आक का दूध क्या काम आता है? - aak ka doodh kya kaam aata hai?

कैलोट्रिपोस जाइगैन्टिया
Calotropis gigantea
आक का दूध क्या काम आता है? - aak ka doodh kya kaam aata hai?
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
विभाग: Magnoliophyta
वर्ग: Magnoliopsida
गण: Gentianales
कुल: Apocynaceae
उपकुल: Asclepiadoideae
वंश: Calotropis
जाति: C. gigantea
द्विपद नाम
Calotropis gigantea
(L.) W.T.Aiton
पर्यायवाची[1]
  • Asclepias gigantea L.
  • Calotropis gigantea (L.) R. Br. ex Schult.
  • Madorius giganteus (L.) Kuntze
  • Periploca cochinchinensis Lour.
  • Streptocaulon cochinchinense (Lour.) G. Don

आक का दूध क्या काम आता है? - aak ka doodh kya kaam aata hai?

आक का दूध क्या काम आता है? - aak ka doodh kya kaam aata hai?

मदार (वानस्पतिक नाम:Calotropis gigantea) एक औषधीय पादप है। इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।

आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊँची भूमि में प्रायः सर्वत्र देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उल्दी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।

प्रकार[संपादित करें]

अर्क इसकी तीन जातियाँ पाई जाती है-जो निम्न प्रकार है:

  • (१) रक्तार्क (Calotropis gigantean): इसके पुष्प बाहर से श्वेत रंग के छोटे कटोरीनुमा और भीतर लाल और बैंगनी रंग की चित्ती वाले होते हैं। इसमें दूध कम होता है।
  • (२) श्वेतार्क : इसका फूल लाल आक से कुछ बड़ा, हल्की पीली आभा लिये श्वेत करबीर पुष्प सदृश होता है। इसकी केशर भी बिल्कुल सफेद होती है। इसे 'मंदार' भी कहते हैं। यह प्रायः मन्दिरों में लगाया जाता है। इसमें दूध अधिक होता है।
  • (३) राजार्क : इसमें एक ही टहनी होती है, जिस पर केवल चार पत्ते लगते है, इसके फूल चांदी के रंग जैसे होते हैं, यह बहुत दुर्लभ जाति है।

इसके अतिरिक्त आक की एक और जाति पाई जाती है। जिसमें पिस्तई रंग के फूल लगते हैं।

चिकित्सा में उपयोग[संपादित करें]

आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।

  • आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड़ कर कान में डालने से आधा सिर दर्द जाता रहता है। बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीड़ा शाँत हो जाती है।
  • आक के कोमल पत्ते मीठे तेल में जला कर अण्डकोश की सूजन पर बाँधने से सूजन दूर हो जाती है। तथा कडु़वे तेल में पत्तों को जला कर गरमी के घाव पर लगाने से घाव अच्छा हो जाता है। एवं पत्तों पर कत्था चूना लगा कर पान समान खाने से दमा रोग दूर हो जाता है। तथा हरा पत्ता पीस कर लेप करने से सूजन पचक जाती है।
  • कोमल पत्तों के धूँआ से बवासीर शाँत होती है। कोमल पत्ते खाय तो ताप तिजारी रोग दूर हो जाता है।
  • आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
  • दूध पीते बालक को माता अपनी दूध में देवे तथा मदार के फल की रूई रूधिर बहने के स्थान पर रखने से रूधिर बहना बन्द हो जाता है। आक का दूध लेकर उसमें काली मिर्च पीस कर भिगोवे फिर उसको प्रतिदिन प्रातः समय मासे भर खाय 9 दिन में कुत्ते का विष शाँत हो जाता है। परंतु कुत्ता काटने के दिन से ही खावे। आक का दूध पाँव के अँगूठे पर लगाने से दुखती हुई आँख अच्छी हो जाती है। बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं। तलुओं पर लगाने से महिने भर में मृगी रोग दूर हो जाता है। आक के दूध का फाहा लगाने से मुँह का लक्वा सीधा हो जाता है। आक की छाल को पीस कर घी में भूने फिर चोट पर बाँधे तो चोट की सूजन दूर हो जाती है। तथा आक की जड को दूध में औटा कर घी निकाले वह घी खाने से नहरूआँ रोग जाता रहता है।

जड़ के उपयोग[संपादित करें]

आक की जड़ को पानी में घीस कर लगाने से नाखूना रोग अच्छा हो जाता है। तथा आक की जड़ छाया में सुखा कर पीस लेवे और उसमें गुड मिलाकर खाने से शीत ज्वर शाँत हो जाता है। एवं आक की जड 2 सेर लेकर उसको चार सेर पानी में पकावे जब आधा पानी रह जाय तब जड़ निकाल ले और पानी में 2 सेर गेहूँ छोडे जब जल नहीं रहे तब सुखा कर उन गेहूँओं का आटा पिसकर पावभर आटा की बाटी या रोटी बनाकर उसमें गुड और घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से गठिया बाद दूर होती है। बहुत दिन की गठिया 21 दिन में अच्छी हो जाती है। तथा आक की जड के चूर्ण में काली मिर्च पिस कर मिलावे और रत्ती -रत्ती भर की गोलियाँ बनाये इन गोलियों को खाने से खाँसी दूर होती है। तथा आक की जड पानी में घीस कर लगाने से नाखूना रोग जाता रहता है। तथा आक की जड़ के छाल के चूर्ण में अदरक का अर्क और काली मिर्च पीसकर मिलावे और 2-2 रत्ती भर की गोलियाँ बनावे इन गोलियों से हैजा रोग दूर होता है।

आक की जड़ की राख में कडुआ तेल मिलाकर लगाने से खिजली अच्छी हो जाती है। आक की सूखी डँडी लेकर उसे एक तरफ से जलावे और दूसरी ओर से नाक द्वारा उसका धूँआ जोर से खींचे सिर का दर्द तुरंत अच्छा हो जाता है। आक का पत्ता और ड्ण्ठल पानी में डाल रखे उसी पानी से आबद्स्त ले तो बवासीर अच्छी हो जाती है। आक की जड का चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करने से उपदंश (गर्मी) रोग अच्छा हो जाता है। उपदंश के घाव पर भी आक का चूर्ण छिडकना चाहिये। आक ही के काडे से घाव धोवे। आक की जड़ के लेप से बिगडा हुआ फोड़ा अच्छा हो जाता है। आक की जड़ की चूर्ण 1 माशा तक ठण्डे पानी के साथ खाने से प्लेग होने का भय नहीं रहता। आक की जड़ का चूर्ण दही के साथ खाने से स्त्री के प्रदर रोग दूर होता है। आक की जड का चूर्ण 1 तोला, पुराना गुड़ 4 तोला, दोनों की चने की बराबर गोली बनाकर खाने से कफ की खाँसी अच्छी हो जाती है। आक की जड़ पानी में घीस कर पिलाने से सर्प विष दूर होता है। आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये। और नमक छोड़ देना चाहिये। आक की जड़ और पीपल की छाल का भष्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है। आक की जड़ का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड़ पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।

आक का दातून करने से दाँतों के रोग दूर होते हैं। आक की जड़ का चूर्ण 1 माशा तक खाने से शरीर का शोथ (सूजन) अच्छा हो जाता है। आक की जड 5 तोला, असगंध 5 तोला, बीजबंध 5 तोला, सबका चूर्ण कर गुलाब के जल में खरल कर सुखावे इस प्रकार 3 दिन गुलाब के अर्क में घोटे बाद में इसका 1 माशा चूर्ण शहद के साथ चाट कर ऊपर से दूध पीवे तो प्रमेह रोग जल्दी अच्छा हो जाता है। आक की जड़ की काडे में सुहागा भिगो कर आग पर फुला ले मात्रा 1 रत्ती 4 रत्ती तक यह 1 सेर दूध को पचा देता है। जिनको दूध नहीं पचता वे इसे सेवन कर दूध खूब हजम कर सकते हैं। आक की पत्ती और चौथाई सेंधा नमक एक में कूट कर हण्डी में रख कर कपरौटी आग में फूँक दे। बाद में निकाल कर चूर्ण कर शहद या पानी के साथ 1 माशा तक सेवन करने से खाँसी, दमा, प्लीहा रोग शाँत हो जाता है। आक का दूध लगाने से ऊँगलियों का सडना दूर होता है।


नकारात्मक प्रभाव

आक का दूध यदि आंख में चला जाए तो आंख की रोशनी भी जा सकती है। अतः प्रयोग करते समय अपनी आंखों को बचा के रखे।।

नाज़ुक हिस्सो को बचा के रखे।।।

चित्र दीर्घा[संपादित करें]

  • आक का दूध क्या काम आता है? - aak ka doodh kya kaam aata hai?

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बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • कई बीमारियों का इलाज है आक का पौधा (प्रभासाक्षी)
  • आक के विभिन्न उपयोग
  • PIER - Calotropis gigantea
  • Flowers of India - Crown flower
  • Purdue University: Center for New Crops & Plant Products - Crown flower
  1. "The Plant List: A Working List of All Plant Species". मूल से 12 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 July 2014.

आक का दूध पीने से क्या होगा?

इससे आंखों का लाल होना, भारीपन, आंखों में दर्द या खुजली जैसी समस्या दूर हो जाती है. आक के दूध में रूई भिगोकर घी में अच्छी तरह से मसल लें और फिर इसे दाढ़ पर रख लें. इससे दांत या दाढ़ का दर्द तत्काल दूर हो सकता है. इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है.

मदार के दूध से क्या क्या फायदा होता है?

मदार के पत्‍तों का उपयोग हाथ-पैर के छालों को दूर करने के लिए किया जाता है। मदार के दूध को छालों पर लगाने से आपके पैर के छाले सही हो जाएंगे। इसके अलावा, आप मदार के दूध को दांत दर्द में भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। दांत दर्द से राहत पाने के लिए मदार के दूध को कॉटन की मदद से मसूड़ो पर लगाएं।

आक के पत्ते क्या काम आते हैं?

​बवासीर के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है मदार बवासीर के मरीज के लिए अकौआ के पत्तों का उपयोग करना फायदेमंद होता है। इसके लिए उन्हें आक के पत्तों को जलाना है और उसके धुएं को नियमित रूप से लेना है। ऐसा करने से बवासीर की खुजली और दर्द से जल्द छुटकारा मिलता है।

मदार का दूध बाल में लगाने से क्या होता है?

गंजापन -जिन लोगों के बाल गिर गयें हैं उनको आक के दूध को गंजे स्थान पर लगाने से बाल उग आते हैं। यह गंजापन का रामबाण उपचार है। ध्यान रहे इसका दूध आँख में नहीं जाना चाहिए नहीं तो आँखे खराब हो सकतीं हैं।