निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए- Show
(क) पाठ-एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा, लेखिका-बचेंद्री पाल। 360 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचन्द कर रहे थे। 473 Views (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे। 329 Views इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का सदंर्भ देकर कीजिए: निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है। 205 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- एवरेस्ट की तरफ गौर से देखते हुए लेखिका को एक भारी बर्फ़ का फूल दिखा जो पर्वत शिखर पर लहराता एक ध्वज-सा लग रहा था। 258 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- सागरमाथा शब्द से तात्पर्य है ‘सागर के माथे के समान’ तथा एवरेस्ट को सागरमाथा के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थानीय नाम था। इसलिए लेखिका को यह नाम पसंद आया। एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है। 368 Views निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए-जैसे मैं उठी, मैंने अपने हाथ जोड़े और मैं क्यने रज्जू-नेता अंगदोरजी के प्रति आदर भाव से झुकी। अंगदोरजी जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे लक्ष्य तक पहुँचाया। मैंने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट की दूसरी चढ़ाई चढ़ने पर बधाई भी दी। उन्होंने मुझे गले से लगाया और मेरे कानों में फुसफुसाया, ‘‘दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की। मैं बहुत प्रसन्न हूँ!’’ कुछ देर बाद सोनम पुलजर पहुंचे और उन्होंने फोटो लेने शुरू कर दिए।इस समय तक लहाटु ने हमारे नेता को एवरेस्ट पर हम चारों के होने की सूचना दे दी थी। तब मेरे हाथ में वॉकी-टॉकी दिया गया। कर्नल खुल्लर हमारी सफलता से बहुत प्रसन्न थे। मुझे बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा! प्र वे बोले कि देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा!प्रशन:(क) पाठ तथा लेखिका का नाम लिखो?(ख) लेखिका ने अगंदोरजी का किस प्रकार सम्मान किया?(ग) अंगदोरजी की पर्वत-यात्रा की क्या विशेषता थी?(व) कर्नल खुल्लर ने लेखिका का किस प्रकार अभिनन्दन किया?(क) पाठ-एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा, लेखिका-बचेंद्री पाल। 360 Views अंगदोरजी की पर्वत यात्रा की विशेष बात क्या थी?आदर भाव से झुकी । अंगदोरजी जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे लक्ष्य तक पहुँचाया। मैंने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट की दूसरी चढ़ाई चढ़ने पर बधाई भी दी। उन्होंने मुझे गले से लगाया और मेरे कानों में फुसफुसाया, “दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की।
अंगदोरजी दिन में ही पर्वत शिखर पर जाकर वापस क्यों लौटना चाहते थे?अंगदोरजी कुशल पर्वतारोही था। वह बिना ऑक्सीजन के बर्फ़ पर चलने का अभ्यस्त था। इसलिए वह यात्रा में ऑक्सीजन नहीं लगाता था। पंरतु बिना ऑक्सीजन के उसके पैर ठंडे पड़ जाते थे।
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