समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान Show
समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान Legal provisions of inclusive education 1 . उपयुक्त सरकारी तथा स्थानीय अधिकारी। 2 . शारीरिक रूप से बाधित प्रत्येक बालक जब तक वह 18 वर्ष तक हो उसके उपयुक्त वातावरण में निशुल्क शिक्षा तथा शिक्षा संस्थान में प्रवेश को सुनिश्चित करेंगे। 3 . सामान्य स्कूलों में बाधित तथा सामान्य बालकों में समन्वय के प्रयास करेंगे। 4. समावेशी शिक्षा संस्थान सरकारी अथवा गैर सरकारी क्षेत्रों में स्थापित कराने पर बल देंगे जिससे भारत देश के किसी भी भाग में रहने वाला बाधित बालक स्कूल में प्रवेश पा सकेंगे। 5. शारीरिक बाधित बालकों के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण के साधन विशिष्ट शिक्षा संस्थाओं को उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। 6. उपयुक्त सरकारी तथा स्थानीय अधिकारी सरकारी विज्ञापन के माध्यम से विशेष कार्यों के लिए योजना बनाएंगे। 7. शारीरिक रूप से बाधित बालक जो कक्षा 5 तक किसी शिक्षा संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं अथवा जो किसी कारणवश पूर्णकालिक रूप से शिक्षा लेने में असमर्थ है। ऐसे बालकों के लिए अंशकालिक शिक्षा की व्यवस्था करना। 8. 16 वर्ष अथवा इससे अधिक आयु के बालकों के लिए व्यावहारिक साक्षरता उपलब्ध कराने हेतु विशिष्ट अंशकालिक कक्षाओं की व्यवस्था करना। 9. पिछड़े हुए क्षेत्रों में उपलब्ध मानव संसाधन का प्रयोग तथा उनका उपयुक्त अभिविन्यास करके नियमानुसार शिक्षा देने का प्रबंध करना। 10. मुक्त विद्यालय अथवा मुक्त विश्वविद्यालय के माध्यम से शिक्षा उपलब्ध कराना। 11. इलेक्ट्रॉनिक अथवा किसी अन्य माध्यम द्वारा कक्षाओं तथा विचार-विमर्श उपलब्ध कराना। 12. प्रत्येक अपंग बालक को किसी शिक्षा हेतु आवश्यक विशिष्ट पुस्तकें तथा उपकरण निशुल्क उपलब्ध कराना। 13. उपयुक्त सरकारी अपंग बालकों की विशिष्ट शिक्षा के लिए सरकारी अथवा गैर सरकारी, संस्थाओं की सहायता, विशिष्ट शिक्षा, उपकरण, संसाधन, सामग्री आदि तथा क्षेत्र में अन्वेषण हेतु शिक्षाविदों तथा विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत विशेषज्ञों की सहायता लेना। 14. उपयुक्त सरकारी, आवश्यकतानुसार संस्था में शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करना तथा राष्ट्रीय तथा अन्य गैर सरकारी संस्थाओं की शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहायता करना, जिसमें प्रशिक्षित शिक्षक, अपंग बालकों की शिक्षा के लिए, विशिष्ट स्कूलों तथा समन्वित शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध हों। 15. उपयुक्त सरकारी संस्थान एक विज्ञापन द्वारा विस्तृत शिक्षा योजना बनाएगा जिसके अंतर्गत अपंग बालकों हेतु प्रावधान बनाए जाएंगे। 16. स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने हेतु शारीरिक दोष युक्त बालकों के लिए यातायात सुविधा या ऐसे बालक ओं के माता-पिता अथवा संरक्षक को आर्थिक भत्ता देना। 17. व्यवसायिक प्रशिक्षण देने वाली स्कूल कॉलेज या अन्य संस्थाओं से प्रवेश संबंधी बाधाओं को हटाना। 18. स्कूल में उपस्थित बाधित बालकों को यूनिफार्म पुस्तकें तथा अन्य सामग्री का वितरण करना। 19. शारीरिक रूप से बाधित बालकों के लिए छात्रवृत्ति। 20. एक उपयुक्त समिति का गठन करना जो अपंग बालकों के माता-पिता अथवा संरक्षकों कि उनके बालकों के स्थापन हेतु कठिनाइयों को दूर कर सके। 21. पूर्ण दृष्टि बाधित अथवा कम दृष्टिबाधित छात्रों के लाभ हेतु परीक्षण व्यवस्था में उपयुक्त परिवर्तन करना, जैसे पूर्णतया गणित पर आधारित प्रश्न। 22. अपंग बालकों के लाभ पाठ्यक्रम में उपयुक्त परिवर्तन करना तथा उनका अनुकूलन करना। 23. श्रवण बाधित बालकों की सुविधा के लिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन जैसे केवल एक भाषा का पढ़ाया जाना। 24. सभी शिक्षा संस्थाएं अंधे छात्रों या दृष्टिबाधित छात्रों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। कक्षा कक्ष में विभिन्नताओं की अवस्थाएं शारीरिक रूप से बाधित बालकों के लिए विशिष्ट शिक्षा के विभिन्न प्रकार हैं। उनमें से निम्न सात प्रकार के स्तर उल्लेखनीय हैं 1. एकीकरण की प्रथम श्रेणी सामान्य शिक्षा संस्था पूर्णकालिक एकीकरण है। अध्यापक पूरे समय सामान्य कक्षा में अपंग बालकों को शिक्षा देता है। आवश्यकतानुसार विशेषज्ञों शिक्षाविदों की सहायता ली जाती है। 2. ऐसे बालकों की द्वितीय श्रेणी में छात्र सामान्य कक्षाओं में नियमित उपस्थित रहते हैं लेकिन कुछ कक्षाएं विशिष्ट कक्षाओं की वजह से निलंबित कर दी जाती हैं। 3. विशिष्ट कक्षा में अपंग बालकों को तृतीय श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है, परंतु छात्रों को नियमित अपनी उपस्थिति सामान्य कक्षाओं में देनी पड़ती है। इस प्रकार वह सामान्य शिक्षा संस्थाओं में क्रियाकलापों में व्यस्त रहते हैं। 4. आवासीय शिक्षण संस्थाओं को चतुर्थ श्रेणी में शामिल किया जाता है। 5. पंचम श्रेणी स्तर एकीकरण को सम्मिलित करता है। इस स्थिति में अपंग बालकों को सामान्य बालकों के साथ रखा जाता है। उनका शैक्षिक तथा अन्य प्रकार के कार्य क्षेत्र में आपसी सहयोग और सामंजस्य सुनिश्चित किया जा सके। 6. छठवीं श्रेणी में सामान्य कक्षाओं में शिक्षण के साथ आवासीय स्थान पर शिक्षण तथा घरेलू कार्यक्रम को शामिल किया जाता है। 7. एकीकरण की सातवीं श्रेणी के अंतर्गत चिकित्सालय तथा उच्च कार्यस्थल आदि में लघु कालिख शिक्षण की व्यवस्था करना। मुख्यपृष्ठB.ed 4th SemesterConstitutional provision for inclusive education (समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान) शुक्रवार, अक्तूबर 01, 2021 समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान: सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009; स्कूलों में शामिल करने के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाएं; संसाधन कक्ष- अवधारणा और आवश्यक सामग्री Constitutional provision for inclusion in education: Sarva Shiksha Abhiyan and right to education act, 2009; infrastructural facilities required for inclusion in schools; resource room: concept and material required Table of Content(toc) समावेशी शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान (Constitutional provision for inclusive education)1. सर्व शिक्षा अभियानसर्व शिक्षा अभियान की आवश्यकता
सर्व शिक्षा अभियान के कार्यक्रम या लक्ष्य
सर्व शिक्षा अभियान की उपलब्धियां
2. शिक्षा का अधिकार नियम 2009शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की आवश्यकता
अधिनियम के तहत विद्यालय का उत्तरदायित्व
3. विद्यालयों में समावेशन के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं
समावेशी शिक्षा और प्रयुक्त पर्यावरण के लिए 8 लक्ष्य
4. संसाधन कक्ष (Resource Room)संसाधन कक्षों के प्रकार
एक अच्छे संसाधन कक्ष के गुण
संसाधन कक्ष में आवश्यक सामग्री
संसाधन कक्ष शिक्षक
B.ed Semester 4 भारत में शिक्षा के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?वर्ष 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग- III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल किया गया। इसे अनुच्छेद 21A के अंतर्गत शामिल किया गया, जिसने 6-14 वर्ष के बच्चों के लिये शिक्षा के अधिकार को एक मौलिक अधिकार बना दिया। इसने एक अनुवर्ती कानून शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का प्रावधान किया।
मुख्य संवैधानिक प्रावधान क्या है?संवैधानिक प्रावधान संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है {संविधान का अनुच्छेद 343 (1)} । परन्तु हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है।
समावेशी शिक्षा के लिए क्या जरूरी है?दूसरे शब्दों में, समावेशी शिक्षा विशिष्ट आवश्यकता वाले बालकों को सामान्य बालकों से अलग शिक्षा देने की विरोधी है। शिक्षा का समावेशीकरण यह बताता है कि विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक दिव्यांग को समान शिक्षा प्राप्ति के अवसर मिलने चाहिए।
समावेशी शिक्षा से क्या अभिप्राय है इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए?समावेशी शिक्षा ऐसी शिक्षा है जिसके अन्तर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक तथा सामान्य बालक साथ-साथ सामान्य कक्षा में शिक्षा ग्रहण करते हैं। अपंग बालकों को कुछ अधिक सहायता प्रदान की जाती है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा अपंग बालकों के पृथक्कीकरण के विरोधी व्यावहारिक समाधान है।
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