अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? - anuvaad ke uddeshy kya hai ek achchhe anuvaad kee visheshataen likhie?

अनुवाद का महत्व और स्वरूप

अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? - anuvaad ke uddeshy kya hai ek achchhe anuvaad kee visheshataen likhie?

अनुवाद को मौलिक सृजन की कोटि में रखा जाए या नहीं, यह बात हमेशा चर्चा का विषय रही है । अनुवाद-कर्म में रत अध्यवसायी अनुवादकों का मत है कि अनुवाद दूसरे दरजे का लेखन नहीं, बल्कि मूल के बराबर का ही सृजनधर्मी...

अनुवाद को मौलिक सृजन की कोटि में रखा जाए या नहीं, यह बात हमेशा चर्चा का विषय रही है। अनुवाद-कर्म में रत अध्यवसायी अनुवादकों का मत है कि अनुवाद दूसरे दरजे का लेखन नहीं, बल्कि मूल के बराबर का ही सृजनधर्मी प्रयास है। बच्चन जी के विचार इस संदर्भ में उल्लेखनीय हैं– “मैं अनुवाद को, यदि वह मौलिक प्रेरणाओं से एकात्मा होकर किया गया हो, मौलिक सृजन से कम महत्व नहीं देता। अनुभवी ही जानते हैं कि अनुवाद मौलिक सृजन से भी अधिक कितना कठिन-साध्य होता है । मूल कृति से रागात्मक संबंध जितना अधिक होगा, अनुवाद का प्रभाव उतना ही बढ़ जाएगा। दरअसल, सफल अनुवादक वही है जो अपनी दृष्टि, भावों, कथ्य और आशय पर रखे । साहित्यानुवाद में शाब्दिक अनुवाद सुंदर नहीं होता। एक भाषा का भाव या विचार जब अपने मूल भाषा-माध्यम को छोड़कर दूसरे भाषा-माध्यम से एकात्म होना चाहेगा, तो उसे अपने अनुरूप शब्द राशि संजोने की छूट देनी ही होगी। यहीं पर अनुवादक की प्रतिभा काम करती है और अनुवाद मौलिक सृजन की कोटि में आ जाता है ” । 

दरअसल, अनुवाद एक श्रमसाध्य और कठिन रचना-प्रक्रिया है। यह मूल रचना का अनुकरण-मात्र नहीं, बल्कि पुनर्जन्म होता है । यह द्वितीय श्रेणी का लेखन नहीं, मूल के बराबर का ही दमदार प्रयास है । इस दृष्टि से मौलिक सृजन और अनुवाद की रचना-प्रक्रिया आमतौर पर एक समान होती है । दोनों के भीतर अनुभूति पक्ष की सघनता रहती है। अनुवादक तब तक मूल रचना की अनुभूति, आशय और अभिव्यक्ति के साथ तदाकार नहीं हो जाता, तब तक सुंदर और पठनीय अनुवाद की सृष्टि नहीं हो पाती। इसलिए अनुवादक में सृजनशील प्रतिभा का होना अनिवार्य है। मूल रचनाकार की तरह अनुवादक भी कथ्य को आत्मसात करता है, उसे अपनी चित्तवृत्तियों में उतार कर फिर से सृजित करने का प्रयास करता है और अपने अभिव्यक्ति-माध्यम के उत्कृष्ट उपादानों द्वारा उसे एक नया रूप देता है । इस सारी प्रक्रिया में अनुवादक की सृजन प्रतिभा मुखर रहती है। अनुवाद में अनुवादक की प्रतिभा के महत्व को सभी अनुवाद-विज्ञानियों ने स्वीकार किया है । इसी कारण अनुवादक को एक सर्जक ही माना गया है और उसकी कला को सर्जनात्मक कला।

इसी संदर्भ में फिट्जेराल्ड द्वारा उमर खैयाम की रुवाइयों के अनुवाद को देखा जा सकता है । विद्वानों का मानना है कि यह अनुवाद खैयाम की काव्य-प्रतिभा की अपेक्षा फिट्जेराल्ड की निजी प्रतिभा का उत्कृष्ट नमूना है। खुद फिट्जेराल्ड ने अपने अनुवाद के बारे में कहा है कि एक मरे हुए पक्षी के स्थान पर दूसरा जीवित पक्षी अधिक अच्छा है (मरे हुए बाज की अपेक्षा एक जीवित चिड़िया ज्यादा अच्छी है )। कहना वे यह चाहते थे कि अगर मैंने रुबाइयों का शब्दश: या यथावत अनुवाद किया होता तो उसमें जान न होती, वह मरे हुए पक्षी की तरह प्राणहीन या निर्जीव होता। अपनी प्रतिभा उड़ेल कर फिट्जेराल्ड ने रुबाइयों के अनुवाद को प्राणमय और सजीव बना दिया ।

अनुवाद के अच्छे या बुरे होने को लेकर कई तरह की भ्रांतिया प्रचलित है । आरोप लगाया जाता है कि मूल की तुलना में अनुवाद अपूर्ण रहता है, अनुवाद में मूल के सौंदर्य की रक्षा नहीं हो पाती, अनुवाद दोयम दरजे का काम है, आदि । अनुवाद-कर्म पर लगाए जाने वाले ये आरोप मुख्य रूप से अनुवादक की अयोग्यता के कारण हैं । अनुवाद में मूल भाव-सौंदर्य और विचार-सौष्टव की रक्षा तो हो सकती है, पर भाषा-सौंदर्य की रक्षा इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि भाषाओं में रूप-रचना और प्रयोग की रूढ़ियों की दृष्टि से भिन्नता होती है । सही है कि मौलिक लेखन के बाद ही अनुवाद होता है, इसलिए निश्चित रूप से वह क्रम की दृष्टि से दूसरे स्थान पर है । लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि गुणवत्ता की दृष्टि से भी वह दूसरे स्थान पर है । जिस प्रकार मौलिक लेखन बढ़िया हो सकता है और घटिया भी, उसी प्रकार अनुवाद भी । आरोपों से अनुवाद-कार्य का महत्व कम नहीं होता।

और ये भी पढ़े

  • अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? - anuvaad ke uddeshy kya hai ek achchhe anuvaad kee visheshataen likhie?

    मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का हो रहा पतन ! बॉलीवुड में साउथ फिल्मों का क्यों बढ़ा दबदबा ?

  • अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? - anuvaad ke uddeshy kya hai ek achchhe anuvaad kee visheshataen likhie?

    साहिबजादों से जुड़ी अनमोल धरोहर "जहाज महल" पूछ रही सवाल- मेरा कसूर क्या है ?

  • अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं लिखिए? - anuvaad ke uddeshy kya hai ek achchhe anuvaad kee visheshataen likhie?

    अमरीका को उसी के घर में घेरने की साजिश में जुटा ड्रैगन

सच पूछा जाए तो अनुवादक का महत्व इस रूप में है कि वह दो भाषाओं को न केवल जोड़ता है, बल्कि उनमें संजोई ज्ञानराशि को एक-दूसरे के निकट लाता है । अनुवादक अन्य भाषा की ज्ञान-संपदा को लक्ष्य भाषा में अंतरित करने में शास्त्रीय ढ़्ग से कहां तक सफल रहा है, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना दूसरी भाषा के पाठकों का अनुवाद द्वारा एक नई कृति से परिचित होना । मूल रचना का स्वल्प परिचय पूर्ण अज्ञान से बेहतर है । गेटे की पंक्तियां यहां उद्धृत करने योग्य है, जिनमें उन्होंने कार्लाइल को लिखा था – ‘ अनुवाद की अपूर्णता के बारे में तुम चाहे जितना भी कहो, पर सच्चाई यह है कि संसार के व्यवहारिक कार्यों किए लिए उसका महत्व असाधारण और बहुमूल्य है।‘ यानी यह अनुवादक की निजी भाषिक क्षमताओं, लेखन-अनुभव और प्रतिभा पर निर्भर है कि उसका अनुवाद कितना सटिक, सहज और सुंदर बन पाया है । 

मेरा मानना है कि एक अच्छे अनुवादक के लिए एक अच्छा लेखक होना भी बहुत जरूरी है। एक अच्छा लेखक होना उसे एक अच्छा अनुवादक बना देगा। 

( शिबन कृष्ण रैणा )

अनुवाद के उद्देश्य क्या है एक अच्छे अनुवाद की विशेषताएं?

अनुवाद के उद्देश्य क्या है अनुवाद जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सर्वव्यापी हो गया है। दूसरी भाषा के साहित्य से अपनी भाषा के साहित्य को समृद्ध करना। दूसरी भाषाओं की शैलियों, मुहावरों, दार्शनिक तथ्यों वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान को प्राप्त करना। विचारों का विनिमय करना।

अनुवाद की विशेषता क्या है?

अनुवाद की विशेषताएँ एकार्थता : उसमे अर्थगत एकांत एकता अनिवार्य है अर्थात् जो बात कही गई हो। उसके अनुवाद में अर्थभिन्नता नहीं होनी चाहिए। 2. अर्थगत असंदिग्धता अनुवाद को पूर्णतया निश्चयात्मक अर्थ प्रदान करनेवाला होना चाहिए।