राष्ट्रवाद लोगों के मस्तिष्क में एक यथार्थ का रूप कैसे लेता है? - raashtravaad logon ke mastishk mein ek yathaarth ka roop kaise leta hai?

1. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को एका-एक क्यों रोक दिया, जबकि यह पूरे जोर-शोर पर था ?

उत्तर - दिसंबर सन् 1920 के नागपुर अधिवेशन में काँग्रेस ने अपना लक्ष्य स्वराज्य प्राप्त करना घोषित किया। इसके साथ ही असहयोग आंदोलन चलाना भी स्वीकार कर लिया। ऐनी बेसेंट, जिन्ना और विपिनचंद्र पाल इस आंदोलन के पक्ष में नहीं थे । इसलिए उन्होंने काँग्रेस से त्यागपत्र दे दिया। असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम थे - स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग, उपाधियों का त्याग, स्थानीय संस्थाओं से मनोनीत पदों का त्याग, सरकारी स्कूलों का त्याग, सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार, विधानमंडलों के चुनाव में भाग न लेना और सैनिक, क्लर्कों आदि की नौकरियों का त्याग। महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं के प्रयासों से यह आंदोलन शीघ्र ही उग्र रूप धारण कर लिया। गाँधीजी और अन्य महत्त्वपूर्ण नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यह आंदोलन दो वर्ष तक सक्रिय रूप से चला, तभी उत्तर प्रदेश में चौरा-चौरी नामक स्थान पर एक भीड़ ने 5 फरवरी को एक पुलिस चौकी को आग लगा दी। महात्मा गाँधी ने चौरा-चौरी की इस हिंसापूर्ण घटना से दुखित होकर इस आंदोलन को समाप्त कर दिया।

2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर - (क) 12 मार्च, 1930 ई० को डांडी यात्रा द्वारा गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का सूत्रपात किया। गाँधीजी के अनुयायियों ने डांडी नामक समुद्र तटीय स्थान पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। यह आंदोलन सरकारी आदेशों को न मानने का प्रतीक था।

(ख) ब्रिटिश कानून को तोड़ना निःसन्देह उपनिवेशवाद के विरुद्ध एक जबर्दस्त कदम था। देखने को यह समुद्र के पानी से नमक बनाने की प्रक्रिया एक साधारण-सी घटना लगती है परन्तु इसने उपनिवेशवाद के सारे ढांचे को ही हिला कर रख दिया।

(ग) साबरमती आश्रम से डांडी की कोई 240 मील की यात्रा में महात्मा गाँधी और उनके साथियों को अनेक स्थानों पर रुकना पड़ा। हर पड़ाव में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नारेबाजी होती रही जिससे राष्ट्रीय भावनाएँ और उत्तेजित होती गई और लोगों में उपनिवेशवाद के प्रति घृणा पैदा होने लगी।

(घ) जैसे ही 6 अप्रैल, 1930 ई० को समुद्र के पानी से नमक बनाया गया सबको यह पता चल गया कि ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिगुल बज चुका है। इस प्रकार नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक बन गई।

3. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाएँ। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाएँ कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए?

उत्तर - 1921 के असहयोग आंदोलन में समाज के अनेक समूहों ने भाग लिया जिसमें उल्लेखनीय हैं :-

(क) नगरों के मध्य श्रेणी के लोग,

(ख) ग्रामीण क्षेत्रों के किसान लोग,

(ग) जंगली क्षेत्रों के आदिवासियों ने,

(घ) बागान में काम करने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों ने।

असहयोग आंदोलन में भाग लेने के निम्नांकित कारण थे :-

(क) नगरों में रहने वाले लोगों ने इस आंदोलन में इसलिए भाग लिया कि यदि लोग विदेशी माल का बहिष्कार करेंगे तो उनका अपना बनाया हुआ माल तेजी से बिकेगा और उनकी औद्योगिक इकाइयाँ फिर से काम करने लगेंगी इससे लोगों के लिए नौकरी के कई नए अवसर खुलेंगे।

(ख) ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर इसलिए भाग लिया कि एक तो उन्हें बड़े-बड़े जमींदारों के अत्याचारों से मुक्ति मिलेगी और दूसरे उन्हें कठोरता से लगान इकट्ठा करने वाले अधिकारियों के जुल्मों से निजात मिलेगी।

(ग) बागान में काम करने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों ने इसलिए असहयोग आंदोलन में भाग लिया क्योंकि एक तो उन्होनें बागान की समान जेल की चारदीवारों से बाहर लाने की आज्ञा मिल जाएगी और दूसरे वे बागान मालिकों की दासता और पशु-समान व्यवहार से मुक्ति प्राप्त कर लेंगे और स्वतंत्र वातावरण में जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

4. कल्पना करें कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताएँ कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता ?

उत्तर - सिविल नाफरमानी आंदोलन में भाग लेने के लिए मुझे एक महिला के नाते कितना फखर होता। मुझे न केवल महात्मा गाँधी जैसे बड़े नेताओं से मिलने का ही सौभाग्य प्राप्त होता वरन् उनके साथ-साथ साबरमती आश्रम से डांडी तक चलते-चलते कितना आनन्द प्राप्त होता। इन 25-26 दिन (12 मार्च, 1930 से 5 अप्रैल, 1930 तक) की यात्रा में स्थान-स्थान पर हमारा स्वागत हुआ, हजारों की संख्या में लोग महात्मा गाँधी को सुनने आये। लोगों ने जम कर अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध नारे लगाए। सारा वातावरण ऐसे बन गया कि मैं सोचने को मजबूर हुई कि वह दिन दूर नहीं जब भारत स्वतंत्र होकर रहेगा। 6 अप्रैल के दिन डांडी स्थान पर समुद्र के किनारे महात्मा गाँधी ने समुद्र के नमकीन पानी से नमक तैयार करना जैसे ही शुरू किया 'भारत माता जिन्दाबाद' गाँधीजी जिन्दाबाद 'हम आजादी लेकर रहेंगे' आदि नारों से आकाश गूंज उठा।

5. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका (चुनाव क्षेत्रों) के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?

उत्तर - (क) राजनीतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे।

(ख) जैसे- डॉ० अम्बेदकर 'दलित वर्गों' या दलितों का नेतृत्व करते थे। इसी प्रकार मोहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम सामाजिक समूह का प्रतिनिधित्व करते थे।

(ग) ये नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और पृथक निर्वाचन क्षेत्र माँगकर अपने अनुयायियों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे।

(घ) लेकिन काँग्रेस पार्टी, विशेषकर गाँधीजी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

(ङ) वे इस माँग के विरुद्ध थे और एक समय इसके लिए आमरण अनशन पर भी बैठे थे। यही वे कारण थे कि राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर बँटे हुए थे।

6. भारतीयों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित करने वाले कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर - जब लोग ये महसूस करने लगते हैं कि वे एक ही राष्ट्र के अंग हैं; जब वे एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बाँधने वाली कोई साझा बात ढूँढ़ लेते हैं। लेकिन राष्ट्र लोगों के मस्तिष्क में एक यथार्थ का रूप कैसे लेता है ? विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों या भाषाओं से संबद्ध अलग-अलग समूहों ने सामूहिक अपनेपन का भाव कैसे विकसित किया? सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ भी थीं जिनके जरिए राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था। इतिहास व साहित्य, लोक कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया था।

7. असहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीकों का उल्लेख करें।

उत्तर - असहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीके :-

(क) गाँधीजी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करना चाहते थे। उनका विचार था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गई पदवियों को लौटा दिया जाए तथा इसके बाद सरकारी नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाए।

(ख) असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए, शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कर दिए तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।

(ग) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।

(घ) व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा।

(ङ) ग्रामीण इलाकों में जमींदारों को नाई-धोबी सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों ने 'नाई-धोबी बंद' का फैसला किया।