भगवान अपने भक्तों को कष्ट क्यों देते हैं? - bhagavaan apane bhakton ko kasht kyon dete hain?

भगवान कष्ट क्यों देते हैं?

भक्त लोग तो भगवान से कष्ट ही मांगते हैं क्योंकि दुष्ट कृतिवान व्यक्ति को छोड़ दुख में सभी को भगवान का स्मरण होता है। इसका दूसरा कारण यह भी है की भक्त अपने जीवन में स्वयं कष्टों से जूझकर हम जीवों को यह शिक्षा देना चाहते हैं कि यदि तुम्हारे जीवन में भी ऐसी घटनाएं घटें तो तुम भी भगवान का भजन मत छोड़ना।

भगवान अपने भक्तों की परीक्षा क्यों लेते हैं?

भक्त की भावना से भगवान प्रसन्न होते हैं। कृपा के सागर जब भक्त पर कृपा दृष्टि डालते हैं तो इससे पहले उसका सब कुछ हरण कर लेते हैं। कृपा तो करते हैं, पर परीक्षा भी बहुत लेते, इस में भक्त को अपना धैर्य नहीं खोता। वह मन को तो संभालता लेता है, पर आंसुओं को नहीं रोक पाता।

दुख में भगवान मदद क्यों नहीं करते हैं?

गीता में भगवान कहते हैं, ''हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही अनन्य शरण को प्राप्त हो। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को और सनातन परधाम को प्राप्त होगा।''

भगवान की पूजा करने से मनुष्य दुखी क्यों होता है?

ऐसे लोग हमेशा परेशान रहते हैं। क्योंकि अधिकतर व्यक्ति, संसार के सुखो को पाने अथवा उसमे स्थायित्व के लिए पूजा पाठ करते हैँ। पूर्ण आत्मसमर्पण के आभाव से ही ऐसा होता हैँ। लेकिन देवी /देवता तो भक्त के सदैव हितैषी हैँ, इसलिए ये दुख आते हैँ।