संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?

उत्तर: आदमी के दखल के बिना किसी भी संसाधन को उपयोगी नहीं बनाया जा सकता है। इसे समझने के लिए पेट्रोलियम का उदाहरण लेते हैं। जब लोग पेट्रोलियम के इस्तेमाल के बारे में नहीं जानते थे तब यह संसाधन नहीं था। जैसे ही आदमी ने पेट्रोलियम के इस्तेमाल के तरीके इजाद किये, यह एक संसाधन बन गया। इसलिए मानव संसाधन महत्वपूर्ण है।

(d) सततपोषणीय विकास क्या है?

उत्तर: हम जानते हैं कि अधिकतर संसाधन सीमित मात्रा में हैं। इसलिए उनका इस्तेमाल इस तरह से करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वैसे संसाधन उपलब्ध रहें। यही सततपोषणीय विकास की नीति है।

प्रश्न 2: सही उत्तर पर निशान लगाइए

(i) निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता?

उत्तर: (c) मात्रा

(ii) निम्नलिखित में से कौन सा मानव निर्मित संसाधन है?

  1. कैंसर उपचार की औषधियाँ
  2. झरने का जल
  3. उष्णकटिबंधीय वन

उत्तर: (a) कैंसर उपचार की औषधियाँ



(iii) अनीवकरणीय संसाधन .............. होते हैं।

  1. सीमित भंडार वाले
  2. मनुष्यों द्वारा निर्मित
  3. निर्जीव वस्तुओं से व्युत्पन्न

उत्तर: (a) सीमित भंडार वाले

प्रश्न 3: क्रियाकलाप

"रहिमन पानी राखिए बिनु पानी सब सून
पानी गए न ऊबरे मोती, मानुस, चून ......"

ये पंक्तियाँ अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक, कवि अब्दुर रहीम खानखाना द्वारा लिखी गई थीं। कवि किस प्रकार के संसाधन की ओर संकेत कर रहा है? इस संसाधन के समाप्त हो जाने पर क्या होगा? इसे 100 शब्दों में लिखिए।

उत्तर: कवि पानी की ओर संकेत कर रहा है। पानी एक नवीकरणीय संसाधन है। लेकिन पूरी धरती पर जितना पानी है उसका बहुत ही छोटा हिस्सा ताजे पानी के रूप में है और हमारे इस्तेमाल लायक है। पानी का इस्तेमाल न केवल पीने के लिए होता है बल्कि खेती बारी और अधिकतर आर्थिक क्रियाओं के लिए होता है। यदि पानी समाप्त हो जाएगा तो इंसानों के अलावा जंतुओं और पेड़ पौधों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। जेब पेड़ पौधे और जंतु समाप्त हो जाएँगे तो पूरा पारितंत्र नष्ट हो जाएगा। खेती बारी भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में मानव अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

आपका पूछा गया प्रश्न है कि निम्नलिखित में कौन सा संसाधन को निर्धारित नहीं करता है तुम्हें बता दो की उपयोगिता बुल्लेया मात्रा तुम्हें बता दूं कि संसाधनों की उपयोगिता और उसका जो मूल्य है जो मात्रा है वह तीनों चीजें जो है वह संसाधन को निर्धारित करती एचडी उपयोगिता मतलब उसका क्या यूज है कोयला गरम को मिलता है संसाधन के तौर पर तो उसका कितना उपयोग है उसका मूल्य क्या है यानी कि उसका प्राइस क्या है और उसका मात्रा कितनी क्वांटिटी में हमको वह चीज चाहिए

aapka poocha gaya prashna hai ki nimnlikhit me kaun sa sansadhan ko nirdharit nahi karta hai tumhe bata do ki upayogita bulleya matra tumhe bata doon ki sansadhano ki upayogita aur uska jo mulya hai jo matra hai vaah tatvo cheezen jo hai vaah sansadhan ko nirdharit karti hd upayogita matlab uska kya use hai koyla garam ko milta hai sansadhan ke taur par toh uska kitna upyog hai uska mulya kya hai yani ki uska price kya hai aur uska matra kitni quantity me hamko vaah cheez chahiye

आपका पूछा गया प्रश्न है कि निम्नलिखित में कौन सा संसाधन को निर्धारित नहीं करता है तुम्हें

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संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?
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संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?

संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?

संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?

संसाधन को कौन निर्धारित करता है? - sansaadhan ko kaun nirdhaarit karata hai?

निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता ; निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता है ? ;

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संसाधन (resource) एक ऐसा स्रोत है जिसका उपयोग मनुष्य अपने इच्छाओं की पूर्ति के लिए के लिए करता है। कोई वस्तु प्रकृति में हो सकता है हमेशा से मौज़ूद रही हो लेकिन वह संसाधन नहीं कहलाती है, जब तक की मनुष्यों का उसमें हस्तक्षेप ना हो। हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं, जिसे बनाने के लिये हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है। प्रकृति का कोई भी तत्व तभी संसाधन बनता है जब वह मानवीय सेवा करता है। इस संदर्भ में 1933 में जिम्मरमैन ने यह तर्क दिया था कि, ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो।

संसाधन शब्द का अभिप्राय साधारणतः मानव उपयोग की वस्तुओं से है। ये प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हैं। मनुष्य प्रकृति के अपने अनुरूप उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करता है। प्राकृतिक तंत्र में किसी तकनीक का जनप्रिय प्रयोग उसे एक सभ्यता में परिणित करता है, यथा जीने का तरीका या जीवन निर्वाह। इस प्रकार यह सांस्कृतिक संसाधन की स्थिति प्राप्त करता है। संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है। इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से मनुष्य ने घरों, भवनों, परिवहन एवं संचार के साधनों, उद्योगों आदि के अपने संसार का निर्माण किया है। ये मानव निर्मित संसाधन प्राकृतिक संसाधनों के साथ काफी उपयोगी भी हैं और मानव के विकास के लिए आवश्यक भी।

संसाधन की परिभाषा:-

स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार- "भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं। "

जेम्स फिशर के शब्दों में- " संसाधन वह कोई भी वस्तु हैं जो मानवीय आवश्यकतों और इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। "

जिम्मर मैन के अनुसार-"संसाधन पर्यावरण की वे विशेषतायें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा उपयोगिता प्रदान की जाती हैं। "

संसाधन को विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. उत्पत्ति के आधार पर :- जैव और अजैव
  2. समाप्यता के आधार पर :- नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
  3. स्वामित्व के आधार पर :- व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय
  4. विकास के स्तर के आधार पर : संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष

उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण[संपादित करें]

संसाधनों को उत्पत्ति के आधार पर दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-

  • जैव (Biotic) संसाधन
  • अजैव (Abiotic) संसाधन

जैव संसाधन :- हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ जिनमें जीवन है, जैव संसाधन कहलाती है। जैव संसाधन हमें जीवमंडल से मिलती हैं।

उदाहरण-मनुष्य सहित सभी प्राणि। इसके अंतर्गत मत्स्य जीव, पशुधन, मनुष्य, पक्षी आदि आते हैं।

अजैव संसाधन:- हमारे वातावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं हैं अर्थात निर्जीव हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

उदाहरण-चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब, समुद्र, धातुएँ, हवा, सभी गैसें, सूर्य का प्रकाश, आदि।

समाप्यता के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण[संपादित करें]

समाप्यता के आधार पर हमारे वातावरण में उपस्थित सभी वस्तुओं को जो दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:-

  • नवीकरण योग्य (Renewable)
  • अनवीकरण योग्य (Non-renewable)

नवीकरण योग्य संसाधन वैसे संसाधन जिन्हे फिर से निर्माण किया जा सकता है, नवीकरण योग्य संसाधन कहलाते है। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, वन तथा वन्य जीव। इस संसाधनों को इनके सतत प्रवाह के कारण नवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।

अनवीकरण योग्य संसाधन वातावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएँ, जिन्हें उपयोग के बाद निर्माण नहीं किया जा सकता है या उनके विकास अर्थात उन्हें बनने में लाखों करोड़ों वर्ष लगते हैं, अनवीकरण योग्य संसाधन कहलाते हैं। उदाहरण -

  • जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोल, कोयला, आदि। जीवाश्म ईंधन का विकास एक लम्बे भू वैज्ञानिक अंतराल में होता है। इसका अर्थ यह है कि एक बार पेट्रोल, कोयला आदि ईंधन की खपत कर लेने पर उन्हें किसी भौतिक या रासायनिक क्रिया द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अत: इन्हें अनवीकरण योग्य संसाधन के अंतर्गत रखा गया है।
  • धातु हमें खनन के द्वारा खनिज के रूप में मिलता है। हालाँकि धातु का एक बार उपयोग के बाद उन्हें फिर से प्राप्त किया जा सकता है। जैसे लोहे के एक डब्बे से पुन: लोहा प्राप्त किया जा सकता है। परंतु फिर से उसी तरह के धातु को प्राप्त करने के लिए खनन की ही आवश्यकता होती है। अत: धातुओं को भी अनवीकरण योग्य संसाधन में रखा जा सकता है।

स्वामित्व के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण[संपादित करें]

स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है:-

  1. व्यक्तिगत संसाधन
  2. सामुदायिक संसाधन
  3. राष्ट्रीय संसाधन
  4. अंतर्राष्ट्रीय संसाधन।

व्यक्तिगत संसाधन वैसे संसाधन, जो व्यक्तियों के निजी स्वामित्व में हों, व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं। जैसे घर, व्यक्तिगत तालाब, व्यक्तिगत निजी चारागाह, व्यक्तिगत कुँए आदि। तत्वों या वस्तुओं के निर्माण में सहायक कारकों के आधार पर संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित करते हैं-

  • प्राकृतिक संसाधन
  • मानव संसाधन

सामुदायिक संसाधनवैसे संसाधन, जो गाँव या शहर के समुदाय अर्थात सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हों, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहलाते हैं। जैसे- सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक खेल का मैदान, सार्वजनिक चरागाह, श्मशान, सार्वजनिक तालाब, नदी, आदि ।

राष्ट्रीय संसाधन वैसे सभी संसाधन जो राष्ट्र की संपदा हैं, राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे सड़कें, नदियाँ, तालाब, बंजर भूमि, खनन क्षेत्र, तेल उत्पादन क्षेत्र, राष्ट्र की सीमा से 12 नॉटिकल मील तक समुद्री तथा महासागरीय क्षेत्र तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन आदि। वैसे तो देश के अंदर आने वाली सभी वस्तुओं पर राष्ट्र का ही अधिकार होता है। चाहे वह कोई भूमि हो या कोई तालाब। सभी प्रकार की संसाधनों को राष्ट्र लोक हित में अधिग्रहित कर सकती है। जैसे कि सड़क, नहर, रेल लाईन आदि बनाने के लिए निजी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाता है। भारत में 1978 में 44 वें संविधान संशोधन के द्वारा मौलिक अधिकारों में से सम्पत्ति के अधिकार को हटा दिया गया। इस संशोधन के अनुसार सरकार लोकहित में किसी भी सम्पत्ति को अधिग्रहित कर सकती है। भूमि अधिग्रहण का अधिकार शहरी विकास प्राधिकरणों को प्राप्त है।

अंतर्राष्ट्रीय संसाधन तटरेखा से 200 समुद्री मील के बाद खुले महासागर तथा उसके अंतर्गत आने वाले संसाधन अंतर्राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत आते हैं। इनके प्रबंधन का अधिकार कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को दिये गये हैं। अंतर्राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग बिना अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहमति के नहीं किया जा सकता है।

विकास के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण[संपादित करें]

विकास के आधार पर संसाधनों को चार भाग में बाँटा गया है।

  1. संभावी संसाधन
  2. विकसित संसाधन
  3. भंडार
  4. संचित कोष।

सम्भावी संसाधन - वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं। जैसे- राजस्थान तथा गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा की अपार संभावना है, परंतु उनका उपयोग पूरी तरह नहीं किया जा रहा है। कारण कि उनके उपयोग की सही एवं प्रभावी तकनिकी अभी विकसित नहीं हुई है।

विकसित संसाधन - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए प्रभावी तकनीकि उपलब्ध हैं तथा उनके उपयोग के लिए सर्वेक्षण, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।

भंडार - वैसे संसाधन जो प्रचूरता में उपलब्ध हैं परंतु सही तकनीकि के विकसित नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है, भंडार कहलाते हैं। जैसे- वायुमंडल में हाइड्रोजन उपलब्ध है, जो कि उर्जा का एक अच्छा श्रोत हो सकता है, परंतु सही तकनीकि उपलब्ध नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।

संचित कोष - वैसे संसाधन जिनके उपयोग के लिए तकनीकि उपलब्ध हैं, लेकिन उनका उपयोग अभी आरंभ नहीं किया गया है, तथा वे भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रखे गये हैं, संचित कोष कहलाते हैं। संचित कोष भंडार के भाग हैं। जैसे- भारत के कई बड़ी नदियों में अपार जल का भंडार है, परंतु उन सभी से विद्युत का उत्पादन अभी प्रारंभ नहीं किया गया है। भविष्य में उनके उपयोग की संभावना है। अत: बाँधों तथा नदियों का जल, वन सम्पदा आदि संचित कोष के अंतर्गत आने वाले संसाधन हैं।

बिना संसाधन के विकास संभव नहीं है। लेकिन संसाधन का विवेकहीन उपभोग तथा अति उपयोग कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न कर देते हैं। अत: संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक हो जाता है। संसाधन के संरक्षण के लिए विभिन्न जननायक, चिंतक, तथा वैज्ञानिक आदि का प्रयास विभिन्न स्तरों पर होता रहा है। जैसे- महात्मा गाँधी के शब्दों में "हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात हमारे पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।" महात्मा गाँधी के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति के साथ ही आधुनिक तकनीकि की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है। महात्मा गाँधी मशीनों द्वारा किए जाने वाले अत्यधिक उत्पादन की जगह पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्ष में थे। यही कारण है कि महात्मा गाँधी कुटीर उद्योग की वकालत करते थे। जिससे बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन हो सके।

I निम्नलिखित में से कौन संसाधन को निर्धारित नहीं करता?

Answer with Explanation: (i) मात्रा संसाधन को निर्धारित नहीं करता। दिए गए विकल्पों में से विकल्प (ग) मात्रा सही है । (ii) कैंसर उपचार की औषधियाँ मानव निर्मित संसाधन है।

संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?

संसाधन दो प्रकार के होते हैं- प्राकृतिक संसाधन और मानव निर्मित संसाधन

निम्नलिखित में से कौन संसाधन?

सौर ऊर्जा, वायु, जल, वनस्पति, मृदा, कृषि उपज, मनुष्य आदि नवीकरणीय संसाधन हैं जबकि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, लौह-अयस्क, तांबा, बॉक्साइट, यूरेनियम आदि अनवीकरणीय संसाधन हैं।

संसाधन क्या है संसाधन के प्रकार?

संसाधन के प्रकार:.
उत्पत्ति के आधार पर: जैव और अजैव संसाधन.
समाप्यता के आधार पर: नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य संसाधन.
स्वामित्व के आधार पर: व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन.
विकास के स्तर के आधार पर: संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष.