रामकृष्ण मिशन
रामकृष्ण मिशन की स्थापना १ मई सन् १८९७ को रामकृष्ण परमहंस के परम् शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने की। इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलुड़ में है। इस मिशन की स्थापना के केंद्र में वेदान्त दर्शन का प्रचार-प्रसार है। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है जो कि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है।[1][2] रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य है - आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च (अपने मोक्ष और संसार के हित के लिये) रामकृष्ण मिशन को भारत सरकार द्वारा १९९६ में डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से और १९९८ में गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अनुक्रम
अध्यक्ष[संपादित करें]
सन 1901 से 'महाध्यक्ष' (General President) के स्थान पर केवल 'अध्यक्ष' कर दिया गया।
यह भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]रामकृष्ण मिशन का जालघर
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने और कब की?भारतीय समाजसेवा संगठन रामकृष्ण मिशन की स्थापना साल 1890 में 1 मई को हुई थी. जानें इस मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण फैक्ट: 1. मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी, जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे.
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कैसे और क्यों हुई?स्वामी विवेकानन्द ने (1863-1902) अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर 5 मई सन् 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। इसका मुख्य उद्देश्य था-हिन्दू महर्षियों द्वारा सैकड़ों शताब्दियों मे स्थापित आदर्शों तथा विशाल एवं गौरवपूर्ण परंपरा की महत्ता को जनसाधारण तक पहुँचाना।
रामकृष्ण मठ की स्थापना कहाँ की गई?अल्मोड़ा के ब्राइट कार्नर में राम कृष्ण मठ को स्थापित किए आज 100 साल पूरे हो गए हैं. 22 मई 1916 के दिन स्वामी तुरियानंद महाराज और स्वामी शिवानन्द महाराज ने इस मठ की स्थापना की थी.
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