साफ सफाई से क्या लाभ होता है? - saaph saphaee se kya laabh hota hai?

साफ-सफाई के लाभ

Author: Bhupendra SinghPublish Date: Thu, 27 Aug 2015 04:04 AM (IST)Updated Date: Thu, 27 Aug 2015 04:06 AM (IST)

फख्र की बात है कि बिहार में बड़ी-बड़ी हस्तियां स्वच्छता अभियान में सहयोग के लिए आतुर हैं। इनके प्रयास से कम से कम अपना घर, आसपास और शरीर को साफ रखने की बात लोगों के जेहन में उतर जाए तो डॉक्टरों के पास भीड़ भी घट जाएगी।

फख्र की बात है कि बिहार में बड़ी-बड़ी हस्तियां स्वच्छता अभियान में सहयोग के लिए आतुर हैं। इनके प्रयास से कम से कम अपना घर, आसपास और शरीर को साफ रखने की बात लोगों के जेहन में उतर जाए तो डॉक्टरों के पास भीड़ भी घट जाएगी और काफी हद तक बीमारी पर खर्च होने वाले पैसे की बचत हो जाएगी। सरकार को भी इस मायने में राहत मिलेगी कि उसे गंदगी जनित रोगों के उपचार में अधिकांश फंड नहीं देना पड़ेगा और यही रुपया आम आदमी को असाध्य रोगों से लडऩे में मदद देने के काम आ जाएगा। अभी तो गांव और शहर में हालात ये हैं कि डॉक्टर नामी अथवा बिना डिग्री का, सभी के क्लीनिकों पर ऐसे मरीजों की भीड़ रहती है जो संक्रमण से फैलने वाले रोगों वायरल बुखार, खांसी, टीबी, चर्म रोगों आदि से प्रभावित होते हैं। इलाज के चर्चित डॉक्टर पहले इनसे दो-चार सौ रुपये फीस वसूल लेते हैं, उसके बाद एंटीबॉयटिक समेत चार-पांच दवाओं का पर्चा पकड़ा देते हैं, दवाएं कम से कम पांच दिन के लिए लिखी जाती हैं, बाजार से इन्हें खरीदने में तीन-चार सौ का खर्च मामूली बात है। गांव-देहात में फर्जी डॉक्टरों की तो गंदगी जनित बीमारियों में खूब चांदी कटती है, उल्टी-डायरिया की शिकायत में ये तुरंत ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने लगते हैं, मरीज एक-दो दिन टिक गया तो हजार-दो हजार की वसूली हो जाती है। इलाज गलत होने पर मरीजों की जान पर आफत आ जाती है। ऐसे में आनन-फानन उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है।

सरकारी अस्पतालों की हालत यह है कि इनका अधिकांश पैसा संक्रामक रोगों की दवाओं को खरीदने में जाता है, हालांकि यहां सर्दी-जुकाम की सिरप, बुखार की गोली, चर्म रोगों के लिए मरहम-पट्टी की ही खरीद हो पाती है। एंटीबॉयटिक खरीदने को फंड ही नहीं बचता। बिहार की विडंबना यह है कि उसकी बड़ी आबादी गरीबों की है। गांवों मेंं खेतीबारी कर गुजर-बसर करना मजबूरी है। सूबे में उद्योग-धंधे का जाल न होने से मजदूरी कर परिवार का पेट भरने को लोग दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। वहां गंदी बस्तियों में रहने पर संक्रामक रोगों का शिकार होकर घर लौटते हैं। इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में शरण लेना इनकी मजबूरी हो जाती है, जबकि इन अस्पतालों में चिकित्सकीय सुविधाएं सीमित हैं। अफसोसजनक यह है कि पर्याप्त समय रहने के बावजूद सरकारी डॉक्टर इन्हें साफ-सफाई से रहने की सलाह नहीं देते, अस्पताल का नर्सिंग स्टॉफ भी रुचि नहीं लेता है। निजी प्रैक्टिस में लगे डॉक्टरों से तो मरीजों को सफाई का पाठ पढ़ाने की उम्मीद करना इसलिए बेकार है, क्योंकि लोग बीमार नहीं पड़ेंगे तो इनकी दुकान बंद हो जाएगी। शहर और गांवों में घर-घर सफाई की जानकारी देने में बड़ी भूमिका मुखिया, पंचायत सदस्य, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाएं, सामाजिक संस्थाएं और स्कूली शिक्षक बखूबी निभा सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को आवाज बुलंद करनी होगी। बिहार के लिए यह गौरव की बात है कि यहां विद्या बालन जैसी नामी फिल्मी हस्ती स्वच्छता की अलख जगाने को समय दे रही हैं, परंतु साफ-सफाई को आदत में शुमार करने के लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। बेहतर होगा कि शहरों में इसकी अगुवाई पटना से हो, क्योंकि स्वच्छता के बिना मेट्रो सिटी बनने पर भी राजधानी की सूरत बिगड़ी नजर आएगी।

[स्थानीय संपादकीय: बिहार]

Edited By: Bhupendra Singh

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प्रस्तावना : साफ-सफाई हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह हमारे जीवन की प्राथमिकता भी है। स्वच्छता जरूरी है क्योंकि साफ-सफाई से हम जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।

स्वच्छता का अर्थ है सफाई से रहने की आदत। सफाई से रहने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं स्वच्छता तन और मन दोनों की खुशी के लिए आवश्यक है। स्वच्छता, सभी लोगों को अपनी दिनचर्या में अवश्य ही शामिल करना चाहिए।

महात्मा गांधी ने कहा था- 'स्वच्छता ही सेवा है। हमारे देश के लिए, हमारे जीवन में स्वच्छता की बहुत जरूरत है। गंदगी हमारे आसपास के वातावरण और जीवन को प्रभावित करती है। हमें व्यक्तिगत व आसपास भी सफाई अवश्य रखनी चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

स्वच्छता का महत्व- अभी कोरोना काल में रोगियों की बढ़ती जनसंख्या एवं अस्पतालों में साफ-सफाई को ध्यान देने की आवश्यकता से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि जीवन में स्वच्छता की कितनी जरूरत है।


जीवन में स्वच्छता से तात्पर्य स्वस्थ होने की अवस्था से भी है। स्वच्छता एक अच्छी आदत है जो हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारे लिए शरीर की भी स्वच्छता बहुत जरूरी है, जैसे रोज नहाना, स्वच्छ कपड़े पहनना, दांतों की सफाई करना, नाखून काटना, आदि। इसके लिए हमें प्रतिदिन सुबह जैसे ही हम सोकर उठते हैं, अपने दांतों को साफ करना चाहिए। चेहरा, हाथ पैर धोना चाहिए। साथ ही स्नानादि और दैनिक क्रियाओं को समय पर पूर्ण करना चाहिए।

स्वस्थ रहने और शांति से जीवन जीने का अच्छा गुण है। इसके लिए घर के बड़े-बुजुर्गों को और माता-पिता और को अपने बच्चों में इस आदत को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि वे स्वच्छता के महत्व को समझें।

स्वच्छ भारत अभियान-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145वीं जयंती पर चलाया गया एक महत्वपूर्ण अभियान है। यह अभियान नई दिल्ली के राजघाट से शुरू किया गया था। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है और भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत कई योजनाएं शामिल की गई है, जिसमें ग्रामीणों के घरों में शौचालाय निर्माण प्रमुख हैं, जिससे लोग आस पास की स्वच्छता का महत्व समझेंगे और वातावरण को स्वच्छ रखेंगे।

स्वच्छता को लेकर महात्मा गांधी के विचार

1. महात्मा गांधी ने कहा था कि राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है।

2. यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है।

3. बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गांवों को आदर्श बनाया जा सकता है।

4. शौचालय को अपने ड्रॉइंग रूम की तरह साफ रखना जरूरी है।

5. नदियों को साफ रखकर हम अपनी सभ्यता को जिंदा रख सकते हैं।

6. अपने अंदर की स्वच्छता पहली चीज है जिसे पढ़ाया जाना चाहिए। बाकी बातें इसके बाद होनी चाहिए।

7. हर किसी एक को अपना कूड़ा खुद साफ करना चाहिए।

8. मैं किसी को गंदे पैर के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।

9. अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ कर देता है।

10. स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए।


प्लास्टिक बंद और वृक्षारोपण- प्लास्टिक मानव जीवन में लगातार जहर घोल रहा है। मानव सुबह से लेकर शाम तक प्लास्टिक का उपयोग करता है। जिसे मानव वरदान की तरह समझता है दरअसल वह पर्यावरण, पशु और हम सभी के लिए बहुत घातक है। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत ही आवश्यक है। अत: प्लास्टिक बंद का आह्वान कर कई कड़े कानून बनाए गए। यह भी स्वच्छता के प्रति एक अच्छा सराहनीय कदम है। वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने चाहिए।

* गंदगी से कई तरह की बीमारियां पैदा होती है जो मानव के विकास में बाधा डालती है। अत: स्वच्छता हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्वच्छता को अपना कर ही हम बीमारियों को खत्म कर सकते हैं। हमें अपने घर के अलावा आसपास की स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।

* स्वच्छता को बनाए रखने के लिए हमें इधर-उधर कचरा नहीं भेजना चाहिए। कचरा हमेशा कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए। कहा भी गया है अत: स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है। अत: स्वच्छता को अपनाएं और देश को आगे बढ़ाएं। बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गांव को आदर्श बनाया जा सकता है। अत: स्वच्छता के लिए दूसरों को भी प्रेरित करें।

सफाई से क्या लाभ होता है?

Explanation:.
वातावरण स्वच्छ रहेगा।.
बीमारिया नही आएँगी।.
कीटाणु नही पैदा होंगे।.
आप बीमार नही होंगे।.
प्रदूषण कम होगा।.

साफ सफाई का क्या महत्व है?

स्वच्छता एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये साफ-सफाई बेहद जरुरी है। अपने आसपास के क्षेत्रों और पर्यावरण की सफाई सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिये बहुत जरुरी है।

पर्यावरण को साफ रखना क्यों आवश्यक है?

बीमारी को कम करने के लिए और प्रदूषित को कम करने हेतु वातावरण को साफ रखना अति आवश्यक होता है। जिससे कि मात्र मच्छर एवं रोगाणु पैदा नहीं होगी, वह बीमारियां कम होने लगेगी। हमें पर्यावरण को साफ रखना अति आवश्यक है, हमें अपने आसपास की वस्तुओं को साफ रखें और गंदगी को ना आने दे।