बच्चे को मोबाइल क्यों नहीं देना चाहिए? - bachche ko mobail kyon nahin dena chaahie?

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क्या आपका बच्चा भी घंटों मोबाइल में बिजी रहता है, जानिए आंखों से लेकर दिमाग तक होने वाले नुकसान

हेल्थ डेस्क. छोटी उम्र के बच्चों के फोन के इस्तेमाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मात्र डेढ़ साल का बच्चा 5 घंटे तक मोबाइल में खोया रहता है। माता-पिता को बच्चे के फोन ज्ञान पर गर्व होता है। लेकिन बच्चे के रोने या किसी तरह की ज़िद करने पर बहलाने के लिए फोन देना उसे इस नई लत का ग़ुलाम बनाने का पहला क़दम है। आई सर्जन डॉ. ओ.पी. अग्रवाल और क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट डॉ. रिपन सिप्पी से जानते हैं सावधानी बरतना क्यों है जरूरी...

10 प्वाइंट्स : क्यों है खतरनाक मोबाइल और क्या करें पेरेंट्स 
1.
आंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है।
2. आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं। 
3. स्मार्टफोन चलाने के दौरान पलकें कम झपकाते हैं। इसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहते हैं। माता-पिता ध्यान दें कि स्क्रीन का सामना आधा घंटे से अधिक न हो। 
4. कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। 
5. मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं। इस कारण उनके दिमागी विकास में बाधा पहुंचती है। 
5. बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल अधिकतर गेम्स खेलने के लिए करते हैं। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते जाते हैं ऐसे में हिंसक गेम्स बच्चों में आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं।
6. बच्चे अक्सर फोन में गेम खेलते या कार्टून देखते हुए खाना खाते हैं। इसलिए वे जरूरत से अधिक या कम भोजन करते हैं। अधिक समय तक ऐसा करने से उनमें मोटापे की आशंका बढ़ जाती है।
7. फोन के अधिक इस्तेमाल से वे बाहरी दुनिया से संपर्क करने में कतराते हैं। जब उनकी यह आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वो चिड़चिड़े, आक्रामक और कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। 
8. माता-पिता एक राय रखें। यदि मोबाइल या किसी और चीज़ के लिए मां ने मना किया है तो पिता भी मना करें। वरना बच्चे यह जान जाते हैं कि किससे परमिशन मिल सकती है। 
9. बच्चों का इमोशनल ड्रामा सहन न करें। अपने जवाब या राय में निरंतरता रखें। एक दिन ‘न’ और दूसरे दिन ‘हां’ न कहें। रोने लगें तो ध्यान न दें। बाद में प्यार से समझाएं। 
10. इंटरनेट पर कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक है तो उसे दिखाने के लिए समय तय निर्धारित करें और साथ बैठकर देखें। स्मार्ट टीवी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे आंखों और स्क्रीन के बीच दूरी भी बनी रहेगी।

बच्चे ज्यादा मोबाइल देखे तो क्या होता है?

आंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। 2. आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं।

कितने साल के बच्चे को मोबाइल नहीं देखना चाहिए?

फर्श पर तरह-तरह के खेल खिलाना भी बच्चे के शारिरिक विकास के लिए बेहतर है. 1 से 2 साल के बच्चों के लिए : इस उम्र के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घण्टे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही 3 घण्टे फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह दी गई है.

मोबाइल देखने से बच्चों को क्या नुकसान है?

बच्चों पर मोबाइल के 10 हानिकारक प्रभाव | Bacho ko mobile se....
आंखों पर दबाव | Eye strain..
शारीरिक विकास धीमा हो जाना | Delayed development..
मोटापा बढ़ना | Epidemic obesity..
नींद की कमी | Sleep deprivation..
आक्रामकता | Aggression..
डिजिटल स्मृतिलोप | Digital dementia..
लत लगना | Addictions..