सच्चे मित्र की पहचानमित्रता का हमारे जीवन का महत्त्व्पूर्ण हिस्सा होती है। मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है। सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा और कृष्ण की मित्रता, सच्ची मित्रता का उदाहरण है। Show मित्र की संगति का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस करण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही मित्रता करनी चाहिए। अच्छे मित्र के संगति में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की संगति में बुरा बनता है। सच्चा मित्र दुख सुख का साथी होता है और सदैव हमें ग़लत काम करने
से रोकता है। सच्चे मित्र की पहचान मुसीबत में ही होती है। अतः मित्रता अनमोल होती है और हमारे सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है। इसीलिए हमारे ज़ीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है। (By:- Mamta Shah) सच्ची मित्रता से आप क्या समझते है?सच्ची मित्रता का मतलब
इसे दूसरे शब्दों में आप एक दूसरे का शुभचिंतक भी कह सकते हैं। मित्रता के रिश्ते में हमेशा एक दूसरे के हित की कामना की जाती है। साथ ही साथ एक दूसरे को हर प्रकार के कार्य में बेहतर सलाह देकर उसके कार्य को सफल होने की कामना करना होता है। मित्रता जिसमें हम सिर्फ सुख के समय की कामना नहीं कर सकते हैं।
हमारा सच्चा मित्र कौन होता है?उन्होंने सच्चे मित्र की परिभाषा देते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो मित्र दुख में काम आता आता है। उन्होंने कहा, वह मित्र के बहुत छोटे से छोटे कष्ट को भी मेरु पर्वत के सामान भारी मानकर उसकी सहायता करता है। मित्र सुख-दुख का साथी है। वह केवल दुख में ही नहीं सुख में भी खुशियां बांटता है।
सच्चे मित्र की क्या विशेषता है?सच्चे मित्र की निशानी होती है कि वे आपके अवगुण कभी दूसरों के सामने व्यक्त नहीं करता। अकेले में वह आपकी सभी कमियां और अवगुण बताकर उन्हें सुधारने की सलाह तो देगा, लेकिन दूसरों के सामने आपको नीचा कभी नहीं दिखाएंगा।
सच्ची दोस्ती के क्या गुण होते हैं?आपके सच्चे मित्र आपको कभी नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करते. वह आपसे हमेशा शांति से बात करते हैं, ना कि मतभेद को बढ़ाने का काम करते हैं. वह आपसे हमेशा आपके गुणों के बारे में बात करते हैं, ना कि आपकी कमियों के बारे में. हाँ आपकी कमियों का उल्लेख वे आपको प्रोत्साहित करने के लिए करते हैं, न की आपको नीचा दिखाने के लिए.
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