Show उनके ऊधम से सारे घर में हँगामा मच चुका था, पुरा घर अस्त व्यस्त हो चुका था। सारे घर में मुर्गियाँ ही मुर्गियाँ थीं। भेड़ों ने तो जैसे अपना निवास स्थान बना लिया था। चारों तरफ टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे बिखरे पड़े थे। कालीन को झाड़ते वक्त पूरे घर में धूल भर दी गई । चाचा बेचारे तो जैसे अपनी जान बचा ही पाए थे। तरकारी वाली तो अपनी तरकारी खराब होने का मातम रो-रोकर माना रही थी। ऐसा लगता था मानो पूरे घर में तूफान आया है और सारा नाश करके वापस चला गया हो। यहाँ तक कि बच्चों को नहलाने धुलाने के लिए नौकरों को पैसे देने पड़े। बच्चों के ऊधम मचाने से घर की क्या दुददशा हुई?उनके ऊधम से सारे घर में हँगामा मच चुका था, पुरा घर अस्त व्यस्त हो चुका था। सारे घर में मुर्गियाँ ही मुर्गियाँ थीं। भेड़ों ने तो जैसे अपना निवास स्थान बना लिया था। चारों तरफ टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे बिखरे पड़े थे।
बच्च ं के उिम मचाने से घर की क्या दुदयिा ह गई थी?बच्चों के उधम मचाने के कारण घर की दशा बिगड़ गई। घर का सारा सामान अस्त-व्यस्त हो गया। सबसे पहले दरी की हालत बुरी की गई। उसके ऊपर पानी डालकर उसे कीचड़ युक्त बना दिया गया।
बच्चों के काम करने का परिणाम क्या हुआ?दरअसल, बच्चों को मारना-पीटना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. ऐसा करने से बच्चों पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है. जिसके परिणाम (Result) से शायद आप अनजान होंगे.
सारे घर में धूल भर जाने का कारण क्या था?पानी पड़ते ही सारी धूल कीचड़ बन गई। अब सब आँगन से भी निकाले गए। तय हुआ कि पेड़ों को पानी दिया जाए | बस, सारे घर की बालटियाँ, लाटे, तसले, भगोने, पतीलियाँ लूट ली गईं।
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