Matdaan Ka Adhikar Kaisa Adhikar Hai
GkExams on 12-05-2019
भारत में मत देने का अधिकार एक वैधानिक अधिकार है या संवैधानिक या फिर मौलिक अधिकार। सर्वोच्च न्यायालय ने इस विषय पर निष्कर्ष स्वरूप निर्णय देते हुए कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मतदान का अधिकार सांविधिक अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है कि मताधिकार एक ‘सांविधिक अधिकार’ (Statutory Right) है। हालांकि लोक सेवा आयोग, उ.प्र. ने पूर्व में दी गई अपनी उत्तर-कुंजी में मताधिकार को संवैधानिक अधिकार (Constitutional Right) माना है। इसका आधार संविधान के अनु. 326 के तहत वयस्क मताधिकार का उल्लेख होना हो सकता है।
सम्बन्धित प्रश्न
Comments Rashmi on 14-02-2022
मतदान मौलिक अधिकार नहीं है न ही संवैधानिक।
ये सांविधिक/विधिक/राजनीतिक अधिकार है।
Satish sinha on 11-09-2021
वोट देने का अधिकार क्या राजनीतिक अधिकार है?
sangam rauniyar on 02-08-2021
Bharat me vote dene Ka adhikar kis sidhant par aadharit h
बसंत on 24-02-2021
मतदान करना कैसा अधिकार है
संवैधानिक अधिकार
वैधानिक अधिकार
Mohsin ali on 15-02-2021
भारत मे मत देने का अधिकार वैधानिक अधिकार है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 कि धारा 79(d)मे निर्वाचक अधिकार को परिभाषित किया गया है ज्योति बसु एवं अन्य बनाम देवी घोषाल एवं अन्य वाद मे सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचित होने का विधिक अधिकार माना है ना कि संवैधानिक इस दोवारा से अपडेट करो
Pooja bishnoi on 02-12-2020
Sansd k chunawo me mt dena kis prkar ka adhikar h??
Baliram kumar on 28-11-2020
Mat dene ka adhikar kis par kar ka hai
Sneha on 01-10-2020
Vote dalne ka adhikaar Kis nyaay ke antargat aata hai
Soni on 04-07-2020
Vot ja adhikar koun sa adhikar hai?
Sanjay Kumar Mandal on 20-02-2020
Mat dene ka adhikar Kaun sa hai
Sani singh on 19-02-2020
Mat dene ka adhikar
Priyanka on 18-02-2020
Bharat me vote dene ke adhikar ko kon sa adhikar kahte h
Priyanka on 18-02-2020
Bharat ke kis rajya me Pradesh raj marg ki lambaee sarvadhik h
Boby on 17-02-2020
मतदान देने का अधिकार किस कोटि से संबंधित है
Mk on 16-02-2020
Vote dena kaisa adhikari hai
jyotisainik on 05-02-2020
Matdan ka adhikar koun sa adhikar hai.
Sk on 29-01-2020
Which of the following is the right to vote in India
Kumar gaurav on 29-01-2020
Bharat me mat Dena kaun se adhikar
me aata Hai.
Anita patel on 09-01-2020
Samajik nyay se juda vicharak
Anita patel on 09-01-2020
MATLAB kis praksr ka adhikar hsi
amrendra verma on 01-09-2018
matdan ka adhikar h ek kanoon adhikar h
amrendra verma on 01-09-2018
jab apatkal ki ghoshna lagoo ho to lok sabha ke karykal ko kiske dwara badaya ja sakta h
Vote Dene Ka Adhikar Kaisa Adhikar Hai
GkExams on 14-11-2018
मताधिकार कैसा अधिकार है→राजनीतिक अधिकार
सम्बन्धित प्रश्न
Comments MITHUN KUMAR on 26-08-2022
VOTE DENE KA ADHIKAR KANOONI AADHIKAR HAI . SUPREME COURT NE KAHA HAI
Rohit Sharma on 23-08-2022
Vote dene ka adhikar
Subham on 15-07-2022
Kannuni adhikar hai
Riha on 15-02-2022
राजनीतिक अधिकार कौन-कौन से हैं
Nanu on 16-11-2021
Right to vote which adhikar
ANKUL YADAV on 27-08-2021
सैवधानिक अधिकार है।
ANKUL YADAV Sherwan on 27-08-2021
संवैधानिक अधिकार है(Constitutional Right) माना है। इसका आधार संविधान के अनु. 326 के तहत वयस्क मताधिकार का उल्लेख होना हो सकता है।
SAITRAM SOLANKI on 01-02-2021
मतदान का अधिकार कौन सा अधिकार है?
vishnu on 02-03-2020
vote karna fundamental right ,constitutional right kyu nhi h
Shakti on 09-01-2020
vote dene Ka adhikar kaisa sdhikar h
राज्य के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार चलाने के हेतु, अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। जनतांत्रिक प्रणाली में इसका बहुत महत्व होता है। लोकतंत्र की नींव मताधिकार पर ही रखी जाती है। इस प्रणाली पर आधारित समाज व शासन की स्थापना के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक वयस्क नागरिक को बिना किसी भेदभाव के मत का अधिकार प्रदान किया जाय।
जिस देश में जितने ही अधिक नागरिकों को मताधिकार प्राप्त रहता है उस देश को उतना ही अधिक जनतांत्रिक समझा जाता है। इस प्रकार हमारा देश संसार के जनतांत्रिक देशों में सबसे बड़ा है क्योंकि हमारे यहाँ मताधिकार प्राप्त नागरिकों की संख्या विश्व में सबसे बड़ी है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 एक सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को निर्वाचित सरकार के सभी स्तरों के चुनावों के आधार के रूप में परिभाषित करता है। सर्वजनीन मताधिकार से तात्पर्य है कि सभी नागरिक जो 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं, उनकी जाति या शिक्षा, धर्म, रंग, प्रजाति और आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं।
नवीन संविधान लागू होने के पूर्व भारत में 1935 के "गवर्नमेंट ऑव इंडिया ऐक्ट" के अनुसार केवल 13 प्रति शत जनता को मताधिकार प्राप्त था। मतदाता की अर्हता प्राप्त करने की बड़ी बड़ी शर्तें थीं। केवल अच्छी सामाजिक और आर्थिक स्थिति वाले नागरिकों को मताधिकार प्रदान किया जाता था। इसमें विशेषतया वे ही लोग थे जिनके कंधों पर विदेशी शासन टिका हुआ था।
अन्य पश्चिमी देशों में, जनतांत्रिक प्रणाली अब पूर्ण विकसित हो चुकी है, एकाएक सभी वयस्क नागरिकों को मताधिकार नहीं प्रदान किया गया था। धीरे धीरे, सदियों में, उन्होंने अपने सभी वयस्क नागरिकों को मताधिकार दिया है। कहीं कहीं तो अब भी मताधिकार के मामले में रंग एवं जातिभेद बरता जाता है। परंतु भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत मानते हुए और व्यक्ति की महत्ता को स्वीकारते हुए, अमीर गरीब के अंतर को, धर्म, जाति एवं संप्रदाय के अंतर को, तथा स्त्री पुरुष के अंतर को मिटाकर प्रत्येक वयस्क नागरिक को देश की सरकार बनाने के लिए अथवा अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करने के लिए "मत" (वोट) देने का अमूल्य अधिकार प्रदान किया है।
संविधान लागू होने के बाद पिछले वर्षों में भारतीय जनता ने अपने मताधिकार के पवित्र कर्त्तव्य का समुचित रूप से पालन करके प्रमाणित कर दिया है कि उसे जनतंत्र में पूर्ण आस्था है। इस दृष्टि से भी भारतीय जनतंत्र का विशेष महत्व है।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- चुनाव (Poll)
- अनिवार्य मतदान
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- वोटरशिप (वोटरों को नोट का हक दिलाने के लिए 100 सांसदो द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत याचिका)
- National Youth Rights Association
- Votes at 16 Campaign to Lower the Voting Age in the UK
- Suffrage in Canada
- Vote sizing is different from the suffrage (vote counting) reform movements, in that each voter’s political voice can be altered; whereas vote counting usually maintains that each voter only gets one (or equal amounts) vote.
- Women´s suffrage in Germany - january 19, 1919 - first suffrage (active and passive) for women in Germany