भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

बकरी पालन, हर लिहाज़ से किफ़ायती और मुनाफ़े का काम है। फिर चाहे इन्हें दो-चार बकरियों के घरेलू स्तर पर पाला जाए या छोटे-बड़े व्यावसायिक फॉर्म के तहत दर्ज़नों, सैकड़ों या हज़ारों की तादाद में। बकरी पालन में न सिर्फ़ शुरुआती निवेश बहुत कम होता है, बल्कि बकरियों की देखरेख और उनके चारे-पानी का खर्च भी बहुत कम होता है। लागत के मुकाबले बकरी पालन से होने वाली कमाई का अनुपात 3 से 4 गुना तक हो सकता है, बशर्ते इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।

कैसे चुनें बकरी की सही नस्ल?

दुनिया में बकरी की कम से कम 103 नस्लें हैं। इनमें से 21 नस्लें भारत में पायी जाती हैं। इनमें प्रमुख हैं – बरबरी, जमुनापारी, जखराना, बीटल, ब्लैक बंगाल, सिरोही, कच्छी, मारवारी, गद्दी, ओस्मानाबादी और सुरती। इन नस्लों की बकरियों की बहुतायत देश के अलग-अलग इलाकों में मिलती है। 2019 की पशु जनगणना के अनुसार, देश में करीब 14.9 करोड़ बकरियाँ हैं। देश के कुल पशुधन में गाय-भैंस का बाद बकरियों और भेड़ों का ही स्थान है।

भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

बकरी की नस्ल कैसे चुनें?

बकरी की ज़्यादातर नस्लों को घूमते-फिरते हुए चरना पसन्द होता है। इसीलिए इनके साथ चरवाहों का रहना ज़रूरी होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश और गंगा के मैदानी इलाकों में बहुतायत से पायी जाने वाली बरबरी नस्ल की बकरियों को कम जगह में खूँटों से बाँधकर भी पाला जा सकता है। इसी विशेषता की वजह से वैज्ञानिकों की सलाह होती है कि यदि किसी किसान या पशुपालक के पास बकरियों को चराने का सही इन्तज़ाम नहीं हो तो उसे बरबरी नस्ल की बकरियाँ पालनी चाहिए और यदि चराने की व्यवस्था हो तो सिरोही नस्ल की बकरियाँ पालने से बढ़िया कमाई होती है।

बरबरी नस्ल की विशेषताएँ

बरबरी एक ऐसी नस्ल है, जिसे चराने का झंझट नहीं होता। ये एक बार में तीन से पाँच बच्चे देने की क्षमता रखती हैं। इनका क़द छोटा लेकिन शरीर काफी गठीला होता है। ये अन्य नस्लों के मुकाबले ज़्यादा फुर्तीली होती हैं। बरबरी नस्ल तेज़ी से विकासित होती है, इसीलिए इसके मेमने साल भर बाद ही बिकने लायक हो जाते हैं।

भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?
बरबरी नस्ल की बकरी रोज़ाना करीब एक लीटर दूध देती है। इसे कम लागत में और किसी भी जगह पाल सकते हैं। इन्हें बीमारियाँ कम होती हैं, इसलिए रख-रखाव आसान होता है। इसके माँस को ज़्यादा स्वादिष्ट माना जाता है। इसीलिए बाज़ार में इसका अच्छा दाम मिलता है। बकरीद के वक़्त तो बरबरी के पशुपालक और भी बढ़िया दाम पाते हैं। बरबरी बकरी को फॉर्म हाउस के शेड में एलीवेटेड प्लास्टिक फ्लोरिंग विधि (स्टाल-फेड विधि) से भी पाला जा सकता है। इस विधि में चारे की मात्रा और गुणवत्ता को बकरियों उम्र की और ज़रूरत के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। इसमें बकरियों के रहने की जगह की साफ़-सफ़ाई रखना ख़ासा आसान होता है।

बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण

मथुरा स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसन्धान संस्थान [फ़ोन: (0565) 2763320, 2741991, 2741992, 1800-180-5141 (टोल फ्री)] और लखनऊ स्थित द गोट ट्रस्ट (Mobile – 08601873052 to 63) की ओर से बकरी पालन के लिए साल में चार बार प्रशिक्षण कोर्स चलाता है। इसमें व्यावयासिक रूप से बकरी पालन करने वालों का मार्गदर्शन भी किया जाता है। इसके अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र से भी बकरी पालन से सम्बन्धित प्रशिक्षण लिया जा सकता है।

ये भी पढ़ें- बकरी पालन (Goat Farming): बकरियों की 8 नयी नस्लें रजिस्टर्ड, चुनें अपने इलाके के लिए सही प्रजाति और पाएँ ज़्यादा फ़ायदा

वैज्ञानिक तरीका अपनाएँ

केन्द्रीय बकरी अनुसन्धान संस्थान के पशु आनुवांशिकी और उत्पाद प्रबन्धन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एम के सिंह के अनुसार, ‘वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करके पशुपालक किसान अपनी कमाई को दोगुनी से तिगुनी तक बढ़ा सकते हैं। इसके लिए बकरी की उन्नत नस्ल का चयन करना, उन्हें सही समय पर गर्भित कराना और स्टॉल फीडिंग विधि को अपनाकर चारे-पानी का इन्तज़ाम करना बेहद फ़ायदेमन्द साबित होता है। उत्तर भारत में बकरियों को सितम्बर से नवम्बर और अप्रैल से जून के दौरान गाभिन कराना चाहिए। सही वक़्त पर गाभिन हुई बकरियों में नवजात मेमनों की मृत्युदर कम होती है।’

साफ़-सफ़ाई है सबसे ज़रूरी

ज़्यादातर किसान बकरियों के बाड़े की साफ़-सफ़ाई के प्रति उदासीन रहते हैं। इससे बकरियों में होने वाली बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है। इसीलिए यदि बाड़े की फर्श मिट्टी की हो तो समय-समय पर उसकी एक से दो इंच की परत को पलटते रहना चाहिए क्योंकि इससे वहाँ पल रहे परजीवी नष्ट हो जाते हैं। बाड़े की मिट्टी जितनी सूखी रहेगी, बकरियों को बीमारियाँ उतनी कम होंगी।

माँ का पहला दूध

बकरी पालकों की अक्सर शिकायत होती है कि बकरी के तीन बच्चे हुए, लेकिन उनमें से बचा एक ही। आमतौर पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बकरी का दूध नहीं बचता। इसलिए जब बकरी गाभिन हो तो उसे ख़ूब हरा चारा और खनिज लवण देना चाहिए। पशुपालक जेर गिरने तक बच्चे को दूध नहीं पीने देते, जबकि बच्चे जितना जल्दी माँ का पहला दूध (खीस) पीएँगे, उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता उतनी तेज़ी से बढ़ेगी और मृत्युदर में कमी आएगी।

चारा और दाना

ज़्यादातर बकरी पालक बकरियों के आहार प्रबन्धन पर ध्यान नहीं देते। उन्हें चराने के बाद खूँटे से बाँधकर छोड़ देते हैं। जबकि चराने के बाद भी बकरियों को उचित चारा देना चाहिए, ताकि उनके माँस और दूध में वृद्धि हो सके। तीन से पाँच महीने के बच्चों को चारे में दाने के साथ-साथ हरी पत्तियाँ खिलाना चाहिए।

स्लॉटर ऐज (slaughter age) यानी माँस के लिए इस्तेमाल होने वाले 11 से 12 महीने के बच्चों के चारे में 40 प्रतिशत दाना और 60 प्रतिशत सूखा चारा होना चाहिए। दूध देने वाली बकरियों को रोज़ाना चारे के साथ करीब 400 ग्राम अनाज देना चाहिए। प्रजनन करने वाले वयस्क बकरों को प्रतिदिन सूखे चारे के साथ हरा चारा और 500 ग्राम अनाज देना चाहिए।

बकरियों के पोषण के लिए प्रतिदिन दाने के साथ सूखा चारा होना चाहिए। दाने में 57 प्रतिशत मक्का, 20 प्रतिशत मूँगफली की खली, 20 प्रतिशत चोकर, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्चर और 1 प्रतिशत नमक होना चाहिए। सूखे चारे में सूखी पत्तियाँ, गेहूँ, धान, उरद और अरहर का भूसा होना चाहिए। ठंड के दिनों में बकरियों को गन्ने का सीरा भी ज़रूर दें। यदि ऐसा पोषक खाना बकरियों को मिले तो उसके माँस और दूध में बढ़ियाँ इज़ाफ़ा होगा और अन्ततः किसानों की आमदनी दोगुनी से तीन गुनी हो जाएगी।

ये भी पढ़ें- बकरी पालन (Goat Farming): इन दो युवकों ने अपने दम पर खड़ा किया बकरियों का ब्रीडिंग फ़ार्म, कभी हंसते थे पड़ोसी और आज देते हैं मिसाल

प्रजनन प्रबन्धन कैसे करें?

समान नस्ल की मादा और नर में ही प्रजनन करवाएँ। प्रजनन करने वाले परिपक्व नर बकरों की उम्र डेड़ से दो साल होनी चाहिए। ध्यान रहे कि एक बकरे से प्रजनित सन्तान को उसी से गाभिन नहीं करवाएँ। यानी, बाप-बेटी का अन्तः प्रजनन नहीं होने दें। इससे आनुवांशिक विकृतियाँ पैदा हो सकती हैं। 20 से 30 बकरियों से प्रजनन के लिए एक बकरा पर्याप्त होता है। मादाओं में गर्मी चढ़ने के 12 घंटे बाद ही उसका नर से मिलन करवाएँ। प्रसव से पहले बकरियों के खाने में दाने का मात्रा बढ़ा दें।

मेमने का प्रबन्धन कैसे करें?

प्रसव के बाद मेमने को साफ़ कपड़े से पोछें। गर्भनाल को साफ़ और नये ब्लेड से काटें और उस पर आयोडीन टिंचर लगाएँ। जन्म के फ़ौरन बाद मेमनों को माँ का पहला दूध पीने दें। जब मेमने 15 दिन के हो जाएँ तो उन्हें हरा चारा और दाना देना शुरू करें तथा धीरे-धीरे दूध की मात्रा घटाते रहें। तीन महीने की उम्र के बाद मेमनों को टीके लगवाएँ। इसके लिए पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करें। वहाँ सभी टीके मुफ़्त लगाये जाते हैं।

भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

वज़न करके ही बेचें बकरियाँ

बकरियों को नौ महीने के बाद ही बेचना फ़ायदेमन्द होता है, क्योंकि तब तक वो पर्याप्त विकसित हो जाते हैं। बेचने के लिए घूमन्तू व्यापारियों से बचना चाहिए क्योंकि अक्सर वो बकरी पालक किसानों को कम दाम देते हैं। इसीलिए बकरियों को पशु बाज़ार या कसाई या बूचड़खाने को सीधे बेचने की कोशिश करनी चाहिए और बेचते वक़्त बकरी के वजन के हिसाब से ही उसका भाव तय किया जाना चाहिए। बकरी पालकों में इन बातों को लेकर जागरूकता बेहद ज़रूरी है, वर्ना उनका मुनाफ़ा काफ़ी कम हो सकता है।

बकरी पालन के लिए प्रोत्साहन योजना

ज़्यादातर राज्य सरकारें बकरी पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें रियायती दरों पर बैंकों से कर्ज़ लेने की योजनाएँ चलाती हैं। इसके बारे में किसानों को नज़दीकी बैंक, कृषि विज्ञान केन्द्र या पशु चिकित्सालयों से सम्पर्क करना चाहिए।

अन्य सावधानियाँ

बकरी पालन से जुड़े उपकरणों की सफ़ाई के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लेकर ही कीटाणु नाशक दवाओं का उपयोग करें। बकरियों को पौष्टिक आहार दें, उन्हें सड़ा-गला और बासी खाना नहीं खिलाएँ, वर्ना वो बीमार पड़ सकती हैं। बकरियाँ खरीदने से पहले उन्हें पशुओं के डॉक्टर को ज़रूर दिखाएँ, क्योंकि बकरियों में कुछ ऐसी भी बीमारी होती हैं जिनके सम्पर्क और संक्रमण से स्वस्थ बकरियाँ भी मर सकती हैं। बीमारी से मरने वाली बकरी को जला या दफ़ना दें।

ये भी पढ़ें: बकरी पालन में मुनाफ़ा कमाना है तो ‘गोटवाला फ़ार्म’ से लीजिये ट्रेनिंग, ‘बकरी पंडित पुरस्कार’ से सम्मानित दीपक पाटीदार को बनाइये गुरू

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

 

 

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    दूध उत्पादन में चाहिए बढ़िया कमाई तो गाय-भैंस खरीदते वक़्त किन सावधानियों का रखें ध्यान?

    दुधारू पशु खरीदते वक़्त यथा सम्भव गर्भवती और पूरी तरह से रोगमुक्त गाय-भैस को चुनना चाहिए। इससे पशुओं की खरीदारी में लगी पूँजी से ज़्यादा और फ़ौरन आमदनी मिलना सुनिश्चित होता है। दूसरी या तीसरी बार गर्भवती हुई गाय-भैंस को प्राथमिकता देनी चाहिए। क्योंकि ये पशुओं की जवानी का ऐसा वक़्त होता है जब वो अपनी अधिकतम क्षमता में दूध देते हैं।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Soil Nutrients: जानिए मिट्टी के पोषक तत्वों का फ़सलों पर क्या प्रभाव पड़ता है

    मिट्टी की जाँच करके उसमें मौजूद पोषक तत्वों का पता लगाया जाता है। जो किसान मिट्टी की जाँच करवाकर मिट्टी के पोषक तत्वों कृषि विज्ञानियों के नुस्ख़े के अनुसार अपने खेत के विकारों का निदान करके खेती करते हैं उन्हें निश्चित रूप से शानदार पैदावार मिलती है। इसीलिए यदि खेती-बाड़ी से पाना है बढ़िया मुनाफ़ा तो मिट्टी के गुणों को पहचानना सीखें और समय रहते उचित क़दम ज़रूर उठाएँ।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Agri-Business: देसी गाय के गोबर और गौमूत्र से खड़ा कर सकते हैं बड़ा एग्री-बिज़नेस, महाराष्ट्र के स्वप्निल कुंभार से जानिए देसी गाय की इकॉनमी

    गायें सिर्फ़ दूध उत्पादन तक ही सीमित नहीं हैं। देसी गाय के पशुधन से कई चीज़ें बनाई जा सकती हैं। स्वप्निल कुंभार गाय की इसी इकोनॉमिक्स को किसानों तक पहुंचा रहे हैं। किसान ऑफ़ इंडिया ने उनके इस मिशन और कॉन्सेप्ट पर उनसे ख़ास बातचीत की।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    खेती-बाड़ी में कमाई बढ़ाने के लिए अपनाएँ केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट), जानिए उत्पादन तकनीक और विधि

    केंचुआ खाद में 50-75% प्रोटीन और 7-10% वसा के अलावा कैल्शियम, फास्फोरस जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। क़ीमत के लिहाज़ से भी केंचुआ खाद से मिलने वाले ये पोषक तत्व अन्य किसी भी स्रोत की तुलना में बेहद किफ़ायती होते हैं। केंचुआ खाद के लगातार इस्तेमाल से मिट्टी के भौतक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में भी सुधार होता है और उसमें मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं के अनुपात बेहतर बनता है।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Christmas Day: क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) बिज़नेस से कैसे कर सकते हैं अच्छी कमाई?

    ‘क्रिसमस ट्री’ किसी भी तरह की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन इसकी खेती में कई बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है। जानिए क्रिसमस ट्री फार्मिंग व्यवसाय के बारे में में विस्तार से।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    फसलों को फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm) से बचाने के लिए योजनाबद्ध तरीके अपनाएँ

    फॉल आर्मीवर्म का जीवनचक्र 30 से 61 दिनों का होता है। फॉल आर्मीवर्म के लार्वा, पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाते हैं। इससे पत्तियों पर सफ़ेद धारियाँ दिखायी देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़े होते जाते हैं, वो पौधों की ऊपरी पत्तियों को खाने लगते हैं। इस तरह पत्तियों पर बड़े गोल-गोल छिद्र एक ही पंक्ति में नज़र आते हैं।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    जानिए कैसे मुर्गी पालन व्यवसाय में मुर्गियों के लिए वरदान हैं अनार के छिलके

    अनार में ढेर सारे पौष्टिक तत्व होते हैं जो इंसानों के लिए बहुत फायदेमंद हैं , लेकिन क्या आपको पता है किअनार के छिलके का अपशिष्ट मुर्गियों के लिए भी गुणों का खजाना है।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    नारियल आधारित एकीकृत कृषि मॉडल अपनाकर शीबा सादिक ने अपनी आमदनी को 20 गुना किया

    2 एकड़ ज़मीन में चार तालाब बने हुए थे। इसमें वो तिलापिया मछलियां पालती थीं। उनके पास 5 बकरियां और 50 देसी मुर्गियां भी थीं। सही प्रबंधन न होने की वजह से आमदनी कुछ ख़ास आमदनी नहीं होती थी। कैसे नारियल आधारित एकीकृत कृषि मॉडल अपनाकर उनकी आमदनी में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ, जानिए इस लेख में।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    डेयरी व्यवसाय शुरू करने से पहले गीतांजलि ने इन बातों का रखा ख़ास ध्यान, सालाना 9 लाख रुपये का मुनाफ़ा

    छोटे किसानों के लिए पशु बहुत कीमती संपत्ति होते हैं, क्योंकि यही मुश्किल समय में उनकी आजीविका का स्रोत बनते हैं। अगर सही तरीके से व अच्छी नस्ल के पशुओं का पालन किया जाए तो किसान इससे बढ़िया आमदनी कमाकर अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं, जैसा कि ओड़ीशा की महिला किसान ने किया है। डेयरी व्यवसाय कैसे गीतांजलि बेहरा की पहचान बन चुका है, जानिए इस लेख में।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    डेयरी व्यवसाय: रंजीत सिंह ने PDFA के साथ मिलकर शुरू कीं कई डेयरी योजनाएं, बनाया देश का पहला Fully Automated Dairy Farm

    एक किसान के लिए जितनी महत्वपूर्ण खेती होती है, पशुपालन से भी उसका लगाव उतना ही गहरा होता है। रंजीत सिंह अपने क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल तो बने ही, साथ ही अपने किसान साथियों की प्रगति के लिए भी काम कर रहे हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में रंजीत सिंह ने डेयरी सेक्टर (Dairy Farming) से जुड़ी कई दूसरी ज़रूरी जानकारियां भी दीं।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    पद्मश्री सुंडाराम वर्मा सिर्फ़ 1 लीटर पानी से उगाते हैं एक पेड़, सरकारी नौकरी ठुकरा कर किसानों के विकास में लग गए

    सुंडाराम वर्मा के निरंतर अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि आज राजस्थान और अन्य राज्यों के कई किसान इस तकनीक से खेती कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Kisan Diwas Special: सिंघाड़े की खेती- तालाब के बजाय खेत में उगा डाला सिंघाड़ा, जानिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सेठपाल सिंह के प्रयोगों के बारे में

    पद्मश्री से सम्मानित सेठपाल सिंह ने खेती में ऐसे नये-नये प्रयोग किये हैं कि जिन्हें जानकर कृषि जानकार भी हैरत में पड़ गए। क्या हैं उनके अभिनव प्रयोग। जानिए इस लेख में।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Kisan Diwas Special: कृष्ण कुमार ने तैयार किया वर्मीकम्पोस्ट बनाने का सस्ता फ़ॉर्मूला, फ़्री में देते हैं ट्रेनिंग

    हरियाणा के रहने वाले कृष्ण कुमार ने 2016 में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय में कदम रखा था। उस वक़्त कई लोगों ने उन्हें इसके लिए मना किया था, लेकिन प्रकृति के प्रति उनके लगाव ने उन्हें खेती-किसानी से जोड़ा। जानिए इस व्यवसाय का पूरा गणित।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Kisan Diwas Special: जैविक खेती के बलबूते पर खड़ा किया एग्री-बिज़नेस मॉडल, रानीखेत के मनोज भट्ट से जानिए कैसी है ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स की मार्केट

    उत्तराखंड के रानीखेत के चिलियानौला गाँव के रहने वाले प्रगतिशील किसान मनोज भट्ट ने 2009 से जैविक खेती की शुरुआत की। कोरोना काल में उनका करीब 12 लाख रुपये का सालाना टर्नओवर हुआ।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Kisan Diwas Special: मशहूर किसान प्रेम सिंह से जानिए खेती-किसानी के अचूक 5 गुरु मंत्र

    बुंदेलखंड के बांदा ज़िले के रहने वाले जाने- माने किसान प्रेम सिंह को ‘तपते रेगिस्तान’ में तरक्की की फसल उगाने का श्रेय जाता है।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    National Farmers Day: क्यों मनाया जाता है 23 दिसंबर को किसान दिवस? आज भी क्या हैं चुनौतियाँ ?

    भारतीय कृषि में चौधरी चरण सिंह के योगदान को याद करने के लिए  किसान दिवस मनाने का फैसला किया गया था। जानिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक एग्रीकल्चर सेक्टर में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    जानिए सत्यनारायण रेड्डी ने आम की खेती में अपनाईं कौन सी उन्नत तकनीकें, मिल रही आम की भरपूर फसल

    आम की खेती में अधिक समय, कीटों के प्रकोप और मौसम की मार के कारण होने वाली फसल हानि के चलते कर्नाटक में बहुत कम किसान ही आम की खेती कर रहे हैं। हालांकि, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो वैज्ञानिकों की सलाह पर नई तकनीक और तरीके अपनाकर आम की खेती में अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। एक ऐसे ही किसान हैं सत्यनारायण रेड्डी।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Millet Cultivation: बाजरे की खेती में किए कई उन्नत प्रयोग, इस महिला को मिल चुका है ‘कृषि पंडित पुरस्कार’

    कर्नाटक के दावणगेरे ज़िले के नित्तूर गांव की रहने वाली सरोज एन. पाटिल ने अपने खेत में Integrated Farming का मॉडल अपनाया हुआ है। उन्होंने बाजरे की खेती से मुनाफ़ा कमाने की दिशा में जो कदम उठाया, उससे उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    मछली पालन व्यवसाय: RAS तकनीक से 30 गुना बढ़ेगा मछली उत्पादन, नीरज चौधरी से जानिए इस तकनीक के बारे में

    हरियाणा के करनाल ज़िले के नीलोखेड़ी गाँव के रहने वाले नीरज चौधरी सुल्तान फिश फ़ार्म चलाते हैं। उन्होंने मछली पालन में Recirculatory Aquaculture System (RAS) तकनीक अपनाई हुई है। क्या है ये तकनीक? इस पर नीरज चौधरी से किसान ऑफ़ इंडिया ने ख़ास बातचीत की।

  • भारत में बकरी पालन से क्या लाभ है? - bhaarat mein bakaree paalan se kya laabh hai?

    Dairy Animal Disease: दुधारू पशुओं को होने वाले प्रमुख रोगों की ऐसे करें पहचान, जानिये उपचार

    दुधारू पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियां होती हैं। बीमारी की वजह से पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए समय पर उपचार ज़रूरी है। जानिए ICAR-Farmer FIRST Programme द्वारा सुझाए गए उपचारों के बारे में।

    बकरी पालन में क्या लाभ है?

    कृषि और सहायक व्यवसाय बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे बहुत कम पूंजी और छोटी जगह में भी सरलता से किया जा सकता है। बकरी लघु आकार की पशु है, जिसे बहुत आसानी से पाला जा सकता है। इसका सीमान्त और भूमिहीन किसानों द्वारा दूध तथा मांस के लिए पालन किया जाता है। इसके अलावा बकरी की खाल, बाल, रेशों का भी व्यावसायिक महत्व है।

    1 बकरी से कितनी कमाई होती है?

    आम तौर पर एक बकरी को 1-2 किलो चारा खाकर काम चला लेती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार कई त्यौहारों जैसे बकरीद, ईद आदि के मौके पर इन बकरियों की मांग काफी अधिक बढ़ जाती है. 18 बकरी (फीमेल) पर आप औसतन 2,16,000 रुपये की कमाई कर सकते हैं. वहीं, मेल वर्जन से औसतन 1,98,000 रुपये की कमाई हो सकती है.

    बकरी पालन का क्या महत्व है?

    बकरी पालन की उपयोगिता इस क्षेत्र में पायी जाने वाली बकरियाँ अल्प आयु में वयस्क होकर दो वर्ष में कम से कम 3 बार बच्चों को जन्म देती हैं और एक वियान में 2-3 बच्चों को जन्म देती हैं। बकरियों से मांस, दूध, खाल एवं रोंआ के अतिरिक्त इसके मल-मूत्र से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। बकरियाँ प्रायः चारागाह पर निर्भर रहती हैं।

    10 बकरी पर कितना लोन मिलेगा?

    ✔️10 बकरी पर कितना लोन मिलेगा? 10 बकरियों पर बैंकों से ₹400,000 तक का लोन मिल सकता है, बकरी पालन योजना 2022 ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन व्यक्तियों को बकरी पशुपालन लोन प्रदान किया जाएगा जो अपना नया बकरी पालन व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं.