पटना। बिहार विधानसभा की सदस्य संख्या बढ़ सकती है। अभी कुल 75 सदस्य हैं जिसमें दो सीटें खाली हैं। संविधान की धारा 171 के अनुसार विधानसभा में कुल सदस्य संख्या के अधिकतम एक तिहाई सदस्य विधान परिषद में हो सकते हैं। इस लिहाज से 243 सीटों वाली बिहार विधान सभा के एक तिहाई यानि 81 सदस्य परिषद में हो सकते हैं। यानि अभी छह सीटों की गुंजाइश है। विधान परिषद सभापति ताराकांत झा ने बताया कि बिहार पुनर्गठन विधेयक के तहत अविभाजित बिहार विधान परिषद के 96 में से 75 सदस्य विभाजित बिहार विधान परिषद में रह गए। उन्होंने कहा कि पहले भी 325 सदस्यीय विधानसभा के एक तिहाई यानि 108 सदस्य विधान परिषद में हो सकते थे। सभापति ने कहा कि यह बिहार के साथ शुरू से हुई हकमारी को दर्शाता है क्योंकि विधानमंडल की सदस्य संख्या निर्धारित करने का अधिकार संसद को ही है। उन्होंने कहा कि अभी विधान परिषद की मौजूदा सदस्य संख्या को बढ़ाने पर विचार चल रहा है। प्रक्रिया पर मंथन विधान परिषद की सदस्य संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव किस रूप में केंद्र को भेजा जाए, इस पर मंथन चल रहा है। जानकारों के मुताबिक बिहार पुनर्गठन विधेयक के तहत बिहार विधान परिषद की मौजूदा संख्या निर्धारित हुई थी, इसलिए उक्त विधेयक में भी संशोधन करना होगा। इसके पहले राज्य कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कराकर दोनों सदनों से पारित कराने की प्रक्रिया करनी पड़ सकती है। हालांकि विधि विशेषज्ञों की राय के बाद ही प्रक्रिया पर अंतिम निर्णय होगा। क्यों हुई जरूरत अभी विप में स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक के 6 यानी 12, स्थानीय निकायों से निर्वाचित 24, राज्यपाल द्वारा मनोनीत विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले 12 और विधानसभा सदस्यों से निर्वाचित होनेवाले 27 सदस्य होते हैं। बिहार बंटवारे के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत होनेवाले एक सदस्य का कोटा झारखंड चला गया। इस समुदाय को विप में प्रतिनिधित्व देने की मांग हो रही है। अधिवक्ताओं, किसानों समेत दूसरे वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की मांग उठ रही है। Show
राज्य विधान परिषद (State Legislative Council)चर्चा में क्यों?
प्रमुख बिन्दु
विधान परिषद
विधान परिषद का गठन
विधान परिषद की अवधि
सदस्यों की अर्हताएँ
विधान परिषद के पदाधिकारी
डेली करेंट अफेयर्स MCQ क्विज के लिए यहां क्लिक करेंDownload PDF Archive Section English Current Affairs विधान परिषद में अधिकतम सदस्य संख्या कितनी हो सकती है?संविधान के 7 वें संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा यह प्राविधानित किया गया कि विधान परिषद् की सदस्य संख्या विधान सभा के एक चैथाई के बजाय एक तिहाई हो सकती है। इस संशोधन के अनुसार 1958 में विधान परिषद् की सदस्य संख्या 72 से बढ़ाकर 108 कर दी गई।
राज्य विधान परिषद में न्यूनतम सदस्य संख्या कितनी होनी चाहिए?विधान परिषद् संख्या विधानसभा कि सदस्य संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं हो सकती तथा न्यूनतम संख्या 40 होगी। राज्यपाल द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान, सहकारी आन्दोलन एवं सामाजिक सेवा के सम्बन्ध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को विधान परिषद् में नामित यह सदस्य 1/6 होते है किया जाता है।
यूपी में विधान परिषद सीट कितनी है?
किसी राज्य विधानमंडल में अधिकतम कितने सदस्य हो सकते हैं?विधान सभा के सदस्य राज्यों के लोगों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते हैं क्योंकि उन्हें किसी एक राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों द्वारा सीधे तौर पर चुना जाता है। इसके अधिकतम आकार को भारत के संविधान के द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 500 से अधिक व् 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते।
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