आर्थिक नियोजन का अर्थ एक संगठित आर्थिक प्रयास से है जिसमें एक निश्चित अवधि में सुनिश्चित एवं सुपरिभाषित सामाजिक एवं आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक साधनों का विवेकपूर्ण ढंग से समन्वय एवं नियंत्रण किया जाता है। Show आर्थिक नियोजन की परिभाषाआर्थिक नियोजन की परिभाषा आर्थिक नियोजन की विद्वानों द्वारा परिभाषाएँ दी गई हैं-
आर्थिक नियोजन के उद्देश्य
आर्थिक नियोजन की आवश्यकताअधिकांश राष्ट्रों द्वारा आर्थिक नियोजन अपनाए जाने की आवश्यकता इन कारणों से उत्पन्न हुई-1. आर्थिक विचारधारा - विश्व में समाजवाद के विकास ने आर्थिक नियोजन के विचार को और अधिक प्रभावित किया। वर्तमान समय में पूंजीवादी देशों में पूंजीवाद के दोषों को दूर करने के उद्देश्य से तथा समाजवादी राष्ट्रों में समाजवाद के सिद्धान्त अपनाने के उद्देश्य से आर्थिक नियोजन का उपयोग बढ़ रहा है। आर्थिक उच्चावचन (Economic Fluctuations) के द्वारा उत्पन्न हुई आर्थिक कठिनाइयों का निवारण करने हेतु राजकीय हस्तक्षेप (State Intervention) की आवश्यकता होती है। 2. अर्द्ध-विकसित राष्ट्र की स्वतन्त्रता -द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात एशिया व अफ्रीका के कई उपनिवेशों को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई जिससे वहाँ की जनता में आर्थिक विकास की भावना जागृत हुई इससे वहाँ सरकारी हस्तक्षेप एवं आर्थिक नियोजन को महत्व दिया गया। देश के तीव्र विकास के लिए नियोजन की नीति को अपनाया जाना एक आवश्यक अंग बन गया हैं। 3. स्वतन्त्र उपक्रम एवं पूँजीवाद के दोष -प्रारम्भ में पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली विश्व के समस्त साधनों का अपव्यय, धन का असमान वितरण, व्यापारिक उतार-चढ़ाव आदि। इन्हीं दोषों के कारण नियोजन की आवश्यकता अनुभव की गयी। देश के आर्थिक विकास के लिए नियन्त्रण प्रणाली को अपनाना आवश्यक था जो नियोजन द्वारा सम्भव हो सकता था। पूँजीवादी के दोषों को दूर करने की दृष्टि से ही नियोजन की नीति का पालन किया गया। 4. सीमित साधनों का समुचित उपयोग - अर्द्ध-विकसित देशों में साधन सीमित, अपूर्ण एवं आयोग्य होते हैं जिससे तीव्र गति से विकास करना सम्भव नहीं हो पाता है। अत: सीमित साधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम का निर्माण करना आवश्यक हैं। नियोजित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत साधनों का उपयोग करते समय उनकी माँग और पूर्ति में समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। प्रोव्म् चाल्र्स बैटल हीम के शब्दों में- ‘‘एक नियोजित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत स्त्रोतों के निर्धारण एवं शोषण के सम्बन्ध में सन्तुलित एवं विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाए रखना, नियोजन अधिकारी का प्रमुख कर्तव्य माना जाता है।’’ 5. निर्णय एवं कार्य प्रणाली में समुचित समन्वय - एक नियोजित अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय नियोजन सत्त्ाा द्वारा जो निर्णय लिए जाते हैं वे विवेकपूर्ण तथा अर्थिक दृष्टि से न्याय संगत होते हैं। साधनों का आवंटन पूर्व निश्चित उद्देश्यों एवं प्राथिमिकताओं के आधार पर किया जाता है। अनियोजित अर्थव्यवस्था को बन्द आँखो वाली अर्थव्यवस्था कहा जाता है। 6. आर्थिक एवं सामाजिक विषमताओं पर रोक - आर्थिक एवं सामाजिक विषमताओं को कम करने की दृष्टि से भी नियोजित अर्थव्यवस्था का महत्व अधिक है। नियोजन से अर्थव्यवस्था में आय एवं धन का समान एवं न्यायपूर्ण वितरण होता हैं जिसके कारण आर्थिक विषमताएँ कम होने लगती हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षा एवं प्रगति के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं। 6. उत्पत्ति के साधनों का समुचित वितरण - नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था में उत्त्पति के साधनों का वितरण सामाजिक माँग को ध्यान में रखकर किया जाता है और निजी हित के स्थान पर सामाजिक हित को अधिक महत्व दिया जाता है। 6. तीव्र आर्थिक विकास - आर्थिक नियोजन की तकनीक को अपनाकर विकास की दर में तीव्र वृद्धि की जा सकती है। इसका कारण यह है कि नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था उत्पत्ति के साधनों का आवंटन नियोजन अधिकारियों के विवकेपूर्ण निर्णयों के आधार पर ही होता है। 7. संतुलित विकास - किसी भी देश की अर्थव्यवथा के सन्तुलित विकास के लिए नियोजन का बहुत महत्व है। नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था में एक क्षेत्र का विकास दूसरे क्षेत्रों के विकास के साथ इस प्रकार समन्वित होता है कि अर्थव्यवस्था का सन्तुलित विकास हो सके। 8. पूंजी निर्माण में वृद्धि - नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण की दर अधिक होती है। इसका कारण यह हैं कि नियोजन द्वारा इसके लिए राष्ट्रीय आय का कुछ न कुछ भाग बचत के रूप में अवश्य रखा जाता है जिससे पूंजी निर्माण की दर में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त बचतों का पुर्नविनियोजन किया जाता है। 9. सार्वजनिक वित्त - वर्तमान समय में आर्थिक तथा सामाजिक कार्यों का अधिकाधिक उतरदायित्व सरकार के कन्धों पर होता है। सरकार कर लगाकर जनता से प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक वित्त के कार्यों में व्यय कर देती है। जनता से प्राप्त धन का उचित उपयोग योजनाबद्ध ढंग से ही सम्भव हो सकता है। भारतीय नियोजन का मुख्य उद्देश्य क्या है?Solution : निर्धनता तथा बेरोजगारी को दूर करना, आर्थिक असमानताओं को कम करना तथा आत्मनिर्भर होना।
भारत में आर्थिक नियोजन के क्या उद्देश्य है?आर्थिक नियोजन के उद्देश्य का मुख्य उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों में आय तथा सम्पत्ति के असमान वितरण को कम करना होता हैं। आर्थिक नियोजन के माध्यम से देश के संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर उत्पादन, आय तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना होता हैं। संतुलित क्षेत्रीय विकास करना आर्थिक नियोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
आर्थिक नियोजन किसे कहते हैं नियोजन के मुख्य उद्देश्य क्या है?आर्थिक नियोजन एक ऐसी योजना है जिसमें आर्थिक क्षेत्र में राजकीय हस्तक्षेप तथा राज्य की साझेदारी होती है। नियोजन निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक क्रियाओं का निर्देशन है। नियोजन का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं को ऊपर उठाना होता है। नियोजन उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग का एक तरीका है।
10 नियोजन का क्या अर्थ है भारत में नियोजन के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए?- चित्र 4.1 - नियोजन - उद्देश्यों को विचार में रखना और उनको कार्य रूप देना । रखा जाए तो वातावरण की अवस्थाओं में परिवर्तनों के कारण सारी व्यावसायिक योजनाएँ व्यर्थ हो जाती हैं। कोई भी व्यवसाय योजनाओं को अंतरहित सहन नहीं कर सकता तथा उन पर कार्य किए बिना भी नहीं रह सकता। लिए एक कार्य-विधि का निरूपण करने से है।
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