साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी है इसकी सबसे बड़ी पहचान यहां है कि वहां बिल्कुल निडर और बेखौफ होती है साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है की इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है। और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी से मिलता है ।अड़ोस पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीवो का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना ना तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और ना ही अपनी चाल को पड़ोसी की चाल देखकर मध्यम बनाते हैं। कहा भी गया है कि शेर शुर शायर और सपूत किसी के द्वारा बनाई गई लिख पर नहीं चलते भी अपना पक्ष खुद ढूंढ निकालते हैं। पुरुष अपना पंथ स्वयं गड़ता है यह बात हिम्मत वालों के लिए ही तो कही गई है। अरे आप में हिम्मत ही नहीं है तो जिंदगी किस काम की? पराजित जिंदगी भी कोई जिंदगी होती है? इसलिए मत करो अपना मार्ग खुद बनाओ और जिंदगी को जिओ । Show
Answer: Que : अनुच्छेद का सार लिखिए : भारत में अतिथि सत्कार की एक अद्भुत और गौरवमई परंपरा रही है। इतिहास साक्षी रहा है कि अतिथि प्राण से भी प्यारे होते हैं। साधु न भूखा जाए यहां का ग्रहण संस्कार मंत्र रहा है। गृह स्वामिनी द्वार पर आए अतिथि को अपना पेट काटकर भी खिलाती है उनके हृदय की विशालता और उदारता भारत की धरोहर है। अतिथियों को यहां देवता माना गया है। अतिथि देवो भव यहां का जीवन मंत्र है। अतिथियों की जूठन के कारण गृह स्वामिनी के लिए गंगा के पवित्र जलकन है और उनके चरणों की धूलि मस्तिष्क पर धारण करने के पवित्र रजकन है। भारत का गांव- गांव झोपड़ी और झोपड़ी में निवास करने वाले जन- जन इस आदमी भावों से भरे पूरे हैं! वह इस परंपरा की अवहेलना नहीं करते भूखे रहकर भी अपने अतिथि को संतुष्ट करते हैं। भारतीय चरित्र की विशालता और उदारता विश्व में अकेली परंपरा है। निर्देश: साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीवन का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है। साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, पर वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। अर्नाल्ड बेनेट ने एक जगह लिखा है कि जो आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं ले सका, जिंदगी की चुनौती को कबूल नहीं कर सका, वह सुखी नहीं हो सकता। T20 World Cup: विराट कोहली अपने पुराने अवतार में लौट चुके हैं। वह लगातार बड़ी पारियां खेल रहे हैं और खेलने का अंदाज, वही पुराना, क्लासिक! 33 साल के विराट एकबार फिर से मैदान के चारों ओर तमाम वैसे शॉट खेल रहे हैं जो क्रिकेट के बाइबिल में लिखा है, बल्कि इसमें उन्होंने कुछ इजाफा भी किया है, शायद। यकीन न हो तो टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेली उनकी पारी को फिर से देखिए। पाकिस्तान के खिलाफ मैच के आखिरी पलों में उन्होंने पिच की गहराई से बिना पैर हिलाए जिस तरह से स्ट्रेट में साइट स्क्रीन के पार छक्का लगाया वह अनोखा था, क्रिकेट के बाइबिल में एक नया चैप्टर जोड़ने लायक। यही वजह है कि पूर्व भारतीय कप्तान की लाजवाब पारी से ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज और पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल खासे प्रभावित हो गए उन्होंने कोहली को अपने समय का सबसे संपूर्ण भारतीय बल्लेबाज करार दिया। विराट जैसा पहले कोई नहीं कर पाया- चैपलImage Source : GETTYविराट कोहली कोहली ने पाकिस्तान के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में 53 गेंदों पर नाबाद 82 रन की पारी खेली और भारत को रोमांचक जीत दिलाई। चैपल ने कोहली की पारी को ‘ईश्वर का गीत’ की संज्ञा देते हुए कहा, ‘‘बल्लेबाजी की कला से समझौता किए बिना जिस तरह से पिछले रविवार को कोहली ने अपने विरोधियों को निर्ममता से चारों खाने चित किया वैसा पहले कभी कोई बल्लेबाज नहीं कर पाया था।’’ विराट मेरे समय के सबसे कंप्लीट भारतीय बल्लेबाज- चैपलविराट कोहली चैपल ने ऑस्ट्रेलिया के अखबार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड में अपने कॉलम में लिखा, ‘‘कोहली मेरे समय के सबसे संपूर्ण भारतीय बल्लेबाज हैं। केवल महानतम चैंपियनों के पास अपनी कल्पना को अनंत तक ले जाने का साहस और बुद्धिमत्ता होती है। कोहली के पास वह है। इस मामले में शायद सिर्फ टाइगर पटौदी ही उनके करीब नजर आते हैं।’’ विराट की पारी थी ‘ईश्वर का गीत’- चैपलImage Source : GETTYविराट कोहली चैपल ने आगे लिखा, ‘‘कोहली ने एक ऐसी पारी खेली जो 'ईश्वर के गीत' के करीब थी जैसी टी20 क्रिकेट में कभी नहीं खेली गई। ऊन के नए छल्ले के साथ खेलने वाली बिल्ली की तरह कोहली ने पहले उन्हें परेशान किया और फिर पाकिस्तानी गेंदबाजी आक्रमण को बिखेर कर दिया।’’ कोहली की पारी ने टी20 को बनाया वैध- चैपलपूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने आगे कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ कोहली की पारी ने टी20 क्रिकेट को भी लीगल बना दिया। अब खेल के इस फॉर्मेट को सिर्फ मनोरंजन का नाम बताकर खारिज नहीं किया जा सकता। ग्रेग चैपल ने विराट कोहली की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए कहा, ‘‘ यह ऐसी पारी थी जिसमें बल्लेबाजी की कला भी देखने को मिली। मैंने जितनी क्रिकेट देखी है ऐसा कोई नहीं कर पाया।’’ तेंदुलकर-कोहली की तुलना पर लगेगा विराम?चैपल के जीवनकाल में, सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे बल्लेबाज अपना जौहर दिखा चुके हैं। तेंदुलकर को तो ‘क्रिकेट का भगवान’ माना जाता है। लंबे वक्त से सचिन और विराट की तुलना भी की जाती रही है। लेकिन ग्रेग चैपल ने अपनी राय जाहिर करके इस तुलना को कुछ हद तक विराम देने की कोशिश की है। उन्होंने कोहली को तेंदुलकर-गावस्कर की रेस से अलग एक अलग लीग में बताया है जहां वह उस सबसे ऊपर एक नई ऊंचाई पर खड़े हैं। Latest Cricket News India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Cricket News in Hindi के लिए क्लिक करें खेल सेक्शन साहस की ज़िन्दगी सबसे बड़ी क्या होती है?निर्देश: साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
साहसी मनुष्य की पहचान क्या है?साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं ? जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है।
जन्नत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली क्या होता है?उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार जन्नत की उपेक्षा करने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है।
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