निम्नलिखित में से कौन सा ग्रंथ कश्मीर के इतिहास का सबसे विस्तृत विवरण देता है?This question was previously asked in Show
SSC MTS 2020 (Held On : 7 Oct 2021 Shift 2 ) Official Paper 8 View all SSC MTS Papers >
Answer (Detailed Solution Below)Option 2 : राजतरंगिणी Free CT : GK (Ancient History) 10 Questions 10 Marks 6 Mins सही उत्तर राजतरंगिणी है।
Additional Information
Last updated on Oct 27, 2022 The SSC MTS Tier II Admit Card has been released. The paper II will be held on 6th November 2022. Earlier, the result for the Tier I was released. The candidates who are qualified in the SSC MTS Paper I are eligible for the Paper II. A total of 7709 vacancies are released, out of which 3854 vacancies are for MTS Group age 18-25 years, 252 vacancies are for MTS Group age 18-27 years and 3603 vacancies are for Havaldar in CBIC. 9.'रस रत्नाकर' और 'रसेन्द्र मंगल' : प्राचीन भारत में नागार्जुन नाम के महान रसायन शास्त्री हुए हैं। इनकी जन्म तिथि एवं जन्मस्थान के विषय में अलग-अलग मत हैं। रसायन शास्त्र में उनकी दो पुस्तकें 'रस रत्नाकर' और 'रसेन्द्र मंगल' बहुत प्रसिद्ध है। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें 'कक्षपुटतंत्र', 'आरोग्य मंजरी', 'योग सार' और 'योगाष्टक' हैं। रसरत्नाकर में इन्होंने रसायन के बारे में बहुत ही गुड़ रहस्यों को उजागर किया है। इसमें उन्होंने अयस्क सिनाबार से पारद को प्राप्त करने की आसवन विधि, रजत के धातुकर्म का वर्णन तथा वनस्पतियों से कई प्रकार के अम्ल और क्षार की प्राप्ति की भी विधियां वर्णित हैं। इसके अतिरिक्त रसरत्नाकर में रस (पारे के योगिक) बनाने के प्रयोग दिए गए हैं। इसमें देश में धातुकर्म और कीमियागरी के स्तर का सर्वेक्षण भी दिया गया था। इस पुस्तक में चांदी, सोना, टिन और तांबे की कच्ची धातु निकालने और उसे शुद्ध करने के तरीके भी बताए गए हैं। सबसे रहस्यमयी बात यह कि इसमें सोना बनाने की विधि का भी वर्णन है। पुस्तक में विस्तारपूर्ण दिया गया है कि अन्य धातुएं सोने में कैसे बदल सकती हैं। यदि सोना न भी बने रसागम विशमन द्वारा ऐसी धातुएं बनाई जा सकती हैं जिनकी पीली चमक सोने जैसी ही होती थी। इसमें हिंगुल और टिन जैसे केलमाइन से पारे जैसी वस्तु बनाने का तरीका दिया गया है। आज भी भारत के सुदूर प्रान्तों में कुछ ज्ञानी जानकार, योगी साधक हो सकते हैं जो नागार्जुन द्वारा बताई गई विधि से सोने का निर्माण करने में सक्षम है। इस किताब में एक जगह शालिवाहन और वट यक्षिणी के बीच रोचक संवाद है। शालिवाहन यक्षिणी से कहता है- 'हे देवी, मैंने ये स्वर्ण और रत्न तुझ पर निछावर किए, अब मुझे आदेश दो।' शालिवाहन की बात सुनकर यक्षिणी कहती है- 'मैं तुझसे प्रसन्न हूं। मैं तुझे वे विधियां बताऊंगी, जिनको मांडव्य ने सिद्ध किया है। मैं तुम्हें ऐसे-ऐसे योग बताऊंगी, जिनसे सिद्ध किए हुए पारे से तांबा और सीसा जैसी धातुएं सोने में बदल जाती हैं।' अगले पन्ने पर दसवीं प्राचीन रहस्यमयी किताब... विषय सूची
प्राचीन इतिहास को जानने के लिए सभी स्त्रोतों को मुख्य तौर पर दो भागों में बांटा जा सकता है | 1. साहित्यिक 2. पुरातात्विक साहित्यिक स्रोत (Literary Sources)साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है (i) धार्मिक साहित्य (Religious Literature)वेद– इसका अर्थ होता है- महत् ज्ञान, अर्थात् पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान, संपूर्ण वैदिक इतिहास की जानकारी के स्रोत वेद ही हैं. इनकी संख्या चार है- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद. वेदांग– इनसे वेदों के अर्थ को सरल ढंग से समझा जा सकता है. इनकी संख्या 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द तथा ज्योतिष. ब्राह्मण ग्रंथ-वेदों की गद्य रूप में की गई सरल व्याख्या को ब्राह्मण ग्रंथ कहा जाता है. आरण्यक– इसकी रचना जंगलों में की गई. इसे ब्राह्मण ग्रंथ का । अंतिम हिस्सा माना जाता है, जिसमें ज्ञान एवं चिंतन की प्रधानता है, उपनिषद् – ब्रह्म विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के समीप बैठना, इन्हें वेदांत भी कहा जाता है
महाकाव्य– रामायण एवं महाभारत भारत के दो प्राचीनतम महाकाव्य हैं. उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इनका रचनाकाल चौथी शताब्दी ई०पू० से चौथी शताब्दी ई० के बीच माना जाता है.
पुराण– इसे पंचमवेद भी कहा जाता है|
बौद्ध साहित्य– यह मूल रूप से चार भागों में विभाजित है-जातक, त्रिपिटक, पालि एवं संस्कृत
संस्कृत ग्रंथ
जैन साहित्य– ये प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं, इन्हें आगम कहा जाता है.
(ii) धर्मेत्तर साहित्य (Non-Religious literature)
विदेशी लेखक एवं उनके साहित्य
पुरातात्त्विक स्रोत (Archaeological Sources)खुदाई के दौरान प्राप्त वे पुरानी वस्तुएँ, जिनसे इतिहास की रचना में सहायता मिलती है, पुरातात्विक स्रोत कहलाती हैं. इनमें अभिलेख, मुद्रा, स्मारक आदि प्रमुख हैं. जॉन कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व का पिता कहा जाता है. मुद्राएँ अथवा सिक्के
अभिलेख – अभिलेख प्रायः स्तंभों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं, मूर्तियों, मंदिरों की दीवारों इत्यादि पर खुदे मिलते हैं. अभिलेखों का अध्ययन पुरालेखशास्त्र (Epigraphy) कहलाता है.
कुछ प्रमुख अभिलेख
स्मारक
In Short | Quick Revisionधार्मिक साहित्यिक स्त्रोत
अर्ध्द ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत
ऐतिहासिक साहित्यिक स्त्रोत
पुरातात्विक स्त्रोत
विदेशी विवरण
16 Quick Revision Facts
33 Quick Revision Questions1.ऐतिहासिक दृष्टि पर आधारित पहला भारतीय ग्रन्थ कौन-सा है?
2. भारतीय समाज मुख्य रूप से कितने भागों में विभाजित था?
3.स्त्रोतों के रूप में धार्मिक साहित्य को कितने उपवर्गों में विभाजित किया गया है?
4.सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
5.पुराणों की संख्या कितनी बताई गई है?
6.ऋग्वेद के पश्चात् किन ग्रन्थों की रचना हुई?
7.पुराणों से कौन-से प्राचीन भारतीय राजवंशों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है?
8.पुराणों से कौन-से विदेशियों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ?
9.बौद्धों के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ पिटक कौन-कौन से हैं?
10.पिटकों की रचना कहाँ व किस भाषा में हुई?
11.दक्षिणी बौद्धमत के ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
12.बुद्धचरित की रचना किस रचनाकार द्वारा किसके शासनकाल में हुई?
13.जैन धर्म के सूत्र ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
14.जैन ग्रन्थों में ऐतिहासिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ कौन-सा है?
15.ऐतिहासिक महत्व के प्रथम ग्रंथ की रचना कौन-सी है?
16.प्राचीन भारत के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला ग्रन्थ कौन-सा है?
17.ऐतिहासिक ग्रन्थों में महत्वपूर्ण ‘राजतरंगिणी’ की रचना किसने की?
18.सौराष्ट्र क्षेत्र (गुजरात) में रचित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रन्थ कौन-कौन से हैं?
19.संस्कृत के प्रथम नाटककार भास की रचनाओं ‘स्वप्नवासवदत्ता’ व ‘प्रतिज्ञायौगन्धरायण’ से किसकी जानकारी प्राप्त होती है?
20.मौर्यकाल की आरम्भ अवस्था के सम्बन्ध में कौन-सी रचना जानकारी प्रदान करती है?
21.कालिदास ने ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ में किसकी जानकारी दी है?
22.मौर्य के उत्तराधिकारी शृंगों के बारे में कौन-सा नाटक जानकारी देता है?
23.मौर्यों की प्रशासनिक व्यवस्था के संबंध में कौन-सा ग्रन्थ महत्वपूर्ण जानकारी देता है?
24.अभिलेखों की दृष्टि से किस शासक का काल सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
25.भारतीय इतिहास के निर्माण में किन अभिलेखों से सहायता मिलती है?
26.सातवाहन, शकों व कुषाणों के सम्बन्ध में मुख्य रूप से किस पर निर्भर रहना पड़ता है?
27.गुप्तकाल के अधिकांश सिक्कों पर विष्णु एवम् गरुड़ के चित्र अंकित होने से क्या प्रतीत होता है?
28.विदेशों में प्राप्त कौन से स्मारक भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में सहायक हुए हैं?
29.प्राचीन भारत के इतिहास को व्यवस्थित रूप प्रदान करने में किन-किन विदेशी विवरणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है?
30.कौन-से यूनानी विवरण भारतीय इतिहास के सन्दर्भ में विशेष तौर पर महत्वपूर्ण हैं?
31.मेगस्थनीज की किस रचना से चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य के बारे में जानकारी मिलती हैं।
32.चीनी यात्री फाह्यान किस शासक के समय भारत आया था?
33.मुख्य तिब्बती विवरण कौन-कौन से हैं?
प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ कौन सा है?राजतरंगिणी – कल्हण द्वारा रचित इस पुस्तक का संबंध कश्मीर के इतिहास से है. इसे भारतीय इतिहास का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है.
दुनिया का सबसे पुराना ग्रंथ कौन सा है?वेद वेद प्राचीनतम हिंदू ग्रंथ हैं। वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'विद्' धातु से हुई है।
ग्रंथ कितने प्रकार के होते हैं?Granth Kitne Prakar Ke Hote Hai. वेद 1.1 श्लोक. श्रुति 2.1 वेद 2.2 ब्राह्मण 2.3 आरण्यक 2.4 उपनिषद् 2.5 वेदांग और सूत्र-ग्रन्थ ... . स्मृति. पुराण 4.1 इतिहास ग्रन्थ 4.2 विशिष्ट विषयोंके ग्रंथ. षड्दर्शन. आचार्योंके भाष्य व रचनायें. आगम या तन्त्रशास्त्र 7.1 आगम ग्रन्थ 7.2 तंत्र ग्रन्थ 7.3 यामल ग्रन्थ. इन्हें भी देखें. इतिहास के स्रोत कौन कौन से हैं?(A) इतिहास जानने के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं (What are the main sources of history)? Answer- इतिहास जानने के मुख्य स्रोत- पत्थरों के औजार, जीवाश्म, मिट्टी के बर्तन, शिलालेख, सिक्के, मुहरें, मंदिर, मस्जिद, दुर्ग, भवन, भोजपत्र, ताड़पत्र, ताम्रपत्र, पुरातत्व तथा यात्रियों के वृत्तांत आदि हैं।
|