समय- 1943ई. स्नातक की उपाधि-1919 में (कलकत्ता विश्वविद्यालय
) कोलकाता के मेयर- 1923 में नेताजी की उपाधि-जर्मनी फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना- सुभाष चंद्र बोस द्वारा (जर्मनी) जिस समय भारत के अंदर जनता भारत छोड़ो आंदोलन के
द्वारा चेतावनी दे रही थी वह अधिक समय तक गुलामी की बेडियो को स्वीकार नहीं करेगी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय सुभाष चंद्र बोस की जर्मन यात्रा रासबिहारी बोस द्वारा इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना
??आजाद हिंद फौज का इतिहास?? आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन इस समय सुभाष चंद्र बोस का दृढ विश्वास था
कि इन मान्यताओं के चलते ही 17 जनवरी 1941 को साम्राज्यवादी पुलिस की आंखों में धूल झोंककर सुभाष चंद्र बोस भारत से निकलकर काबुल और वहां से मास्को होते हुए 28 मार्च को बर्लिन पहुंच गए थे वहां पहुंच कर उन्होंने जर्मन सरकार के सामने प्रस्ताव रखा
कि
21 अक्टूबर 1943 को चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार की स्थापना की सुभाष चंद्र बोस की सरकार ने यही पर सुभाष चंद्र बोस ने सेना को दिल्ली चलो और तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया
था सुभाष चंद्र बोस की शपथ संसार की नौ शक्तियों ने जिसमें जापान, जर्मनी ,वर्मा, फिलीपींस, कोरिया, इटली ,चीन, मांचूको और आयरलैंड सम्मिलित थे इन सभी ने इस सरकार को मान्यता दी
आजाद हिंद फौज का सैनिक अभियान
22 सितंबर 1944 को सुभाष ने शहीदी दिवस मनाया शहीदी दिवस के अवसर पर उन्होंने सिपाहियों को संबोधित करते हुए कहा हमारी मातृभूमि स्वतंत्रता की खोज में हैं तुम मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें अपनी स्वतंत्रता देता हूं यह स्वतंत्रता की देवी की मांग है द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग्य ने जापान का साथ नहीं दिया जर्मनी ने भी हार मान ली जापान के अधिन जो भी प्रदेश थे उन सब पर दोबारा अंग्रेजों का कब्जा हो गया सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु ??आजाद हिंद फौज के सैनिक अभियान की असफलता??
आजाद हिंद फौज पर इतिहासकारों के विचार इतिहासकार सुमित सरकार
इतिहासकार ताराचंद इस अहसास में अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए प्रेरित करने में मुख्य भूमिका का निर्वाह किया संस्थापक-सुभाष चंद्र बोस समय- 1943ई. स्नातक की उपाधि-1919 में (कलकत्ता विश्वविद्यालय ) कोलकाता के मेयर- 1923 में नेताजी की उपाधि-जर्मनी फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना- सुभाष चंद्र बोस द्वारा (जर्मनी) जिस समय भारत के अंदर जनता भारत छोड़ो आंदोलन के द्वारा चेतावनी दे रही थी वह अधिक समय तक गुलामी की बेडियो को स्वीकार नहीं करेगी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
सुभाष चंद्र बोस की जर्मन यात्रा
रासबिहारी बोस द्वारा इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना
आजाद हिंद फौज का इतिहास
आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन
इस समय सुभाष चंद्र बोस का दृढ विश्वास था कि इन मान्यताओं के चलते ही 17 जनवरी 1941 को साम्राज्यवादी पुलिस की आंखों में धूल झोंककर सुभाष चंद्र बोस भारत से निकलकर काबुल और वहां से मास्को होते हुए 28 मार्च को बर्लिन पहुंच गए थे वहां पहुंच कर उन्होंने जर्मन सरकार के सामने प्रस्ताव रखा कि
21 अक्टूबर 1943 को चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार की स्थापना की सुभाष चंद्र बोस की सरकार ने यही पर सुभाष चंद्र बोस ने सेना को दिल्ली चलो और तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया था सुभाष चंद्र बोस की शपथ? संसार की नौ शक्तियों ने जिसमें जापान, जर्मनी ,वर्मा, फिलीपींस, कोरिया, इटली ,चीन, मांचूको और आयरलैंड सम्मिलित थे इन सभी ने इस सरकार को मान्यता दी
आजाद हिंद फौज का सैनिक अभियान
22 सितंबर 1944 को सुभाष ने शहीदी दिवस मनाया शहीदी दिवस के अवसर पर उन्होंने सिपाहियों को संबोधित करते हुए कहा हमारी मातृभूमि स्वतंत्रता की खोज में हैं तुम मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें अपनी स्वतंत्रता देता हूं यह स्वतंत्रता की देवी की मांग है द्वितीय विश्वयुद्ध में भाग्य ने जापान का साथ नहीं दिया जर्मनी ने भी हार मान ली जापान के अधिन जो भी प्रदेश थे उन सब पर दोबारा अंग्रेजों का कब्जा हो गया सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आजाद हिंद फौज के सैनिक अभियान की असफलता
आजाद हिंद फौज पर इतिहासकारों के विचार इतिहासकार सुमित सरकार
इतिहासकार ताराचंद इस अहसास में अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए प्रेरित करने में मुख्य भूमिका का निर्वाह किया सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान दिया?जब सुभाष चंद्र बोस भारतीय प्रशासनिक सेवा को बीच में ही छोड़कर भारत आ गए। उन्होंने आंदोलन को मजबूती देने के लिए देश के बाहर जाकर आज़ादी के आंदोलन को मजबूती दी। उन्होंने आजाद हिंद फौज, आजाद हिंद सरकार और बैंक की स्थापना की और देश के बाहर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अन्य देशों से समर्थन हासिल किया।
आजाद हिंद फौज से आप क्या समझते हैं?द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सन 1943 में जापान की सहायता से टोकियो में रासबिहारी बोस ने भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इण्डियन नेशनल आर्मी (INA) नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया। इस सेना के गठन में कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आजाद हिंद फौज ने कौन सा द्वीप आजाद कराया था?वहीं से उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया था। फौज को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करने में जापान ने बड़ी मदद की थी। जापान ने ही अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को सौंपे थे। सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान का नाम बदलकर शहीद द्वीप और निकोबार का स्वराज द्वीप रखा था।
आजाद हिन्द फौज की स्थापना कब और किसने किया?आजाद हिंद फौज की। जिसकी स्थापना टोक्यो (जापान) में 1942 में रासबिहारी बोस ने की थी। उन्होंने 28 से 30 मार्च तक फौज के गठन पर विचार के लिए एक सम्मेलन बुलाया और इसकी स्थापना हुई। जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ना था।
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