Formulae Handbook for Class 10 Maths and Science NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन is part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here
we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. You can also download NCERT Solution For Class 10 Science to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. इसके बावजूद कई बार ऐसी स्थितियाँ आती थीं जब उन्हें स्कूल जाना अच्छा भी लगता था। यह मौका तब आता था जब उनके पीटी सर स्काउटिंग का अभ्यास करवाते थे। वे पढ़ाई-लिखाई के स्थान पर लड़कों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे, वे वन-टू-श्री करके इन झंड़ियों को ऊपर-नीचे करवाते थे। हवा में लहराती यह झंडिया बड़ी अच्छी लगती थीं। अच्छा काम करने पर पीटी सर की शाबाशी भी मिलती थी, तब यही कठोर पीटी सर बच्चों को बड़े अच्छे लगते थे। ऐसे अवसर पर स्कूल आना अच्छा व सुखद प्रतीत होता था। प्रश्न 7. प्रश्न 8. 1. बाह्य व्यक्तित्व-पीटी सर अर्थात् प्रीतमचंद ठिगने कद के थे, उनका शरीर दुबला-पतला पर गठीला था। उनका चेहरा चेचक के दागों से भरा था। उनकी आँखें बाज की तरह तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी, चमड़े के पंजों वाले बूट पहनते थे। उनके बूटों की ऊँची एड़ियों के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। बूटों के अगले हिस्से में पंजों के नीचे मोटी सिरों वाले कील ठुके रहते थे। 2. आंतरिक व्यक्तित्व
प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11.
उत्तर- 2. मैं अपने अभिभावकों के लिए वही नियम और कायदों को अपनाऊँगा, जिनसे उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचे इसलिए मैं समय पर खेलूंगा और समय पर खेलकर वापस आऊँगा। खेलने के साथ पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दूंगा। मैं खेलने में उतना ही समय खर्च करूँगा, जितना आवश्यक होगा। अर्थात् मैं केवल वही नियम और कायदे अपनाऊँगा, जिनसे मेरे अभिभावकों को सुख-शांति मिलेगी। अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. याद नहीं कि ऐसा, पाँच-दस बार करते या पंद्रह-बीस बार करते हुए आनंदित होते। आजकल के बच्चों द्वारा ग्रीष्मावकाश पूरी तरह अलग ढंग से बिताया जाता है। अब तालाब न रहने से वहाँ नहाने का आनंद नहीं लिया जा सकता। बच्चे घर में रहकर लूडो, चेस, वीडियो गेम, कंप्यूटर पर गेम जैसे इंडोर गेम खेलते हैं। वे टीवी पर कार्टून और फ़िल्में देखकर अपना समय बिताते हैं। कुछ बच्चे माता-पिता के साथ ठंडे स्थानों या पर्वतीय स्थानों की सैर के लिए जाते हैं। प्रश्न 3. प्रीतमचंद का निलंबन उचित ही था, क्योंकि बच्चों को इस तरह फ़ारसी क्या कोई भी विषय नहीं पढ़ाया जा सकता है। शारीरिक दंड देने से बच्चों को ज्ञान नहीं दिया जा सकता है। इससे बच्चे दब्बू हो जाते हैं। उनके मन में अध्यापकों और शिक्षा के प्रति भय समा जाता है। इससे पढ़ाई में उनकी रुचि समाप्त हो जाती है। प्रश्न 4. हेडमास्टर शर्मा जी का ऐसा करना पूरी तरह उचित था, क्योंकि बच्चों के मन से शिक्षा का भय निकालने के लिए मारपीट जैसे तरीके को बच्चों से कोसों दूर रखा जाना चाहिए। मारपीट के भय से अनेक बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं तो बहुत से डरे-सहमें कक्षा में बैठे रहते हैं और पढ़ाई के नाम पर किसी तरह दिन बिताते हैं। ऐसे बच्चों के मन में अध्यापकों के सम्मान के नाम पर घृणा भर जाती है। प्रश्न 5. छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी विशेष महत्त्व है। ये खेलकूद एक ओर हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक हैं, तो दूसरी ओर सहयोग की भावना, पारस्परिकता, सामूहिकता, मेल-जोल रखने की भावना, हार-जीत को समान समझना, त्याग, प्रेम-सद्भाव जैसे जीवन-मूल्यों को उभारते हैं तथा उन्हें मजबूत बनाते हैं। इन्हीं जीवन-मूल्यों को अपना कर व्यक्ति अच्छा इनसान बनता है। More Resources for CBSE Class 10
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सपनों के से दिन पाठ में लेखक को ननिहाल जाना क्यों अच्छा लगता था?उत्तर – बचपन में लेखक को स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब मास्टर प्रीतमसिंह मुँह में सीटी ले कर लेफ्ट-राइट की आवाज़ निकालते हुए मार्च करवाया करते थे और सभी विद्यार्थी अपने छोटे-छोटे जूतों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एकदम पीछे मुड़कर जूतों की ठक-ठक करते और ऐसे घमंड के साथ चलते जैसे वे सभी विद्यार्थी न हो ...
लेखक की पढ़ाई न छूटने के पीछे क्या कारण था?1. लेखक का ऑपरेशन करने से सर्जन क्यों हिचक रहे थे? , 2. 'किताबों वाले कमरे में रहने के पीछे लेखक के मन में क्या भावना थी?
सपनों के से दिन पाठ से हमारे मन में कैसे विचार आते हैं?पाठ प्रवेश
परन्तु जब सच में बड़े हो जाते हैं, तो उसी बचपन की यादों को याद कर-करके खुश हो जाते हैं। बचपन में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो उस समय समझ में नहीं आती क्योंकि उस समय सोच का दायरा सिमित होता है। और ऐसा भी कई बार होता है कि जो बातें बचपन में बुरी लगती है वही बातें समझ आ जाने के बाद सही साबित होती हैं।
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