‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है’ - इस पर स्वमत लिखिए। दुनिया में स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। तन और मन में गहरा संबंध होता है। एक स्वस्थ होगा, तो इसका सीधा प्रभाव दूसरे पर पड़ता है। यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ होगा, तो वह किसी भी भौतिक समस्या या परिस्थिति का सामना कर उसका समाधान निकाल सकता है। इससे उसके मन में किसी भी तरह की परेशानी व संशय का निर्माण नहीं होगा, अपितु इस सफलता से उसके मन में उत्साह बढ़ेगा और वह आगे की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा। इसके विपरीत यदि शारीरिक अस्वस्थता के कारण व्यक्ति किसी परेशानी में फँस जाता है, तो उसके मन पर इसका गहरा और गलत असर पड़ता है। वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। उसके मन में तरह-तरह की शंकाएँ आने लगती हैं। निराशा और दुख के कारण वह आगे की परिस्थितियों का सामना करने में भी असफल होता जाता है। इसका सीधा असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है और उसका स्वास्थ्य बिगड़ता जाता है। इसीलिए यह कहा जा सकता है कि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन एक-दूसरे के पूरक हैं। 1-मन की शक्ति- मन स्वभावतः बहिर्मुखी होता है,अर्थात बाहरी विषयों पर 2-मन और शरीर का सम्बन्ध- मन और शरीर के सम्बन्ध को देखें तो, हमारा मन एक सूक्ष्म 3-भोजन के सम्बन्ध में सावधानी- हमें भोजन इस प्रकार करना चाहिए,जिससे हमारा मन पवित्र रहे। 4- हमारा शरीर परिवर्तनशील अणुओं से बना है- इस जगत असुर प्रकृति के लोगों की संख्या अधिक है,लेकिन ऐसा 5-अज्ञान और दुःख पर्यायवाची हैं- अज्ञानता
के कारण ही दुख आता है, ऎसा नहीं कि दुःख तो है लेकिन मैं ज्ञानी हूं। |