थात् जहाँ एकार्थक शब्दों की आवृत्ति तो हो, परन्तु अन्वय करने पर अर्थ भिन्न हो जाए, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।

प्रश्न 5.
कहत नटत रीझत खीझत मिलत खिलत लजियात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु हीं सौं बात।।
उक्त दोहे में कौन-सा अलंकार है? उसका लक्षण लिखिए।
उत्तर:
यहाँ अनुप्रास का एक भेद अन्त्यानुप्रास’ है। जब छन्द के शब्दों के अन्त में समान स्वर या व्यंजन की आवृत्ति हो, वहाँ ‘अन्त्यानुप्रास’ अलंकार होता है।

प्रश्न 6.
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चुन।।।
उक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? उसका लक्षण लिखिए।
उत्तर:
यहाँ श्लेष अलंकार है। जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता हैं।

प्रश्न 7.
अनुप्रास अलंकार का लक्षण एवं उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जहाँ समान वर्षे की आवृत्ति बार-बार होती है अर्थात् कोई वर्ण एक से अधिक बार आता है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; जैसे
उदाहरण

रघुपति राघव राजा राम,
पतित पावन सीता राम।।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सबको सम्मति दे भगवान।

प्रश्न 8.
मकराकृति गोपाल के, सोहत कुण्डल कान।
धयो मनौ हिय धर समरु, इयौढी लसत निसान।।
उक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? उसका लक्षण लिखिए।
उत्तर:
यहाँ रूपक अलंकार है। जहाँ उपमेय और उपमान में अभिन्नता प्रकट की जाए अर्थात् उन्हें एक ही रूप में प्रकट किया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

प्रश्न 9.
‘तेरी बरछी ने बरछीने हैं खलन के।’
उक्त काव्य पंक्ति में अलंकार का नाम तथा उसका लक्षण लिखिए।
उत्तर:
यहाँ यमक अलंकार है। जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त होता है और प्रत्येक बार उसके अर्थ अलग होते हैं। वहाँ यमक अलंकार होता है।

प्रश्न 10.
‘पछताने की परछाहीं-सी, तुम उदास छाई हो कौन?’ इस पंक्ति में अलंकार का नाम और उसका लक्षण लिखिए।
उत्तर:
यहाँ उपमा अलंकार है। जहाँ उपमेय (संज्ञा) की उपमान (विशेषण) से समानता बताई जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। इसके वाचक शब्द हैं, सी, सा, से, सम, सरिस आदि।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों में अलंकार का नाम तथा उसका लक्षण लिखिए।
‘चरण-कमल बन्द हरिराई।’ (2013, 10)
उत्तर:
उक्त रूपक अलंकार है। जहाँ उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित दोहे में अलंकार का नाम तथा लक्षण लिखिए।
चिरजीव जोरी जुरै, क्यों न सनेह गम्भीर
को घटि ए वृषभानुजा, वे हलधर के वीर।।
उत्तर:
यहाँ श्लेष अलंकार है। जहाँ एक शब्द एक ही स्थान पर प्रयुक्त हो और उसके एक से अधिक अर्थ हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में कौन-सा अलंकार है?
मुख मयंक सम मंजु मनोहर।।
उत्तर:
यहाँ उपमा अलंकार है, क्योंकि मुख की समानता चन्द्रमा से की गई है। तथा मंजु और मनोहर साधारण धर्म हैं साथ में वाचक शब्द सा भी प्रयुक्त है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा अलंकार है?
ओ चिन्ता की पहली रेखा, अरे विश्व वन की व्याली।
उत्तर:
इस पंक्ति में रूपक अलंकार है, क्योंकि चिन्ता उपमेय में विश्व वन की व्याली में उपमान का आरोप किया गया है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
नाक का मोती अधर की कान्ति से,
बीज़ दाडिम का समझकर भ्रान्ति से।
देख उसको ही हुआ शुक मौन है,
सोचता है अन्य शुक यह कौन है?
उत्तर:
इन पंक्तियों में भ्रान्तिमान अलंकार है। जहाँ समानता के कारण एक वस्तु को दूसरी समझ लिया जाता है। वहाँ भ्रान्तिमान अलंकार होता है। इसमें तोता उर्मिला की नाक के मोती को भ्रमवश अनार का दाना और उसकी नाक को दूसरा तोता समझकर भ्रमित हो जाता है। इस कारण यहाँ पर भ्रान्तिमान अलंकार है।

We hope the UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi अलंकार help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi अलंकार, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

रक्त चंदन में कौन सा अलंकार है?

'रक्त-चंदन' में रूपक अलंकार है, क्योंकि माथे पर लगे रक्त को चंदन के रूप में माना गया है।

छल छल में कौन सा अलंकार है?

उपर्युक्त उदाहरण में उछल-उछल, छल-छल, थल-थल एवं कल-कल शब्दों के प्रयोग से भाव अधिक रुचिकर बन गया है अतः यहाँ पुनरुक्ति अलंकार है ।

श्याम रंग में कौन सा अलंकार है?

विरोधाभास यहाँ पर श्याम (काला) रंग में डूबने से उज्ज्वल होने का वर्णन है अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।

यमक अलंकार का उदाहरण क्या है?

यमक अलंकार का उदाहरण माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। पद्य में 'मनका' शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है।