आदि मानव की उत्पत्ति और विकास पर प्रकाश डालिए - aadi maanav kee utpatti aur vikaas par prakaash daalie

  •  पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति एवं विकास का परिचय दीजिए।
    • (1) सूक्ष्म तथा रीढ़ विहीन जीव की उत्पत्ति-
    • (2) खोलयुक्त एवं जल-स्थलचर प्राणी-
    • (3) अण्डज श्रेणी के प्राणी-
    • (4) नभचर एवं स्तनपायी प्राणियों की उत्पत्ति-
    • (5) मानव की उत्पत्ति-

 पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति एवं विकास का परिचय दीजिए।

OR
प्रश्न—आदिमानव से आधुनिक मानव तक की विकास प्रक्रिया में क्या-क्या
शारीरिक परिवर्तन हुए

उत्तरजीव की उत्पत्ति
पृथ्वी पर जीव की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, इसका उत्तर देना बड़ा कठिन कार्य
है । फिर भी वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर जीवन का विकास निम्न अवस्थाओं में
हुआ

(1) सूक्ष्म तथा रीढ़ विहीन जीव की उत्पत्ति-

आदि जीव की उत्पत्ति के सम्बन्ध
में विद्वान अभी तक किसी एक निश्चित मत पर नहीं पहुँच सके हैं; परन्तु अधिकांश
विद्वानों का मत है कि आज से लगभग 50 करोड़ वर्ष पूर्व, पानी में जीव का जन्म
हुआ । आदि जीव जैली के समान एक अत्यन्त सूक्ष्म जीव था । उस पर कोई खाल
और हड्डी नहीं थी । इसमें सम्भवतः वनस्पति और पशु दोनों के सूक्ष्म लवण विद्यमान
थे । यह आदि जीव एककोशीय था । इस जीव के उप-विभाजन द्वारा ही अनेक जीव
धीरे-धीरे बढ़ते गए ।

(2) खोलयुक्त एवं जल-स्थलचर प्राणी-

करोड़ों वर्ष के उपरान्त इस प्रकार के
प्राणियों का जन्म होना प्रारम्भ हुआ जिनके ऊपर आवरण अथवा खोल था । इस श्रेणी
के प्राणियों में घोंघे, केकड़े, जलबिच्छू और मछलियाँ सम्मिलित थे । इनके साथ ही
दलदली भागों में वनस्पतियाँ भी दिखाई देने लगी। इन दलदली भागों में कुछ अन्य प्राणी
जैसे केकड़े, मेढ़क तथा रेंगने वाली प्राणी (सरीसृप) आकर रहने लगे । ये प्राणी जल
तथा स्थल दोनों में रहते थे। इसी कारण इन्हें जल-स्थलचर जीव कहा जाता है ।

(3) अण्डज श्रेणी के प्राणी-

जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप कालान्तर में इस
प्रकार के प्राणी दिखाई देने लगे जिनकी उत्पत्ति अण्डों अथवा बीजों से हुई थी । इनमें
मगरमच्छ, बड़े-बड़े सर्प आदि प्रमुख थे। इसी काल में डाइनासोर की भाँति इतने बड़े
जीव-जन्तु उत्पन्न हुए कि उनकी लम्बाई 30 मीटर तक थी ।

(4) नभचर एवं स्तनपायी प्राणियों की उत्पत्ति-

कई करोड़ वर्ष पश्चात्,
आकाश में उड़ने वाले तथा स्तनपायी प्राणियों की उत्पत्ति हुई । इसके अतिरिक्त अब
प्राणियों का जन्म गर्भ से भी होने लगा । नभचर प्राणियों में चिड़ियाँ तथा स्तनपायी
प्राणियों में नर-वानर (प्राइमेट) प्रमुख हैं। बन्दर, लंगूर और चिम्पैंजी इसी श्रेणी में
सम्मिलित किए जाते हैं ।

(5) मानव की उत्पत्ति-

मानव के जन्म की कहानी बड़ी ही अद्भुत और रहस्यमय
है। मानव बन्दर या लंगूर का वंशज था या नहीं, एक विवाद का विषय है। इतना अवश्य
है कि वह बन्दरों आदि से काफी मिलता-जुलता था । आधुनिक विद्वानों का मत है कि
प्राइमेट (नर-वानर) से ही आज से लगभग 5 लाख वर्ष पूर्व ऐसे प्राणी का जन्म हुआ
जो मानव के समान था ।

धीरे-धीरे ये प्राणी वृक्षों से उतरकर अपने पिछले पैरों पर खड़े
होकर चलना सीख गए और धरती पर ही रहने लगे। समय के साथ-साथ वे अपने प्रयोग
भी करने लगे और उनकी बुद्धि का विकास हुआ । इस बुद्धि के बल पर ही मानव ने
अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त किया ।

इस प्रकार वर्तमान मानव का विकास पाँच चरणों (Five Stages) में हुआ
(i) सूक्ष्म व रीढ़ विहीन प्राणी, (ii) जल-स्थलचर जीव, (iii) अण्डज श्रेणी के
प्राणी, (iv) नभचर तथा स्तनपायी जीव, और तत्पश्चात् (v) मानव की उत्पत्ति ।

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Aadimanav history in hindi

Aadimanav – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आदिमानव का इतिहास व् जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस बेहतरीन लेख के माध्यम से आदिमानव का इतिहास  व् जीवन परिचय को जानते हैं ।

आदि मानव की उत्पत्ति और विकास पर प्रकाश डालिए - aadi maanav kee utpatti aur vikaas par prakaash daalie
Aadimanav history in hindi

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aadi manav ka itihas in hindi

आदिमानव के इतिहास के बारे में – आदिमानव काल में , आदिमानव एक झुंड में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे । आदिमानव का जीवनकाल 40,000,00 वर्ष पूर्व पहले का रहा है । जब इस पृथ्वी की उत्पत्ति हुई थी तब इसके बाद पृथ्वी पर आदि मानव ने जन्म लिया था ।वैज्ञानिको के कई रिसर्च करने के बाद यह पता चला था कि पृथ्वी की उत्पत्ति तकरीबन करोड़ों साल पूर्व पहले हुई थी और तकरीबन 40,000,00 वर्ष पूर्व में आदिमानव काल की उत्पत्ति हुई थी । जब पृथ्वी पर आदिमानव की उत्पत्ति हुई थी तब आदिमानव को दुनिया के रहन सहन के बारे में कुछ भी पता नहीं था ।

आदिमानव की उत्पत्ति के बाद आदिमानव को ना को आग के बारे में कुछ जानकारी थी और ना ही खेती करने के बारे में । आदिमानव काल के समय आदिमानव एक झुंड में रहते थे और एक झुंड के साथ वह जंगलों में भोजन की खोज में निकल पड़ते थे । जानवरों का शिकार करके वह अपना भोजन तैयार करते थे । आदिमानव काल के समय आदिमानव  को कपड़े पहनने का तक ज्ञान नहीं था । आदिमानव काल के समय आदिमानव ने पेड़ , पत्तों के कपड़े , जानवर की खाल के कपड़े बनाकर पहनना शुरू किया था ।

आदिमानव काल के समय आदिमानव  जिस तरह के हथियार प्रयोग में लाते थे वह हथियार आदिमानव के द्वारा पत्थरों से बनाए गए थे । आदिमानव किस तरह से गुफाओं में रहते थे इसकी पूरी जानकारी सामग्री और शिलालेख से प्राप्त  हुई है  जो शिलालेख पुरातन विभाग के पास रखा हुआ है । जो यह दर्शाता है कि आदिमानव काल के समय आदिमानव बड़ी कठिनाइयों के साथ अपना जीवन व्यतीत करता था । पुरातन सामग्री से एवं शिलालेख के माध्यम से यह पता चला है कि आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी हिफाजत करने के लिए गुफाओं के बाहर आग जलाकर रखते थे ।

जिससे कि जंगली जानवर उनकी गुफा में घुस कर हमला ना कर सकें । आदिमानव काल में ही , आदिमानव के द्वारा आग की उत्पत्ति की गई थी । आदिमानव काल के समय जब आदिमानव जंगलों में शिकार के लिए जाते थे तब आदिमानव  जानवरों का शिकार करने के लिए पत्थरों के हथियार बनाते थे । जब आदिमानव  पत्थरों के नुकीले तेज धार हथियार बना रहे थे तब उसमें से एक चिंगारी उत्पन्न हुई थी । जिस चिंगारी से आदिमानव ने आग जलाना सीखा था । इस तरह से आदिमानव ने आदिमानव काल के समय खेती और अन्य सुविधाओं की खोज की है ।

आदिमानव काल का जीवनकाल बहुत ही कठिन रहा होगा । खुदाई के समय  आदिमानव काल के समय के भवन , बर्तनों , औजार एवं धातु मिले हैं जिसका उपयोग आदिमानव किया करते थे ।खुदाई के समय आदिमानव काल के समय की गुफाएं भी मिली है । गुफाओं में कई शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं । आदिमानव काल हजारों वर्षों  समय पहले , आदिमानव  के द्वारा बनाए गए शहर नष्ट होकर के धरती में समा गई थे ।  जब खुदाई की गई थी तब खुदाई के समय आदिमानव के औजार  नुकीले धारदार हथियार , हथोड़ा गुफाओ में मिले थे ।

आदिमानव काल के समय आदिमानव  एक झुंड के साथ रहना पसंद करते थे । वह एक लाइन  में  कर अपनी गुफाओं से बाहर निकलते थे । जिससे यह पता चलता है कि आदिमानव काल में आदिमानव को जानवरों का बहुत ही भय रहता था । आज वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से आदिमानव पर कई रिसर्च किए गए है । दुनिया के कई हिस्सों में आदिमानव काल के समय के आदिमानव की हड्डियां ,  खोपड़ीया प्राप्त हुई है  । जिन पर  वैज्ञानिकों के द्वारा रिसर्च किया जा रहा है । वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार यह हड्डियां लाखों वर्ष पूर्व की है ।

इस तरह से आदिमानव काल का जीवन काल रहा है । आदिमानव काल के समय को पाषाण काल एवं प्रस्तर काल भी कहते हैं । इस काल के आरंभ में आदि मानव को किसी भी तरह का कोई भी ज्ञान नहीं था । जिस तरह से धीरे-धीरे समय बीतता गया आदि मानव ने कई चीजों का ज्ञान हासिल कर लिया था । वह धीरे-धीरे कपड़ों से लेकर भोजन की खोज करने में सफल रहे थे । आदिमानव ने खेती के निर्माण मे अपना  महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।

आदिमानव का रहन सहन aadi manav ka rahan sahan in hindi – आदिमानव काल के समय एवं ऐतिहासिक काल में आदिमानव अपना जीवन जंगलों में रहकर व्यतीत करते थे । आदिमानव काल के समय आदिमानव पेड़ों पर वह कर अपना जीवन व्यतीत करते थे । पाषाण एवं प्रस्तर काल के समय आदिमानव की जब उत्पत्ति हुई थी तब आदिमानव को किसी भी तरह का कोई भी ज्ञान प्राप्त नहीं था । वह पेड़ों की पत्तियां , फल खाकर अपना जीवन व्यतीत करते थे । वह एक साथ में रहकर जंगल में भोजन की तलाश में जाते थे ।

धीरे-धीरे समय बीतता गया आदिमानव ने अपने आसपास का ज्ञान प्राप्त किया और पत्थरों से सबसे पहले आदिमानव ने नुकीले धार दार हथियार बनाना प्रारंभ किया था । आदिमानव ने  अपने प्रारंभिक काल में कपड़े नहीं पहनते थे क्योंकि उनको कपड़ों का कोई भी ज्ञान नहीं था । आदिमानव जब पेड़ों की छाल और जानवरों की खाल को कपड़े के रूप में पहनने लगे थे तब उनको कपड़े पहनने का ज्ञान हुआ था । इस तरह से धीरे-धीरे आदिमानव अपने जीवन को बदलने लगे थे ।

वह गुफाओं को ठीक तरह से सजाने लगे थे । आदिमानव  गुफाओं में अपने पूरे परिवार के साथ रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे । आदिमानव अपना जीवन अपने परिवार के साथ ही गुजारते थे । धीरे-धीरे समय बीतने के बाद आदिमानव में ज्ञान का विकास हुआ और वह अपने क्षेत्र के आसपास का धीरे-धीरे ज्ञान प्राप्त करने लगे थे । आदिमानव ने अपने प्रारंभिक समय में जंगलों में रहकर सबसे ज्यादा  जीवन व्यतीत किया है क्योंकि उस समय शहरों एवं गांवों का विकास नहीं हुआ था ।

आदिमानव ने हीं अपने अथक प्रयासों से खेती का विकास किया था । वह खेती करना सीखे इसके बाद उन्होंने खेती के माध्यम से अनाज उगाना प्रारंभ किया  था । खेती से प्राप्त अनाज से आदिमानव अपना पेट भरते थे । आदिमानव का रहन सहन बहुत ही शांत प्रिय था । वह अपने भोजन के लिए जंगलों में भटकते रहते थे । जब तक वह अपनी गुफाओं में लौट कर वापस नहीं आते थे तब तक कि उनको भोजन प्राप्त नहीं हो जाता । आदिमानव काल के समय आदिमानव सभी एक दूसरे आदिमानव की हिफाजत करते थे ।

जब किसी एक आदिमानव पर खतरा आता था तब सभी आदिमानव मिलकर उस खतरे का सामना करते थे । आदिमानव आदिमानव काल के समय जंगलों से जंगली जानवरों को पकड़ कर उनका शिकार करके भोजन तैयार करके गुफाओं में चैन की नींद सोते थे । इस तरह से आदिमानव की दिनचर्या थी । जब आदिमानव  अपनी गुुफाओ में रहते थे तब आदिमानव जंगली जानवरों से बचने के लिए गुफाओं के बाहर आग जलाते थे । जिससे कि जंगली जानवर गुफाओं में घुसकर उनके परिवार को किसी तरह की कोई भी क्षति ना पहुंचा सके ।

आदिमानव की जानकारी information about aadimanav – आदिमानव जंगलों में घूमकर घुमक्कड़ जिंदगी जीते थे ।आदिमानव जंगलों में जाकर जंगली जानवरों का शिकार करके भोजन किया करते थे । परंतु कुछ वैज्ञानिकों का यह कहना है कि पाषाण युग में आदिमानव फल फ्रूट खाते थे । इस पर अभी तक स्पष्ट रिसर्च नहीं किया गया है जिससे कि यह  कहा जा सके कि आदिमानव मांस मदिरा का सेवन नहीं करते थे । यह एक राज ही बना हुआ है ।वैज्ञानिकों का यह मानना है कि आदिमानव पाषाण युग में फल फ्रूट ही खाते थे । पेड़ पौधों से पत्तियां तोड़कर , खाकर अपनी भूख मिटाते थे ।

लाखों करोड़ों साल पहले जब आदिमानव की उत्पत्ति हुई तब वह अपने प्रारंभिक जीवन काल में जंगलों के पेड़ों पर रहकर अधिक समय तक अपना जीवन व्यतीत किया था । धीरे-धीरे आदिमानव ने गुफाओं का आविष्कार किया और गुफाओं में रहकर अपना जीवन व्यतीत करने लगा था । पुरानी सभ्यता से निकलकर धीरे-धीरे आदिमानव नई सभ्यता में प्रवेश करने लगा था । आदिमानव अपनी  अपनी नई सभ्यता की खोज में निकल पड़ा था ।

ऐसा कहा जाता है कि जब आदि मानव सभ्यता की खोज में निकला था तब आदिमानव के द्वारा ही स्त्री पुरुष की शादी की सभ्यता की खोज की गई थी और स्त्री पुरुष के विवाह की परंपरा को आदिमानव के द्वारा ही स्थापित किया गया था । आदिमानव का जीवनकाल कई समय तक प्रचलन में रहा । परंतु आदिमानव काल मे आदिमानव की गुफाएं पृथ्वी मे समा गई थी । जिस तबाही मे आदिमानव नष्ट हो गए थे , उनकी गुफाएं धरती में समा गई थी । जो खुदाई के बाद मिली है ।

आदिमानव की खोपड़ी  और हड्डियों का जब वैज्ञानिक ने रिसर्च किया तब यह पता चला कि यह हड्डियां लाखों बरसों पुरानी हैं और वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया कि लाखों साल पहले आदिमानव इस धरती पर रहते थे और जंगलों में रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे । आदिमानव जंगलों में शिकार करने के लिए जाते थे और शिकार करने के लिए आदिमानव के द्वारा ही पत्थरों से नुकीले धार हथियार हथोड़ा बनाकर तैयार किए गए थे । आदिमानव ने पेड़ों से लकड़ी काटने के लिए पत्थर की कुल्हाड़ी की उत्पत्ति भी  की गई थी ।

आदिमानव की उत्पत्ति और विकास aadi manav ki utpatti aur vikas in hindi – आदिमानव की उत्पत्ति पाषाण काल मे एवं प्रस्तर काल में हुई थी । जब करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी की उत्पत्ति हुई थी इसके बाद पाषाण काल में आदिमानव की उत्पत्ति हुई थी । आदिमानव की जब उत्पत्ति हुई थी तब आदिमानव को रहन सहन का कोई भी ज्ञान नहीं था । आदिमानव नंग अवस्था में जंगलों में रहकर , पेड़ों पर रहकर अपना जीवन व्यतीत करते थे । धीरे-धीरे जब आदिमानव को अपनी भूख का एहसास हुआ तब वह पेड़ों की पत्तियों को खाकर अपनी भूख मिटाने लगे थे ।

इसके बाद आदिमानव जंगलों में जाने लगे थे । आदिमानव जंगलों में जाकर , जंगली जानवरों को मारकर उनका शिकार करके अपना भोजन बनाने लगे और धीरे-धीरे समय बीतने के साथ-साथ आदिमानव अपने विकास के लिए निरंतर प्रयास करने लगे थे । जब आदि मानव जंगलों में जानवरों का शिकार करने के लिए जाने लगे थे तब आदिमानव ने पत्थरों के माध्यम से पत्थरों को तोड़कर उनके नुकीले धारदार हथियार बनाना प्रारंभ कर दिया था । जब आदिमानव  धारदार हथियार बनाते थे तब एक चिंगारी निकलती थी ।

जब आदिमानव ने  पत्थरों से निकलती हुई चिंगारी देखी तब आदिमानव के द्वारा ही आग की उत्पत्ति की गई थी । इस तरह से धीरे-धीरे आदि मानव विकास की ओर बढ़ने लगे थे । आदिमानव पुरानी सभ्यता से बाहर निकल कर नई सभ्यता को जन्म देने के प्रयास करने लगे थे और वह निरंतर कोशिश करते रहते थे की आस पास की सुविधाओं को किस तरह से बढ़ाया जाए । इसी प्रयास को निरंतर आगे बढ़ाते हुए आदिमानव के द्वारा ही खेती का आविष्कार किया गया था ।

जब आदिमानव ने खेती करना सीखा था तब आदिमानव उसी खेती से अनाज उगा कर उस अनाज से अपना पेट भरने लगे थे ।  आदिमानव को अपने प्रारंभिक समय में कपड़े पहनने तक का ज्ञान नहीं था । वह जब नई सभ्यता की खोज करने लगे थे तब आदिमानव पत्तियों से अपना अंग ढकने लगे थे । धीरे-धीरे जानवरों की खाल से वह  कपड़े बनाने लगे और अपने शरीर को ढकने लगे थे । जब आग  की उत्पत्ति हुई तब आदिमानव उस आग से अपने शरीर को सेकने लगे थे ।

आदिमानव ठंड के समय गुफाओं के बाहर आग जलाते थे जिससे कि जंगली जानवर उनके परिवार पर हमला ना कर दे । पाषाण काल में आदिमानव की उत्पत्ति के बाद आदिमानव ने विकास की ओर अपने कदम बढ़ा दिए थे ।धीरे-धीरे समय बीतने के बाद आदिमानव  एक से एक , बेहतर से बेहतर सुविधाएं एकत्रित करने लगे थे । लकड़ी काटकर जंगलों से लाकर अपना भोजन पकाने लगे थे । इस तरह से पाषाण काल में आदि मानव के द्वारा विकास कार्य किए गए थे ।

आदिमानव के औजार aadi manav ke auzar – पाषाण युग में आदिमानव के द्वारा पत्थरों के माध्यम से नकुले धारीदार हथियार बनाए गए थे । जब आदिमानव जंगलों में जानवरों के शिकार के लिए जाते थे तब उन्होंने चट्टानों से पत्थरों को तोड़कर नुकीले धारदार हथियार बनाना प्रारंभ किया था । लाखों साल पहले आदिमानव के द्वारा बनाए गए हथियारों के प्रमाण मिले हैं । आदिमानव के द्वारा पाषाण काल में भाला , हथोड़ा कुल्हाड़ी और भी कई नुकीले धारदार हथियार बनाए गए थे । आदिमानव धीरे धीरे अपना विकास करता गया और आदिमानव के द्वारा चक्कू एवं लंबे-लंबे नुकीले हथियार बनाएं गए थे ।

समय बीतने के बाद उन्होंने नुकीले धारदार हथियारों पर लकड़ी के हत्थे लगाना प्रारंभ कर दिया था । भोपाल शहर के पहाड़ी इलाका बोरदा मे जब खुदाई की जा रही थी तब उस खुदाई में आदिमानव के कई नुकीले धारदार हथियार मिले थे जिससे यह पता चलता है कि आदिमानव हथियार बनाने में कितनी रुचि रखते थे । पाषाण युग में नुकीले धारदार हथियारों से ही आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करता था । पाषाण काल के शेल चित्र से यह पता चलता है कि गुफाओं में वह हथियार सजाकर रखते थे ।

आदिमानव पाषाण काल में प्रतिदिन नए-नए हथियारों की खोज किया करते थे जिससे कि वह जंगली जानवरों का शिकार आसानी से कर सकें । आदिमानव के द्वारा पत्थरों को तोड़ने के लिए पत्थरों से हथोड़ा बनाया गया था जिससे वह तोड़फोड़ किया करते थे । आदिमानव के द्वारा पेड़ की लकड़ियां काटने के लिए कुल्हाड़ी बनाई गई थी जिससे आदिमानव पाषाण काल में लकड़ियों को काटते थे । आदिमानव  जंगलों  से  लकड़ी  काटकर , लकड़ियों सेे आग जलाकर  अपना भोजन बनाते थे ।

जब पाषाण काल में आदिमानव खेती करना सीख गया था तब खेती करने के लिए आदिमानव के द्वारा कई धारदार हथियार बनाए गए थे । आदिमानव ने फसल की कटाई के लिए नुकीला हसिया बनाया था जिसका उपयोग आदिमानव फसल को काटने के लिए करते थे । आदिमानव के द्वारा भाले का निर्माण भी किया गया था जिसका उपयोग वह जंगलों में किया करते थे । आदि मानव सभ्यता धीरे धीरे विकसित होती जा रही थी ।आदिमानव के द्वारा कई नुकीले धारदार हथियारों का निर्माण किया जा चुका था ।

मिट्टी खोदने के लिए भी कई धारदार हथियार आदिमानव के द्वारा बनाए गए थे जग चट्टानों के टुकड़े आदिमानव के द्वारा बनाए गए थे ।  जब वह छोटे-छोटे पत्थरों को अलग करके रखते थे तब उन पत्थरों का उपयोग औजार बनाने में  करते थे । आदिमानव पत्थरों के द्वारा  औजार बनाने में सफल हुए थे । जानवरों को मारने के बाद उनको काटने के लिए भी आदिमानव के द्वारा कई नुकीले धारदार हथियार बनाए गए थे क्योंकि आदिमानव अपना प्रारंभिक जीवन जंगलों में व्यतीत करते थे ।

नुकीले धारदार हथियारों के माध्यम से ही आदिमानव ने गुफाओं का निर्माण किया था । छेनी , हथौड़ी के माध्यम से आदिमानव ने गुफाओं का निर्माण किया था । जब गुफाओं का निर्माण हुआ तब आदिमानव अपने परिवार के साथ उन गुफाओं में जीवन करने लगे थे । आदिमानव अपना ज्यादा से ज्यादा समय नुकीले धारदार हथियार बनाने में व्यतीत करता था । इसलिए लाखों वर्ष पहले के कई नुकीले धारदार हथियार खुदाई में मिले हैं । जब इन हथियारों पर वैज्ञानिकों के द्वारा रिसर्च किया गया तब पता चला था की पाषाण काल में आदिमानव को हथियार बनाने में बहुत रूचि थी ।

पाषाण काल में आदिमानव ने धारदार हथियार का निर्माण किया था । इसके बाद उन्होंने धारदार हथियारों के द्वारा आदिमानव काल के समय सिक्कों , बर्तनों के निर्माण के लिए अपना दिमाग लगाने लगे थे । आदिमानव के अथक प्रयासों के बाद सिक्कों एवं कई बर्तनों का निर्माण किया गया था । लाखों वर्षों पुराने धारदार हथियार पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित रखे हुए हैं । जो भी व्यक्ति उन हत्यारों को देखता है वह यह सोच में पड़ जाता है कि आदि मानव ने इन हथियारों की उत्पत्ति के बारे में कैसे सोचा था ।

आदिमानव काल बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ था । आदिमानव काल के समय अपने भोजन को बनाने के लिए आदिमानव के द्वारा धारदार हथियारों का निर्माण किया गया था । जब आदिमानव ने पत्थर के माध्यम से पहला नुकीला हथियार बनाया तब आदिमानव हथियार बनाने में अपनी रुचि लेने लगा था । नुकीले धारदार हथियारों के माध्यम से ही आदिमानव में जानवरों की खाल को निकालकर वस्त्र बनाए थे जिन कपड़ों को पहन कर वह ठंड से बचा करता था ।

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मानव विकास की उत्पत्ति कैसे हुई?

आधुनिक मानव अफ़्रीका में 2 लाख साल पहले , सबके पूर्वज अफ़्रीकी थे। होमो इरेक्टस के बाद विकास दो शाखाओं में विभक्त हो गया। पहली शाखा का निएंडरथल मानव में अंत हो गया और दूसरी शाखा क्रोमैग्नॉन मानव अवस्था से गुजरकर वर्तमान मनुष्य तक पहुंच पाई है। संपूर्ण मानव विकास मस्तिष्क की वृद्धि पर ही केंद्रित है।

आदि मानव का विकास कब हुआ था?

आदिमानव का इतिहास Aadimanav History In Hindi मानव का इतिहास करीब चालीस हजार लाख साल पुराना हैं. जब हमारी पृथ्वी की उत्पत्ति हुई तब से ही मानव यहाँ रहता आया हैं. हाल के के अनुसंधानों से यह जाहिर हो चूका है कि करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी अस्तित्व में आई तथा लगभग 40 हजार लाख वर्ष पहले आदिमानव का जन्म हुआ था.

मानव आदि क्या है?

दोस्तों आज मैं बात करूँगा हम मनुष्य के पहले पूर्वजों की जिन्हें आदिमानव कहते हैं। आदिमानव अपना जीवन जीने के लिए फल फूल और जानवर के कच्चे माँस खाते थे। इसके लिए उन्हें दिनभर इधर उधर भटकते रहना पड़ता था। उस समय जंगल, पहाड़ और पानी ही था।

आदि मानव से मानव कैसे बने?

आत्मा ने ही खुद को जलरूप में व्यक्त किया। ब्रह्म से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई और ब्रह्मा ने स्यवं को दो भागों में विभक्त कर लिया। उनका एक रूप पुरुष स्वायंभुव मनु और एक भाग स्त्री यानी शतरूपा था। सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई।