आर्मी वालों को खाने में क्या मिलता है? - aarmee vaalon ko khaane mein kya milata hai?

लॉस वेगास इंसान को रोज 2000 से ढाई हज़ार तक कैलोरी की ज़रूरत होती है ताकि वो दिन भर एक्टिव रह सकें, जिसमें आपके तीन वक्त का खाना इनक्लूड होता है। पर क्या आप जानते हैं एक सिपाही को यानी जो हमारे बॉर्डर पर तैनात सैनिक हैं, उन्हें एक दिन में कम से कम 4000 कैलरी की जरूरत होती है ताकि वो 24 घंटे उसी एनर्जी के साथ अपनी ड्यूटी सर्व कर सकें। हम सब ने ये कहावत तो सुनी है कि भूखे पेट ना भजन गोपाला जब भूखे पेट भजन नहीं हो सकता तो फिर जंग तो दूर की बात है। अब न्यूज में गोस्वामी जी जैसे बड़े बड़े ज्ञानियों के द्वारा आपको पता तो चल ही गया होगा कि हमारे देश की सेना पाकिस्तान की सेना से कितनी बड़ी है। क्या आपको पता है हमारी सेना में टोटल 16 लाख सैनिक हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इतने सारे लोगों का खाना कैसे और क्या बनता होगा। आज के इस विडियो में हम आपको यही बताने वाले हैं कि इंडियन आर्मी का खाना कैसे बनता है। जंग के दौरान या बॉर्डर वाली जगहों पर खाना कैसे पहुंचाया जाता है और उनकी डायट कैसी होती है। तो बने रहिए। वीडियो के अंत तक नेपोलियन बोनापार्ट कहते हैं कि सेना पेट भरने पर ही आगे बढ़ सकती है। हमारी सेना में भी एक पुरानी कहावत है। आर वी। मार्टियर्स और एट स्टमक। यानी जंग लड़ने के लिए सैनिकों को पेट के बल जाना पड़ता है। अगर हमारे सैनिक भूखे पेट रहे तो जंग नहीं लड़ पाएंगे। भारतीय सेना में खाने को लेकर बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है, क्योंकि हमारे फौजियों की देख रेख करने वालों को पता है कि अगर उन्हें भरपेट खाना नहीं मिला तो वे अच्छे से अपना काम नहीं कर पाएंगे। आप सभी ने बॉर्डर फिल्म तो देखी होगी उसमें उस रेजिमेंट के साथ एक खानसामा रहता है। बॉर्डर फिल्म में खानसामे का रोल कुलभूषण खरबंदा ने किया है। ऐसे ही भारतीय सेना की हर रेजिमेंट और टुकड़ी के साथ एक खानसामा और रसोइयों की टीम होती है, जो सेना के साथ चलती है ताकि हमारे सैनिकों को ताजा और गरम खाना मिल सके। सेना की आर्मी सर्विस कॉर्प का यानि कि ऐसी गांव के खाने पीने के इंतजाम करने में इंपॉर्टेंट रोल रहता है। हर यूनिट को राशन और खाने पीने का सामान अलग से मिलता है। यहां तक कि जब सैनिक जंग के मैदान में होते हैं तब भी हर कंपनी के साथ खाने पीने का सामान रहता है और खानसामे खाना पकाते हैं, जिससे सैनिकों को ताजा अपनी पसंद का खाना मिलता रहे। खानसामा का ये रोल होता है कि वो सैनिकों को तीन टाइम का खाना मुहैया करवाएं। इसके साथ ही स्नैक्स और चाय का भी अरेंजमेंट करें। अब बात करें उन रेजीमेंट या सेना टुकड़ियों की जो एक जगह से ऑपरेट की जाती हैं, जिन्हें बटालियन कहा जाता है जहां पर प्रॉपर आर्मी, शेफ और कुक्स होते हैं जो लंगर के लिए खाना बनाते हैं, जिसमें पूरी तरह से न्यूट्रीशन और डायट प्लान का ध्यान रखते हुए खाना बनाया जाता है और वेज नॉन वेज दोनों तरह का खाना हमारी सेना को दिया जाता है। अब हम सेना की उस रेजिमेंट की बात करेंगे, जिन्हें हम बीएसएफ यानि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के नाम से जानते हैं। आखिर उनका खाना कैसे पहुंचता होगा तो सबसे पहले शहरों से सब्जियां, फल, दाल, चावल, मांस, अंडा, आटा और बाकी खाने पीने के सारे सामान फूड कंटेनर वाले ट्रकों में भर कर उस जगह तक पहुंचाया जाता है, जहां सेना ने अपना कैम्प लगाया है। अगर ट्रक वहां तक किसी कारणवश नहीं पहुंच पाते हैं तो वह हेलीकॉप्टर के जरिये कैम्प के नजदीक जगह पर सामान गिरा दिया जाता है। बाद में सेना के जवान उन्हें लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट या घोड़े पर लादकर अपने कैम्पों तक ले जाते हैं और वहां उनके साथ गए कुक्स उन सामानों से खाना तैयार करते हैं। ऐसी फोर्स की सारी मेन्यू तैयार की जाती है। कंपनी जिसमें 100 से डेढ़ 100 सैनिकों में उनके साथ दो कुक भी होते हैं, जो सुबह के नाश्ते से लेकर रात का गरम खाना तक प्रोवाइड करते हैं। भारतीय सेना भारत के जिस कोने में भी हो सप्लाई को रोहतक अपने स्टोर यार्ड से राशन पहुंचाती है ताकि सेना के हर किचन और मेस हाउस तक पौष्टिक आहार पहुंच सके। जंग के दौरान जो सेना मोर्चे से हट नहीं सकती, उन्हें खाना इंसुलेटेड केसेस में पैक करके प्रोवाइड किया जाता है। युद्ध के दौरान सेना की डायट में एनर्जी बार्स और एनर्जी ड्रिंक्स भी शामिल होती हैं। आइए बात करते हैं सैनिकों की डायट की तो सुबह चाय, कॉफी और नाश्ते में पूरी और पराठे दिए जाते हैं। दो प्यार के प्रॉपर मील में दाल, चावल, रोटी, सब्जी और भरपूर सलाद दिया जाता है और रात में सैनिकों को हल्का खाना दिया जाता है। सेना का खाना मैन्यू शेड्यूल के हिसाब से बनता है। हफ्ते में दो बार नॉनवेज दिया जाता है और जो सैनिक नॉनवेज नहीं खाते हैं, उनके लिए पनीर या दूध जैसी चीजें होती है ताकि भरपूर मात्रा में उन्हें प्रोटीन मिलता रहे। फौजियों को हर जंग के लिए तैयार किया जाता है और उसी के हिसाब से उनकी फिजिकल एक्टिविटी करवाई जाती है। जिसके कारण हर रोज जवानों की डायट और खाने का पूरा ध्यान रखा जाता है कि कोई वीक ना हो, उन्हें खाने की कमी से कोई बीमार पड़े। जवानों के खाने में फल और जूस शामिल होते हैं ताकि शरीर में हमेशा ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहे। दोस्तो क्या आप जानते हैं फौजियों के जो कुक होते हैं उनकी भी सेना में भर्ती और ट्रेनिंग प्रोसेस नॉर्मल सैनिकों की तरह ही होती है और उन्हें भी कम्पलसरी हेमंत की ट्रेनिंग लेनी होती है क्योंकि क्या पता कब युद्ध जैसे हालात हो जाएं और उन्हें भी बंदूक उठानी पड़ जाए। इसलिए मैस के कोर्स भी प्रॉपर मिलिट्री ट्रेनिंग के साथ ही उन लोगों से जुड़े होते हैं। भारत वर्तमान में केवल 71 अरब डॉलर यानी करीब 5,00,000 करोड़ रुपए सेना पर खर्च करता है। जिसमें से करीब 1400 ₹40 करोड़ सेना। एक साल में खाने पर खर्च करती है। भारतीय सेना विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना मानी जाती है। अब इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारी सेना को किन हालातों का सामना करना पड़ रहा होगा। हर हालात कैसे भी हमारे जवान देश की रक्षा करने में कभी पीछे नहीं हटते। आर्मी का खाना पौष्टिक तो होता है। पर क्या आप जानते हैं आफिसर्स के लिए खाना अलग मेस प्रबंध और सिपाहियों के लिए अलग। समझदार को इशारा काफी पौष्टिक खाने और स्वादिष्ट खाने में अंतर होता है। हमारे सैनिक देश के सबसे ठंडे इलाके और खून सुखा देने वाली गर्मी में भी तैनात रहते हैं तो जरूरी नहीं है कि उन्हें हमेशा एक तरह का ही खाना मिले या फिर अच्छा खाना ही मिले। हमारे घर पर भी अगर चार लोगों का खाना बनता है तो जरुरी नहीं कि वो रोज टेस्टी बनें। क्या वे कड़वे स्वाद इधर उधर हो ही जाता है? हमारे पास ये प्रिविलेज है कि हम कह सकते हैं कि आज का खाना अच्छा नहीं बना है। मैं कुछ और खा लूंगा पर हमारी सेना को कड़वी गवाई युद्ध की स्थिति में वो खाना भी खाना पड़ जाता है, जो खाने लायक भी नहीं होता या कभी कभी बस कैलरीज के लिए और जिंदा रहने के लिए हमें भी साथ खाना खाना पड़ता है। हमारे जवानों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके कारण वो किसी भी स्थिति में सरवाइव कर लेते हैं। ये सारी बातें जानने के बाद इंडियन आर्मी के लिए आपके दिल में कहीं न कहीं और नजर पड़ गई होगी
  

इंडियन आर्मी को खाने में क्या क्या दिया जाता है?

इनमें एनर्जी बार से लेकर महीनों तक खराब नहीं होने वाली चपाती, मीट, गरम पानी में तैयार होने वाले फूड्स, पुलाव, हलवा वगैरह शामिल हैं। दुनिया की हर आर्मी में जवानों के लिए कॉम्बैट राशन होता है जो लड़ाई के मैदान में जाने वाले जवानों को दिया जाता है।

फौजी कैसे मिलता है?

आवेदन करने के बाद फिजिकल फिटनेस टेस्ट और Aptitude test उत्तीर्ण करना होगा. फिजिकल फिटनेस टेस्ट क्लियर करने के बाद एप्टीटयूट टेस्ट उत्तीर्ण करना होगा. शारीरिक जाँच परीक्षा, एप्टीटयूट टेस्ट के बाद लिखित परीक्षा होती है. लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने वालें अभ्यर्थियों का चयन इंडियन आर्मी/ फौजी के लिए होता है.

आर्मी में जाने से पहले क्या करना चाहिए?

सबसे पहले उम्मीदवारों को मापदंडों के अनुसार आधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर जाकर आवेदन करना होता है। इसके बाद आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जाँच की जाती है। इसके बाद फिजिकल फिटनेस टेस्ट का आयोजन किया जाता है। इस टेस्ट को पास करने के बाद फिजिकल मेज़रमेंट टेस्ट ली जाती है।

मेस में खाना कैसे बनता है?

थाने और पुलिस लाइन में बनने वाला सामूहिक भोजन जिसे मेस कहते हैं, उसके लिए कोई सरकारी फंड नहीं दिया जाता. सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के हर पुलिसकर्मी को उसके पद के हिसाब से पौष्टिक आहार भत्ता उसकी तनख्वाह में जोड़ कर दिया जाता है. वर्तमान में प्रत्येक सिपाही को 1875 रुपये मासिक पौष्टिक आहार भत्ता दिया जाता है.