बिहार विधान परिषद बिहार राज्य में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है।[1] इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। बिहार विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। बिहार विधान परिषद मे कुल 75 सीटे है। Show
बिहार विधान परिषद् - एक परिचय[संपादित करें]बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् का जन्म भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत 7 फरवरी, 1921 को हुआ । संयुक्त प्रांत के प्रथम भारतीय राज्यपाल श्री सत्येंद्र प्रसन्न बरोन सिन्हा ने इसका उद्दघाटन किया । परंतु इसके पूर्व इंडियन काउंसिल ऐक्ट, 1861 तथा 1909 और गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ऐक्ट 1912 के तहत विधान परिषद् की स्थापना हो चुकी थी । 20 जनवरी 1913 को बांकीपुर स्थित परिषद् कक्ष में सर वेले के सभापतित्व में संयुक्त विधान परिषद की पाँच बैठकें हुईं । उस समय यह परिषद् बिहार और उड़ीसा के लेफ्टिनेंट गवर्नर की परिषद् कहलाती थी । 7 फरवरी, 1921 को जब बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् अस्तित्व में आई तो सर वाल्टर मॉडे प्रथम सभापति मनोनीत हुए। 28 मार्च, 1936 को बिहार के लिए अलग विधान परिषद् गठन किए जाने का आदेश हुआ । 1938 में विधान परिषद् अपने वर्तमान भवन में काम करने लगी । आज इसके परिसर में एक भव्य एनेक्सी तथा कबीर वाटिका का इजाफा हो गया है । अब यह परिषद् एक गौरवशाली शती की ओर अग्रसर है । सदस्य कार्यकाल[संपादित करें]इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं। एक राज्य के विधान सभा (निम्न सदन) के साथ इसके विपरीत, विधान परिषद (उच्च सदन) में एक स्थायी निकाय है और भंग नहीं किया जा सकता है,[2] विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य (एमएलसी) 6 साल की अवधि के लिए कार्य करता है। एक परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई की सदस्यता हर दो साल में समाप्त हो जाती है। यह व्यवस्था राज्य सभा, के सामान है। संरचना[संपादित करें]राज्य की विधान परिषद का आकार राज्य की विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं और किसी भी कारणों से 40 सदस्य से कम नहीं हो सकता बिहार विधान परिषद् में कुल 75 सदस्यों की व्यवस्था की गई है। निर्वाचन[संपादित करें]
योग्यताएं[संपादित करें]एमएलसी बनने हेतु योग्यताएं:
सन्दर्भ[संपादित करें]
विधान परिषद का गठन कैसे किया जाता है?गठन विधानसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को संघीय संसद के पास भेजा जाता है। तत्पश्चात अनुच्छेद 171(2) के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु इस प्रस्ताव को उनके पास प्रेषित (भेजना) कर दिया जाता है।
विधान परिषद के क्या कार्य होते हैं?विधान परिषद में उन सभी विषय के संबंध में साधारण बिल पेश किया जा सकता है जिन का संबंध राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया, परंतु इस बिल को तब तक राज्यपाल के पास नहीं भेजा जा सकता जब तक विधान सभा पास ना करे। अर्थात विधान सभा की मंजूरी के बिना कोई काम नहीं बन सकता।
बिहार में विधान परिषद का गठन कब हुआ?28 मार्च, 1936 को बिहार के लिए अलग विधान परिषद् गठन किए जाने का आदेश हुआ । 1938 में विधान परिषद् अपने वर्तमान भवन में काम करने लगी । आज इसके परिसर में एक भव्य एनेक्सी तथा कबीर वाटिका का इजाफा हो गया है । अब यह परिषद् एक गौरवशाली शती की ओर अग्रसर है ।
बिहार में विधान परिषद की संख्या कितनी है?बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 द्वारा बिहार के 18 जिलों तथा 4 प्रमंडलों को मिलाकर 15 नवम्बर, 2000 ई. को बिहार से अलग कर झारखंड राज्य की स्थापना की गई और बिहार विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 96 से घटाकर 75 निर्धारित की गई।
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