बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं - bihaar mein shaastreey sangeet ke kitane aur kaun-kaun se roop vishesh prachalit rahe hain

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 2 बिहार की संगीत साधना Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

Bihar Board Class 9 Hindi बिहार की संगीत साधना Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
समुद्रगुप्त कौन थे? वे किस वाद्य को बजाने में प्रवीण थे ?
उत्तर-
समुद्रगुप्त तक्कालीन भारत के सम्राट थे, जो एक कुशल शासक, अद्वितीय वीर, बुद्धि-चाचुर्य में प्रवीण दयालुता. व कठोरता के साथ तेजस्वी व्यक्ति से युक्त थे। वे संगीतत्व के अच्छे जानकार थे। समुद्रगुप्त वीणा वादन में इतने निपुण व प्रवीण थे कि विशेषज्ञ उन्हें ‘संगीत मार्तण्ड’ कहा करते थे।

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं - bihaar mein shaastreey sangeet ke kitane aur kaun-kaun se roop vishesh prachalit rahe hain

प्रश्न 2.
बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं ?
उत्तर-
बिहार प्राचीन काल से शास्त्रीय संगीत में अपनी गाढ़ी पैठ बनाये हुए है। यहाँ शास्त्रीय संगीत के अनेक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकार हुए हैं। बिहार में शास्त्रीय संगीत के विविध रूप गायकों कवियों से लेकर पेशेवर नृत्यांगनाओं तक और संतों से लेकर राजाओं तक में सम्मानित थे। मुगल सम्राज्य के बिखरने के बाद तानसेन के दर्जनों शिष्यों की मंडलियाँ देश के विभिन्न हिस्सों में गयीं, उनमें से कई को बेतिया, दरभंगा, डुमराँव, बनैली, टेकारी, गिद्धौर और तमकुही के राजदरबारों में सम्मानपुर्वक आश्रय प्राप्त हुआ था। उन संगीतकारों ने बिहार में शास्त्रीय संगीत के अनेक अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलावंत निर्माण किये। उस काल में बिहार की अपनी ध्रपद गायन की परंपरा थी और पं. शिवदयाल मिश्र जैसे ध्रपद गायक नेपाल से भी आये थे। शास्त्रीय संगीत बिहार में ध्रुपद, ठुमरी और ख्याल के गायन के रूप में प्रचलित है।

ध्रुपद, ख्याल और ठुमरी आदि जो तीन प्रकार के गायन हैं शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रमुख रूप हैं। शास्त्रीय संगीत के इन तीनों गायनों में बिहार ने अनेक रागों का भी आविष्कार किया है। वैदिक काल से चली आ रही शास्त्रीय संगीत धारा में समय-समय पर विकसित नयी-नयी अनेक धाराओं में से एक प्रमुख ध्रुपद है। ग्वालियर नरेश मानसिंह के दरबार में ध्रुपद का भरपूर विकास हुआ था और तानसेन भी ध्रुपद के महारथी थे। परंतु मुगल साग्राज्य के पतन के बाद बिहार के दरभंगा, बेतिया तथा डमराँव घराने में इसका अभतपर्व विकास हआ। नेपाल से आये ध्रपद गायक आचार्य शिवदयाल मिश्र की परंपरा भी बेतिया में विकसित हुई।

शास्त्रीय गायन का एक रूप ‘ख्याल’ जिसके गायन में भी बिहार ने ऊँचाइयाँ प्राप्त कर चुकी थी। ख्याल गायन में बनैली राज के राजकुमार श्यामनंदन सिंह ने सर्वाधिक प्रसिद्धि पाई। ये एक राजा थे, उच्च कोटि के संगीत प्रेमी थे, बिलियार्ड खेल के राज्यस्तरीय चैम्पियन थे और एक शांत-सरल चित्त वाले इंसान थे. जिन राजदरबार में गुणियों की उन्मुक्त कद्र होती थी। . शास्त्रीय गायन के तीसरे रूप ‘ठुमरी’ का उद्भव तो बिहार और उत्तर प्रदेश की अपनी धरती पर हुआ है। गया, वाराणसी तथा अवध में विशेष रूप से विकसित हुई ठुमरी को पूरब की गायकी कहा जाता है। ठुमरी के आचार्य-उस्तादों में अनेक का गया में जन्म हुआ जगदीप मिश्र, गुल मोहम्मद खाँ, राम प्र. मिश्र उर्फ रामू जी और उनके पुत्र गोवर्द्धन मिश्र ने संगीत साधना के क्षेत्र में मूल्यवान उपलब्धि दिलाई। है। सहरसा के मांतान खवास के ठुमरी गायन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं - bihaar mein shaastreey sangeet ke kitane aur kaun-kaun se roop vishesh prachalit rahe hain

प्रश्न 3.
बेतिया घराना का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
मुगल साम्राज्य के पतन के बाद बेतिया घराने का अभूतपूर्व विकास हआ। बेतिया के राजा गजसिंह ने ध्रपद गायक चमारी मलिक और कंगाली मलिक – को कुरुक्षेत्र के निकट लिवा लाकर अपने दरबार में रखा था। उस समय से ही ध्रुपद गायन में बेतिया घराने का प्रारंभ होता है। नेपाल से आये ध्रुपद गायक आचार्य शिवदयाल मिश्र की परंपरा भी बेतिया में विकसित हुई। बेतिया घराने के ध्रुपद गायकों में कुंज बिहारी मलिक, श्यामा मलिक, उमाचरण मलिक, गोरख मिश्र, महंथ मिश्र, बच्चा मलिक, शंकर लाल मिश्र और काले खाँ प्रमुख रहे हैं।

प्रश्न 4.
दरभंगा घराने के सर्वश्रेष्ठ गायक कौन माने जाते हैं? ।
उत्तर-
दरभंगा घराने में पं० राम चतुर मलिक को ध्रुपद का ध्रुव कहा जाता है। और वे वहाँ के सर्वश्रेष्ठ गायक थे।

प्रश्न 5.
धनगाई ग्राम कहाँ पड़ता है? बिहार की शास्त्रीय संगीत परम्परा में उस गाँव का क्या महत्व है?
उत्तर-
दरभंगा घराना तथा डुमरांव घराना दोनों का मूल रोहतास जिले का धनगाँई गाँव रहा है। धनगाँई गाँव के पं० धनारंग दूबे (1914 ई०) डुमराँव राजदरबार के सम्मानित गायक और उच्च कोटि के कवि भी थे। प्रसिद्ध गायक बच्चू दूबे उनके शिष्य थे। बच्चू दूबे की परंपरा में धनगाई गाँव के ही रघुनन्दन दूबे, सहदेव दूबे तथा .रामप्रसाद पाण्डेय ने विशेष ख्याति पाई।

प्रश्न 6.
जमीरा गाँव के संगीत साधक कौन थे? उनकी क्या विशेषता थी?
उत्तर-
पं० सियाराम तिवारी के गुरुओं में भोजपुर जिले के जमीरा निवासी शत्रुजय प्रसाद सिंह उर्फ लल्लन बाबू थे। लल्लन बाबू को जिन्होंने सुना है वे बताते हैं कि वे “या कुन्देन्दु तुषारहार धवला।” (सरस्वती वंदना) को अपने पखावज से शब्दशः ध्वनित कर देते थे। लल्लन बाबू ने तबला वादन तथा कथक नृत्य में भी कुशलता पाई थी।

प्रश्न 7.
श्यामानंद सिंह कौन थे? संगीत के प्रति उनमें कैसे रुचि जगी थी?
उत्तर-
श्यामनन्द सिंह एक राजा थे, उच्चकोटि के संगीत प्रेमी थे। विलियर्ड नामक खेल के राज्यस्तरीय चैम्पियन थे। वे एक शांत तथा सरल चित्तं वाले ऐसे इंसान थे जिनके राजदरबार में गुणियों की उन्मुक्त कद्र होती थी। अपनी कार से एक बार दार्जिलिंग जा रहे श्यामनन्द सिंह ने कहीं पं. भीष्मदेव चटर्जी का रिकार्ड सुना और उनसे संगीत सीखने की जगी इच्छा की उत्कटता ने उन्हें चटर्जी साहव के शिष्य बना दिया।

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं - bihaar mein shaastreey sangeet ke kitane aur kaun-kaun se roop vishesh prachalit rahe hain

प्रश्न 8.
संगीत में डुमराँव के योगदान पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
धनगाँई के ध्रुपद परिवारों का संबंध डुमरांव के राज घराने से था, इसलिए उन्हें डुमराँव घराने के नाम से प्रसिद्धि मिली। डुमराँव वर्तमान बक्सर जिले में पडता हैं। धनारंग दबे. इमराव राजदरबार के सम्मानित गायक और उच्चकाट के कवि भी थे। एक अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में पं. रामप्रसाद के गायन से कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर गहरे प्रभावित हुए थे और उनकी खूब प्रशंसा की थी।

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन-कौन से रूप विशेष प्रचलित रहे हैं - bihaar mein shaastreey sangeet ke kitane aur kaun-kaun se roop vishesh prachalit rahe hain

प्रश्न 9.
सुदीन पाठक किस बाजा के विशेषज्ञ थे? उनकी स्वभावगत विशेषताओं का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
बिहार में सितारवादन के एक महान साधक थे-सुदीप पाठक। वे ऐसे एकांत साधक थे कि रात में कमरे में बंद हो सितार बजाना प्रारंभ करते और भोर होने से पूर्व साधना को विराम देते हुए सितार के तार-खोलकर रख देते थे। अपने-जाने उन्होंने कभी किसी को न शिष्य बनाया और न ही बाहर में कभी प्रस्तुती दी।

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौन कौन से रूप विशेष प्रचलित है?

बिहार में शास्त्रीय संगीत के कितने और कौनकौन से रूप विशेष प्रचलित रहे । उत्तर – बिहार में शास्त्रीय संगीत के तीन रूप है : ( 1 ) ध्रुपद , ( iii ) ख्याल , ( iii ) ठुमरी ।

विश्व प्रसिद्ध संगीत साधक कौन हैं?

उस्ताद अली अकबर खां (१४ अप्रैल १९२२ - १९ अप्रैल २००९) जाने-माने सरोद वादक एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साधक थे। उस्ताद अली अकबर खान को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और पिछले पाँच दशकों से उन्होंने दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत का झंडा बुलंद रखा था।

श्यामानंद सिंह कौन थे संगीत के प्रति उनमें कैसे रुचि जगी थी?

संगीत के प्रति उनमें कैसे रुचि जगी थी? श्यामनन्द सिंह एक राजा थे, उच्चकोटि के संगीत प्रेमी थे। विलियर्ड नामक खेल के राज्यस्तरीय चैम्पियन थे। वे एक शांत तथा सरल चित्तं वाले ऐसे इंसान थे जिनके राजदरबार में गुणियों की उन्मुक्त कद्र होती थी

दंगाई ग्राम कहां पड़ता है बिहार की शास्त्रीय संगीत परंपरा में उस गांव का क्या महत्व है?

बिहार की शास्त्रीय संगीत परम्परा में उस गाँव का क्या महत्व है? दरभंगा घराना तथा डुमरांव घराना दोनों का मूल रोहतास जिले का धनगाँई गाँव रहा है। धनगाँई गाँव के पं० धनारंग दूबे (1914 ई०) डुमराँव राजदरबार के सम्मानित गायक और उच्च कोटि के कवि भी थे। प्रसिद्ध गायक बच्चू दूबे उनके शिष्य थे।