जटायु की पत्नी का क्या नाम था? - jataayu kee patnee ka kya naam tha?

रामायण काल में पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक और जहां कौए के आकार के काक भुशुण्डी की चर्चा मिलती है तो दूसरी ओर देव पक्षी गरूड़ और अरुण का उल्लेख भी मिलता है। गरूढ़ ने ही श्रीराम को नागपाश मुक्त कराया था। इसके बाद सम्पाती और जटायु का विशेष उल्लेख मिलता है। जटायु को श्रीराम की राह में शहीद होने वाला पहला सैनिक माना जाता है।

लोमश ऋषि के शाप के चलते काकभुशुण्डि कौवा बन गए थे। लोमश ऋषि ने शाप से मु‍क्त होने के लिए उन्हें राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया। कौवे के रूप में ही उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत किया। वाल्मीकि से पहले ही काकभुशुण्डि ने रामायण गरूड़ को सुना दी थी। इससे पूर्व हनुमानजी ने संपूर्ण रामायण पाठ लिखकर समुद्र में फेंक दी थी। वाल्मीकि श्रीराम के समकालीन थे और उन्होंने रामायण तब लिखी, जब रावण-वध के बाद राम का राज्याभिषेक हो चुका था। खैर...आओ जानते हैं सम्पाति और जटायु के बारे में ऐसी बातें जो अपने अभी नहीं जानी होगी... उल्लेखनीय है कि रामायण में सम्पाति और जटायु को किसी पक्षी की तरह चित्रित नहीं किया गया है, लेकिन रामचरित मानस में यह भिन्न है। रामायण अनुसार जटायु गृध्रराज थे और वे ऋषि ताक्षर्य कश्यप और विनीता के पुत्र थे। गृध्रराज एक गिद्ध जैसे आकार का पर्वत था।>  

जटायु के बारे में पहला रहस्य...

जटायु पिछले जन्म में कौन था?

रामायण अनुसार जटायु गृध्रराज थे और वे ऋषि ताक्षर्य कश्यप और विनीता के पुत्र थे। गृध्रराज एक गिद्ध जैसे आकार का पर्वत था। प्रजापति कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरुड़ और अरुण। अरुण जी सूर्य के सारथी हुए।

जटायु की माता कौन थी?

ये दोनों ही देव पक्षी अरुण के पुत्र थे। दरअसल, महर्षि कश्यप की पत्नी विनता के दो पुत्र हुए- गरूड़ और अरुण। गरूड़जी विष्णु की शरण में चले गए और अरुणजी सूर्य के सारथी हुए। सम्पाती और जटायु इन्हीं अरुण के पुत्र थे।

जटायु कितने भाई थे?

उस समय जटायु नाम के एक गरुड़ ने रावण के युद्ध किया था। रामायण में जटायु के साथ ही संपाती नाम के एक और गरुड़ का जिक्र भी है। संपाती और जटायु दोनों गरुड़ भाई थे। ये दोनों गरुड़ अरुण नाम के देवपक्षी की संतान थे

जटायु का पुत्र कौन था?

राम के काल में सम्पाती और जटायु नाम के दो गरूड़ थे। ये दोनों ही देव पक्षी अरुण के पुत्र थे।