राम चित्रकूट से दूर क्यों चले जाना चाहते थे 2? - raam chitrakoot se door kyon chale jaana chaahate the 2?

  • हिंदी - बाल राम कथा - Class 6 / Grade 6

  • Bal Ram Katha - दंडक वन में दस वर्ष/ Dandak Van Mein Das Varsh (Chapter 6 - Page 33)

    Bal Ram Katha - दंडक वन में दस वर्ष/ Dandak Van Mein Das Varsh (Chapter 6 - Page 33)

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    • दंडक वन में दस वर्ष (Page 33)

      राम चित्रकूट से दूर क्यों चले जाना चाहते थे 2? - raam chitrakoot se door kyon chale jaana chaahate the 2?

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      प्रश्न / उत्तर

      प्रश्न-1  चित्रकूट और अयोध्या में कितनी दूरी थी?

      उत्तर-  चित्रकूट अयोध्या से चार दिन की दूरी पर था ।

      प्रश्न-2   राम चित्रकूट से दूर क्यों चले जाना चाहते थे?

      उत्तर-  राम चित्रकूट से दूर इसलिए चले जाना चाहते थे क्योंकि चित्रकूट में लोग राम से राय माँगने आया करते थे जो कि राम को राजकाज में हस्तक्षेप की भाँती लगता था । इसका एक कारण यह भी था कि कुछ मायावी राक्षस जब तब वन में आ धमकते थे और यज्ञ में बाधा डालते थे ।

      प्रश्न-3   दंडक वन का वर्णन कीजिए ।

      उत्तर -  दंडकारण्य एक घना जंगल था जो की पशु पक्षियों से परिपूर्ण था । इस वन में अनेक तपस्वियों के आश्रम थे और यहाँ कुछ मायावी राक्षसों का भी वास था ।

      प्रश्न-4   राक्षस ऋषि मुनियों को किस प्रकार कष्ट देते थे?

      उत्तर -  राक्षस ऋषि मुनियों के अनुष्ठानों में विघ्न डालकर कष्ट देते थे ।

      प्रश्न-5   सीता की दैत्यों के सहांर के संबंध में क्या सोच थी?

      उत्तर -  सीता चाहती थीं कि राम अकारण राक्षसों का वध न करें । उन्हें न मारें जिन्होंने उनका कोई अहित नहीं किया है ।

      प्रश्न- 6   किसने किससे कहा?

      i.        “आप उन दुष्ट मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा करें आश्रमों को अपवित्र होने से बचाएँ ।”

      मुनियों ने राम से कहा ।

      ii.       “सीते! राक्षसों का विनाश ही उचित है । वे मायावी हैं । मुनियों को कष्ट पहुँचाते हैं । इसलिए मैंने ऋषियों की रक्षा की प्रतिज्ञा की है ।”

      राम ने सीता से कहा

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Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 6

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दंडक वन में राम-लक्ष्मण ने किसकी सहायता की?
उत्तर:
दंडक वन में राम-लक्ष्मण ने ऋषि मुनियों की सहायता की।

प्रश्न 2.
विंध्याचल पर्वत पार करने वाले सबसे पहले मुनि कौन थे?
उत्तर:
विंध्याचल पार करने वाले सबसे पहले मुनि अगस्त्य मुनि थे।

प्रश्न 3.
शूर्पणखा कौन थी?
उत्तर:
शूर्पणखा रावण की बहन थी।

प्रश्न 4.
नाक-कान कटने के बाद शूर्पणखा किसके पास गई?
उत्तर:
नाक-कान कटने के बाद शूर्पणखा खर-दूषण के पास आई।

प्रश्न 5.
चित्रकूट अयोध्या से कितनी दूर था?
उत्तर:
चित्रकूट अयोध्या से केवल चार दिन की दूरी पर था।

प्रश्न 6.
दंडक वन कैसा था?
उत्तर:
वन पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों से परिपूर्ण दंडकारण्य एक घना वन था, जहाँ मायावी राक्षस उपद्रव मचाते रहते थे।

प्रश्न 7.
राम चित्रकूट से दूर क्यों जाना चाहते थे?
उत्तर:
चित्रकट में अयोध्या से लोगों का आना-जाना लगा रहता था। वे राम से राय माँगते थे। राम इससे बचने के लिए चित्रकूट से दूर जाना चाहते थे।

प्रश्न 8.
जटायु कौन था? राम-लक्ष्मण से वह कहाँ मिला?
उत्तर:
जटायु एक विशालकाय गिद्ध था। वह राजा दशरथ का मित्र था। राम-लक्ष्मण से उसकी भेंट पंचवटी के मार्ग में हुई।

प्रश्न 9.
गोदावरी नदी के तट पर राम ने अपनी कुटिया के लिए किस स्थान को चुना?
उत्तर:
राम ने अपनी कुटिया के लिए पंचवटी नामक स्थान को चुना। वनवास का शेष समय वहीं बिताया।

प्रश्न 10.
पंचवटी में लक्ष्मण ने कैसी कुटिया बनाई ?
उत्तर:
पंचवटी में लक्ष्मण ने बाँस के खंभों, कुश और पत्तों के छप्पर तथा मिट्टी की दीवारों से एक बहुत सुंदर कुटिया बनाई।

प्रश्न 11.
मारीच ने रावण को क्या समझाया?
उत्तर:
मारीच ने रावण को राम की शक्ति के विषय में बताया तथा सीता-हरण से रोका। उसने रावण को समझाया कि ऐसा करना विनाश को निमंत्रण देना है।

प्रश्न 12.
सीता-हरण का सुझाव रावण को किसने दिया?
उत्तर:
सीता-हरण का सुझाव अकंपन नामक राक्षस ने दिया।

प्रश्न 13.
मारीच ने किसका रूप धारण कर लिया?
उत्तर:
मायावी मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 14.
स्वर्ण-हिरण देख सीता ने राम से क्या कहा?
उत्तर:
स्वर्ण-हिरण पर सीता जी मुग्ध हो गईं तथा उन्होंने उसे पकड़ने को कहा।

प्रश्न 15.
राम ने लक्ष्मण को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
राम ने लक्ष्मण को सीता की रक्षा करने का आदेश दिया तथा कहा कि मेरे लौटने तक तुम उन्हें अकेला मत छोड़ना।

प्रश्न 16.
शूर्पणखा ने अपना परिचय किस रूप में दिया?
उत्तर:
शूर्पणखा ने अपना परिचय देते हुए कहा कि वह रावण और कुंभकर्ण की बहन है और अविवाहित है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राक्षसों के प्रति सीता और राम के विचारों में क्या भिन्नता थी?
उत्तर:
राक्षसों के प्रति राम का यह मत था कि राक्षसों का अंत कर देना चाहिए ताकि वे देवताओं का अनिष्ठ न करें। वे अपनी मायावी शक्ति से ऋषि-मुनियों को भी कष्ट पहुँचाते हैं। दूसरी ओर सीता का यह मत था कि राम बिना वजह राक्षसों का वध न करें क्योंकि उन्होंने कोई अहित नहीं किया।

प्रश्न 2.
लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान क्यों काट दिए थे?
उत्तर:
शूर्पणखा राम को देखकर उन पर मोहित हो गई थी। वह राम से विवाह करना चाहती थी। उसने माया से सुंदर स्त्री का रूप बना लिया और राम के पास चली गई। राम ने सीता की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह मेरी पत्नी है। मेरा विवाह हो चुका है। राम के मना करने पर वह लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण ने यह कहकर मना किया मैं राम का दास हूँ। तब शूर्पणखा ने क्रोध में आकर सीता पर झपट्टा मारा। उसने सोचा राम इसी के कारण उससे विवाह नहीं कर रहे हैं। लक्ष्मण तत्काल उठ खड़े हुए और तलवार खींचकर शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। शूर्पणखा खून से लथपथ रोती-बिलखती अपने भाई खर-दूषण के पास पहुँच गई।

प्रश्न 3.
रावण सीता हरण के लिए क्यों तैयार हो गया था?
उत्तर:
जब राम पंचवटी पहुँचे तो उन्होंने वहाँ अनेक राक्षसों का संहार कर दिया था। एक बार खर-दूषण ने अपनी पूरी सेना के साथ आक्रमण कर दिया। राम-लक्ष्मण और राक्षसों की सेना के साथ घमासान युद्ध हुआ। अंत में राम की विजय हुई। कुछ राक्षस बचकर भाग निकले। उनमें अकंपन भी था। वह रावण के पास गया और उससे कहा कि राम को मारने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण। इससे उनके प्राण स्वयं ही निकल जाएंगे। इससे रावण सीता-हरण के लिए तैयार हो गया।

प्रश्न 4.
अकंपन कौन था? उसने रावण को क्या बताया?
उत्तर:
अकंपन खर-दूषण की सेना का एक राक्षस था। राम के साथ युद्ध में जान बचाकर वह भाग आया था। वह सीधे रावण के पास पहुँचकर उसे युद्ध का सारा हाल सुनाया। उसने रावण से यह भी कहा कि राम कुशल योद्धा हैं। उनके पास विलक्षण शक्तियाँ हैं। उन्हें कोई नहीं मार सकता। उनको मारने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण। इससे उनके प्राण ही निकल जाएँगे।

प्रश्न 5.
शूर्पणखा रावण के पास क्यों गई?
उत्तर:
शूर्पणखा लक्ष्मण द्वारा अपने अपमान से दुखी थी। उसने रावण को धिक्कारते हुए उसकी शक्ति को ललकारा और उससे कहा कि उसके शक्ति का क्या फायदा, यदि उसके होते हुए उसकी बहन की यह दुर्गति हो रही है। अपने साथ हुए अपमान का बदला लेने के लिए उकसाने के उद्देश्य से वह रावण के पास गई।

प्रश्न 6.
रावण ने सीता-हरण के लिए क्या योजना बनाई?
उत्तर:
रावण ने सीता हरण के लिए मारीच की सहायता लेने का निश्चय किया। उसने डरा-धमकाकर मारीच को इसके लिए तैयार कर लिया। इसके बाद रथ पर बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुंच गए। राम की कुटी के समीप जाकर मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया तथा कुटी के आस-पास घूमने लगा। सीता उस सुंदर हिरण पर मुग्ध हो गई और राम से उसे पकड़कर लाने के लिए कहा। राम उसे पकड़ने के लिए बहुत दूर निकल गए।

प्रश्न 7.
शंका होते हुए भी राम हिरण के पीछे क्यों गए?
उत्तर:
दस वर्षों तक वन में रहते हुए भी सीता ने राम से कभी कुछ नहीं माँगा। इसलिए हिरण का संदेह होते हुए भी सीता की इच्छा पूर्ति के लिए राम उसके पीछे गए।

प्रश्न 8.
पंचवटी के मार्ग में राम को कौन मिला? उसने राम से क्या कहा?
उत्तर:
पंचवटी के मार्ग में राम को एक विशालकाय गिद्ध मिला। जिसका नाम जटायु था। सीता उसे देखकर डर गई तथा लक्ष्मण ने मायावी समझा। वे धनुष उठा ही रहे थे कि जटायु ने कहा-हे राजन। मुझसे मत डरो। मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी सहायता करूँगा। जब आप दोनों बाहर जाएँगे तब मैं सीता की रक्षा करूँगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शूर्पणखा सीता पर क्यों झपटी? उसका क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
राम तथा लक्ष्मण ने शूर्पणखा से विवाह करने से जब मनाकर दिया तो वह काफ़ी क्रोधित हो गई। उसने सोचा कि सीता के होते राम विवाह नहीं कर पा रहे हैं। क्रोध में आकर उसने सीता पर झपट्टा मारा। यह देखकर लक्ष्मण ने अपनी तलवार निकाली और उसके नाक-कान काट दिए। खून से लथपथ शूर्पणखा अपने सौतेले भाई खर-दूषण के पास भाग आई।

प्रश्न 2.
शूर्पणखा कौन थी? उसने रावण को सीता हरण के लिए कैसे उकसाया?
उत्तर:
शूर्पणखा रावण की बहन थी। वह राम से विवाह करना चाहती थी। वह राम को देखकर उन पर आसक्त हो गई थी। वह उन्हें पाना चाहती थी। राम और लक्ष्मण द्वारा विवाह के लिए मना करने के कारण उसने क्रोधित होकर सीता के ऊपर आक्रमण कर दिया। इस पर लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए। शूर्पणखा अपने सौतेले भाईयों खर-दूषण के पास गई और खर-दूषण के पराजित होने के बाद वह सीधे रावण के पास गई और रावण के बल-पौरुष को ललकारा, फिर उसने रावण से सीता के रूप की प्रशंसा करते हुए कहा कि सीता को लंका में होना चाहिए। शूर्पणखा सीता को रावण के लिए ही लाना चाहती थी, पर क्रोधित लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट लिए। इस तरह वह अपनी बातों को रखकर उसने रावण को उकसाया।

प्रश्न 3.
सीता-हरण का फैसला एक बार छोड़कर रावण ने फिर सीता-हरण का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
एक बार मारीच के कहने पर रावण ने सीता-हरण का विचार छोड़ दिया। इस बीच शूर्पणखा लंका पहुँची। वह चीखते चिल्लाते और विलाप करते हुए रावण को लक्ष्मण द्वारा नाक-कान काटने की घटना की जानकारी दी। उसने रावण को धिक्कारते हुए कहा कि तुम्हारे महाबली होने का क्या लाभ। तुम्हारे रहते यह दुर्गति। तुम किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रह गए। उसने राम-लक्ष्मण की शक्ति की प्रशंसा की। सीता को उसने अतिसुंदर बताया और कहा कि वह तुम्हारे महलों में ही रहने के लायक है। मैं उसे तुम्हारे लिए लाना चाहती थी लेकिन लक्ष्मण ने क्रोध में मेरे नाक और कान काट दिए। शूर्पणखा से यह सुन रावण ने एक बार फिर सीता-हरण का निश्चय कर लिया।

प्रश्न 4.
मारीच ने राम को आकर्षित करने के लिए क्या किया? मायावी हिरण की आवाज़ को सुनकर लक्ष्मण राम की खोज में क्यों निकल पड़े?
उत्तर:
मारीच, राम को आकर्षित करने के लिए सोने के हिरण का रूप बनाकर कुटी के आसपास घूमने लगा। मायावी हिरण की आवाज़ सुनकर लक्ष्मण और चौकस हो गए। राक्षसों की अगली चाल का सामना करने के लिए उन्होंने बाण चढ़ाकर धनुष को मज़बूती से पकड़ लिया, पर उस आवाज़ को सुनकर सीता विचलित हो गईं। उन्होंने लक्ष्मण को राम की मदद के लिए जाने को कहा। लक्ष्मण ने उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि राम का कोई कुछ हानि नहीं कर सकता। आप किसी प्रकार की चिंता न कीजिए, पर सीता संतुष्ट नहीं हुईं। अंत में उनके दबाव के कारण विवश होकर लक्ष्मण न चाहते हुए राम की खोज में निकल पड़े।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो? राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर:
दृष्ट के साथ दुष्टता का परिचय देना आवश्यक है। मैं राक्षसों के विनाश के लिए राम के तर्क को सही मानता हैं। अगर साधारण एवं संत प्रकृति के व्यक्ति को दुष्ट कमज़ोर मानते हैं, वे प्रेम की बात को अनसुना करते हैं और हमेशा अन्याय तथा आतंक के मार्ग पर चलते हैं। अतः राम का तर्क राक्षसों के विनाश के लिए मैं सही मानता हूँ।

प्रश्न 2.
जंगल में तथा दंडक वन में आपने राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी। क्या यह संभव नहीं था कि राक्षस एवं ऋषि मुनि दोनों प्रेम से रह सकते थे? कारण बताते हुए उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राक्षस एवं मुनि दोनों के तौर तरीके एवं प्रवृत्ति में भिन्नता है। राक्षस हिंसा प्रवृत्ति के लोग होते हैं जबकि संत सामान्य कल्याणकारी तथा अहिंसा प्रकृति के। राक्षस नास्तिक होते हैं जबकि ऋषि और मुनि आस्तिक। अत: उपर्युक्त कारणों के आधार पर कहा जा सकता है कि दोनों शांतिपूर्वक इकट्ठे नहीं रह सकते हैं।

अभ्यास प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. चित्रकूट अयोध्या से कितनी दूरी पर था?
2. राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट से कहाँ गए?
3. राम ने चित्रकूट प्रस्थान क्यों किया?
4. दंडकारण्य के मुनियों ने राम से क्या आग्रह किया?
5. सबसे पहले विंध्याचल पार करने वाले ऋषि का क्या नाम था?
6. रावण मारीच के पास क्यों गया?
7. राम चित्रकूट से दूर क्यों जाना चाहते थे?
8. जटायु कौन था? राम-लक्ष्मण से वह कहाँ मिला?
9. पंचवटी में लक्ष्मण ने कैसी कुटिया बनाई?
10. मारीच ने रावण को क्या समझाया?
11. रावण ने मारीच से क्या कहा?
12. राम की कुटी के समीप आकर मरीच ने क्या किया?
13. राम ने लक्ष्मण को क्या आदेश दिया?
14. रावण किसको अपने साथ लेकर पंचवटी पहुँचा?
15. पंचवटी के मार्ग में राम को कौन मिला? उसने राम से क्या कहा?

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. अकंपन कौन था? उसने रावण से क्या कहा?
2. शूर्पणखा रावण के पास क्यों गई?
3. चित्रकूट से निकलकर राम कहाँ रुके? वहाँ के मुनि प्रसन्न क्यों हुए?
4. शूर्पणखा सीता पर क्यों झपटी? उसका परिणाम क्या रहा?
5. रावण मारीच के पास क्यों गया? मारीच ने रावण का आदेश क्यों माना?
6. शूर्पणखा कौन थी? उसने रावण को सीता हरण के लिए कैसे उकसाया?
7. मारीच ने राम को भ्रमित करने के लिए क्या किया? संदेह होते हुए भी राम उसके पीछे क्यों चल पड़े?
8. सीता हरण का विचार त्यागकर रावण ने फिर सीता हरण का निश्चय क्यों किया?

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 6 Summary

भरत अपनी प्रजा तथा सेना के साथ अयोध्या लौट चुके थे। राम पर्णकुटी के बाहर एक शिलाखंड पर बैठे थे। वे किसी सोच-विचार में मग्न थे। चित्रकूट अयोध्या से केवल चार दिन की दूरी पर था। लोगों का आना-जाना लगा रहता था। अयोध्या से लोग वहाँ आते रहते थे। कई कार्यों की राय माँगते थे और कई तरह के प्रश्न करते थे। इसलिए राम चित्रकूट से दूर जाना चाहते थे।

तीनों वनवासी मुनि अत्रि से विदा लेकर दंडक वन की ओर चल पड़े। यह वन घना था। इसमें अनेक तपस्वियों के आश्रम थे। राक्षस भी वहाँ बहत थे। राम को देखकर मुनिगण बहुत प्रसन्न हुए। मुनियों ने राम से कहा कि “आप मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा कीजिए। वे राक्षस हमारे आश्रम को अपवित्र करते हैं तथा हमारी तपस्या भंग करते हैं।” सीता राक्षसों का अकारण वध करना नहीं चाहती थी। राम लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में दस वर्षों तक रहे। वे स्थान और आश्रम बदलते रहे। वे क्षरभंग मुनि के आश्रम में पहुँचे। मुनि ने राम को राक्षसों के अत्याचार की कहानी बताई और आश्रमवासियों ने राम को हड्डियों का ढेर दिखाया। ये ऋषियों के कंकाल थे जिन्हें राक्षसों ने मार डाला था। मुनि ने राम को अगस्त्य ऋषि से भेंट करने की सलाह दी। मुनि ने राम को गोदावरी नदी के तट पर जाने को कहा। उस स्थान का नाम पंचवटी था। वनवास का शेष समय दो राजकुमारों और सीता ने वहीं बिताया। पंचवटी के मार्ग में राम को जटायु मिला जिसे देखकर सीता डर गई। जटायु ने कहा कि-डरो मत, मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। ‘राम जटायु को प्रणामकर आगे बढ़ गए। पंचवटी में लक्ष्मण ने एक सुंदर कुटिया बनाई। कुटिया ने उस पंचवटी को और सुंदर बना दिया। इस बीच जो भी राक्षस आश्रम पर आक्रमण करते राम उसका संहार कर देते। वन से सभी राक्षसों का अंत हो गया। अब तपस्वी शांति से तप करने लगे।

एक दिन लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा वहाँ आई। वह राम को देखकर उन पर मोहित हो गई। वह राम के पास जाकर बोली ‘मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। राम ने कहा कि “मैं विवाहित हूँ, ये मेरी पत्नी है।” अब वह लक्ष्मण के पास आई। लक्ष्मण ने उसे पुनः राम के पास भेज दिया। वह कभी राम के पास जाती तो कभी लक्ष्मण के पास। क्रोध में आकर झपट्टा मारा। लक्ष्मण ने तत्काल उठाकर तलवार खींच ली और उसकी नाक काट डाली। खून से लथ-पथ शूर्पणखा रोती हुई अपने भाई खर-दूषण के पास पहुँची। शूर्पणखा की दशा देखकर खर-दूषण ने क्रोध में चौदह राक्षसों को भेजा। राम जानते थे कि राक्षस इस अपमान का बदला लेने ज़रूर आएँगे। अतः उन्होंने सीता को लक्ष्मण के साथ सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। राक्षस राम के सामने टिक नहीं सके। वे सभी मारे गए। इसके बाद खर-दूषण राक्षसों की पूरी सेना लेकर आए। घमासान युद्ध में राम की विजय हुई। खर और दूषण मारे गए तथा शेष राक्षस भाग गए। यह खबर अकंपन नामक राक्षस ने रावण को जाकर दी। उसने बताया कि राम कुशल योद्धा हैं उन्हें कोई नहीं मार सकता। उनको हराने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण। रावण सीता के हरण के लिए तैयार हो गया। पर मारीच ने रावण को सीता का हरण न करने के लिए कहा। उसने रावण से कहा-सीता का हरण करना विनाश को आमंत्रण देना है। रावण मारीच की बात मानकर लौट आया। थोड़ी देर में शूर्पणखा रोती बिलखती रावण के पास गई और सारी घटना बताई। वह रावण को धिक्कारते हुए बोली ‘आप महाबली हैं। आपके रहते हुए यह दुर्गति।’ उसने रावण को राम-लक्ष्मण के अत्यंत बलशाली होने तथा सीता को अति सुंदरी बताया।

रावण फिर मारीच के पास गया। इस बार भी उसने सीता का हरण करने से मना किया किंतु इस बार रावण नहीं माना। उसने डाँटकर मारीच को आज्ञा दी कि तुम मेरी मदद करो। विवश होकर उसे रावण की आज्ञा माननी पड़ी। रथ पर बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुँचे। कुटी के निकट आकर मायावी मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया और कुटी के आस पास घूमने लगा। इधर रावण तपस्वी का वेश धारण कर पेड़ की छाया में छिपा था। सीता इस संदर हिरण को देखकर मोहित हो गई और राम से हिरण पकड़ने के लिए कहा। राम को हिरण पर संदेह था। वे सोचने लगे कि वन में सोने का हिरण कहाँ से आएगा पर सीता के आग्रह पर राम उसके पीछे चले गए।

कुटी से निकलते समय राम ने लक्ष्मण को सीता की रक्षा करने का आदेश दिया। राम की आज्ञा मानकर लक्ष्मण कुटी के बाहर खड़े हो गए।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 33
कोलाहल – शोर। पर्णकुटी – पत्तों से बनी कुटिया। हस्तक्षेप – दखल। विचार मग्न – विचारों में डूबा हुआ। राय – मत, विचार। मायावी – छल-कपट वाला। परिपूर्ण – भरा हुआ। विघ्न – बाधा, रुकावट। दैत्य – राक्षस । संहार – विनाश, मारना। कष्ट – तकलीफ। अपवित्र – गंदा।

पृष्ठ संख्या 35
कंकाल – अस्थि पिंजर, ढाँचा। असंभव – जो संभव न हो। अत्याचार – जुल्म। विशालकाय – लंबे चौड़े शरीर वाला। पुष्पलताएँ – फूलों वाली बेलें। आक्रमण – हमला। सौंदर्य – सुंदरता। विकृत – बिगड़ा हुआ। आसक्त – प्रेम।

पृष्ठ संख्या 36
स्वीकार – मंजूर। अविवाहित – कुँआरी। धाराशायी – धरती पर गिरकर समाप्त होना। लंकाधिपति – रावण।

पृष्ठ संख्या 37
स्वीकारना – मान लेना। परिचय – पहचान। अविवाहित – जिसका विवाह नहीं हुआ है। दास – नौकर। झपट्ट- झपटकर पकड़ने की क्रिया। दशा – हालत। मोह – माया। चकित – आश्चर्य। पिछलग्गू – पीछे-पीछे चलने वाला। विवरण – हाल।

पृष्ठ संख्या 39
अपहरण – अवसर मिलते ही किसी को चुरा ले जाना। पौरुष – बल, शक्ति, पराक्रम। ललकारना – चुनौती देना। महाबली – बहुत बलवान। दुर्गति – बुरी हालत। विनाश – अंत।

पृष्ठ संख्या 40
प्रवास – अपना देश छोड़कर दूसरे देश में जाकर बसना। संदेह – शंका। आग्रह – निवेदन।

राम चित्रकूट से दूर क्यों चले जाना चाहते थे?

इसका एक कारण और था । वहाँ रहकर तपस्या करने वाले ऋषि-मुनियों का निर्णय | राम-लक्ष्मण ने उस वन से राक्षसों का सफ़ाया कर दिया था। अब तपस्या में कोई बाधा नहीं थी । लेकिन मुनिगण वन छोड़ना चाहते थे

भरत चित्रकूट पर्वत पर क्यों जाना चाहते थे?

जब श्री राम 14 वर्ष के लिए वनवास आए थे तब भरत को अपने माता कैकेयी के व्यवहार पर काफ़ी दुख हुआ था। वे आयोध्या वासीयों को साथ लेकर श्रीराम को मनाने चित्रकूट आए थे, साथ में भगवान राम का राज्याभिषेक करने के लिए समस्त तीर्थों का जल भी लाये थे

श्री राम चित्रकूट में क्यों नहीं रहना चाहते थे?

श्रीराम नहीं चाहते थे कि पिता के आज्ञा और वचनों का खंडन हो। श्री राम का कहना था कि वह पिता के आज्ञा से ही वन को आए हैं और पिता के आज्ञा से ही वन से जाएंगे। यह सब सुनकर भारत मायूस हो गए। वह राम को मनाने में विफल हो गए और उनसे आग्रह करते हुए कहा, “ आप नहीं लौटेंगे तो मैं खाली हाथ यहां से नहीं जाऊंगा।

राम अयोध्या क्यों लौटना चाहते थे?

राम को अयोध्या वापस लौटने की जल्दी क्यों थी? उत्तर: क्योंकि भरत ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि चौदह वर्ष पूरे होते ही यदि राम नहीं लौटे तो वे प्राण दे देंगे। यही कारण था कि राम को वापस लौटने की जल्दी थी।