सांप को छूने से क्या होता है? - saamp ko chhoone se kya hota hai?

सांप का जहर उतारने में कारगर उपाय

सांप को छूने से क्या होता है? - saamp ko chhoone se kya hota hai?

-द्रोणपुष्पी

द्रोणपुष्पी पौधे को आपने जरूर देखा होगा, ये अकसर जंगली इलाकों में या सड़क के किनारे आसानी से लगा हुआ दिख जाता है। ये एक प्रकार का खरपतवार है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे गुम्मा नाम से भी जाना जाता है। अगर किसी को सांप काट लें तो द्रोणपुष्पी का सवरस निकाल कर रोगी को पिला देने से रोगी का जहर सिर्फ दस मिनट में उतर जाता है। सबरस का मतलब होता है इसके सम्पूर्ण पौधे का रस।

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-बिना बुझा चूना

सांप के काटे हुए व्यक्ति को सबसे पहले दंश वाले स्थान पर प्लस के आकार का एक कट लगा दें। उसके बाद बिना बुझे हुए चूने को बारीक पीस कर उस स्थान पर लगा दें और उसपर एक से दो बूद पानी भी डाल दें। ऐसा करने से चूना सांप के जहर को खींच लेगा और रोगी को तकलीफ में राहत मिलेगी।

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-मोर पंख

मोर पंख को जहरीले से जहरीले सांप के काटने पर रामबाण बताया गया है। इसके लिए सांप काटने पर आपको मोर के पंख के आँख वाले भाग को काटकर उसे अच्छी तरह से पीस कर पानी के साथ पिलाने से सांप का जहर खत्म हो जाता है।

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-गिलोय का पौधा

सांप काटने से पीड़ित व्यक्ति को गिलोय की जड़ का रस निकाल कर पिलाने से सांप का जहर उतर जाता है। कभी -कभी सांप के काटे हुए व्यक्ति का शरीर नीला पड़ जाता है, उस स्थिति में गिलोय के रस को रोगी के कान ,आँख और नाक में डालना चाहिए। इससे तुरंत लाभ मिलता है।

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नोटः इस बात को अवश्य जान लें कि, ये सभी प्राथमिक उपचार हैं। उपचार के करने के फौरन बाद चिकित्सक को ज़रूर दिखाएं ताकि, किसी तरह का संदेह ना रहे।

धनबाद(झारखंड)। बरसात के शुरू होते ही जगह-जगह सांपों के काटने की घटना ज्यादा होने लगती है। कई बार लोगों को समझ ही नहीं आता कि किस सांप ने काटा है और डर से ही उनकी तबियत ज्यादा खराब हो जाती है। स्नैक सेवर सुब्रतो दे उर्फ बापी दा कहते हैं कि सांप काटे तो बिना घबराए सीधे हॉस्पिटल जाना चाहिए। हर सांप के काटने का अलग-अलग लक्षण होता है। इसके बारे में यदि आपको पता है तो आपकी जान भी बाख सकती है। बिस्तर पर ही क्यों काटता है करैत...

-बप्पी दा के अनुसार ज्यादातर करैत प्रजाति के सांप लोगों को बिस्तर पर ही काटते हैं। करैत को इंसान की गर्मी काफी पसंद है। इसलिए वो लोगों के बिस्तर में घुस जाता है। बिस्तर में थोड़ी हलचल होने पर वो लोगों को डस लेता है।

-झारखंड के चक्रधरपुर के मनोहरपुर व आनंदपुर के इलाकों में सांपों का आतंक है। पिछले कुछ दिनों से इस इलाके में सर्पदंश की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

-मनोहरपुर व आनंदपुर इलाके में सालाना औसतन 35 लोगों को सांप डंसते हैं। इसमें 12-13 लोगों की मौत समय पर इलाज नहीं हो पाने, एंटी स्नेक वेनम नहीं मिलने से हो जाती है। इस प्रकार ग्रामीण असमय मौत के गाल में समा जाते हैं।

सांप के डंसने के बाद इस प्रकार बरतें सावधानी

-खुद को सुरक्षित रखते हुए सांप की प्रजाति का पता करें। जूते पहने हो तो उतार दें, सुविधाजनक कपड़े ही पहनें।

-जख्म पर पट्टी बांध दें। पट्टी के लिए पेड़ की छाल, अखबार का टुकड़ा, स्लीपिंग बैग या बैकपैक फ्रेम का इस्तेमाल करें

-जख्म से छेड़छाड़ ना करें, पट्टी बांधने के बाद नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। मरीज को चलने ना दें, क्योंकि मांसपेशियों की रगड़ से जहर तेजी से फैलता है।

आगे की स्लाइड्स में देखिए किस सांप के काटने पर क्या दिखता है शरीर में लक्षण...

सांप को छूने से क्या होता है? - saamp ko chhoone se kya hota hai?
दुर्घटनाएं और प्राथमिक उपचार

  • डूबना
  • गंभीर विषाक्तता
  • हिमदाह
  • बिच्छू का डंक

  • जलना और झुलसना
  • बिजली का झटका
  • हिमघात
  • सांप का काटना

  • सड़क दुर्घटनाएं
  • बिजली की गाज
  • लू लगना (उष्माघात)
  • सांप के काटने के लक्षण और इलाज

  • खेतों में खतरे
  • ऊँचाई से होने वाली तकलीफ
  • दुर्घटनाओं में प्राथमिक उपचार
  • सर्पदंश (लघुलेख)

सांप के काटने के लक्षण और इलाज

ज़हरीले सांपों के काटने पर दांतों के दो निशान अलग ही दिखाई देते हैं। गैर विषैले सॉंप के काटने पर दो से ज्यादा निशान होते है। मगर यह निशान न दिखने से सॉंप नहीं काटा है, ऐसा सोचना गलत है। सॉंप विषके अन्य असर ज़हर के प्रकार और सांप के काटने के बाद बीते समय पर निर्भर करते हैं।

तंत्रिका तंत्र के असर

न्यूरो जीवविष से पलकें भारी होने लगती हैं – करीब ९५ प्रतिशत मामलों में यह सांप के काटने का पहला लक्षण होता है। इस लिए नींद आना सबसे पहला लक्षण होता है। इसके बाद निगलने और सांस लेने में मुश्किल होनी शुरु हो जाती है। सांस की दर नापने का तरीका एक उपयोगी तरीका है। (आहत व्यक्ति से कहना कि वो एक बार के सांस लेकर उंगलियों पर गिने) अगर हर अगली सांस के साथ गिनती कम और कम होती जाए तो इसका अर्थ है कि सांस लेने की क्षमता पर असर हो रहा है। अगर डंक जहरीला हो तब असर ज़्यादा से ज़्यादा १५ घंटों में दिखने लगता है। लेकिन सबसे पहले असर कुछ मिनटों में दिखाई देना शुरु हो सकता है। पर आमतौर पर यह असर आधे घंटे के बाद ही दिखना शुरु होता है।

खून के जीवविष के लक्षण

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जहरीला साप कांटने पर दॉंतों के दो निशान होते है,
ज्यादा निशान हो तो समझे की सांप जहरीला नहीं

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जहरीले सांप के डंक से या तो पलके झपकने लगती है,
या मसुडों से खून रिसने लगता है|

रक्त के कारण डंकसे और मसूड़ों और फिर अन्य जगहों से खून बहना शुरु हो जाता है। मसूड़ों से खून आना सबसे आम लक्षण है जो कि करीब ९५ प्रतिशत मामलों में दिखाई देता है। आमतौरपर लक्षण एक घंटे के अंदर अंदर दिखाई देने लगते हैं। ज़्यादातर असर २४ घंटों में दिखने लगते हैं। मैंने एक अपवाद भी देखा है जिसमें काटने के करीब तीन दिन बाद पेशाब में खून आना शुरु हुआ। शायद ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डंकमें ज़हर की मात्रा कम गई थी। दोनों तरह के ज़हरीले सांप द्वारा काटने पर काटे जाने वाली जगह के ऊतकों में ऊतकक्षय होने और फिर उससे होने वाले ज़ख्मों का सड़ने लगना आम है। पर ऐसा वाइपर के काटने पर ज़्यादा होता है।

हृदयविष के लक्षण

हृदयविष से तुरंत दिल पर असर होता है। इससे हार्ट फेल होकर कुछ ही मिनटों में मृत्यु हो जाती है।

सांप के काटने पर इलाज के प्रचलित लोकपरंपरागत तरीके

सांप के काटने के इलाज के लिए कई सारे स्थानीय परंपरागत उपाय किये जाते हैं। सभी जहरीले सॉंप के विष के प्रति विफल है, मगर मरीज को थोडी तसन्नी देते है| इनपर समय व्यर्थ जाया न करे।

  • कुछ लोग एक खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल करते हैं जिसे सांप पत्थर कहा जाता है। इससे कोई फायदा नहीं होता।
  • सबसे आमतौर पर लोग आहत व्यक्ति को कुछ घंटों के लिए मंदिर में रखते हैं। ८० प्रतिशत से ज़्यादा बार जो सांप का काटना ज़हरीला नहीं होता, इसलिए ज़्यादातर लोगों तो वैसे भी ठीक हो ही जाते हैं। लेकिन यह तरीका गलत है। मंदिर ले जाना इतनाही उपयोगी है क्योंकि इससे आहत व्यक्ति को थोड़ा सा दिलासा मिल जाता है। क्योंकि ज़्यादातर मामलों में आहत व्यक्ति की मौत तो डर के ही कारण होती है।
  • सांप डसनेके ऐसे उपचार के तरीकों की कड़ी जांच करने की ज़रूरत है। क्योंकि सांप के काटने पर खतरा बहुत ही ज़्यादा होता है। सांप के काटने पर किसी भी तरह का जादुई इलाज भरोसेमंद नहीं होता है। सांप पालने वाले लोगों की भी सांप के काटने से मौत होने की बहत सी रिपोर्ट मौजूद हैं।
  • एक परंपरागत तरीका सांप के काटे वाली जगह पर चूज़ा लगाने का भी है। चूज़े की गुदा काटे वाली जगह पर लगाया जाता है। इसके लिए पहले काटे वाली जगह और चूज़े की गुदा दोनों पर कट लगाया जाता है। शायद चूज़े की गुदा आहत व्यक्ति के शरीर में से ज़हर खींच लेती है। ज़हर चूसने के बाद चूज़ा मर जाता है। इसके बाद दूसरे चूज़े का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह तरीका अब त्यागना चाहिये। न उससे जान बचेगी ना चूजे! वैसे पट्टियों का इस्तेमाल करके पैर को बांध देना मानक प्राथमिक उपचार है।

सांप के डंक के लिये प्राथमिक उपचार

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कुछ देशों में जहरीला सांप काटने पर उस अंग को इलॅस्टिक पट्टी
बांध देते है, लेकिन इसका खास उपयोग नहीं

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कुछ देशों में जहरीला सांप काटने पर उस अंग को इलॅस्टिक पट्टी
बांध देते है, लेकिन इसका खास उपयोग नहीं

हमें उपलब्ध सुविधाओं, आहत व्यक्ति की हालत और परिस्थिति से निपटने की अपनी तैयारी के अनुसार ही प्राथमिक उपचार के तरीके ढूंढने होते हैं। कुछ बुनियादी उपाय यह हैं –

  • कुछ लोग एक खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल करते हैं जिसे सांप पत्थर कहा जाता है। इससे कोई फायदा नहीं होता।
  • आहत व्यक्ति को दिलासा दिलाएं और घटना के तथ्य पता करें।
  • गीले कपडेसे डंक की जगहकी चमडी पोछ ले, लेकिन दवाऍ नही। पोछनेसे सांप का वहॉं पडा विष निकाला जाएगा।
  • घायलको करवटपर सुलाएँ, जिससे उलटी हो तब भी श्वसन-तंत्र में न चली जाएँ।
  • पैर या हाथपर जहॉं डंक हो एक खपच्ची बांध दें ताकि उसका हिलना डुलना बंद हो जाए। इससे उस भाग में संचरण कमद हो जाता है।
  • शरीर का उंचवाला अंग हृदयकी अपेक्षा नीचे के स्तर पर रखे इससे विष संचरणमें आनेसे बचाव होगा।
  • अगर काटने में ज़हर हो तो उसके लक्षणों की भी जॉंच करें। अक्सर जिस सांप ने काटा है वो नुकसान रहित होता है।
  • टूर्निके का इस्तेमाल नहीं करें। इससे पैर में से काटे हुए स्थान से खून निकल सकता है और इससे पैर काला भी पड़ सकता है (कोथ)। काटी हुई जगह पर कट न लगाएं। दबा कर ज़हर निकालने के लिए पहले ऐसा किया जाता था। यह तरीका काम तो करता नहीं है पर इससे काटे हुए स्थान पर संक्रमण होने की संभावना ज़रूर बढ़ जाती है।
  • जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाएं।

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रस्सी बांधना या ब्लेड से काटना असल में हानीकारक है

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रस्सी बांधना या ब्लेड से काटना असल में हानीकारक है

ये न करे

  • डंक की जगह काटना, चूसना, दबाना बिल्कुल न करे।
  • डोरी कसकर बांधना बिल्कुल न करे। ईससे जादा खून बहकर खतरा संभव है।
  • प्रेशर पट्टी बांधना जरुरी या उपयोगी नही।

प्राथमिक उपचार में दवाएँ

अक्सर काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि आसपास कोई अच्छा इलाज का केन्द्र है या नहीं। अगर मस्तिष्क के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो निओस्टिगमाइन और एट्रोपिन के इन्जैक्शन देने शुरु कर दें। इससे आप उस व्यक्ति को खतरे से बचा सकेंगे और आपको एक घंटा और का समय मिल जाएगा। एक घंटे के बाद आप ये इन्जैक्शन फिर से दे सकते हैं। प्राथमिक उपचार के रूप में ए.एस.वी. की उपयोगिता के बारे में थोड़े से सवाल हैं क्योंकि इससे घातक एनाफाईलैक्टिक क्रिया होने का खतरा होता है। इससे मौत भी हो सकती है। इसलिए इसे प्राथमिक उपचार के रूप में न प्रयोग करे|

अस्पताल में उपचार

अगर ज़हर के लक्षण हों, तो प्रति सांप ज़हर और अन्य प्रतिकारक दिए जाते हैं। अगर सांस लेने में मुश्किल होने लगी है तो जीवन बचाने वाले तरीकों की ज़रूरत पड़ेगी।

सांप ज़हर प्रतिरोधी दवा (ए.एस.वी)

ए.एस.वी. में भारत में पाए जाने वाले सभी ज़हरीले सांपों के ज़हर के विरुद्ध सीरम होता है। सांप के ज़हर को इन्जैक्शन को देकर और उनके खून में से प्रोटीन निकाल कर इसे बनाया जाता है। ए.एस.वी. एक सफेद रंग के चूर्ण के रूप में छोटी सी शीशी में मिलता है। इस्तेमाल करने से पहले इसे जीवाणु रहित किए हुए पानी में मिला लिया जाता है। इसकी तीन या उससे ज़्यादा खुराक चाहिए होती हैं। ए.एस.वी. अंत:शिरा या अंत:पेशीय ढंग से दिया जाता है। ए.एस.वी. से सांप का ज़हर कट जाता है। परन्तु अगर मस्तिष्क के केन्द्रों तक कोई ज़हर पहुँच जाए तो वो इससे नहीं कट पाता है। इसलिए ए.एस.वी. जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी देना चाहिए।

ए.एस.वी. से घातक प्रतिक्रिया भी हो सकती है

ए.एस.वी. से मौत तक हो सकती है क्योंकि यह किसी और जानवर (घोड़े) से लिया हुआ प्रोटीन होता है। यह प्रतिक्रिया कुछ कुछ पैन्सेलीन से होने वाली प्रतिक्रिया जैसी होती है। इसलिए इसका इलाज भी कुछ कुछ वैसा ही होता है। इसी प्रतिक्रिया के कारण से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए इसे देना थोड़ा खतरे वाला होता है। पर अगर ज़हरीले सांप ने ही काटा हो और कहीं से भी कोई भी मदद नहीं मिल रही हो तो ए.एस.वी. देने का खतरा उठाना ही पड़ता है। देरी होने पर मौत होने की तुलना में प्रतिक्रिया होने की संभावना कम होती है। ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ता को ज़रूर पता होना चाहिए कि ऐनाफिलेक्टिक प्रतिक्रिया का इलाज कैसे काना होता है।

सांप के काटने पर काटी हुई जगह पर होने वाला नुकसान

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कभी कभी सांप काटने की जगह
लंबे अर्से तक घॉंव बन जाते है

सभी तरह के सांप के काटने में गंभीर ऊतक क्षति (ऊतकों की मौत) होने की संभावना होती है। यह विष कोशिकाओं को बडा नुकसान पहुँचा देते हैं। एक या दो दिनों में गंभीर सूजन, दर्द, खून बहने, संयोजक ऊतिशोथ और त्वचा के काला पड़ना आदि प्रभाव दिख सकते हैं। ऐसे घाव में अल्सर भी हो जाता है और इसके ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं। नियमित रूप से घाव की देखभाल करने और प्रतिजीवाणु दवाएँ देने से फायदा होता है। करैत के काटने से ऐसे स्थानीय प्रभाव बहुत कम होते है| गॉंवों में सांप का काटना एक गंभीर दुर्घटना होती है। परन्तु गॉंव में इलाज की सुविधा नहीं के बराबर होती है। अच्छी प्राथमिक चिकित्सा अगर सही समय पर मिल जाए तो ६० से ७० प्रतिशत लोगों की जान बच सकती है।

सांप काटने के बाद कितना देर तक आदमी जिंदा रहता है?

कुछ सांप के काटने पर ब्लड पर असर होता है कुछ के काटने पर नर्वस पर। - जहां सांप ने काटा है, उसे जगह को कपड़े सा हल्का सा बांध लेना चाहिए। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डेढ़ से दो घंटे में जहर पूरी बॉडी में फैल सकता है।

सांप काटने से शरीर में क्या होता है?

यदि सर्पदंश जीवन के लिए खतरा है, तो डॉक्टर विष-रोधी दवा दे सकते हैं। हर काटने जीवन के लिए खतरा नहीं है। कभी-कभी, काटने से होने वाले नुकसान की सीमा पीड़ित की उम्र और स्वास्थ्य से तय होती है। अक्सर, सांप के काटने से होने वाले घाव को साफ, कीटाणुरहित और तुरंत इलाज किया जाता है।

सांप का जहर मनुष्य के शरीर में कैसे प्रवेश करता है?

साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं। इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुडे़ दाँत तेज तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है।

कैसे पता करें कि सांप ने काटा है?

जहरीले सांप के काटने से बॉडी में कई तरह के लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे काटने वाली जगह पर दर्द और सूजन, ऐंठन, मतली,उल्टी, अकड़न या कपकपी, एलर्जी, पलकों का गिरना,घाव के चारों ओर सूजन, जलन, लाल होना, त्वचा के रंग में बदलाव, दस्त, बुखार, पेट दर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, मांसपेशियों की कमजोरी, प्यास लगना, लो बीपी, घाव से खून ...