15 साल पुरानी गाड़ी का क्या होगा - 15 saal puraanee gaadee ka kya hoga

लखनऊ : अगर आपकी दो पहिया या चार पहिया पुरानी गाड़ी चलाते चलाते 15 साल पूरे कर चुकी है तो उसका फिर से

लखनऊ : अगर आपकी दो पहिया या चार पहिया पुरानी गाड़ी चलाते चलाते 15 साल पूरे कर चुकी है तो उसका फिर से आरटीओ में पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। मोटरसाइकिल और कार सहित सभी गाड़ियों को खरीदने के बाद आरटीओ में 15 वर्ष के लिए ही रजिस्ट्रेशन किया जाता है।

आरटीओ में वन टाइम टैक्स के रूप में निर्धारित पैसा जमा करने के बाद गाड़ी का नंबर मिलता है। कुछ लोग पंद्रह साल तक अपनी गाड़ियां रखते हैं तो कुछ लोग दूसरों को बेच देते हैं। नियम के अनुसार पंद्रह वर्ष पूरे होने के बाद उनका सड़क पर चलने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है।

पंद्रह साल पूरे होने के बाद वाहनों का दोबारा पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन करने का नियम है। वाहन चलने लायक हो और पांच सीटर से अधिक क्षमता का वाहन होने पर उसकी फिटनेस के बाद गाड़ी का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। मोटर साइकिल व कार के लिए रजिस्ट्रेशन निर्धारित फीस के साथ पांच वर्ष के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। अगर रजिस्ट्रेशन कराने में देरी होती है तो प्रति माह के हिसाब से लेट फीस भी ली जाती है। इसके साथ ही पंद्रह वर्ष पूर्व गाड़ी खरीदते समय आरटीओ में जमा किए गए वन टाइम टैक्स का दस फीसद राशि ग्रीन टैक्स के समय दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने पर जमा करने का नियम है।

ये है दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने पर फीस :

- दोपहिया वाहन- रजिस्ट्रेशन फीस 300 रुपये, लेट फीस 300 रुपये प्रति माह

- गैर परिवहन वाहन जैसे निजी कार - रजिस्ट्रेशन फीस 600 रुपये, लेट फीस 500 रुपये प्रति माह

-परिवहन वाहन जैसे व्यावसायिक गाड़ियां - रजिस्ट्रेशन फीस 1000 रुपये, लेट फीस 500 रुपये प्रति माह

नोट - दो पहिया या चार पहिया वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन में दस फीसद ग्रीन टैक्स भी जमा होगा। यह दस फीसद पंद्रह साल पूर्व जमा हुए वन टाइम टैक्स के आधार पर लिया जाएगा।

Edited By: Jagran

15 साल पुरानी गाड़ी का क्या होगा - 15 saal puraanee gaadee ka kya hoga

यूपी में महंगा हुआ पुरानी गाड़ियों को रजिस्ट्रेशन  |  तस्वीर साभार: BCCL

मुख्य बातें

  • वाहनों के दोबारा रजिस्ट्रेशन के नियमों में बदलाव

  • यूपी में अब पहले से अधिक फीस चुकानी होगी

  • दोबारा रजिस्ट्रेशन को 4800 फीस और ग्रीन टैक्स अलग

Car Registration: यूपी में पुरानी कार व बाइक चलाना अब पहले से महंगा होने जा रहा है। रजिस्ट्रेशन नियमों में बदलाव किया गया है। अब एक अप्रैल से 15 साल पुरानी कार का दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए करीब 4800 रुपये फीस और ग्रीन टैक्स अलग से जमा करना पड़ेगा। इसी प्रकार 15 साल पुराने दोपहिया वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 300 रुपये और ग्रीन टैक्स अलग से था। लेकिन एक अप्रैल से इनका दोबारा पंजीकरण कराने पर 1400 रुपये की फीस देनी होगी। 

अब पुरानी कार एवं बाइक चलाना महंगा पड़ेगा। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने ऐसे वाहनों के दोबारा रजिस्ट्रेशन के नियमों में बदलाव किया है। अब 15 साल पुराने प्राइवेट व कॉमर्शियल वाहनों का दोबारा पंजीकरण कराने पर पहले से अधिक फीस चुकानी होगी। कॉमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस भी बढ़ाई गई है। कार की री-रजिस्ट्रेशन फीस करीब आठ गुना बढ़ाई गई है। नए नियम एक अप्रैल से प्रभावी होगा।

600 रुपये फीस एवं ग्रीन टैक्स लिया जाएगा
अब तक 15 साल पुरानी कार का दोबारा पंजीकरण कराने पर 600 रुपये फीस एवं ग्रीन टैक्स अतिरिक्त रूप से लिया जाता था। अब एक अप्रैल से 15 साल पुरानी कार का दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने के लिए करीब 4800 रुपये फीस और ग्रीन टैक्स अलग से जमा करना पड़ेगा। इसी प्रकार 15 साल पुराने दोपहिया वाहन के दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 300 रुपये और ग्रीन टैक्स अलग से था। लेकिन एक अप्रैल से इनका दोबारा पंजीकरण कराने पर 1400 रुपये की फीस देनी होगी। ग्रीन टैक्स अतिरिक्त रूप से भरना पड़ेगा। इसी प्रकार परिवहन मंत्रालय ने कॉमर्शियल बाइक, हल्के यात्री व माल वाहन, बस और ट्रक के री-रजिस्ट्रेशन की फीस को भी बढ़ाया गया है।

4000 तक देना पड़ेगा फिटनेस शुल्क
संभागीय परिवहन निरीक्षक जय सिंह ने बताया कि वर्तमान में प्राइवेट आठ सीटर कार का 600 रुपये, टैक्सी का 800 रुपये और भारी वाहन का 1200 रुपये फिटनेस शुल्क है। मगर, एक अप्रैल से मोटर वाहन अधिनियम का 23वां संशोधन लागू होने से इन वाहनों का फिटनेस शुल्क भी बढ़ गया है। सूत्रों के मुताबिक फिटनेस शुल्क 4000 रुपये तक हो सकता है। 

परिवहन मंत्रालय ने बदले नियम
सहायक संभागीय परिवहन  (प्रशासन) लखनऊ अखिलेश कुमार द्विवेदी का कहना है कि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने पुराने वाहनों के दोबारा पंजीकरण के नियम बदल दिए हैं। नए नियम एक अप्रैल से लागू होने जा रहे हैं। इससे एक अप्रैल से 15 साल पुराने वाहन का दोबारा रजिस्ट्रेशन कराने पर पहले से अधिक फीस चुकानी होगी।

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देश में 15 साल से पुराने वाहनों (old Vehicles) को चलाने की अनुमति नहीं हैं। अगर सड़क पर चल रही कोई पेट्रोल-डीजल या सीएनजी की गाड़ी 15 साल पुरानी (15 years old vehicle) होती है तो ट्रैफिक पुलिस के द्वारा ऐसी गाड़ी को सीज कर दिया जाता है‌‌। साथ ही कानून के तहत कार्रवाई की जाती है। लगातार बढ़ते प्रदूषण (pollution) के कारण केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा यह निर्णय लिया गया। लेकिन कुछ ही दिन पहले साकेत कोर्ट (Saket court) में न्यायाधीश ने 15 साल पुराने वाहनों को लेकर एक दिलचस्प फैसला सुनाया। इस फैसले में कहा गया कि सड़कों पर 15 साल से पुरानी कारों को चलाने की अनुमति नहीं है लेकिन अगर कोई अपने 15 साल पुराने वाहन को कबाड़ में देने के बजाय सहेज कर रखना चाहता है तो उसे इसके लिए अनुमति दी जाएगी।

दरअसल, एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि वह अपनी 15 साल पुरानी बाइक को कबाड़ में देने के बजाय, घर में सहेज कर रखना चाहता है। इसी याचिका के ऊपर साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति अपने पुराने वाहन को यादगार या धरोहर के तौर पर सहेज कर रखना चाहता है तो निर्धारित नियमों का पालन करके वह व्यक्ति ऐसा कर सकता है।

15 साल पुराने वाहन रखने के लिए जरूरी नियम

अदालत ने 15 साल पुराने वाहन को सहेज कर रखने की अनुमति देते हुए इस बात पर सबसे अधिक जोर दिया कि बनाएं गए सभी कानूनों का पालन करना अनिवार्य होगा। अगर आप भी अपनी 15 साल पुरानी कार या बाइक को सहेज कर रखना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अदालत से परमिशन लेनी होगी। अदालत आपके सामने जितने भी शर्तें और नियम कानून रखेगा, उन्हें आपको पालन करना होगा। आपके पास उस पुरानी गाड़ी को रखने के लिए एक निर्धारित जगह का होना जरूरी है। पुराने वाहन को रखने के लिए आपको अदालत को पुराना वाहन को खड़ा करने की पर्याप्त जगह होने और अन्य जरूरी नियम कानूनों को पूरा करने के संबंध में शपथ पत्र देना होगा। इसके बाद एक स्थानीय पुलिस अधिकारी वाहन खड़े करने की जगह और आप से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करके अदालत को देगा। अगर अदालत आपके द्वारा दी गई सभी जानकारियों से संतुष्ट होता हैं तो आपको पुराने वाहन रखने की अनुमति मिल जाएगी।

15 साल पुराने वाहन को चलाने पर जुर्माना

अदालत से अनुमति मिलने के बाद भी अगर आप कभी नियमों को तोड़ते हैं तो आप के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर आपने पुराने वाहन को उसके निर्धारित परिसर से बाहर निकाला तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसा करने पर वाहन मालिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत कार्यवाही होगी। इस मामले में दोषी पाए जाने पर भारी जुर्माने के साथ वाहन चालक को 3 साल की सजा हो सकती है।

यूपी में कितने साल पुरानी गाड़ी चला सकते हैं?

अब 15 साल से ज्यादा पुराने सरकारी वाहन अब सड़कों पर नहीं चलेंगे. इसे कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा. ठीक ऐसे ही अगर अपनी पर्सनल गाड़ी 15 साल (15 year old vehicle ) से ज्यादा पुरानी है तो अब आपको ग्रीन टैक्स देना होगा. पर्यावरण सुरक्षा को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने यह अहम फैसला लिया है.

NCR में कितने साल पुरानी गाड़ी बंद है?

आपको बता दें कि एनजीटी ने दिल्ली में 10 साल से अधिक डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को बैन कर दिया है. इन वाहनों को कबाड़ बनने से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने रेट्रो फिटमेंट और देश के दूसरे शहरों में वाहनों के पंजीकरण के लिए NOC हासिल करने का विकल्प दिया.

क्या मैं यूपी में अपनी 10 साल पुरानी डीजल कार चला सकता हूं?

प्रदूषण के हालात के देखते हुए सरकार (Up Government) ने आदेश जारी किया है कि प्रदेश में अब 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां नहीं चल सकेंगी. इन्हें रोकने के लिए बेहद सख्ती से नए नियम लागू किए जाएंगे.