दक्षिण एशिया के देशों की मुख्य समस्या क्या है? - dakshin eshiya ke deshon kee mukhy samasya kya hai?

दक्षिण एशिया की बुनियादी समस्याएं बड़ी चुनौती, समाधान के लिए जरूरी है अमन-शांति का माहौल

वैसे तो विश्व के सभी देशों में अमन-शान्ति को मजबूत करना आज बेहद जरूरी है। लेकिन कुछ विशेष कारणों से दक्षिण एशिया में यह और भी ज्यादा जरूरी है। लगभग 200 साल तक औपनिवेशिक शोषण सहने के कारण यहां के लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है।

फोटोः सोशल मीडिया

दक्षिण एशिया में विश्व की 21 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन यहां विश्व की मात्र 3 प्रतिशत भूमि है। इतना ही नहीं, दक्षिण एशिया के एक बड़े हिस्से को लगभग 200 वर्षों तक औपनिवेशिक शोषण सहना पड़ा। इस कारण यहां सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन व्यापक स्तर की सामाजिक-आर्थिक विषमता और इससे जुड़ी नीतिगत विसंगतियों के कारण इस चुनौती का सामना मजबूती से नहीं हो पाया है।

दक्षिण एशिया में गरीबी, भूख और कुपोषण की समस्याएं बहुत बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। सबसे बड़ी प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने को मिलनी चाहिए। लेकिन तरह-तरह के तनावों, आतंकवाद की घटनाओं और युद्ध की संभावना उत्पन्न होने के कारण जो वास्तविक लड़ाई भूख और गरीबी के विरुद्ध आगे बढ़नी चाहिए, वह पीछे रह जाती हैं।

दक्षिण एशिया मानव विकास रिपोर्ट ने इन देशों में हथियारों पर होने वाले खर्च और विकास कार्यों पर होने वाले खर्च का तुलनात्मक अध्ययन किया है। इस आकलन के अनुसार कई बड़े और विध्वंसक हथियारों की कीमत में कई अहम बुनियादी जरूरतों पर होने वाला खर्च आसानी से निकल सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार एक युद्धक टैंक की कीमत देश के 40 लाख बच्चों के टीकाकरण पर होने वाले खर्चे के बराबर है। वहीं एक मिराज विमान की कीमत में 30 लाख बच्चों की साल भर की प्राथमिक शिक्षा का खर्च निकल सकता है। एक आधुनिक पनडुब्बी और उससे जुड़े उपकरण के खर्च में 6 करोड़ लोगों को एक साल तक साफ पीने का पानी दिया जा सकता है।

जब युद्ध की संभावना में वृद्धि के कारण सैन्य खर्च बढ़ाना एक मजबूरी हो जाता है तो तरह-तरह के अभाव को दूर करने के लिए संसाधन भी कम हो जाते हैं और इस प्राथमिकता की ओर समुचित ध्यान देने की संभावना भी कम हो जाती है।

दक्षिण एशिया की पहचान उन क्षेत्रों में होती है जो आगामी वर्ष में जलवायु बदलाव और उससे मिले-जुले संकट से अधिक प्रभावित हो सकते हैं। दक्षिण एशिया में बहुत बड़ा समुद्र तटीय क्षेत्र है जहां समुद्र का जल-स्तर बढ़ने से अभूतपूर्व संकट पैदा हो सकता है। इन संकटों का सामना करने की तैयारी दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों को आपसी सहयोग से अभी से करनी चाहिए। पहले ही काफी देर हो चुकी है। लेकिन आतंकवाद की घटनाओं और युद्ध की संभावनाओं की वजह से ऐसे अल्पकालीन और दीर्घकालीन सहयोग की संभावना बेहद कम हो जाती है।

स्पष्ट है कि दक्षिण एशिया की विभिन्न बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए पहली बड़ी जरूरत यह है कि यहां अल्पकालीन और दीर्घकालीन दोनों स्तरों पर अमन-शांति का माहौल स्थापित हो और इसकी मजबूत बुनियाद भी तैयार हो।

हथियारों के निरंतर विध्वंसक होते जाने से यह स्पष्ट है कि युद्ध और आतंकवादी घटनाओं दोनों से होने वाली क्षति पहले से बहुत बढ़ चुकी है। दक्षिण एशिया के दो देशों के पास परमाणु शस्त्र हैं, जिनका बहतु सीमित उपयोग होने पर लाखों लोग मर सकते हैं। युद्ध में इनका उपयोग ना हो तो भी यह निश्चित है कि दूसरे अत्यंत विध्वंसक हथियारों के कारण युद्ध में पहले से बहुत अधिक मानव जीवन का नुकसान होगा।

इसलिए दक्षिण एशिया के सभी देशों में विभिन्न स्तरों पर अमन-शांति का आंदोलन बहुत मजबूती से उभरना चाहिए। इस जन आंदोलन को सभी तरह की हिंसा के विरुद्ध, आतंकवाद के विरुद्ध और युद्ध की संभावना के विरुद्ध निरंतरता और निष्ठा के साथ प्रयास करने चाहिए। साथ में इस शांति के आंदोलन को दैनिक जीवन में हिंसा के विरुद्ध भी निरंतरता से प्रयास करना होगा। तभी बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन से जुड़ेंगे।


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दक्षिण एशियादेशराज्य क्षेत्रसांकेतिक सकल घरेलू उत्पादप्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पादभाषा/एँसमय क्षेत्रसबसे बड़े नगरनिवासी

7 से 10

 भारत
 
पाकिस्तान
 
श्रीलंका
 
बांग्लादेश
 
नेपाल
 
मालदीव
 
भूटान

0, 1, या 2
$1.854 ट्रिलियन (2009)
$1,079 (2009)

आधिकारिक भाषा/एँ
उर्दू
अंग्रेजी
जोङखा
तमिल
दरी
नेपाली
पंजाबी
पश्तो
बंगाली
सिंहली
हिन्दी (हिंदी)


अन्य भाषाएँ

असमिया, बलूची, बोडो, बर्मी, दरी फ़ारसी ,[1]राजस्थानी भाषा, धिवेही, डोगरी, भुटानी, गुजराती, हिंदको, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मराठी, मणिपुरी, उड़िया, पहाड़ी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, सरीकी, तेलुगू, तिब्बती भाषा , नेपाल भाषा और अन्य।
UTC +6:30 (बर्मा) से UTC +3:30 (ईरान)
अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, चटगाँव, चेन्नई, कोच्चि, कोलंबो, दिल्ली, ढाका, फैसलाबाद, हैदराबाद, हैदराबाद, इस्लामाबाद, जयपुर, कानपुर, कराची, काठमाण्डू, कोलकाता, राँची, कोझीकोड, लाहौर, ल्हासा, लखनऊ, माले, मुल्तान, मुम्बई, पटना, पेशावर, पुणे, क्वेटा, रावलपिण्डी, सक्खर ज़िला, सूरत, थिम्पू, तिरुवनन्तपुरम, विशाखापत्तनम और यांगून
दक्षिण एशियाई

दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी भाग के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। दक्षिण एशिया में आठ देश अवस्थित हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन दक्षेस भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं:

  1.  
    भारत
  2.  
    पाकिस्तान
  3.  
    श्रीलंका
  4.  
    बांग्लादेश
  5.  
    नेपाल
  6.  
    मालदीव
  7.  
    भूटान

जलवायु[संपादित करें]

दक्षिण एशिया का नगरीय मानचित्र

इस विशाल क्षेत्र की जलवायु उत्तर में शीतोष्ण करने के लिए दक्षिण में उष्णकटिबन्धीय मानसून से इस क्षेत्र के लिए क्षेत्र से काफी भिन्न है। विविधता भी है लेकिन इस तरह के समुद्र तट से निकटता और मानसून एस के मौसमी प्रभाव जैसे कारकों से, ऊँचाई न केवल से प्रभावित है।[3]

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन[संपादित करें]

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग १.५ अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल [[२००७|2007 में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़गानिस्तान इसका आठवाँ सदस्य बन गया।

यह भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Afghanistan". The World Factbook. Central Intelligence Agency. दिसम्बर 13, 2007. मूल से 20 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मई 2013.
  2. Peel, M. C. and Finlayson, B. L. and McMahon, T. A. (2007). "Updated world map of the Köppen–Geiger climate classification". Hydrol. Earth Syst. Sci. 11: 1633–1644. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1027-5606. डीओआइ:10.5194/hess-11-1633-2007. मूल से 10 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 नवंबर 2015.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link) (direct: Final Revised Paper Archived 2012-02-03 at the Wayback Machine)
  3. Anita M. Weiss and Muhammad Aurang Zeb Mughal (2012). 'Pakistan' Archived 2014-11-07 at the Wayback Machine. Kotzé, Louis and Morse, Stephen (eds), Berkshire Encyclopedia of Sustainability, Vol. 9. Great Barrington, Mass.: Berkshire, pp. 236-240.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

दक्षिण एशिया के देशों में मुख्य रूप से कौन कौन सी समस्याएं हैं?

दक्षिण एशिया में गरीबी, भूख और कुपोषण की समस्याएं बहुत बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। सबसे बड़ी प्राथमिकता इन समस्याओं को दूर करने को मिलनी चाहिए। लेकिन तरह-तरह के तनावों, आतंकवाद की घटनाओं और युद्ध की संभावना उत्पन्न होने के कारण जो वास्तविक लड़ाई भूख और गरीबी के विरुद्ध आगे बढ़नी चाहिए, वह पीछे रह जाती हैं

दक्षिण एशिया के बारे में क्या जानते हैं?

दक्षिण एशिया एशिया का दक्षिणी क्षेत्र है, जिसे भौगोलिक और जातीय-सांस्कृतिक दोनों संदर्भों में परिभाषित किया गया है। इस क्षेत्र में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं

दक्षिण एशिया के प्रमुख दो महत्वपूर्ण चुनौतियां क्या है?

दक्षिण एशिया में जलवायु बदलाव के दौर में भीषण गर्मी का प्रकोप कहीं अधिक उग्र होने की पूरी संभावना है और इसके साथ ही कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी जुड़ी हैं। साथ ही खेती, पशुपालन व कई अन्य आजीविकाओं पर भी इस बढ़ते पारे का प्रतिकूल असर पड़ेगा और खाद्य सुरक्षा पर भी।

दक्षिण एशिया के प्रमुख देश कौन कौन से हैं?

दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन दक्षेस भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं:.
पाकिस्तान.
श्रीलंका.
बांग्लादेश.
मालदीव.

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