Course - 7 (Teaching of mathematics) Show (History of indian mathematics) PART - 1 भारतीय गणित का इतिहास :-
भारतीय गणित का शुभारंभ 'ऋग्वेद' से होता है ! इसका इतिहास प्रमुख रूप से 'पांच कालखंडों' में विभक्त किया जा सकता है -
इस काल को दो भागों में बांटा गया है - शुल्व वह रज्जू (रस्सी ) होती थी, जो यज्ञ वेदी बनाने के लिए माप में काम आती थी ! शुल्व सूत्रों में रेखागणित के सूत्रों का विकास एवं विस्तार उपलब्ध है ! इनमें तीन सूत्रकारों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है - बोधायन, आपस्तंमब और कात्यायन ! इसके अतिरिक्त मैत्रायण, बाराह, मानव एवं बाधूल भी इस काल के प्रसिद्ध चित्रकार हैं ! इनकी रचनाएं इनके शुल्व -सूत्रों के रूप में मिलती है ! बोधायन
शुल्व सूत्र ( 1000 ईसा पूर्व ) का एक उदाहरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है जिसमें उस प्रमेय का उल्लेख है, जिसे आज पाइथागोरस प्रमेय के नाम से जाना जाता है ! इसी के आगे बोधायन ने दो वर्गों के योग और अंतर के बराबर वर्ग बनाने की विधि दी है और करणीगत संख्या का मान दशमलव के 5 स्थानों तक निकालने के सूत्र लिए सूत्र भी बतलाया है,बोधायन ने अन्य कारणीगत संख्याओं के मान भी दिए हैं ! यज्ञो के लिए बेदी बनाने के माप के लिए जिस प्रकार रज्जु का प्रयोग किया गया
तथा शुल्व सूत्रों की स्थापना हुई, उसी प्रकार यथार्थ समुचित काल निर्णय हेतु इसी काल में ज्योतिष का भी विकास हुआ जिसके कारण शुल्व काल को वेदांग ज्योतिष काल भी कहा जाता है ! (2)
घन परिमंडल ! भारतीय गणित का इतिहास History of indian mathematics Bhartiy Gnit ka Etihas विश्व को भारत की गणित में विशेष देन क्या है?आर्यभट ने ही सबसे पहले 'पाई' (pi) का मान बताया। एक के बाद ग्यारह शून्य जैसी संख्याओं को बोलने के लिए उन्होंने नई पद्धति का आविष्कार किया। बीज गणित में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण संशोधन किए। 'आर्यभटीय' इन्होंने वर्गमूल, घनमूल, सामानान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन किया है।
विश्व को भारत की गणित में विशेष देन क्या है 2 points शून्य व दशमलव अंकगणित बीजगणित गिनती के अंक ज्यामिति?गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है।
भारत ने विश्व को गणित की क्षेत्र में प्रमुख योगदान क्या है?संख्याओं पर आधारित खोजों एवं विकास की बात होती है, तो भारत की गणितीय परंपरा को शीर्ष पर रखा जाता है। भारत में हुई 'शून्य' एवं 'दशमलव' जैसी मूलभूत गणितीय खोजें इसका प्रमुख कारण मानी जाती हैं। इन मूलभूत खोजों ने गणित को ऐसा आधार प्रदान किया है, जिसके आधार पर सभ्यताओं के विकास का क्रम निरंतर आगे बढ़ रहा है।
गणित में भारत का सबसे बड़ा योगदान क्या है?रामानुजन नंबर –
रामानुजन संख्या यानी 1729 गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। यह एक ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसे दो अलग – अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।
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