भारतएक ऐसा देश है, जहाँ विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग आपस में मेल-भाव के साथ रहते है | सबसे खास बात यह है, कि समाज में सभी जातियों की अपनी एक अलग पहचान भी है | यदि हम अनुसूचित जाति जनजाति की बात करे, तो आज से सैकड़ो वर्ष पूर्व कुछ ऐसे लोग थे, जिनका कोई धर्म और कोई जाति नहीं थी | विभिन्न कारणों से यह जातियां समाज की मुख्य धारा से दूर होती चली गयी | Show
अंग्रेजी शासनकाल में इस प्रकार की जातियों की एक लिस्ट तैयार की गयी और उनके पिछड़ेपन को दूर करनें के लिए उन्हें कुछ अधिकार दिए | इन जातियों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है | अनुसूचित जाति जनजाति किसे कहते हैं, अनुसूचित जाति की सूची, Check SC ST List Online के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दी जा रही है| आरक्षण (Reservation) क्या है अनुसूचित जाति किसे कहते हैं(Who are Scheduled Castes)
वर्ष 1931 में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान जनगणना करायी गयी, जिसमें 1108 अस्पृश्य अर्थात अछूत जातियां पाई गयी | ऐसी जातियां जिनका कोई धर्म नहीं होता है, उन्हें अस्पृश्य जाति कहते है | अस्पृश्य जाति को बहिष्कृत जाति के नाम से भी जाना जाता था | जनगणना के पश्चात अंग्रेजी शासन काल के तत्कालीन प्रधानमंत्री नें पाया, कि भारत में ऐसी अनेक जातियां है, जिनका कोई धर्म नहीं है, अर्थात स्वतंत्र जातियां है | प्रधानमंत्री नें इस प्रकार की स्वतंत्र जातियों की एक सूची बनानें को कहा तथा इस सूची में शामिल जातियों को अनुसूचित जाति या शिड्यूल्ड कास्ट कहा गया | स्वतंत्रतासे पूर्व वर्ष 1935 में अंग्रेजी सरकार नें अनुसूचित जाति अध्यादेश पारित किया, इस अध्यादेश के अंतर्गत इस प्रकार की स्वतंत्र जातियों को समाज में उनका एक अपना उचित स्थान प्रदान करनें की सुविधा दी गयी | हालाँकि स्वतंत्रता के पश्चात इस प्रावधान में कई बदलाव किये गये और वर्ष 1950 में संशोधित प्रावधान पारित हुआ था | पिछड़ी जाति (OBC) किसे कहते है अनुसूचित जाति की परिभाषा (Definition of Scheduled Caste)भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति को आर्टिकल 366 (24) में परिभाषित किया गया है। संविधान के इस आर्टिकल के मुताबिक अनुसूचित जाति का अर्थ, ऐसी स्वतंत्र जातियां, जनजतियाँ अथवा इन जातियों के कुछ भाग जिन्हें भारतीय संविधान के प्रयोजनों के लिए आर्टिकल 341 के के अंतर्गत अनुसूचित जाति माना जाता है |
अनुसूचित जाति या शिड्यूल्ड कास्ट जातियों की एक संवैधानिक सूची है, जिसमें ऐसी जातियों को रखा गया है, जो एक समय में समाज से बाहर, अस्पृश्य या अछूत, दलित या हरिजन कहे जाते थे | दरअसल इन जातियों को अनुसूचित करनें के मुख्य उद्देश्य समाज में होनें वाले भेद-भाव को समाप्त करनें के साथ ही उनका शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास करना है | इसके लिए उन्हें भारतीय संविधान में कुछ ऐसे अधिकार प्रदान किये गये है, जिसकी सहायता से वह अपना आर्थिक विकास सुनिश्चित कर सके | यहाँ तक कि शिक्षा के क्षेत्र में, सरकारी नौकरियों तथा इलेक्शन आदि में आरक्षण के साथ-साथ आर्थिक सहायता आदि की सुविधा प्रदान की गयी है | ऑनलाइन आय | जाति | निवास | प्रमाण पत्र का सत्यापन कैसे करें अनुसूचित जनजाति किसे कहते हैं (Who are Scheduled Tribes)आज भी हमारे देश ऐसी कई जनजातियां हैं, जो समाज के लोगो के साथ न रहकर अलग- थलग रह कर अपना जीवन यापन करते है | इन लोगो का अपना एक अलग समाज होता है, और इनके रीती-रिवाज के साथ-साथ नियम कानून भी बिल्कुल अलग होते है | ऐसे लोग प्रायः समाज से दूर जंगलों और पहाड़ों के निकट अपना जीवन यापन करते हैं | साधारण बोलचाल की भाषा में हम ऐसे लोगो को आदिवासी कहकर पुकारते है | समाज से दूर रहनें के कारण इन लोगो में शिक्षा का अभाव है. दूसरे शब्दों में यह काफी पिछड़े हुए लोग है | हालाँकि सरकार नें इनके विकास और समाज की मुख्य धारा में जोडनें के लिए कई अधिनियम और कानून भी बनाये है | आय प्रमाण पत्र (INCOME CERTIFICATE) अनुसूचित जनजाति की परिभाषा (Definition of Scheduled Tribe)भारतीय संविधान के आर्टिकल 366 (25) के मुताबिक, ऐसे आदिवासी समुदाय या आदिवासी जाति और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह के रूप में, जिन्हें इस संविधान के उद्देश्यों के लिए अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजातियां माना गया है।
अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) शब्द का प्रयोग सबसे पहले भारतीय संविधान में किया गया था और इसकी परिभाषा वर्ष 1931 में अंग्रेजी शासनकाल में करायी गयी जनगणना को आधार मान कर किया गया | अनुसूचित जनजाति अध्यादेश 1950 के मुताबिक अनुसूचित जनजाति में शामिल जातियों की संख्या लगभग 734 थी | वर्ष 2011 की गयी जनगणना के मुताबिक अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 8.6 है | दरअसल इन जातियों के पिछड़नें का मुख्य कारण इनका समाज से दूर रहना था | समाज की मुख्य धारा में शामिल न होनें के कारण इनका विकास नहीं हो पाया और यह गरीबी, कुपोषण, अन्धविश्वास आदि का शिकार होते चले गये | अनुसूचित जातियों में शामिल जातियों को उनकी जनसँख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करनें के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की सुविधा प्रदान की गयी है | भारत में वर्ष 2011 में करायी गयी जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 16.6 प्रतिशत है | अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगो के अधिकारों की रक्षा तथा उन पर होनें वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिए भारतीय संविधान में कानून बनाया गया है | संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है इन जातियों को अनुसूचित कहे जानें का कारण (Reason To Know Scheduled)इन जातियों को भारतीय संविधान की एक सूची में शामिल किये जानें के कारण ही इन्हें अनुसूचित कहा जाता है| आपको बता दें, कि भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियां है | यदि हम अनुसूचित जाति की बात करे तो, इसमें मुख्य रूप से ऐसी जातियों को शामिल किया गया है, जिन्हें पहले अस्पृश्य अर्थात अछूत, हरिजन या दलित समझा जाता था | वही यदि हम अनुसूचित जनजाति कि बात करे, तो इसमें आदिवासी जीवन व्यतीत करनें वाली जातियों को शामिल किया गया है | इन जातियों को अनुसूचित करनें का मुख्य उद्देश्य इन लोगो को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना था, ताकि इनका विकास हो सके तथा इन्हें भेदभाव और असमानता का सामना न करना पड़े | अनुसूचित जाति जनजाति की ऑनलाइन सूची देखनें हेतु – यहाँ क्लिक करे सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) अनुसूचित जाति में कौन आता है?अब दूसरी दलित जातियों के साथ-साथ 17 अति पिछड़ी जातियां जिसमें कहार, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, कश्यप, बिंद, प्रजापति, धीवर, भर, राजभर, ढीमर, बाथम, तुरहा, मांझी, मछुआ और गोड़िया अब अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकती हैं.
अनुसूचित जाति का क्या मतलब होता है?अनुसूचित जातियाँ भारतीय समाज की वे जातियाँ है, जिन्हें परंपरागत रुप में अस्पृश्य समझा जाता रहा है और अस्पृश्यता के आधार पर ये जातियाँ अनेक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनैतिक अयोग्यताओं की शिकार या पीड़ित रहीं है और इसलिए अनेक समस्याओं से घिरी रहती है और आज भी स्थिति काफी गंभीर है।
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