पीली सरसों की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है? - peelee sarason kee sabase achchhee vairaayatee kaun see hai?

जानें, रबी के सीजन में कैसे करें पीली सरसों की खेती ( Yellow mustard cultivation ) और क्या रखें सावधानियां

पीली सरसों की खेती (Pili sarso ki kheti) खरीफ के अलावा रबी के सीजन में भी की जा सकती है। वैसे तो पीली सरसों तोरिया की तरह कैच क्राप के रूप में खरीफ एवं रबी के मध्य में बोयी जाती है। इस तरह ये खरीफ व रबी दोनों की फसल मानी जाती है। किसान पीली सरसों की उन्नत किस्मों का चुनाव करने के साथ ही कुछ सावधानियां रखें तो इसकी फसल अच्छा लाभ लिया जा सकता है। आइए जानते हैं इस फसल की उन उन्नत किस्मों के बारें में जो अधिक पैदावार देने के साथ ही मुनाफा भी देती है।

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पीली सरसों की प्रमुख उन्नत किस्में

पीताम्बरी : यह किस्म 2009 में विकसित की गई. जो 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 18 से 20 क्विंटल की पैदावार होती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 42 से 43 प्रतिशत होती है।
नरेन्द्र सरसों-2 : सरसों की यह 1996 में विकसित की गई. जो 125 से 130 दिनों में पक जाती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 16 से 20 क्विंटल की पैदावार होती है। इसमं 44 से 45 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है।
के 88 : यह किस्म 1978 में विकसित की गई. जो 125 से 130 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 16 से 18 क्विंटल की पैदावार होती है. इस किस्म में 42 से 43 प्रतिशत तेल होता है।

पीली सरसों की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है? - peelee sarason kee sabase achchhee vairaayatee kaun see hai?


पीली सरसों की खेती (Pili sarso ki kheti) करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • पीली सरसों की खेती के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए तथा इसके बाद 2-3 जुताइयां देशी हल, कल्टीवेटर/हैरों से करके पाटा देकर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए।
  • बीज जनित रोगों से सुरक्षा के लिए उपचारित एवं प्रमाणित बीज ही बोना चाहिए।
  • उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के बाद करना चाहिए। इसलिए किसान संभव हो तो अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करा लेना चाहिए ताकि मिट्टी में पोषक तत्व की कमी का पता चल सके जिससे उसमें सुधार किया जा सके।
  • पीली सरसों की बुवाई देशी हल से करना करनी चाहिए। इससे बीज अच्छी तरह मिट्टी में जम जाता है।
  • फूल निकलने से पूर्व की अवस्था में इसकी सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। इससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
  • इसकी खेती के दौरान यदि खरपतवारनाशी रसायन का प्रयोग न किया गया हो तो खुरपी से निराई कर खरपतवारों का नियंत्रण करना चाहिए।

पीली सरसों की बुवाई का तरीका

पीली सरसों की खेती की रबी की फसल के लिए उपयुक्त समय सितंबर से शुरू हो जाता है। पीली सरसों की बुवाई के लिए प्रति हैक्टेयर 4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। बीजों को 2.5 ग्राम थीरम प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज को उपचारित करके ही बोएं। यदि थीरम उपलब्ध न हो तो मैकोजेब 3 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित किया जा सकता है। मैटालेक्सिल 1.5 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधन करके पर प्रारंभिक अवस्था में सफेद गेरूई एवं तुलासिता रोग की रोकथाम हो जाती है। बीज उपचारित करने के बाद देशी हल से 30 सेमी. की दूरी पर 3 से 4 सेमी की गहराई पर कतारों में इसकी बुवाई करनी चाहिए एवं पाटा लगाकर बीज को ढक देना चाहिए।

Pili sarso ki kheti : खाद एवं उर्वरक की मात्रा

उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के बाद करना चाहिए। यदि मिट्टी परीक्षण न हो सके तो असिंचित दशा में 40 किग्रा. नाइट्रोजन, 30 किग्रा. फास्फेट तथा 30 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्रों में 80 किग्रा. नाइट्रोजन 40 किग्रा. फास्फेट एवं 40 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। फास्फेट का प्रयोग एस.एस.पी. के रूप में अधिक लाभदायक होता है। क्योंकि इससे 12 प्रतिशत गंधक की पूर्ति हो जाती है। फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा अंतिम जुताई के समय नाई या चोगे द्वारा बीज से 2-3 सेमी. नीचे प्रयोग करनी चाहिए। नत्रजन की शेष मात्रा पहली सिंचाई टापड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए। गंधक की पूर्ति हेतु 200 किग्रा. जिप्सम का प्रयोग अवश्य करे तथा 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।

Pili sarso ki kheti : कब शुरू करें निराई-गुड़ाई कार्य

घने पौधो को बुआई के 12 से 15 दिन के अन्दर निकालकर पौधों की आपसी दूरी 10-15 सेमी कर देना चाहिए तथा खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई गुड़ाई भी साथ कर देनी चाहिए तथा पेन्डीमेथलीन 30 ई.सी. का 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर बुआई के बाद तथा जमाव से पहले छिडक़ाव करना चाहिए।

किन अवस्थाओं में करें सिंचाई

राई/सरसों की भांति फूल निकलने से पूर्व की अवस्था पर जल की कमी के प्रति पीली सरसो संवेदनशील है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इस अवस्था पर सिंचाई करना आवश्यक है। इसके अलावा आवश्यकतानुसार सिंचाई की जा सकती है। खेत में उचित जल निकास की व्यवस्था रखें ताकि खेत में पानी नहीं भर पाए।

कीट प्रबंधन के लिए करें ये उपाय

पीली सरसों की फसल में कीटों पर प्रबंधन भी जरूरी है। इसके लिए गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए। संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। आरा मक्खी का प्रकोप हो तो आरा मक्खी की सूडियों को सुबह काल इक्ट्टा कर नष्ट कर देना चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में झुण्ड में पाई जाने वाली बालदार सूडियों को पकडक़र नष्ट कर देना चाहिए। प्रारंभिक अवस्था में माहूँ से प्रभावित फूलों, फलियों एवं शाखाओं को मोडक़र माहूँ सहित नष्ट कर देना चाहिए। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर पार कर गया हो तो निम्नलिखित कीटनाशों का प्रयोग करना चाहिए। आरा मक्खी एवं बालदार पड़ी के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 5 प्रतिशत डी.पी. की 20-25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर बुरकाव अथवा मैलाथियान 50 प्रतिशत ई.सी. की 1.50 लीटर अथवा डाईक्लोरोवास 76 प्रतिशत ई.सी. की 500 मिली. मात्रा अथवा क्युनालफास 25 प्रतिशत ई.सी की 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए। माहूँ चित्रित बग, एवं पत्ती सुंरगक कीट के नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. अथवा क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की 1.0 लीटर अथवा मोनोकोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल. की 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली. प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है।

कब करें कटाई

जब फलियां 75 प्रतिशत सुनहरे रंग की हो जाय तो फसल को काटकर सूखा लेना चाहिए बाद मड़ाई करके बीज को अलग कर लें। देर से कटाई करने से बीजों के झडऩे की आशंका बनी रहती है बीज को अच्छी तरह सुखा कर ही भंडारण करें, जिससे इसका कुप्रभाव दानों पर न पड़े।

बाजार में पीली सरसों का बीज खरीदते समय रखें सावधानी

बाजार में कई प्रसिद्ध कंपनियां पीली सरसों का बीज उन्नत किस्म में उपलब्ध करा रही है। किसान को अपनी जरूरत के अनुसार इनका चयन करना चाहिए और चयन में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।

पीली सरसों का भाव 

इस साल 2021 में सरसों के भावों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक चुकी है। सरसों के भाव बढऩे का फायदा पीली सरसों को भी मिला है। राजस्थान की विभिन्न मंडियों में पीली सरसों के भाव 6200 रुपए से लेकर 8000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं। पीली सरसों का क्या भाव है यह जानने के लिए किसान भाई अब मोबाइल की सहायता से इंटरनेट पर देख सकते हैं। कई मोबाइल एप पर भी मंडी भाव की सुविधा उपलब्ध है।

पीली सरसों के फायदे 

पीली सरसों के दाने जहां आपके खाने का स्वाद बढ़ाने के काम आते हैं, वहीं इनका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। पीली सरसों के दाने पेट की गैस में तुरंत राहत पहुंचाते हैं। पीली सरसों में एसिटिक एसिड होता है जो पाचन के दौरान होने वाली गैस और गर्मी को नियंत्रित करने का काम करता है। गर्म तासीर का भोजन करने के बाद कई लोगों के पेट में जलन और गैस की समस्या हो जाती है। इसमें पीली सरसों के दाने बहुत फायदेमंद है।

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पीली सरसों की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

उन्नतिशील प्रजातियाँ.

सबसे ज्यादा पैदावार होने वाली सरसों कौन सी है?

पूसा सरसों आर एच 30 – सरसों की ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर है। ये किस्म सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। फसल 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अगर 15 से 20 अक्टूबर तक इस किस्म की बुवाई कर दी जाए तो उपज 16 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर मिल सकती है

सरसों की सबसे बेस्ट क्वालिटी कौन सी है?

विभागीय गतिविधियाँ.

सरसों की पछेती वैरायटी कौन सी है?

सरसोंका आरएच 30, स्वर्ण ज्योति-आरएच9801, आशीर्वाद आरके 01-03 और टी 50 वरुणा किस्म की बुआई कर सकते हैं।