अति लघु उत्तरीय प्रश्न Show प्रश्न (क)-इस पद में किस भाषा का प्रयोग हुआ है? प्रश्न (ख)-गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोली’ बताकर उद्धव पर क्या कटाक्ष किया है? प्रश्न (ग)-गोपियों ने उद्धव को ‘बड़भागी’
क्यों कहा है? अथवा प्रश्न(क)-‘गुर चाँटी ज्यौं पागी’ में किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है? प्रश्न (ख)-उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है? प्रश्न (ग)-‘अति बड़भागी’ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। अथवा प्रश्न (क)-गोपियों ने ‘बड़भागी’ कहकर उद्धव के व्यवहार पर
कौन-सा व्यंग्य किया है? प्रश्न (ख)-उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है? प्रश्न (ग)-अंतिम पंक्तियों में गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’
और ‘भोरी’ क्यों कहा है? 2. मन की मन ही माँझ रही। प्रश्न (क)-गोपियाँ किस मर्यादा की
बात कर रही हैं? प्रश्न (ख)-उद्धव के संदेश को सुनकर गोपियों की व्यथा घटने के स्थान पर बढ़ गई, ऐसा क्यों हुआ? प्रश्न (ग)-गोपियों के हृदय की इच्छाएँ हृदय में ही क्यों रह गईं? 3. हमारैं हरि हारिल की लकरी। प्रश्न (क)-‘नंद-नंदन’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? प्रश्न (ख)-गोपियों को योग व ज्ञान की बातें कैसी लगती हैं? प्रश्न (ग)-गोपियों ने श्रीकृष्ण की तुलना किससे की है और क्यों? 4. हरि हैं राजनीति पढ़ि
आए। प्रश्न (क)-गोपियों की दृष्टि में पहले के लोगों का आचरण कैसा था ? प्रश्न
(ख)-गोपियों के अनुसार राजधर्म क्या है जिसका श्रीकृष्ण निर्वाह नहीं कर रहे हैं ? प्रश्न (ग)-गोपियाँ श्रीकृष्ण द्वारा योग-संदेश भेजे जाने को उनकी राजनीति बताते हुए क्या तर्क प्रस्तुत करती हैं ? बताइए। अथवा प्रश्न (क)-राजधर्म में क्या बताया गया है? प्रश्न (ख)-‘इक अति चतुर हेतु पहिलैं ही अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए’ में कौन-सा व्यंग्य निहित है? प्रश्न (ग)-गोपियाँ उद्धव को क्या ताना मार रही हैं? उद्धव के संदेश को सुनकर गोपियों की व्यथा घटने के स्थान पर बढ़ गई ऐसा क्यों हुआ?प्रश्न (ख)-उद्धव के संदेश को सुनकर गोपियों की व्यथा घटने के स्थान पर बढ़ गई, ऐसा क्यों हुआ? उत्तर: गोपियाँ पूर्ण रूप से कृष्ण के प्रति समर्पित थीं, वे कृष्ण विरह में जी रही थीं। उद्धव ने गोपियों को कृष्ण को भूलकर निर्गुण की उपासना का संदेश दिया, जिसे सुनकर गोपियों की व्यथा बढ़ गई।
गोपियाँ उद्धव को बड़भागी कहकर क्या व्यंग्य करती हैं?गोपियाँ व्यंग्य स्वरूप उद्धव को 'अति बड़भागी' कह रही हैं क्योंकि वे कृष्ण के समीप रहकर भी उनके प्रेम बंधन में नहीं बँध सके और न ही उनके प्रेम में व्याकुल हुए।
गोपियों ने किस पर व्यंग्य किया है और क्यों?Answer: गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहते हुए व्यंग्य कसती है कि श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे।
गोपियों की विरह अग्नि और अधिक क्यों बढ़ जाती है?परन्तु कृष्ण ने स्वयं ना आकर योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया। विरह की अग्नि में जलती हुई गोपियों को जब उद्धव ने कृष्ण को भूल जाने और योग-साधना करने का उपदेश देना प्रारम्भ किया, तब गोपियों की विरह वेदना और भी बढ़ गयी । इस प्रकार उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया।
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