राष्ट्रपति शासन का मतलब क्या होता है? - raashtrapati shaasan ka matalab kya hota hai?

देश अथवा राज्य में राष्ट्रपति शासन भारत के संविधान के अनुसार लगाया जाता है | राष्ट्रपति शासन सिर्फ दो आधार पर ही लगाया जाता है, जो भारतीय संविधानके अनुच्छेद 355 और 365 के अंतर्गत आता है। किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन उस समय लगाया जाता है, जब उस राज्य की सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है, और राज्य का शासन केंद्र सरकार के आधीन हो जाता है | राष्ट्रपति शासन राज्यपाल के अनुरोध पर लगाया जाता है |

देश में राष्ट्रपति शासन आपातकाल के समय लोकसभा भंग हो जाने के कारण या पूर्ण बहुमत प्राप्त न होनें के कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, परन्तु संसदके सत्र चलने पर इसे संसद से पास करवाना आवश्यक है | राष्ट्रपति शासन क्या होता है, और यह कैसे लागू होता है? इसके बारे में आपको इस पेज पर विस्तार से बता रहे है |

भारतीय संविधान क्या है?

राष्ट्रपति शासन कैसे लागू होता है (How Presidential Rule Applies)

  • राष्ट्रपति शासन कैसे लागू होता है (How Presidential Rule Applies)
    • राष्ट्रपति शासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (Information About President Rule) 

भारतीय सविंधान के अनुच्छेद-356 के अंतर्गत जब किसी राज्य में प्रशासन सविंधान के अनुसार न चलाया जा रहा हो अथवा  उस राज्य के किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न प्राप्त हो और सभी दल गठबंधन बनाकर भी सरकार न बना रहे हो, तो ऐसी स्थिति में उस राज्य के राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को पत्र लिखा जाता है, जिसमें लिखा जाता है, कि  राज्य में सविंधान के अनुरूप स्थिति नहीं है, और ऐसी स्थिति को नियंत्रित करनें हेतु राष्ट्रपति शासन लगाना अवशयक है | राष्ट्रपति इस बात कि पुष्टि प्रधानमंत्री से करवाता है, और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना का आदेश देता है| केंद्र सरकार द्वारा सहमति मिलनें के बाद उस राज्य में संबंधित सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है, और उस राज्य का शासन केंद्र सरकार को अगले चुनाव तक के लिए दे दिया जाता है |

  • राष्ट्रपति शासन को लागू करने के लिए सबसे पहले राष्ट्रपति को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि, किसी विशेष राज्य का कार्यशक्ति  फेल हो गया है और तब वहां पर राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता है।
  • इसके बाद जब राष्ट्रपति के सुनिश्चित हो जाए तो उस घोषणा को संसद के दोनों ही सदन (राज्य सभा और लोक सभा) में दो महीने के अंतर्गत ही सामान्य बहुमत से स्वीकृत करना रहेगा |
  • फिर जब संसद के दोनों सदन से उस घोषणा को स्वीकृति प्रदान हो जाती है, तो उस राज्य में अगले छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू  हो जाता है।

केंद्र शासित प्रदेश का मतलब क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (Information About President Rule) 

  • राष्ट्रपति शासन को अधिक से अधिक तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, परन्तु इसके लिए यह आवश्यक है, कि प्रत्येक 6 माह में संसद के दोनों सदन उसे सामान्य बहुमत से स्वीकृत करें।
  • वर्ष 1978 का 44वाँ संविधान संशोधन में कई बदलाव हुए , इसके बाद यह कहा गया कि राष्ट्रपति शासन को एक वर्ष के बाद 06 माह और बढ़ाने के लिए इन दो शर्तो का पूरा होना जरूरी है।

(i). उस समय राष्ट्रीय आपातकाल का होना जरूरी है|

(ii).भारतीय चुनाव आयोग इस बात को स्पष्ट तरीके से बताये, कि उस राज्य में परेशानियों के कारण आम

चुनाव नहीं कराया जा सकता।

  • राष्ट्रपति किसी भी समय राज्य के राष्ट्रपति शासन को हटा सकता है, इसके लिए राष्ट्रपति को किसी भी तरह से संसद की स्वीकृति की आवश्यकता नही है।

यहाँ पर हमनें आपको राष्ट्रपति शासन के विषय में बताया, यदि आपको इस प्रकार की कोई अन्य जानकारी लेनी हो तो आप  http://hindiraj.com पर विजिट कर सकते है | इसके साथ ही अगर आप दी गयी जानकारी के विषय में अपने विचार या सुझाव अथवा किसी प्रकार का प्रश्न पूछना चाहते है, तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से संपर्क कर सकते है |

आचार संहिता क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन (या केन्द्रीय शासन) भारत में शासन के सन्दर्भ में उस समय प्रयोग किया जाने वाला एक पारिभाषिक शब्द है, जब किसी राज्य सरकार को भंग या निलम्बित कर दिया जाता है और राज्य प्रत्यक्ष संघीय शासन के अधीन आ जाता है। भारत के संविधान का अनुच्छेद-356, केन्द्र की संघीय सरकार को राज्य में संवैधानिक तन्त्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में उस राज्य का राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है। राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लागू होता है, जब राज्य विधानसभा में किसी भी दल या गठबन्धन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो।

सत्तारूढ़ दल या केन्द्रीय (संघीय) सरकार की सलाह पर, राज्यपाल अपने विवेक पर सदन को भंग कर सकते हैं, यदि सदन में किसी पार्टी या गठबन्धन के पास स्पष्ट बहुमत ना हो, तो उस अवस्था में राज्यपाल सदन को 6 महीने की अवधि के लिए ‘निलम्बित अवस्था' में रख सकते हैं। 6 महीने के बाद, यदि फिर कोई स्पष्ट बहुमत प्राप्त ना हो तो उस दशा में पुन: चुनाव आयोजित किये जाते है. अधिकतम 3 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है..!

इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसके द्वारा राज्य का नियन्त्रण बजाय एक निर्वाचित मुख्यमन्त्री के, सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है, लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से राज्य के राज्यपाल को केन्द्रीय सरकार द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किये जाते हैं। प्रशासन में मदद करने के लिए राज्यपाल आम तौर पर सलाहकारों की नियुक्ति करता है, जो आम तौर पर सेवानिवृत्त सिविल सेवक होते हैं। आमतौर पर इस स्थिति में राज्य के केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी की नीतियों का अनुसरण होता है।

जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को राज्यपाल शासन कहा जाता था, परंतु धारा 370 हटने के बाद और जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद इसे "‘राष्ट्रपति शासन’” ही कहा जाता है।[1]

अनुच्छेद-356[संपादित करें]

अनुच्छेद 356, केन्द्र सरकार को किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करने और राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमति उस अवस्था में देता है, जब राज्य का संवैधानिक तन्त्र पूरी तरह विफल हो गया हो।

यह अनुच्छेद एक साधन है जो केन्द्र सरकार को किसी नागरिक अशान्ति जैसे कि दंगे जिनसे निपटने में राज्य सरकार विफल रही हो की दशा में किसी राज्य सरकार पर अपना अधिकार स्थापित करने में सक्षम बनाता है (ताकि वो नागरिक अशान्ति के कारणों का निवारण कर सके)। राष्ट्रपति शासन के आलोचकों का तर्क है कि अधिकतर समय, इसे राज्य में राजनैतिक विरोधियों की सरकार को बर्खास्त करने के लिए एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे कुछ लोगों के द्वारा इसे संघीय राज्य व्यवस्था के लिए एक खतरे के रूप में देखा जाता है। 1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद से केन्द्र सरकार द्वारा इसका प्रयोग 100 से भी अधिक बार किया गया है।

अनुच्छेद को पहली बार 31 जुलाई 1957 को विमोचन समारम के दौरान लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी पंजाब की कम्युनिस्ट सरकार बर्खास्त करने के लिए किया गया था। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश की भाजपा की राज्य सरकार को भी बर्खास्त किया गया था।

उपरोक्सू सूचनाभ्रामक है।पहली बार जून १९५१ में पंजाब में राष्ट्रपति शासन अपने दलीय अंतर्कलह से निपटने के लिए लगाया था।पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई केरल की कम्यूनिस्ट ईएमएस नम्बूदरीपाद की सरकार को सन् १९५९ में इस प्रावधान का उपयोग कर बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

अनुच्छेद-355[संपादित करें]

अनुच्छेद 355 केन्द्र सरकार अधिकृत करता है ताकि वो किसी बाहरी आक्रमण या आन्तरिक अशान्ति की दशा में राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और प्रत्येक राज्य का शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलता रहे।

इस अनुच्छेद का इस्तेमाल तब किया गया जब भाजपा शासित राज्यों में गिरिजाघरों पर हमले हो रहे थे। तब के संसदीय कार्य मन्त्री वायलार रवि ने अनुच्छेद 355 में संशोधन कर, राज्य के कुछ भागों या राज्य के कुछ खास क्षेत्रों को केन्द्र द्वारा नियन्त्रित करने का सुझाव दिया था।[2]

संदर्भ और बाहरी कड़ियां[संपादित करें]

  1. "जम्मू-कश्मीरः राज्यपाल शासन के दौरान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई और तेज करेगी केंद्र सरकार". लाइव हिन्दुस्तान. 20 जून 2018. मूल से 12 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2018.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2009.

  • Article 355 and 356 text from wikisource
  • Discusses the instances where presidents rule has been invoked
  • Text of article 356, which enables the use of presidents rule
  • [1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत का संविधान-भाग अठारह
  • अनुच्छेद-370
  • सरकारिया आयोग

राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन को लागू करने के लिए सबसे पहले राष्ट्रपति को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि, किसी विशेष राज्य का कार्यशक्ति फेल हो गया है और तब वहां पर राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता है। फिर जब संसद के दोनों सदन से उस घोषणा को स्वीकृति प्रदान हो जाती है, तो उस राज्य में अगले छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है।

राष्ट्रपति शासन कौन हटा सकता है?

राष्ट्रपति शासन के दौरान अगर कोई भी पार्टी राज्यपाल के पास जाती है और उन्हें विश्वास दिलाने में कामयाब रहती है कि उनके पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या है. ऐसे में राज्यपाल को यकीन हो जाता है कि सरकार गठन हो सकता है तो ऐसी स्थिति में वो राष्ट्रपति शासन को खत्म करने की सिफारिश कर सरकार बनाने का निमंत्रण दे सकते हैं.

राष्ट्रपति का शासन कितने साल तक रहता है?

राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना भारत में कोई भी कानून लागू नहीं हो सकता है.

सबसे पहले राष्ट्रपति शासन कहाँ लगा?

राष्ट्रपति शासन पहली बार 1951 में लगा था सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आजादी के बाद पंजाब वह राज्य था, जहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। कांग्रेस में फूट की वजह से यहां 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 के बीच राष्ट्रपति शासन लगाया गया। आपातकाल के बाद 24 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।