Show 01-Jun-2018 03:40 PM 30461 अनुवाद एक अत्यंत कठिन दायित्व है। रचनाकार किसी एक भाषा में सर्जना करता है, जबकि अनुवादक को एक ही समय में दो भिन्न भाषा और परिवेश/वातावरण को साधना होता है। परिवेश और वातावरण पर बल देते हुए राधाकृष्णन ने गीता के अनुवाद के बहाने कहा था- "गीता के किसी भी अनुवाद में वह प्रभाव और
चारुता नहीं आ सकती, जो मूल में है। इसका माधुर्य और शब्दों का जादू किसी भी अन्य माध्यम में ज्यों का त्यों ला पाना बहुत कठिन है। अनुवादक का यत्न विचार को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने का रहता है, परन्तु वह शब्दों की आत्मा को पूरी तरह सामने नहीं ला सकता। वह पाठक में उन मनोभावों को नहीं जगा सकता, जिनमें कि वह विचार उत्पन्न हुआ था।" (राधाकृष्णन, भगवद्गीता (हिन्दी), राजपाल एण्ड संज, भूमिका, पृष्ठ 8) अनुवाद भाषाएँ समस्याएँ किसकी रचना है?विश्वनाथ अय्यर द्वारा रचित 'अनुवाद : भाषाएँ-समस्याएँ' एक महत्त्वपूर्ण कृति है, जिसके प्रथम खंड में अनुवाद के मूल सिद्धांत, विश्व अवधारणा में अनुवाद की भूमिका, तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद आदि के साथ-साथ अनुवाद की भाषिक-सांस्कृतिक समस्याएँ विवेचित हैं और द्वितीय खंड में भारतीय भाषाओं के परस्पर अनुवाद की समस्याओं का ...
अनुवाद की समस्या क्या है बताओ?अनुवाद की समस्या द्विभाषकीय है, इसके लिये उन दो भाषाओं का पूर्ण ज्ञान अपेक्षित है जिससे और जिसमें अनुवाद होता है। यह समस्या मूलतः दुभाषिये की है। इसका तात्पर्य यह है कि अनुवादक का दो भाषाओं पर इतना अधिकार होना चाहिये कि वह दोनों पक्षों का ठीक-ठीक ज्ञान रखते हुए संबोधित कर सके और समझा सके।
अनुवाद करते समय अनुवादक के सामने कौन कौन सी समस्याएं आती हैं?सभी साहित्यिक विधाओं के अनुवाद में अनुवादकों को कमोबेश समान समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अनुवाद के दौरान दो भाषाओं का आपसी संचार, अनुवादक की संवेदना तथा स्रोत साहित्य की मूल संस्कृति की समझ, प्रतीकों, मुहावरों व लोकोक्तियों का भरपूर ज्ञान आदि ऐसे गुण हैं जो साहित्यिक अनुवादक के लिए अपरिहार्य हैं।
अनुवाद को किसकी संज्ञा दी गई है?संस्कृत के 'वद्' धातु से 'अनुवाद' शब्द का निर्माण हुआ है। 'वद्' का अर्थ है बोलना। 'वद्' धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना।
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