निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
B. क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं। 257 Views ‘साखियाँ’ शब्द क्या अर्थ देता है?
B. प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना। 1304 Views साधु की जाति न पूछने की सलाह कबीर ने क्यों दी है?
B. बराबर जाति वाले से ज्ञान प्राप्त करके ही हम ज्ञानवान बन सकते हैं। 358 Views किसी को अपशब्द क्यों नहीं कहने चाहिए?
C. अपशब्द कहने से अपशब्द बढ़ते जाते हैं। 569 Views कबीर ने घास के तिनके की भी निंदा न करने को क्यों कहा है?
D. घास के तिनके के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि कभी किसी को छोटा और कमजोर मत समझो। 701 Views ईश्वर की भक्ति हेतु कवि ने मन के बारे में क्या कहा है?
D. मन करे तो भक्ति करो. मन न करे तो नहीं। 213 Views निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
B. क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं। 257 Views तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए। ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण से कबीर कहना चाहते हैं कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है जैसे हम तलवार लेना चाहें तो उसकी धार देखकर उसका मोल भाव करेंगे उसका म्यान कितना भी सुंदर क्यों न हो उसकी ओर हम ध्यान नहीं देते। ठीक वैस ही जैसे साधु-संतों के ज्ञान की महत्ता होती है उनकी जाति से किसी को कोई सरोकार नहीं होता। 2488 Views पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं? ‘मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं’ इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है। 1180 Views “ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।” “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।” 1138 Views मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है? जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय। 805 Views कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए। कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है। इस घास का वास्तविक संदेश यह है कि हमें समाज में रहने वाले छोटे से छोटे व्यक्ति काे भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो हमें गहरा आघात पहुंचा सकता है। 2425 Views तलवार का मोल भाव क्यों करना चाहिए?इस उदाहरण के द्वारा कबीर यह कहना चाहते हैं कि महत्त्व हमेशा मुख्य कार्य या वस्तु का ही होता है। अनावश्यक वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त करने का कोई औचित्य नहीं होता है। जैसे तलवार खरीदने पर तलवार की चमक और उसकी धार के पैनेपन को देखकर ही उसका मोल भाव किया जाता है, उसकी सुन्दर म्यान को देखकर नहीं।
तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं इस उदाहरण के द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?उत्तर:- 'तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं' से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से।
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