कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस dhanteras का त्योहार मनाया जाता है। यह पांच दिन चलने वाले दीपावली उत्सव का पहला दिन होता है। धनतेरस dhanteras से ही तीन दिन तक चलने वाला गोत्रिरात्र व्रत भी शुरू होता है। इस दिन पांच देवों की पूजा होती है। Show
1.धन्वंतरि पूजा : धन तेरस के दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। अमृत कलश के अमृत का पान करके देवता अमर हो गए थे। इसीलिए आयु और स्वस्थता की कामना हेतु धनतेरस dhanteras पर भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। 2.लक्ष्मी पूजा : इस दिन लक्ष्मी पूजा का भी महत्व है। श्रीसूक्त में वर्णन है कि लक्ष्मीजी भय और शोक से मुक्ति दिलाती हैं तथा धन-धान्य और अन्य सुविधाओं से युक्त करके मनुष्य को निरोगी काया और लंबी आयु देती हैं। 3.कुबेर पूजा : धन के देवता कुबेर की इस दिन विशेष पूजा होती है। कुबेर भी आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं इसीलिए उनकी भी पूजा का प्रचलन है। 4.यम पूजा : धन तेरस के दिन यम पूजा का भी महत्व है। कहते हैं कि धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। 5.गणेश पूजा : गणेशजी की पूजा प्रत्येक मांगलिक कार्य और त्योहार में की जाती है क्योंकि वे प्रथम पूज्य हैं। सभी के साथ गणेश पूजा की जाना जरूरी होती है।
6.पशु पूजा : dhanteras धनतेरस के दिन ग्रामीण क्षेत्र में मवेशियों को अच्छे से सजाकर उनकी पूजा करते हैं, क्योंकि ग्रामीणों के लिए पशु धन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। दक्षिण भारत में लोग गायों को देवी लक्ष्मी के अवतार के रूप में मानते हैं इसलिए वहां के लोग गाय का विशेष सम्मान और आदर करते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, धन्वंतरि जी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन सोने-चांदी और घर के लिए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है।दिवाली (Diwali 2021) से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। जो इस बार 2 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, धन्वंतरि जी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन सोने-चांदी और घर के लिए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। मान्यता है इस दिन विधि विधान की गई पूजा अर्चना करने से घर परिवार में सदैव सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। जानिए धनतेरस की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती, महत्व। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2021 Puja Shubh Muhurat):धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को 11.31 AM से होगी और समाप्ति 3 नवंबर को 09:02 AM पर। प्रदोष काल शाम 05:35 से रात 08:11 बजे तक रहेगा। धनतेरस पूजा का मुहूर्त शाम 06:17 PM से रात 08:11 PM तक रहेगा। यम दीपम का समय शाम 05:35 PM से 06:53 PM तक रहेगा। धनतेरस पूजा विधि: धनतेरस पूजा के समय भगवान सूर्य, भगवान गणेश, माता दुर्गा, भगवान शिव, भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान धनवंतरि की षोडशोपचार पूजा करें। भगवान धन्वंतरि को गंध, अबीर, गुलाल, पुष्प, रोली, अक्षत आदि चढ़ाएं। उनके मंत्रों का जाप करें। उन्हें खीर का भोग लगाएं। भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजा के अंत में कर्पूर से आरती करें। फिर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। एक दीपक यम देवता के नाम का जलाएं। (यह भी पढ़ें- Happy Dhanteras 2021: धनतेरस का दिन 4 राशि वालों के लिए शुभ रहने के आसार, मां लक्ष्मी की रहेगी विशेष कृपा) भगवान धन्वंतरि की आरती: धनतेरस के दिन की परंपरा: धनतेरस पर क्या खरीदें? इस दिन नई चीजें जैसे सोना, चांदी, पीतल खरीदना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन धनिया और झाड़ू खरीदना भी शुभ होता है। (यह भी पढ़ें- धनतेरस पर किन चीजों को खरीदना माना गया है शुभ, क्या है पूजा विधि और मुहूर्त, जानिए सभी जरूरी जानकारी यहां) Live Updates धनतेरस के दिन किसकी पूजा करनी चाहिए?Dhanteras : कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन धन के देव कुबेर, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और यमराज का पूजन किया जाता है।
भगवान धन्वंतरि की पूजा कैसे करें?पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। यही कारण है दीपावली के पहले, यानी धनतेरस से ही दिवाली का आरंभ हो जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष धनतेरस पर पूजा की सही विधि और पूजन मंत्र क्या है। वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
धनतेरस के दिन दीपक कैसे जलाएं?घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें साथ ही दिए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। दीये को रखने के स्थान पर एक बात का जरूर ध्यान रखें कि दीपक को सीधे धरती पर न रखें। पहले चावल की थोड़ी सी ढेरी लगाएं और फिर दीए को उस ढेरी पर रखें।
धनतेरस की पूजा घर पर कैसे करें?धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 16 मिनट से 8 बजकर 11 तक है। शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, धनवंतरी देव और कुबेर की पूजा अर्चना करें। इसके अलावा दोपहर बाद खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन सोने चांदी बर्तन आदि खरीद सकते हैं।
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