30 जनवरी 1948 में क्या हुआ था? - 30 janavaree 1948 mein kya hua tha?

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर विशेष- 30 जनवरी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। हर साल इस मौके पर महात्मा गांधी के साथ-साथ देश के लिए अपना बलिदान देने वाले अन्य शहीदों को भी याद किया जाता है।

1948 में जब नाथूराम गोडसे द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की गई, उन लम्हों की एकमात्र गूंज इतिहास में आज भी सुनाई देती है, जो कहती है... हे राम। यही वे आखिरी शब्द थे, जब गोली लगने के संसाद से अंतिम विदाई के पहले गांधी जी के मुख से निकले थे।

उस वक्त शाम के 5.17 बज रहे थे, जब सफेद धोती पहने गांधीजी पर तीन बार गोलियां दागी गईं। गोडसे ने बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्‍या कर दी।

आश्चर्य यह था कि इस बात का एहसास भी आसपास के लोगों को नहीं था। उन्हें गोली लगने का पता तब चला, जब उनकी सफेद धोती पर खून के धब्बे नजर आने लगे।

पहली गोली- बापू के शरीर के दो हिस्सों को जोडने वाली मघ्य रेखा से साढ़े तीन इंच दाईं तरफ व नाभि से ढाई इंच ऊपर पेट में घुसी और पीठ को चीरते हुए निकल गई। गोली लगते ही बापू का कदम बढ़ाने को उठा पैर थम गया, लेकिन वे खड़े रहे।

दूसरी गोली- उसी रेखा से एक इंच दाईं तरफ पसलियों के बीच होकर घुसी और पीठ को चीरते हुए निकल गई। गोली लगते ही बापू का सफेद वस्त्र रक्तरंजित हो गया। उनका चेहरा सफेद पड़ गया और वंदन के लिए जुड़े हाथ अलग हो गए। क्षण भर वे अपनी सहयोगी आभा के कंधे पर अटके रहे। उनके मुंह से शब्द निकला हे राम।

तीसरी गोली- सीने में दाईं तरफ मध्य रेखा से चार इंच दाईं ओर लगी और फेफड़े में जा घुसी। आभा और मनु ने गांधीजी का सिर अपने हाथ पर टिकाया। इस गोली के चलते ही बापू का शरीर ढेर होकर धरती पर गिर गया, चश्मा निकल गया और पैर से चप्पल भी।

कई लोग उस वक्तत यह जान ही नहीं पाए कि हुआ क्या, लेकिन जब देखा, खून से लतपत बापू जमीन पर पड़े हैं, तो आंसुओं की मानो बाढ़ आ गई।

आंधी आंखें खुली हुई थीं उन्हें बिरला भवन स्थित उनके खंड में ले जाया गया। आंखें आधी खुली हुई थीं। लग रहा था शरीर में अभी जान बची है। कुछ देर पहले ही बापू के पास से उठ कर गए सरदार पटेल तुरंत वापस आए। उन्होंने बापू की नाड़ी देखी। उन्हें लगा कि नाड़ी मंद गति से चल रही है। इसी बीच वहां हाजिर डॉ. द्वारकाप्रसाद भार्गव पहुंचे।

गोली लगने के दस मिनट बाद पहुंचे डॉ. भार्गव ने कहा, ‘बापू को छोड़ कर गए दस मिनट हो चुके हैं।' कुछ देर बाद डॉ. जीवराज मेहता आए और उन्होंने बापू की मृत्यु की पुष्टि की। इसके बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नायर ने उस दिन को याद करते बताते हैं, मैं उस वक्त उर्दू अखबार 'अंजाम' के लिए काम कर रहा था। मैंने न्यूज एजेंसी के टिकर पर चेतावनी सुनी। मैं भागते हुए टेलीप्रिंटर के पास पहुंचा और मैंने अविश्वसीनय शब्द 'गांधी को गोली लगी' पढ़े।

उन्होंने कहा, मैं कुर्सी पर गिर पड़ा, लेकिन होश सम्भालते हुए बिरला हाउस की तरफ भागा। वहां कोलाहल मचा हुआ था। गांधी सफेद कपड़े पर लेटे थे और हर कोई रो रहा था। जवाहर लाल नेहरू बिल्कुल स्तब्ध और दुखी नजर आ रहे थे।

दिल्ली के '5, तीस जनवरी मार्ग' पर 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या उस वक्त की गई, जब वे शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। यह वही जगह थी जहां महात्मा गांधी ने अपनी जिंदगी के अंतिम 144 दिन बिताए थे और जीवन के अंतिम पल भी।

वर्तमान में यातायात के हल्के शोर के बावजूद भी इस स्थान पर आज भी शांति भंग नहीं हुई है। इस मार्ग पर, जहां से गांधी जी गुजरे, संगमंगमर से उनके पदचिन्ह बना दिए गए, जिस पर लिखा है हे राम।

लेकिन महात्मा गांधी का जीवन उस इंसान जैसा साबित हुआ, जो पेड़ तो लगाता है, लेकिन उसकी छांव और फल की अपेक्षा नहीं करता। गांधीजी ने अपने जीवन के 12 हजार 75 दिन स्वतंत्रता संग्राम में लगाए, परंतु उन्हें आजादी का सुकून मात्र 168 दिनों का ही मिला।

साल 2007 में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सौदे में भारत की दिग्गज कंपनी टाटा ने एंग्लो डच स्टील निर्माता कंपनी कोरस ग्रुप को 12 अरब डॉलर से अधिक में खरीदा.

30 जनवरी 1948 में क्या हुआ था? - 30 janavaree 1948 mein kya hua tha?

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी. (File Photo)

जनवरी (January) का महीना जाते जाते देश को एक बड़ा जख्म दे गया. 30 जनवरी 1948 का दिन कहने को तो साल के बाकी दिनों जैसा ही था, लेकिन शाम होते होते ये इतिहास (History) में सबसे दुखद दिनों में शुमार हो गया. दरअसल 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जान ले ली. विडंबना देखिए कि अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर अंग्रेजों को देश से बाहर का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी खुद हिंसा का शिकार हुए. वो उस दिन भी रोज की तरह शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे. उसी समय नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने उन्हें बहुत करीब से गोली मारी और साबरमती का संत ‘हे राम’ कहकर दुनिया से विदा हो गया. अपने जीवनकाल में अपने विचारों और सिद्धांतों के कारण चर्चित रहे मोहन दास करमचंद गांधी का नाम दुनियाभर में सम्मान से लिया जाता है.

देश-दुनिया के इतिहास में 30 जनवरी की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं

1530 : मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह का निधन.

1903 : लार्ड कर्जन ने कलकत्ता के मटकॉफ हॉल में इंपीरियल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया. 1948 में इस लाइब्रेरी का नाम बदलकर नेशनल लाइब्रेरी कर दिया गया.

1933 : राष्ट्रपति पॉल वान हिंडेनबर्ग ने अडोल्फ हिटलर को जर्मनी का चांसलर बनाया.

1941 : नौवहन के इतिहास की एक बड़ी घटना में सोवियत संघ की एक पनडुब्बी ने जर्मनी का एक पोत डुबा दिया, जिससे उसमें सवार करीब 9000 लोगों की मौत हो गई.

1948 : शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नई दिल्ली के बिड़ला भवन में हत्या. तभी से इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है.

1949 : रात्रि एयरमेल सेवा की शुरुआत.

1965 : ब्रिटेन के लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय देश के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल को अंतिम विदाई दी. चर्चिल एक कुशल कूटनीतिज्ञ और प्रखर वक्ता थे और वो एकमात्र प्रधानमंत्री थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें ब्रिटेन की महानतम विभूतियों में गिना जाता है.

1971 : इंडियन एयरलाइंस के फोक्कर मैत्री विमान का लाहौर से अपहरण कर लिया गया और अंतत: ये नष्ट कर दिया गया.

1985 : लोकसभा ने दल बदल विरोधी कानून पारित कर राजनीतिक दलबदलुओं के स्वत: अयोग्य होने का रास्ता साफ कर दिया.

2004 : वैज्ञानिकों ने एक संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया कि मंगल पर भेजे गए अंतरिक्ष यान अपोर्चुनिटी को मंगल ग्रह पर आयरन आक्साइड की मौजूदगी के संकेत मिले हैं. इसका सीधा मतलब है कि संभवत: एक समय वहां पानी रहा होगा.

2007 : एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सौदे में भारत की दिग्गज कंपनी टाटा ने एंग्लो डच स्टील निर्माता कंपनी कोरस ग्रुप को 12 अरब डॉलर से अधिक में खरीदा.

2008 : चेन्नई की एक विशेष अदालत ने बहुचर्चित स्टांप घोटाला मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी को 10 साल की सजा सुनाई.

2009 : ऑस्ट्रेलिया ओपन के मिक्स्ड डबल मुकाबले में सानिया मिर्जा और महेश भूपति की जोड़ी फाइनल में पहुंची.

2009 : कोका कोला कंपनी ने ऐलान किया कि वो अमेरिका में अपने प्रमुख उत्पाद कोका कोला क्लासिक का नाम बदलकर कोका कोला करने जा रही है. कोका कोला के साथ क्लासिक शब्द को 1985 में जोड़ा गया था.

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(इनपुट- भाषा के साथ)

30 जनवरी 1948 में क्या हुआ?

30 जनवरी 1948 का दिन कहने को तो साल के बाकी दिनों जैसा ही था, लेकिन शाम होते होते ये इतिहास (History) में सबसे दुखद दिनों में शुमार हो गया. दरअसल 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जान ले ली.

30 जनवरी को गांधी जी के साथ क्या हुआ था?

आजादी के कुछ महीनों बाद 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। उस शाम प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी को गोली मार दी थी। ये दिन इतिहास में गांधीजी की पुण्यतिथि के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

30 जनवरी को कौन सा दिन मनाया जाता है?

हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता शहीद दिवस भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गांधी की याद में मनाया जाता है. इन्हें 'राष्ट्रपिता' के रूप में भी जाना जाता है. 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की बिड़ला हाउस में हत्या कर दी गई थी. गोडसे ने गांधीजी की हत्या करने से पहले उनके पैर भी छुए थे.

राम गोडसे की मृत्यु कब हुई?

15 नवंबर 1949नाथूराम गोडसे / मृत्यु तारीखnull